बेंगलुरु, 21 मार्च (आईएएनएस)। भारत के रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में नियुक्तियों में वित्त वर्ष 25 में 18 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। इसकी वजह देश के द्वारा 2030 तक 500 गीगावाट की गैर-जीवाश्म ईंधन से संचालित ऊर्जा क्षमता विकसित करने का लक्ष्य निर्धारित करना है। यह जानकारी शुक्रवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।
टीमलीज सर्विसेज की रिपोर्ट में कहा गया कि रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स के बढ़ने के कारण इंडस्ट्री में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियों के अवसर भी बढ़ रहे हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 24 में इस सेक्टर में नियुक्तियों में 23.7 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला था, जो कि वित्त वर्ष 23 में 8.5 प्रतिशत और वित्त वर्ष 22 में 10.4 प्रतिशत था।
यह सेक्टर रोजगार सृजन का एक महत्वपूर्ण स्रोत बना हुआ है, जो देश की क्लीन एनर्जी महत्वाकांक्षाओं को समर्थन प्रदान करता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि इंडस्ट्री में कॉन्ट्रैक्ट आधारित वर्कफोर्स में युवाओं का प्रभुत्व बना हुआ है, जिसमें 26.9 प्रतिशत कर्मचारी 26-30 वर्ष की आयु वर्ग के हैं, जबकि 27.9 प्रतिशत कर्मचारी 31-35 वर्ष की आयु वर्ग के हैं।
इसके अलावा,सेक्टर में बड़ी संख्या में अनुभवी कर्मचारी भी मौजूद है। 16 प्रतिशत कर्मचारी 35-40 वर्ष की आयु वर्ग के हैं। वहीं, 18.2 प्रतिशत कर्मचारी 40+ आयु वर्ग के हैं।
जैसे-जैसे सेक्टर का आकार बड़ा हो रहा है, क्षेत्रीय विकास के रुझान भी उभर रहे हैं। राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी हैं और देश के अधिकांश सौर ऊर्जा संयंत्र इन्हीं राज्यों में हैं।
इसके अलावा, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, पीएम कुसुम और सौर पीवी मॉड्यूल पीएलआई योजना जैसी सरकारी पहलें रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर के विकास को गति देने में सहायक रही हैं।
टीमलीज सर्विसेज के मुख्य परिचालन अधिकारी सुब्बुराथिनम पी ने कहा, “भारत का रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जिसे मजबूत सरकारी पहलों और बढ़ते कॉर्पोरेट निवेशों से समर्थन मिल रहा है। इस क्षेत्र में नौकरियां भी बढ़ने की संभावना है, क्योंकि विशेषज्ञता और टेक्नोलॉजी आधारित भूमिकाओं की मांग बढ़ रही है।”
–आईएएनएस
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