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Home ताज़ा समाचार

वानखेड़े ने आर्यन खान मामले में गवाह गोसावी को खुली छूट दी : रिपोर्ट

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May 15, 2023
in ताज़ा समाचार
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वानखेड़े ने आर्यन खान मामले में गवाह गोसावी को खुली छूट दी : रिपोर्ट
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नई दिल्ली, 15 मई (आईएएनएस)। हाई-प्रोफाइल आर्यन खान मामले पर स्पेशल इंक्वायरी टीम (एसईटी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी के अधिकारियों ने निजी लोगों की मिलीभगत से आर्यन खान के परिवार के सदस्यों को नशीला पदार्थ रखने के अपराध का आरोप लगाने की धमकी देकर कथित तौर पर 25 करोड़ रुपये वसूलने की कोशिश की।

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के डीडीजी, एनआर की अध्यक्षता में गठित एसईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े स्वतंत्र गवाह के.पी. गोसावी को यह धारणा बनाने में मदद कर रहे थे कि वह एनसीबी अधिकारी हैं।

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बाद में यह रकम अंतत: 18 करोड़ रुपये पर तय हुई, स्वतंत्र गवाह गोसावी और उनके सहयोगी सनविले डिसूजा द्वारा रिश्वत के रूप में 50 लाख रुपये की टोकन राशि भी ली गई थी, लेकिन बाद में इस राशि का एक हिस्सा उनके द्वारा वापस कर दिया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है, समीर वानखेड़े, जेडडी, तत्काल पर्यवेक्षक अधिकारी के रूप में गोसावी और प्रभाकर सेल को आरोपी के खिलाफ कार्यवाही में स्वतंत्र गवाह के रूप में लेने का निर्देश दिया था और एनसीबी के अधिकारी वी.वी. सिंह को निर्देश दिया था कि आर्यन खान को एनसीबी कार्यालय में ले जाने का काम गोसावी को संभालने दें। इस तरह उन्होंने गोसावी और अन्य लोगों को एनसीबी अधिकारी के रूप में नकली इंप्रेशन बनाने की खुली छूट दी।

डीडीजी ने रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया कि वानखेड़े और मामले के आईओ आशीष रंजन द्वारा आपराधिक कदाचार और भ्रष्ट आचरण के आरोप थे और वे अपनी घोषित आय के अनुसार अपनी अर्जित संपत्ति को पर्याप्त रूप से उचित नहीं ठहरा सके।

रिपोर्ट में कहा गया है, वानखेड़े ने अपनी विदेश यात्राओं के बारे में नहीं बताया और जाहिर तौर पर अपनी विदेश यात्राओं पर हुए खर्च को गलत बताया था। उन्होंने अपनी विदेश यात्राओं के स्रोत को भी ठीक से घोषित नहीं किया। यह भी पाया गया कि वानखेड़े विभाग को सूचित किए बिना एक निजी व्यक्ति विरल राजन के साथ महंगी कलाई घड़ियों की बिक्री और खरीद में शामिल थे।

इसके बाद डीडीजी ने वानखेड़े, वी.वी. सिंह, और आशीष रंजन के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए सीबीआई को रिपोर्ट सौंपी थी।

वानखेड़े से आईएएनएस ने संपर्क किया था, लेकिन वह इस मामले पर कोई टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं हुए।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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नई दिल्ली, 15 मई (आईएएनएस)। हाई-प्रोफाइल आर्यन खान मामले पर स्पेशल इंक्वायरी टीम (एसईटी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी के अधिकारियों ने निजी लोगों की मिलीभगत से आर्यन खान के परिवार के सदस्यों को नशीला पदार्थ रखने के अपराध का आरोप लगाने की धमकी देकर कथित तौर पर 25 करोड़ रुपये वसूलने की कोशिश की।

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के डीडीजी, एनआर की अध्यक्षता में गठित एसईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े स्वतंत्र गवाह के.पी. गोसावी को यह धारणा बनाने में मदद कर रहे थे कि वह एनसीबी अधिकारी हैं।

बाद में यह रकम अंतत: 18 करोड़ रुपये पर तय हुई, स्वतंत्र गवाह गोसावी और उनके सहयोगी सनविले डिसूजा द्वारा रिश्वत के रूप में 50 लाख रुपये की टोकन राशि भी ली गई थी, लेकिन बाद में इस राशि का एक हिस्सा उनके द्वारा वापस कर दिया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है, समीर वानखेड़े, जेडडी, तत्काल पर्यवेक्षक अधिकारी के रूप में गोसावी और प्रभाकर सेल को आरोपी के खिलाफ कार्यवाही में स्वतंत्र गवाह के रूप में लेने का निर्देश दिया था और एनसीबी के अधिकारी वी.वी. सिंह को निर्देश दिया था कि आर्यन खान को एनसीबी कार्यालय में ले जाने का काम गोसावी को संभालने दें। इस तरह उन्होंने गोसावी और अन्य लोगों को एनसीबी अधिकारी के रूप में नकली इंप्रेशन बनाने की खुली छूट दी।

डीडीजी ने रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया कि वानखेड़े और मामले के आईओ आशीष रंजन द्वारा आपराधिक कदाचार और भ्रष्ट आचरण के आरोप थे और वे अपनी घोषित आय के अनुसार अपनी अर्जित संपत्ति को पर्याप्त रूप से उचित नहीं ठहरा सके।

