नई दिल्ली, 4 नवंबर (आईएएनएस)। फिनटेक कंपनी कैशफ्री पेमेंट्स ने वित्त वर्ष 24 में 135 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया है, वित्त वर्ष 23 में यह आंकड़ा 133 करोड़ रुपये था। इस दौरान कंपनी की आय सालाना आधार 5 प्रतिशत बढ़कर 613.8 करोड़ रुपये से 642.7 करोड़ रुपये हो गई है।
कंपनी की आय में मामूली वृद्धि और घाटा बढ़ने की वजह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा कैशफ्री पर की गई एक कार्रवाई को माना जा रहा है, जिसके तहत कंपनी को दिसंबर 2022 से लेकर दिसंबर 2023 तक नए मर्चेंट्स ऑनबोर्ड करने से बैन कर दिया गया था।
रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी के पास जमा कराए गए वार्षिक वित्तीय विवरणों में कंपनी ने बताया है कि वित्त वर्ष 24 में उसका कुल खर्च 3.9 प्रतिशत बढ़कर 779.4 करोड़ रुपये हो गया है, जो कि वित्त वर्ष 23 में 750 करोड़ रुपये था।
कंपनी के खर्च का एक बड़ा हिस्सा सामग्री की लागत है, जो वित्त वर्ष 24 में 426.6 करोड़ रुपये रही है। इस दौरान एम्प्लोयी बेनिफिट 23 प्रतिशत बढ़कर 245 करोड़ रुपये हो गया है। इसके अलावा अन्य खर्चों में मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर), इन्फ्रास्ट्रक्चर और अनुपालन लागत शामिल है।
रिपोर्ट्स में बताया गया कि कंपनी ने अपनी आय के घटकों का विवरण नहीं उपलब्ध कराया है, लेकिन कंपनी की आय का मुख्य स्त्रोत सर्विसेज की बिक्री है। इसके अलावा लेनदेन से जुड़ी फीस आदि भी कंपनी के आय में अहम योगदान देती है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी ने बीते 30 महीनों से कोई नई फंडिंग नहीं जुटाई है। अपने करीब नौ वर्षों के इतिहास में कंपनी करीब 320 करोड़ रुपये फंडिंग के जरिए जुटा चुकी है।
कैशफ्री का मुख्य मुकाबला रेजरपे, पेयू और सीसीएवेन्यू से है। रेजरपे के पेमेंट गेटवे कारोबार ने पिछले वित्त वर्ष में 2,068 करोड़ रुपये की आय अर्जित किया था और कंपनी को कर के बाद 34 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था।
वित्त वर्ष 24 में पेयू की आय 11 प्रतिशत बढ़कर 444 मिलियन डॉलर हो गया और इस दौरान कंपनी को नुकसान हुआ था।
–आईएएनएस
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