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Home ताज़ा समाचार

विदेश में पढ़ाई करने के बाद नौकरी पाने में भारतीयों को होती है मुश्किलें

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February 22, 2023
in ताज़ा समाचार
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विदेश में पढ़ाई करने के बाद नौकरी पाने में भारतीयों को होती है मुश्किलें
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नई दिल्ली, 22 फरवरी (आईएएनएस)। विदेश में पढ़ाई करने के बावजूद कई भारतीय छात्रों को स्वदेश लौटने पर रोजगार खोजने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसका दावा कनाडा स्थित एक शिक्षा फर्म द्वारा की गई स्टडी में किया गया है।

एम स्क्वायर मीडिया (एमएसएम) का कहना है कि लौटने वाले छात्रों के सामने आने वाली कई चुनौतियों में विदेशी डिग्री की मान्यता, वीजा प्रतिबंध, भाषा अवरोध, स्थानीय कनेक्शन और नेटवर्क की कमी जैसी परेशानियां हैं।

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शिक्षा मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 770,000 से अधिक भारतीय छात्र 2022 में पढ़ाई करने के लिए विदेश गए।

भारत सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 और 2019 के बीच विदेश में पढ़ाई करने वाले केवल 22 प्रतिशत भारतीय छात्र स्वदेश लौटने पर रोजगार सुरक्षित कर पाए।

स्टडी के अनुसार, भारतीय छात्रों के सामने आने वाले प्राथमिक मुद्दों में से एक उनकी विदेशी डिग्री और डिप्लोमा की मान्यता है।

स्थानीय नियोक्ता अक्सर स्थानीय योग्यता और अनुभव को प्राथमिकता देते हैं, जिससे विदेशी शिक्षा प्राप्त छात्रों को नुकसान होता है।

इसके अलावा, पिछले सालों में कोविड-19 महामारी का छात्रों के लौटने के लिए नौकरी की संभावनाओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।

कई व्यवसायों ने वित्तीय चुनौतियों का सामना किया है और अपनी भर्ती कम कर दी है, जबकि अन्य ने यात्रा प्रतिबंधों और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण स्थानीय उम्मीदवारों के लिए अपनी प्राथमिकता बढ़ा दी है।

एमएसएम के सीईओ और संस्थापक संजय लॉल ने कहा, विदेश में पढ़ाई करना छात्रों के लिए एक परिवर्तनकारी अनुभव हो सकता है, लेकिन उन्हें घर लौटने पर संभावित चुनौतियों के बारे में पता होना चाहिए।

इन चुनौतियों से निपटने के लिए, विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि छात्र विदेश में पढ़ाई के दौरान अपने करियर के निर्माण के लिए एक सक्रिय ²ष्टिकोण अपनाएं।

इसमें इंटर्नशिप और अंशकालिक नौकरियों की तलाश करना, स्थानीय पेशेवरों के साथ नेटवर्किं ग करना और उनकी भाषा और सांस्कृतिक कौशल में सुधार करना शामिल हो सकता है, ब्रिटिश कोलंबिया स्थित फर्म ने कहा कि उसने 2012 से अब तक 135,000 छात्रों को भर्ती में मदद की है।

आईएनटीओ यूनिवर्सिटी पार्टनरशिप के एक हालिया सर्वेक्षण में कहा गया है कि 10 में से लगभग 8 भारतीय छात्र विदेश में पढ़ाई करने के बाद वहीं काम करने और बसने की योजना बनाते हैं।

संसद में सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, अधिकांश भारतीय छात्र डिग्री पाठ्यक्रमों के लिए कनाडा, अमेरिका और यूके को पसंद करते हैं।

आंकड़ों में कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया सहित इन देशों में 2022 में शिक्षा के लिए विदेश जाने वालों की संख्या 75 प्रतिशत थी, जो 2018 में 60 प्रतिशत थी।

इमिग्रेशन, रिफ्यूजी और सिटिजनशिप कनाडा द्वारा इस महीने जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 226,450 छात्रों के साथ भारत 2022 में कनाडा में प्रवेश करने वाले नए अंतरराष्ट्रीय छात्रों का शीर्ष स्रोत बन गया।

–आईएएनएस

पीके/एसकेपी

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नई दिल्ली, 22 फरवरी (आईएएनएस)। विदेश में पढ़ाई करने के बावजूद कई भारतीय छात्रों को स्वदेश लौटने पर रोजगार खोजने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसका दावा कनाडा स्थित एक शिक्षा फर्म द्वारा की गई स्टडी में किया गया है।

एम स्क्वायर मीडिया (एमएसएम) का कहना है कि लौटने वाले छात्रों के सामने आने वाली कई चुनौतियों में विदेशी डिग्री की मान्यता, वीजा प्रतिबंध, भाषा अवरोध, स्थानीय कनेक्शन और नेटवर्क की कमी जैसी परेशानियां हैं।

शिक्षा मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 770,000 से अधिक भारतीय छात्र 2022 में पढ़ाई करने के लिए विदेश गए।

