वाराणसी, 23 सितंबर (आईएएनएस)। दशहरा उत्सव की धूम पूरे भारत में छा गई है। वाराणसी की सेंट्रल जेल की ऊंची दीवारों से भी भगवान राम के जयकारों की गूंज सुनाई दे रही है। परंपरा और सुधार को एक साथ जोड़ने के एक अनोखे प्रयास में आजीवन कारावास या लंबी सजा काट रहे कैदी जेल परिसर में रामलीला का मंचन कर रहे हैं।
पिछले 15 सालों से सेंट्रल जेल में रामलीला का आयोजन किया जाता रहा है, जिसमें कैदी भगवान राम, सीता माता से लेकर रावण और हनुमान जी जैसे सभी किरदार निभाते हैं।
यह प्रदर्शन नवरात्रि के पहले दिन शुरू होता है और दशहरा पर रावण के पुतले के दहन के साथ समाप्त होता है। इसकी तैयारियां जुलाई के महीने में ही शुरू हो जाती हैं, जिससे जेल भक्ति और मोक्ष का एक मंच बन जाता है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए वरिष्ठ जेल अधीक्षक राधा कृष्ण मिश्र ने इस पहल के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हम 2010-11 से रामलीला का आयोजन कर रहे हैं। किरदारों के लिए कैदियों का सावधानीपूर्वक चयन किया जाता है और नियमित रिहर्सल होती है। वे न केवल ईमानदारी से अभिनय करते हैं, बल्कि रामचरितमानस को सच में जीवंत कर देते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि जेल का डॉक्टर कैदियों के व्यवहार, उनकी आवाज और व्यक्तित्व के आधार पर उन्हें भूमिकाएं देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे कास्टिंग की प्रक्रिया एक सोच-समझकर और रचनात्मक कार्य बन जाती है।
रामलीला रामायण महाकाव्य के विभिन्न दृश्यों का एक प्रदर्शन है, जिसमें गीत, कथावाचन, पाठ और संवाद शामिल होते हैं। यह हर साल शरद ऋतु में धार्मिक कैलेंडर के अनुसार दशहरा उत्सव के दौरान उत्तरी भारत के विभिन्न हिस्सों में प्रस्तुत की जाती है। सबसे प्रसिद्ध रामलीला अयोध्या, रामनगर और वाराणसी, वृंदावन, अल्मोड़ा और मधुबनी की हैं।
रामायण के इस मंचन का आधार रामाचरितमानस है, जो देश के उत्तरी भाग में सबसे लोकप्रिय कथावाचन शैलियों में से एक है। रामायण के नायक राम की महिमा को समर्पित यह पवित्र ग्रंथ, तुलसीदास द्वारा सोलहवीं सदी में हिंदी भाषा में लिखा गया था, ताकि संस्कृत का यह महाकाव्य सभी तक आसानी से पहुंच सके।
अधिकांश रामलीलाओं में रामचरितमानस के अंशों को 10-12 दिनों तक चलने वाले प्रदर्शनों के माध्यम से दर्शाया जाता है, लेकिन कुछ रामलीलाएं, जैसे रामनगर की, एक पूरा महीना भी चल सकती हैं।
रामलीला में भगवान राम और रावण के बीच हुए युद्ध को याद किया जाता है और इसमें देवताओं, ऋषियों और भक्तों के बीच संवाद होते हैं। रामलीला की खासियत यह है कि इसमें हर दृश्य के चरम को दर्शाने वाले प्रतीकों का क्रम होता है।
–आईएएनएस
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