रिपोर्ट में कहा गया है, वानखेड़े ने अपनी विदेश यात्राओं के बारे में नहीं बताया और जाहिर तौर पर अपनी विदेश यात्राओं पर हुए खर्च को गलत बताया था। उन्होंने अपनी विदेश यात्राओं के स्रोत को भी ठीक से घोषित नहीं किया। यह भी पाया गया कि वानखेड़े विभाग को सूचित किए बिना एक निजी व्यक्ति विरल राजन के साथ महंगी कलाई घड़ियों की बिक्री और खरीद में शामिल थे।

इसके बाद डीडीजी ने वानखेड़े, वी.वी. सिंह, और आशीष रंजन के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए सीबीआई को रिपोर्ट सौंपी थी।

वानखेड़े से आईएएनएस ने संपर्क किया था, लेकिन वह इस मामले पर कोई टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं हुए।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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नई दिल्ली, 15 मई (आईएएनएस)। हाई-प्रोफाइल आर्यन खान मामले पर स्पेशल इंक्वायरी टीम (एसईटी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी के अधिकारियों ने निजी लोगों की मिलीभगत से आर्यन खान के परिवार के सदस्यों को नशीला पदार्थ रखने के अपराध का आरोप लगाने की धमकी देकर कथित तौर पर 25 करोड़ रुपये वसूलने की कोशिश की।

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के डीडीजी, एनआर की अध्यक्षता में गठित एसईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े स्वतंत्र गवाह के.पी. गोसावी को यह धारणा बनाने में मदद कर रहे थे कि वह एनसीबी अधिकारी हैं।

बाद में यह रकम अंतत: 18 करोड़ रुपये पर तय हुई, स्वतंत्र गवाह गोसावी और उनके सहयोगी सनविले डिसूजा द्वारा रिश्वत के रूप में 50 लाख रुपये की टोकन राशि भी ली गई थी, लेकिन बाद में इस राशि का एक हिस्सा उनके द्वारा वापस कर दिया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है, समीर वानखेड़े, जेडडी, तत्काल पर्यवेक्षक अधिकारी के रूप में गोसावी और प्रभाकर सेल को आरोपी के खिलाफ कार्यवाही में स्वतंत्र गवाह के रूप में लेने का निर्देश दिया था और एनसीबी के अधिकारी वी.वी. सिंह को निर्देश दिया था कि आर्यन खान को एनसीबी कार्यालय में ले जाने का काम गोसावी को संभालने दें। इस तरह उन्होंने गोसावी और अन्य लोगों को एनसीबी अधिकारी के रूप में नकली इंप्रेशन बनाने की खुली छूट दी।

डीडीजी ने रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया कि वानखेड़े और मामले के आईओ आशीष रंजन द्वारा आपराधिक कदाचार और भ्रष्ट आचरण के आरोप थे और वे अपनी घोषित आय के अनुसार अपनी अर्जित संपत्ति को पर्याप्त रूप से उचित नहीं ठहरा सके।

रिपोर्ट में कहा गया है, वानखेड़े ने अपनी विदेश यात्राओं के बारे में नहीं बताया और जाहिर तौर पर अपनी विदेश यात्राओं पर हुए खर्च को गलत बताया था। उन्होंने अपनी विदेश यात्राओं के स्रोत को भी ठीक से घोषित नहीं किया। यह भी पाया गया कि वानखेड़े विभाग को सूचित किए बिना एक निजी व्यक्ति विरल राजन के साथ महंगी कलाई घड़ियों की बिक्री और खरीद में शामिल थे।

इसके बाद डीडीजी ने वानखेड़े, वी.वी. सिंह, और आशीष रंजन के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए सीबीआई को रिपोर्ट सौंपी थी।

वानखेड़े से आईएएनएस ने संपर्क किया था, लेकिन वह इस मामले पर कोई टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं हुए।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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नई दिल्ली, 15 मई (आईएएनएस)। हाई-प्रोफाइल आर्यन खान मामले पर स्पेशल इंक्वायरी टीम (एसईटी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी के अधिकारियों ने निजी लोगों की मिलीभगत से आर्यन खान के परिवार के सदस्यों को नशीला पदार्थ रखने के अपराध का आरोप लगाने की धमकी देकर कथित तौर पर 25 करोड़ रुपये वसूलने की कोशिश की।

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के डीडीजी, एनआर की अध्यक्षता में गठित एसईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े स्वतंत्र गवाह के.पी. गोसावी को यह धारणा बनाने में मदद कर रहे थे कि वह एनसीबी अधिकारी हैं।

बाद में यह रकम अंतत: 18 करोड़ रुपये पर तय हुई, स्वतंत्र गवाह गोसावी और उनके सहयोगी सनविले डिसूजा द्वारा रिश्वत के रूप में 50 लाख रुपये की टोकन राशि भी ली गई थी, लेकिन बाद में इस राशि का एक हिस्सा उनके द्वारा वापस कर दिया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है, समीर वानखेड़े, जेडडी, तत्काल पर्यवेक्षक अधिकारी के रूप में गोसावी और प्रभाकर सेल को आरोपी के खिलाफ कार्यवाही में स्वतंत्र गवाह के रूप में लेने का निर्देश दिया था और एनसीबी के अधिकारी वी.वी. सिंह को निर्देश दिया था कि आर्यन खान को एनसीबी कार्यालय में ले जाने का काम गोसावी को संभालने दें। इस तरह उन्होंने गोसावी और अन्य लोगों को एनसीबी अधिकारी के रूप में नकली इंप्रेशन बनाने की खुली छूट दी।

डीडीजी ने रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया कि वानखेड़े और मामले के आईओ आशीष रंजन द्वारा आपराधिक कदाचार और भ्रष्ट आचरण के आरोप थे और वे अपनी घोषित आय के अनुसार अपनी अर्जित संपत्ति को पर्याप्त रूप से उचित नहीं ठहरा सके।