भारत सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 और 2019 के बीच विदेश में पढ़ाई करने वाले केवल 22 प्रतिशत भारतीय छात्र स्वदेश लौटने पर रोजगार सुरक्षित कर पाए।

स्टडी के अनुसार, भारतीय छात्रों के सामने आने वाले प्राथमिक मुद्दों में से एक उनकी विदेशी डिग्री और डिप्लोमा की मान्यता है।

स्थानीय नियोक्ता अक्सर स्थानीय योग्यता और अनुभव को प्राथमिकता देते हैं, जिससे विदेशी शिक्षा प्राप्त छात्रों को नुकसान होता है।

इसके अलावा, पिछले सालों में कोविड-19 महामारी का छात्रों के लौटने के लिए नौकरी की संभावनाओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।

कई व्यवसायों ने वित्तीय चुनौतियों का सामना किया है और अपनी भर्ती कम कर दी है, जबकि अन्य ने यात्रा प्रतिबंधों और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण स्थानीय उम्मीदवारों के लिए अपनी प्राथमिकता बढ़ा दी है।

एमएसएम के सीईओ और संस्थापक संजय लॉल ने कहा, विदेश में पढ़ाई करना छात्रों के लिए एक परिवर्तनकारी अनुभव हो सकता है, लेकिन उन्हें घर लौटने पर संभावित चुनौतियों के बारे में पता होना चाहिए।

इन चुनौतियों से निपटने के लिए, विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि छात्र विदेश में पढ़ाई के दौरान अपने करियर के निर्माण के लिए एक सक्रिय ²ष्टिकोण अपनाएं।

इसमें इंटर्नशिप और अंशकालिक नौकरियों की तलाश करना, स्थानीय पेशेवरों के साथ नेटवर्किं ग करना और उनकी भाषा और सांस्कृतिक कौशल में सुधार करना शामिल हो सकता है, ब्रिटिश कोलंबिया स्थित फर्म ने कहा कि उसने 2012 से अब तक 135,000 छात्रों को भर्ती में मदद की है।

आईएनटीओ यूनिवर्सिटी पार्टनरशिप के एक हालिया सर्वेक्षण में कहा गया है कि 10 में से लगभग 8 भारतीय छात्र विदेश में पढ़ाई करने के बाद वहीं काम करने और बसने की योजना बनाते हैं।

संसद में सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, अधिकांश भारतीय छात्र डिग्री पाठ्यक्रमों के लिए कनाडा, अमेरिका और यूके को पसंद करते हैं।

आंकड़ों में कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया सहित इन देशों में 2022 में शिक्षा के लिए विदेश जाने वालों की संख्या 75 प्रतिशत थी, जो 2018 में 60 प्रतिशत थी।

इमिग्रेशन, रिफ्यूजी और सिटिजनशिप कनाडा द्वारा इस महीने जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 226,450 छात्रों के साथ भारत 2022 में कनाडा में प्रवेश करने वाले नए अंतरराष्ट्रीय छात्रों का शीर्ष स्रोत बन गया।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 22 फरवरी (आईएएनएस)। विदेश में पढ़ाई करने के बावजूद कई भारतीय छात्रों को स्वदेश लौटने पर रोजगार खोजने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसका दावा कनाडा स्थित एक शिक्षा फर्म द्वारा की गई स्टडी में किया गया है।

एम स्क्वायर मीडिया (एमएसएम) का कहना है कि लौटने वाले छात्रों के सामने आने वाली कई चुनौतियों में विदेशी डिग्री की मान्यता, वीजा प्रतिबंध, भाषा अवरोध, स्थानीय कनेक्शन और नेटवर्क की कमी जैसी परेशानियां हैं।

शिक्षा मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 770,000 से अधिक भारतीय छात्र 2022 में पढ़ाई करने के लिए विदेश गए।

भारत सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 और 2019 के बीच विदेश में पढ़ाई करने वाले केवल 22 प्रतिशत भारतीय छात्र स्वदेश लौटने पर रोजगार सुरक्षित कर पाए।

स्टडी के अनुसार, भारतीय छात्रों के सामने आने वाले प्राथमिक मुद्दों में से एक उनकी विदेशी डिग्री और डिप्लोमा की मान्यता है।

स्थानीय नियोक्ता अक्सर स्थानीय योग्यता और अनुभव को प्राथमिकता देते हैं, जिससे विदेशी शिक्षा प्राप्त छात्रों को नुकसान होता है।

इसके अलावा, पिछले सालों में कोविड-19 महामारी का छात्रों के लौटने के लिए नौकरी की संभावनाओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।

कई व्यवसायों ने वित्तीय चुनौतियों का सामना किया है और अपनी भर्ती कम कर दी है, जबकि अन्य ने यात्रा प्रतिबंधों और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण स्थानीय उम्मीदवारों के लिए अपनी प्राथमिकता बढ़ा दी है।

एमएसएम के सीईओ और संस्थापक संजय लॉल ने कहा, विदेश में पढ़ाई करना छात्रों के लिए एक परिवर्तनकारी अनुभव हो सकता है, लेकिन उन्हें घर लौटने पर संभावित चुनौतियों के बारे में पता होना चाहिए।

इन चुनौतियों से निपटने के लिए, विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि छात्र विदेश में पढ़ाई के दौरान अपने करियर के निर्माण के लिए एक सक्रिय ²ष्टिकोण अपनाएं।

इसमें इंटर्नशिप और अंशकालिक नौकरियों की तलाश करना, स्थानीय पेशेवरों के साथ नेटवर्किं ग करना और उनकी भाषा और सांस्कृतिक कौशल में सुधार करना शामिल हो सकता है, ब्रिटिश कोलंबिया स्थित फर्म ने कहा कि उसने 2012 से अब तक 135,000 छात्रों को भर्ती में मदद की है।

आईएनटीओ यूनिवर्सिटी पार्टनरशिप के एक हालिया सर्वेक्षण में कहा गया है कि 10 में से लगभग 8 भारतीय छात्र विदेश में पढ़ाई करने के बाद वहीं काम करने और बसने की योजना बनाते हैं।

संसद में सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, अधिकांश भारतीय छात्र डिग्री पाठ्यक्रमों के लिए कनाडा, अमेरिका और यूके को पसंद करते हैं।

आंकड़ों में कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया सहित इन देशों में 2022 में शिक्षा के लिए विदेश जाने वालों की संख्या 75 प्रतिशत थी, जो 2018 में 60 प्रतिशत थी।

इमिग्रेशन, रिफ्यूजी और सिटिजनशिप कनाडा द्वारा इस महीने जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 226,450 छात्रों के साथ भारत 2022 में कनाडा में प्रवेश करने वाले नए अंतरराष्ट्रीय छात्रों का शीर्ष स्रोत बन गया।

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एम स्क्वायर मीडिया (एमएसएम) का कहना है कि लौटने वाले छात्रों के सामने आने वाली कई चुनौतियों में विदेशी डिग्री की मान्यता, वीजा प्रतिबंध, भाषा अवरोध, स्थानीय कनेक्शन और नेटवर्क की कमी जैसी परेशानियां हैं।

शिक्षा मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 770,000 से अधिक भारतीय छात्र 2022 में पढ़ाई करने के लिए विदेश गए।

भारत सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 और 2019 के बीच विदेश में पढ़ाई करने वाले केवल 22 प्रतिशत भारतीय छात्र स्वदेश लौटने पर रोजगार सुरक्षित कर पाए।

स्टडी के अनुसार, भारतीय छात्रों के सामने आने वाले प्राथमिक मुद्दों में से एक उनकी विदेशी डिग्री और डिप्लोमा की मान्यता है।

स्थानीय नियोक्ता अक्सर स्थानीय योग्यता और अनुभव को प्राथमिकता देते हैं, जिससे विदेशी शिक्षा प्राप्त छात्रों को नुकसान होता है।

इसके अलावा, पिछले सालों में कोविड-19 महामारी का छात्रों के लौटने के लिए नौकरी की संभावनाओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।

कई व्यवसायों ने वित्तीय चुनौतियों का सामना किया है और अपनी भर्ती कम कर दी है, जबकि अन्य ने यात्रा प्रतिबंधों और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण स्थानीय उम्मीदवारों के लिए अपनी प्राथमिकता बढ़ा दी है।

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इन चुनौतियों से निपटने के लिए, विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि छात्र विदेश में पढ़ाई के दौरान अपने करियर के निर्माण के लिए एक सक्रिय ²ष्टिकोण अपनाएं।

इसमें इंटर्नशिप और अंशकालिक नौकरियों की तलाश करना, स्थानीय पेशेवरों के साथ नेटवर्किं ग करना और उनकी भाषा और सांस्कृतिक कौशल में सुधार करना शामिल हो सकता है, ब्रिटिश कोलंबिया स्थित फर्म ने कहा कि उसने 2012 से अब तक 135,000 छात्रों को भर्ती में मदद की है।

आईएनटीओ यूनिवर्सिटी पार्टनरशिप के एक हालिया सर्वेक्षण में कहा गया है कि 10 में से लगभग 8 भारतीय छात्र विदेश में पढ़ाई करने के बाद वहीं काम करने और बसने की योजना बनाते हैं।

संसद में सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, अधिकांश भारतीय छात्र डिग्री पाठ्यक्रमों के लिए कनाडा, अमेरिका और यूके को पसंद करते हैं।

आंकड़ों में कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया सहित इन देशों में 2022 में शिक्षा के लिए विदेश जाने वालों की संख्या 75 प्रतिशत थी, जो 2018 में 60 प्रतिशत थी।

इमिग्रेशन, रिफ्यूजी और सिटिजनशिप कनाडा द्वारा इस महीने जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 226,450 छात्रों के साथ भारत 2022 में कनाडा में प्रवेश करने वाले नए अंतरराष्ट्रीय छात्रों का शीर्ष स्रोत बन गया।

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