रिपोर्ट में कहा गया है, वानखेड़े ने अपनी विदेश यात्राओं के बारे में नहीं बताया और जाहिर तौर पर अपनी विदेश यात्राओं पर हुए खर्च को गलत बताया था। उन्होंने अपनी विदेश यात्राओं के स्रोत को भी ठीक से घोषित नहीं किया। यह भी पाया गया कि वानखेड़े विभाग को सूचित किए बिना एक निजी व्यक्ति विरल राजन के साथ महंगी कलाई घड़ियों की बिक्री और खरीद में शामिल थे।

इसके बाद डीडीजी ने वानखेड़े, वी.वी. सिंह, और आशीष रंजन के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए सीबीआई को रिपोर्ट सौंपी थी।

वानखेड़े से आईएएनएस ने संपर्क किया था, लेकिन वह इस मामले पर कोई टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं हुए।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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नई दिल्ली, 15 मई (आईएएनएस)। हाई-प्रोफाइल आर्यन खान मामले पर स्पेशल इंक्वायरी टीम (एसईटी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी के अधिकारियों ने निजी लोगों की मिलीभगत से आर्यन खान के परिवार के सदस्यों को नशीला पदार्थ रखने के अपराध का आरोप लगाने की धमकी देकर कथित तौर पर 25 करोड़ रुपये वसूलने की कोशिश की।

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के डीडीजी, एनआर की अध्यक्षता में गठित एसईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े स्वतंत्र गवाह के.पी. गोसावी को यह धारणा बनाने में मदद कर रहे थे कि वह एनसीबी अधिकारी हैं।

बाद में यह रकम अंतत: 18 करोड़ रुपये पर तय हुई, स्वतंत्र गवाह गोसावी और उनके सहयोगी सनविले डिसूजा द्वारा रिश्वत के रूप में 50 लाख रुपये की टोकन राशि भी ली गई थी, लेकिन बाद में इस राशि का एक हिस्सा उनके द्वारा वापस कर दिया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है, समीर वानखेड़े, जेडडी, तत्काल पर्यवेक्षक अधिकारी के रूप में गोसावी और प्रभाकर सेल को आरोपी के खिलाफ कार्यवाही में स्वतंत्र गवाह के रूप में लेने का निर्देश दिया था और एनसीबी के अधिकारी वी.वी. सिंह को निर्देश दिया था कि आर्यन खान को एनसीबी कार्यालय में ले जाने का काम गोसावी को संभालने दें। इस तरह उन्होंने गोसावी और अन्य लोगों को एनसीबी अधिकारी के रूप में नकली इंप्रेशन बनाने की खुली छूट दी।

डीडीजी ने रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया कि वानखेड़े और मामले के आईओ आशीष रंजन द्वारा आपराधिक कदाचार और भ्रष्ट आचरण के आरोप थे और वे अपनी घोषित आय के अनुसार अपनी अर्जित संपत्ति को पर्याप्त रूप से उचित नहीं ठहरा सके।

रिपोर्ट में कहा गया है, वानखेड़े ने अपनी विदेश यात्राओं के बारे में नहीं बताया और जाहिर तौर पर अपनी विदेश यात्राओं पर हुए खर्च को गलत बताया था। उन्होंने अपनी विदेश यात्राओं के स्रोत को भी ठीक से घोषित नहीं किया। यह भी पाया गया कि वानखेड़े विभाग को सूचित किए बिना एक निजी व्यक्ति विरल राजन के साथ महंगी कलाई घड़ियों की बिक्री और खरीद में शामिल थे।

इसके बाद डीडीजी ने वानखेड़े, वी.वी. सिंह, और आशीष रंजन के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए सीबीआई को रिपोर्ट सौंपी थी।

वानखेड़े से आईएएनएस ने संपर्क किया था, लेकिन वह इस मामले पर कोई टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं हुए।

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नई दिल्ली, 15 मई (आईएएनएस)। हाई-प्रोफाइल आर्यन खान मामले पर स्पेशल इंक्वायरी टीम (एसईटी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी के अधिकारियों ने निजी लोगों की मिलीभगत से आर्यन खान के परिवार के सदस्यों को नशीला पदार्थ रखने के अपराध का आरोप लगाने की धमकी देकर कथित तौर पर 25 करोड़ रुपये वसूलने की कोशिश की।

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के डीडीजी, एनआर की अध्यक्षता में गठित एसईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े स्वतंत्र गवाह के.पी. गोसावी को यह धारणा बनाने में मदद कर रहे थे कि वह एनसीबी अधिकारी हैं।

बाद में यह रकम अंतत: 18 करोड़ रुपये पर तय हुई, स्वतंत्र गवाह गोसावी और उनके सहयोगी सनविले डिसूजा द्वारा रिश्वत के रूप में 50 लाख रुपये की टोकन राशि भी ली गई थी, लेकिन बाद में इस राशि का एक हिस्सा उनके द्वारा वापस कर दिया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है, समीर वानखेड़े, जेडडी, तत्काल पर्यवेक्षक अधिकारी के रूप में गोसावी और प्रभाकर सेल को आरोपी के खिलाफ कार्यवाही में स्वतंत्र गवाह के रूप में लेने का निर्देश दिया था और एनसीबी के अधिकारी वी.वी. सिंह को निर्देश दिया था कि आर्यन खान को एनसीबी कार्यालय में ले जाने का काम गोसावी को संभालने दें। इस तरह उन्होंने गोसावी और अन्य लोगों को एनसीबी अधिकारी के रूप में नकली इंप्रेशन बनाने की खुली छूट दी।

डीडीजी ने रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया कि वानखेड़े और मामले के आईओ आशीष रंजन द्वारा आपराधिक कदाचार और भ्रष्ट आचरण के आरोप थे और वे अपनी घोषित आय के अनुसार अपनी अर्जित संपत्ति को पर्याप्त रूप से उचित नहीं ठहरा सके।

रिपोर्ट में कहा गया है, वानखेड़े ने अपनी विदेश यात्राओं के बारे में नहीं बताया और जाहिर तौर पर अपनी विदेश यात्राओं पर हुए खर्च को गलत बताया था। उन्होंने अपनी विदेश यात्राओं के स्रोत को भी ठीक से घोषित नहीं किया। यह भी पाया गया कि वानखेड़े विभाग को सूचित किए बिना एक निजी व्यक्ति विरल राजन के साथ महंगी कलाई घड़ियों की बिक्री और खरीद में शामिल थे।

इसके बाद डीडीजी ने वानखेड़े, वी.वी. सिंह, और आशीष रंजन के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए सीबीआई को रिपोर्ट सौंपी थी।

वानखेड़े से आईएएनएस ने संपर्क किया था, लेकिन वह इस मामले पर कोई टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं हुए।

–आईएएनएस

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नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के डीडीजी, एनआर की अध्यक्षता में गठित एसईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े स्वतंत्र गवाह के.पी. गोसावी को यह धारणा बनाने में मदद कर रहे थे कि वह एनसीबी अधिकारी हैं।

बाद में यह रकम अंतत: 18 करोड़ रुपये पर तय हुई, स्वतंत्र गवाह गोसावी और उनके सहयोगी सनविले डिसूजा द्वारा रिश्वत के रूप में 50 लाख रुपये की टोकन राशि भी ली गई थी, लेकिन बाद में इस राशि का एक हिस्सा उनके द्वारा वापस कर दिया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है, समीर वानखेड़े, जेडडी, तत्काल पर्यवेक्षक अधिकारी के रूप में गोसावी और प्रभाकर सेल को आरोपी के खिलाफ कार्यवाही में स्वतंत्र गवाह के रूप में लेने का निर्देश दिया था और एनसीबी के अधिकारी वी.वी. सिंह को निर्देश दिया था कि आर्यन खान को एनसीबी कार्यालय में ले जाने का काम गोसावी को संभालने दें। इस तरह उन्होंने गोसावी और अन्य लोगों को एनसीबी अधिकारी के रूप में नकली इंप्रेशन बनाने की खुली छूट दी।

डीडीजी ने रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया कि वानखेड़े और मामले के आईओ आशीष रंजन द्वारा आपराधिक कदाचार और भ्रष्ट आचरण के आरोप थे और वे अपनी घोषित आय के अनुसार अपनी अर्जित संपत्ति को पर्याप्त रूप से उचित नहीं ठहरा सके।

रिपोर्ट में कहा गया है, वानखेड़े ने अपनी विदेश यात्राओं के बारे में नहीं बताया और जाहिर तौर पर अपनी विदेश यात्राओं पर हुए खर्च को गलत बताया था। उन्होंने अपनी विदेश यात्राओं के स्रोत को भी ठीक से घोषित नहीं किया। यह भी पाया गया कि वानखेड़े विभाग को सूचित किए बिना एक निजी व्यक्ति विरल राजन के साथ महंगी कलाई घड़ियों की बिक्री और खरीद में शामिल थे।

इसके बाद डीडीजी ने वानखेड़े, वी.वी. सिंह, और आशीष रंजन के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए सीबीआई को रिपोर्ट सौंपी थी।

वानखेड़े से आईएएनएस ने संपर्क किया था, लेकिन वह इस मामले पर कोई टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं हुए।

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नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के डीडीजी, एनआर की अध्यक्षता में गठित एसईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े स्वतंत्र गवाह के.पी. गोसावी को यह धारणा बनाने में मदद कर रहे थे कि वह एनसीबी अधिकारी हैं।

बाद में यह रकम अंतत: 18 करोड़ रुपये पर तय हुई, स्वतंत्र गवाह गोसावी और उनके सहयोगी सनविले डिसूजा द्वारा रिश्वत के रूप में 50 लाख रुपये की टोकन राशि भी ली गई थी, लेकिन बाद में इस राशि का एक हिस्सा उनके द्वारा वापस कर दिया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है, समीर वानखेड़े, जेडडी, तत्काल पर्यवेक्षक अधिकारी के रूप में गोसावी और प्रभाकर सेल को आरोपी के खिलाफ कार्यवाही में स्वतंत्र गवाह के रूप में लेने का निर्देश दिया था और एनसीबी के अधिकारी वी.वी. सिंह को निर्देश दिया था कि आर्यन खान को एनसीबी कार्यालय में ले जाने का काम गोसावी को संभालने दें। इस तरह उन्होंने गोसावी और अन्य लोगों को एनसीबी अधिकारी के रूप में नकली इंप्रेशन बनाने की खुली छूट दी।

डीडीजी ने रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया कि वानखेड़े और मामले के आईओ आशीष रंजन द्वारा आपराधिक कदाचार और भ्रष्ट आचरण के आरोप थे और वे अपनी घोषित आय के अनुसार अपनी अर्जित संपत्ति को पर्याप्त रूप से उचित नहीं ठहरा सके।

रिपोर्ट में कहा गया है, वानखेड़े ने अपनी विदेश यात्राओं के बारे में नहीं बताया और जाहिर तौर पर अपनी विदेश यात्राओं पर हुए खर्च को गलत बताया था। उन्होंने अपनी विदेश यात्राओं के स्रोत को भी ठीक से घोषित नहीं किया। यह भी पाया गया कि वानखेड़े विभाग को सूचित किए बिना एक निजी व्यक्ति विरल राजन के साथ महंगी कलाई घड़ियों की बिक्री और खरीद में शामिल थे।

इसके बाद डीडीजी ने वानखेड़े, वी.वी. सिंह, और आशीष रंजन के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए सीबीआई को रिपोर्ट सौंपी थी।

वानखेड़े से आईएएनएस ने संपर्क किया था, लेकिन वह इस मामले पर कोई टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं हुए।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 15 मई (आईएएनएस)। हाई-प्रोफाइल आर्यन खान मामले पर स्पेशल इंक्वायरी टीम (एसईटी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी के अधिकारियों ने निजी लोगों की मिलीभगत से आर्यन खान के परिवार के सदस्यों को नशीला पदार्थ रखने के अपराध का आरोप लगाने की धमकी देकर कथित तौर पर 25 करोड़ रुपये वसूलने की कोशिश की।

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के डीडीजी, एनआर की अध्यक्षता में गठित एसईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े स्वतंत्र गवाह के.पी. गोसावी को यह धारणा बनाने में मदद कर रहे थे कि वह एनसीबी अधिकारी हैं।

बाद में यह रकम अंतत: 18 करोड़ रुपये पर तय हुई, स्वतंत्र गवाह गोसावी और उनके सहयोगी सनविले डिसूजा द्वारा रिश्वत के रूप में 50 लाख रुपये की टोकन राशि भी ली गई थी, लेकिन बाद में इस राशि का एक हिस्सा उनके द्वारा वापस कर दिया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है, समीर वानखेड़े, जेडडी, तत्काल पर्यवेक्षक अधिकारी के रूप में गोसावी और प्रभाकर सेल को आरोपी के खिलाफ कार्यवाही में स्वतंत्र गवाह के रूप में लेने का निर्देश दिया था और एनसीबी के अधिकारी वी.वी. सिंह को निर्देश दिया था कि आर्यन खान को एनसीबी कार्यालय में ले जाने का काम गोसावी को संभालने दें। इस तरह उन्होंने गोसावी और अन्य लोगों को एनसीबी अधिकारी के रूप में नकली इंप्रेशन बनाने की खुली छूट दी।

डीडीजी ने रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया कि वानखेड़े और मामले के आईओ आशीष रंजन द्वारा आपराधिक कदाचार और भ्रष्ट आचरण के आरोप थे और वे अपनी घोषित आय के अनुसार अपनी अर्जित संपत्ति को पर्याप्त रूप से उचित नहीं ठहरा सके।

रिपोर्ट में कहा गया है, वानखेड़े ने अपनी विदेश यात्राओं के बारे में नहीं बताया और जाहिर तौर पर अपनी विदेश यात्राओं पर हुए खर्च को गलत बताया था। उन्होंने अपनी विदेश यात्राओं के स्रोत को भी ठीक से घोषित नहीं किया। यह भी पाया गया कि वानखेड़े विभाग को सूचित किए बिना एक निजी व्यक्ति विरल राजन के साथ महंगी कलाई घड़ियों की बिक्री और खरीद में शामिल थे।

इसके बाद डीडीजी ने वानखेड़े, वी.वी. सिंह, और आशीष रंजन के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए सीबीआई को रिपोर्ट सौंपी थी।

वानखेड़े से आईएएनएस ने संपर्क किया था, लेकिन वह इस मामले पर कोई टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं हुए।

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नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के डीडीजी, एनआर की अध्यक्षता में गठित एसईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े स्वतंत्र गवाह के.पी. गोसावी को यह धारणा बनाने में मदद कर रहे थे कि वह एनसीबी अधिकारी हैं।

बाद में यह रकम अंतत: 18 करोड़ रुपये पर तय हुई, स्वतंत्र गवाह गोसावी और उनके सहयोगी सनविले डिसूजा द्वारा रिश्वत के रूप में 50 लाख रुपये की टोकन राशि भी ली गई थी, लेकिन बाद में इस राशि का एक हिस्सा उनके द्वारा वापस कर दिया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है, समीर वानखेड़े, जेडडी, तत्काल पर्यवेक्षक अधिकारी के रूप में गोसावी और प्रभाकर सेल को आरोपी के खिलाफ कार्यवाही में स्वतंत्र गवाह के रूप में लेने का निर्देश दिया था और एनसीबी के अधिकारी वी.वी. सिंह को निर्देश दिया था कि आर्यन खान को एनसीबी कार्यालय में ले जाने का काम गोसावी को संभालने दें। इस तरह उन्होंने गोसावी और अन्य लोगों को एनसीबी अधिकारी के रूप में नकली इंप्रेशन बनाने की खुली छूट दी।

डीडीजी ने रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया कि वानखेड़े और मामले के आईओ आशीष रंजन द्वारा आपराधिक कदाचार और भ्रष्ट आचरण के आरोप थे और वे अपनी घोषित आय के अनुसार अपनी अर्जित संपत्ति को पर्याप्त रूप से उचित नहीं ठहरा सके।

रिपोर्ट में कहा गया है, वानखेड़े ने अपनी विदेश यात्राओं के बारे में नहीं बताया और जाहिर तौर पर अपनी विदेश यात्राओं पर हुए खर्च को गलत बताया था। उन्होंने अपनी विदेश यात्राओं के स्रोत को भी ठीक से घोषित नहीं किया। यह भी पाया गया कि वानखेड़े विभाग को सूचित किए बिना एक निजी व्यक्ति विरल राजन के साथ महंगी कलाई घड़ियों की बिक्री और खरीद में शामिल थे।

इसके बाद डीडीजी ने वानखेड़े, वी.वी. सिंह, और आशीष रंजन के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए सीबीआई को रिपोर्ट सौंपी थी।

वानखेड़े से आईएएनएस ने संपर्क किया था, लेकिन वह इस मामले पर कोई टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं हुए।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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नई दिल्ली, 15 मई (आईएएनएस)। हाई-प्रोफाइल आर्यन खान मामले पर स्पेशल इंक्वायरी टीम (एसईटी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी के अधिकारियों ने निजी लोगों की मिलीभगत से आर्यन खान के परिवार के सदस्यों को नशीला पदार्थ रखने के अपराध का आरोप लगाने की धमकी देकर कथित तौर पर 25 करोड़ रुपये वसूलने की कोशिश की।

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के डीडीजी, एनआर की अध्यक्षता में गठित एसईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े स्वतंत्र गवाह के.पी. गोसावी को यह धारणा बनाने में मदद कर रहे थे कि वह एनसीबी अधिकारी हैं।

बाद में यह रकम अंतत: 18 करोड़ रुपये पर तय हुई, स्वतंत्र गवाह गोसावी और उनके सहयोगी सनविले डिसूजा द्वारा रिश्वत के रूप में 50 लाख रुपये की टोकन राशि भी ली गई थी, लेकिन बाद में इस राशि का एक हिस्सा उनके द्वारा वापस कर दिया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है, समीर वानखेड़े, जेडडी, तत्काल पर्यवेक्षक अधिकारी के रूप में गोसावी और प्रभाकर सेल को आरोपी के खिलाफ कार्यवाही में स्वतंत्र गवाह के रूप में लेने का निर्देश दिया था और एनसीबी के अधिकारी वी.वी. सिंह को निर्देश दिया था कि आर्यन खान को एनसीबी कार्यालय में ले जाने का काम गोसावी को संभालने दें। इस तरह उन्होंने गोसावी और अन्य लोगों को एनसीबी अधिकारी के रूप में नकली इंप्रेशन बनाने की खुली छूट दी।

डीडीजी ने रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया कि वानखेड़े और मामले के आईओ आशीष रंजन द्वारा आपराधिक कदाचार और भ्रष्ट आचरण के आरोप थे और वे अपनी घोषित आय के अनुसार अपनी अर्जित संपत्ति को पर्याप्त रूप से उचित नहीं ठहरा सके।

रिपोर्ट में कहा गया है, वानखेड़े ने अपनी विदेश यात्राओं के बारे में नहीं बताया और जाहिर तौर पर अपनी विदेश यात्राओं पर हुए खर्च को गलत बताया था। उन्होंने अपनी विदेश यात्राओं के स्रोत को भी ठीक से घोषित नहीं किया। यह भी पाया गया कि वानखेड़े विभाग को सूचित किए बिना एक निजी व्यक्ति विरल राजन के साथ महंगी कलाई घड़ियों की बिक्री और खरीद में शामिल थे।

इसके बाद डीडीजी ने वानखेड़े, वी.वी. सिंह, और आशीष रंजन के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए सीबीआई को रिपोर्ट सौंपी थी।

वानखेड़े से आईएएनएस ने संपर्क किया था, लेकिन वह इस मामले पर कोई टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं हुए।

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नई दिल्ली, 15 मई (आईएएनएस)। हाई-प्रोफाइल आर्यन खान मामले पर स्पेशल इंक्वायरी टीम (एसईटी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी के अधिकारियों ने निजी लोगों की मिलीभगत से आर्यन खान के परिवार के सदस्यों को नशीला पदार्थ रखने के अपराध का आरोप लगाने की धमकी देकर कथित तौर पर 25 करोड़ रुपये वसूलने की कोशिश की।

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के डीडीजी, एनआर की अध्यक्षता में गठित एसईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े स्वतंत्र गवाह के.पी. गोसावी को यह धारणा बनाने में मदद कर रहे थे कि वह एनसीबी अधिकारी हैं।

बाद में यह रकम अंतत: 18 करोड़ रुपये पर तय हुई, स्वतंत्र गवाह गोसावी और उनके सहयोगी सनविले डिसूजा द्वारा रिश्वत के रूप में 50 लाख रुपये की टोकन राशि भी ली गई थी, लेकिन बाद में इस राशि का एक हिस्सा उनके द्वारा वापस कर दिया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है, समीर वानखेड़े, जेडडी, तत्काल पर्यवेक्षक अधिकारी के रूप में गोसावी और प्रभाकर सेल को आरोपी के खिलाफ कार्यवाही में स्वतंत्र गवाह के रूप में लेने का निर्देश दिया था और एनसीबी के अधिकारी वी.वी. सिंह को निर्देश दिया था कि आर्यन खान को एनसीबी कार्यालय में ले जाने का काम गोसावी को संभालने दें। इस तरह उन्होंने गोसावी और अन्य लोगों को एनसीबी अधिकारी के रूप में नकली इंप्रेशन बनाने की खुली छूट दी।

डीडीजी ने रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया कि वानखेड़े और मामले के आईओ आशीष रंजन द्वारा आपराधिक कदाचार और भ्रष्ट आचरण के आरोप थे और वे अपनी घोषित आय के अनुसार अपनी अर्जित संपत्ति को पर्याप्त रूप से उचित नहीं ठहरा सके।

रिपोर्ट में कहा गया है, वानखेड़े ने अपनी विदेश यात्राओं के बारे में नहीं बताया और जाहिर तौर पर अपनी विदेश यात्राओं पर हुए खर्च को गलत बताया था। उन्होंने अपनी विदेश यात्राओं के स्रोत को भी ठीक से घोषित नहीं किया। यह भी पाया गया कि वानखेड़े विभाग को सूचित किए बिना एक निजी व्यक्ति विरल राजन के साथ महंगी कलाई घड़ियों की बिक्री और खरीद में शामिल थे।

इसके बाद डीडीजी ने वानखेड़े, वी.वी. सिंह, और आशीष रंजन के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए सीबीआई को रिपोर्ट सौंपी थी।

वानखेड़े से आईएएनएस ने संपर्क किया था, लेकिन वह इस मामले पर कोई टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं हुए।

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नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के डीडीजी, एनआर की अध्यक्षता में गठित एसईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े स्वतंत्र गवाह के.पी. गोसावी को यह धारणा बनाने में मदद कर रहे थे कि वह एनसीबी अधिकारी हैं।

बाद में यह रकम अंतत: 18 करोड़ रुपये पर तय हुई, स्वतंत्र गवाह गोसावी और उनके सहयोगी सनविले डिसूजा द्वारा रिश्वत के रूप में 50 लाख रुपये की टोकन राशि भी ली गई थी, लेकिन बाद में इस राशि का एक हिस्सा उनके द्वारा वापस कर दिया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है, समीर वानखेड़े, जेडडी, तत्काल पर्यवेक्षक अधिकारी के रूप में गोसावी और प्रभाकर सेल को आरोपी के खिलाफ कार्यवाही में स्वतंत्र गवाह के रूप में लेने का निर्देश दिया था और एनसीबी के अधिकारी वी.वी. सिंह को निर्देश दिया था कि आर्यन खान को एनसीबी कार्यालय में ले जाने का काम गोसावी को संभालने दें। इस तरह उन्होंने गोसावी और अन्य लोगों को एनसीबी अधिकारी के रूप में नकली इंप्रेशन बनाने की खुली छूट दी।

डीडीजी ने रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया कि वानखेड़े और मामले के आईओ आशीष रंजन द्वारा आपराधिक कदाचार और भ्रष्ट आचरण के आरोप थे और वे अपनी घोषित आय के अनुसार अपनी अर्जित संपत्ति को पर्याप्त रूप से उचित नहीं ठहरा सके।

रिपोर्ट में कहा गया है, वानखेड़े ने अपनी विदेश यात्राओं के बारे में नहीं बताया और जाहिर तौर पर अपनी विदेश यात्राओं पर हुए खर्च को गलत बताया था। उन्होंने अपनी विदेश यात्राओं के स्रोत को भी ठीक से घोषित नहीं किया। यह भी पाया गया कि वानखेड़े विभाग को सूचित किए बिना एक निजी व्यक्ति विरल राजन के साथ महंगी कलाई घड़ियों की बिक्री और खरीद में शामिल थे।

इसके बाद डीडीजी ने वानखेड़े, वी.वी. सिंह, और आशीष रंजन के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए सीबीआई को रिपोर्ट सौंपी थी।

वानखेड़े से आईएएनएस ने संपर्क किया था, लेकिन वह इस मामले पर कोई टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं हुए।

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नई दिल्ली, 15 मई (आईएएनएस)। हाई-प्रोफाइल आर्यन खान मामले पर स्पेशल इंक्वायरी टीम (एसईटी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी के अधिकारियों ने निजी लोगों की मिलीभगत से आर्यन खान के परिवार के सदस्यों को नशीला पदार्थ रखने के अपराध का आरोप लगाने की धमकी देकर कथित तौर पर 25 करोड़ रुपये वसूलने की कोशिश की।

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के डीडीजी, एनआर की अध्यक्षता में गठित एसईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े स्वतंत्र गवाह के.पी. गोसावी को यह धारणा बनाने में मदद कर रहे थे कि वह एनसीबी अधिकारी हैं।

बाद में यह रकम अंतत: 18 करोड़ रुपये पर तय हुई, स्वतंत्र गवाह गोसावी और उनके सहयोगी सनविले डिसूजा द्वारा रिश्वत के रूप में 50 लाख रुपये की टोकन राशि भी ली गई थी, लेकिन बाद में इस राशि का एक हिस्सा उनके द्वारा वापस कर दिया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है, समीर वानखेड़े, जेडडी, तत्काल पर्यवेक्षक अधिकारी के रूप में गोसावी और प्रभाकर सेल को आरोपी के खिलाफ कार्यवाही में स्वतंत्र गवाह के रूप में लेने का निर्देश दिया था और एनसीबी के अधिकारी वी.वी. सिंह को निर्देश दिया था कि आर्यन खान को एनसीबी कार्यालय में ले जाने का काम गोसावी को संभालने दें। इस तरह उन्होंने गोसावी और अन्य लोगों को एनसीबी अधिकारी के रूप में नकली इंप्रेशन बनाने की खुली छूट दी।

डीडीजी ने रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया कि वानखेड़े और मामले के आईओ आशीष रंजन द्वारा आपराधिक कदाचार और भ्रष्ट आचरण के आरोप थे और वे अपनी घोषित आय के अनुसार अपनी अर्जित संपत्ति को पर्याप्त रूप से उचित नहीं ठहरा सके।

रिपोर्ट में कहा गया है, वानखेड़े ने अपनी विदेश यात्राओं के बारे में नहीं बताया और जाहिर तौर पर अपनी विदेश यात्राओं पर हुए खर्च को गलत बताया था। उन्होंने अपनी विदेश यात्राओं के स्रोत को भी ठीक से घोषित नहीं किया। यह भी पाया गया कि वानखेड़े विभाग को सूचित किए बिना एक निजी व्यक्ति विरल राजन के साथ महंगी कलाई घड़ियों की बिक्री और खरीद में शामिल थे।

इसके बाद डीडीजी ने वानखेड़े, वी.वी. सिंह, और आशीष रंजन के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए सीबीआई को रिपोर्ट सौंपी थी।

वानखेड़े से आईएएनएस ने संपर्क किया था, लेकिन वह इस मामले पर कोई टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं हुए।

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नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के डीडीजी, एनआर की अध्यक्षता में गठित एसईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े स्वतंत्र गवाह के.पी. गोसावी को यह धारणा बनाने में मदद कर रहे थे कि वह एनसीबी अधिकारी हैं।

बाद में यह रकम अंतत: 18 करोड़ रुपये पर तय हुई, स्वतंत्र गवाह गोसावी और उनके सहयोगी सनविले डिसूजा द्वारा रिश्वत के रूप में 50 लाख रुपये की टोकन राशि भी ली गई थी, लेकिन बाद में इस राशि का एक हिस्सा उनके द्वारा वापस कर दिया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है, समीर वानखेड़े, जेडडी, तत्काल पर्यवेक्षक अधिकारी के रूप में गोसावी और प्रभाकर सेल को आरोपी के खिलाफ कार्यवाही में स्वतंत्र गवाह के रूप में लेने का निर्देश दिया था और एनसीबी के अधिकारी वी.वी. सिंह को निर्देश दिया था कि आर्यन खान को एनसीबी कार्यालय में ले जाने का काम गोसावी को संभालने दें। इस तरह उन्होंने गोसावी और अन्य लोगों को एनसीबी अधिकारी के रूप में नकली इंप्रेशन बनाने की खुली छूट दी।

डीडीजी ने रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया कि वानखेड़े और मामले के आईओ आशीष रंजन द्वारा आपराधिक कदाचार और भ्रष्ट आचरण के आरोप थे और वे अपनी घोषित आय के अनुसार अपनी अर्जित संपत्ति को पर्याप्त रूप से उचित नहीं ठहरा सके।

रिपोर्ट में कहा गया है, वानखेड़े ने अपनी विदेश यात्राओं के बारे में नहीं बताया और जाहिर तौर पर अपनी विदेश यात्राओं पर हुए खर्च को गलत बताया था। उन्होंने अपनी विदेश यात्राओं के स्रोत को भी ठीक से घोषित नहीं किया। यह भी पाया गया कि वानखेड़े विभाग को सूचित किए बिना एक निजी व्यक्ति विरल राजन के साथ महंगी कलाई घड़ियों की बिक्री और खरीद में शामिल थे।

इसके बाद डीडीजी ने वानखेड़े, वी.वी. सिंह, और आशीष रंजन के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए सीबीआई को रिपोर्ट सौंपी थी।

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नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के डीडीजी, एनआर की अध्यक्षता में गठित एसईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े स्वतंत्र गवाह के.पी. गोसावी को यह धारणा बनाने में मदद कर रहे थे कि वह एनसीबी अधिकारी हैं।

बाद में यह रकम अंतत: 18 करोड़ रुपये पर तय हुई, स्वतंत्र गवाह गोसावी और उनके सहयोगी सनविले डिसूजा द्वारा रिश्वत के रूप में 50 लाख रुपये की टोकन राशि भी ली गई थी, लेकिन बाद में इस राशि का एक हिस्सा उनके द्वारा वापस कर दिया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है, समीर वानखेड़े, जेडडी, तत्काल पर्यवेक्षक अधिकारी के रूप में गोसावी और प्रभाकर सेल को आरोपी के खिलाफ कार्यवाही में स्वतंत्र गवाह के रूप में लेने का निर्देश दिया था और एनसीबी के अधिकारी वी.वी. सिंह को निर्देश दिया था कि आर्यन खान को एनसीबी कार्यालय में ले जाने का काम गोसावी को संभालने दें। इस तरह उन्होंने गोसावी और अन्य लोगों को एनसीबी अधिकारी के रूप में नकली इंप्रेशन बनाने की खुली छूट दी।

डीडीजी ने रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया कि वानखेड़े और मामले के आईओ आशीष रंजन द्वारा आपराधिक कदाचार और भ्रष्ट आचरण के आरोप थे और वे अपनी घोषित आय के अनुसार अपनी अर्जित संपत्ति को पर्याप्त रूप से उचित नहीं ठहरा सके।

रिपोर्ट में कहा गया है, वानखेड़े ने अपनी विदेश यात्राओं के बारे में नहीं बताया और जाहिर तौर पर अपनी विदेश यात्राओं पर हुए खर्च को गलत बताया था। उन्होंने अपनी विदेश यात्राओं के स्रोत को भी ठीक से घोषित नहीं किया। यह भी पाया गया कि वानखेड़े विभाग को सूचित किए बिना एक निजी व्यक्ति विरल राजन के साथ महंगी कलाई घड़ियों की बिक्री और खरीद में शामिल थे।

इसके बाद डीडीजी ने वानखेड़े, वी.वी. सिंह, और आशीष रंजन के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए सीबीआई को रिपोर्ट सौंपी थी।

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