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Home ताज़ा समाचार

विधायकों की खरीद फरोख्त का मामला : तेलंगाना हाईकोर्ट ने संतोष को दी राहत

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December 5, 2022
in ताज़ा समाचार
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विधायकों की खरीद फरोख्त का मामला : तेलंगाना हाईकोर्ट ने संतोष को दी राहत
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हैदरोबाद, 5 दिसम्बर (आईएएनएस)। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी.एल. संतोष और केरल के डॉक्टर जग्गू स्वामी, जिनका नाम तेलंगाना में विधायकों की खरीद फरोख्त मामले में सामने आया था, उन्हें सोमवार को उच्च न्यायालय द्वारा मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा जारी नोटिस पर रोक लगाने के बाद राहत मिली।

हाईकोर्ट ने संतोष और जग्गू स्वामी को जारी नोटिस पर 13 दिसंबर तक रोक लगा दी है।

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अदालत ने दोनों को जारी नोटिस के संबंध में एसआईटी को कोई कार्रवाई करने से रोक दिया।

याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने स्टे जारी किया था।

संतोष ने एमएलए अवैध शिकार मामले में एसआईटी पुलिस द्वारा जारी 23 नवंबर को दूसरे 41ए सीआरपीसी नोटिस को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की।

अदालत ने इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता को जारी नोटिस पर पांच दिसंबर तक रोक लगा दी थी।

कोटिलिल नारायण जग्गू उर्फ जग्गू स्वामी ने भी एसआईटी द्वारा उन्हें दिए गए नोटिस और जांच दल द्वारा उनके लिए जारी किए गए लुकआउट नोटिस को चुनौती देते हुए एक निरस्त याचिका दायर की थी।

यह तर्क देते हुए कि वह मामले में किसी भी तरह से शामिल नहीं है, याचिकाकर्ता ने उसके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की है।

एसआईटी ने 22 नवंबर को जग्गू स्वामी को मामले में वांछित बताते हुए उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था।

संतोष और जग्गू स्वामी के नाम अक्टूबर में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन कथित भाजपा एजेंटों के बीच हुई बातचीत में सामने आए, जब वे टीआरएस के चार विधायकों को बड़ी रकम का लालच देकर भाजपा के पाले में लाने की कोशिश कर रहे थे।

पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन आरोपियों को जमानत दे दी थी।

रामचंद्र भारती, नंद कुमार और डी.पी.एस.के. वी. सिंहयाजी को अदालत ने सशर्त जमानत दे दी थी।

उन्हें 26 अक्टूबर की रात को हैदराबाद के पास मोइनाबाद के एक फार्महाउस से साइबराबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जब वे कथित तौर पर टीआरएस के चार विधायकों को मोटी रकम का लालच देने की कोशिश कर रहे थे।

साइबराबाद पुलिस ने एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की गुप्त सूचना पर छापा मारा। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये और तीन अन्य को 50-50 करोड़ रुपये की पेशकश की।

एसआईटी ने सनसनीखेज मामले में संतोष, तुषार वेल्लापल्ली, जग्गू स्वामी और अधिवक्ता बी. श्रीनिवास को अन्य आरोपियों के रूप में जोड़ा है।

–आईएएनएस

एसकेके/एएनएम

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हैदरोबाद, 5 दिसम्बर (आईएएनएस)। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी.एल. संतोष और केरल के डॉक्टर जग्गू स्वामी, जिनका नाम तेलंगाना में विधायकों की खरीद फरोख्त मामले में सामने आया था, उन्हें सोमवार को उच्च न्यायालय द्वारा मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा जारी नोटिस पर रोक लगाने के बाद राहत मिली।

हाईकोर्ट ने संतोष और जग्गू स्वामी को जारी नोटिस पर 13 दिसंबर तक रोक लगा दी है।

अदालत ने दोनों को जारी नोटिस के संबंध में एसआईटी को कोई कार्रवाई करने से रोक दिया।

याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने स्टे जारी किया था।

संतोष ने एमएलए अवैध शिकार मामले में एसआईटी पुलिस द्वारा जारी 23 नवंबर को दूसरे 41ए सीआरपीसी नोटिस को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की।

अदालत ने इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता को जारी नोटिस पर पांच दिसंबर तक रोक लगा दी थी।

कोटिलिल नारायण जग्गू उर्फ जग्गू स्वामी ने भी एसआईटी द्वारा उन्हें दिए गए नोटिस और जांच दल द्वारा उनके लिए जारी किए गए लुकआउट नोटिस को चुनौती देते हुए एक निरस्त याचिका दायर की थी।

यह तर्क देते हुए कि वह मामले में किसी भी तरह से शामिल नहीं है, याचिकाकर्ता ने उसके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की है।

एसआईटी ने 22 नवंबर को जग्गू स्वामी को मामले में वांछित बताते हुए उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था।

संतोष और जग्गू स्वामी के नाम अक्टूबर में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन कथित भाजपा एजेंटों के बीच हुई बातचीत में सामने आए, जब वे टीआरएस के चार विधायकों को बड़ी रकम का लालच देकर भाजपा के पाले में लाने की कोशिश कर रहे थे।

पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन आरोपियों को जमानत दे दी थी।

रामचंद्र भारती, नंद कुमार और डी.पी.एस.के. वी. सिंहयाजी को अदालत ने सशर्त जमानत दे दी थी।

उन्हें 26 अक्टूबर की रात को हैदराबाद के पास मोइनाबाद के एक फार्महाउस से साइबराबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जब वे कथित तौर पर टीआरएस के चार विधायकों को मोटी रकम का लालच देने की कोशिश कर रहे थे।

साइबराबाद पुलिस ने एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की गुप्त सूचना पर छापा मारा। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये और तीन अन्य को 50-50 करोड़ रुपये की पेशकश की।

एसआईटी ने सनसनीखेज मामले में संतोष, तुषार वेल्लापल्ली, जग्गू स्वामी और अधिवक्ता बी. श्रीनिवास को अन्य आरोपियों के रूप में जोड़ा है।

–आईएएनएस

एसकेके/एएनएम

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हैदरोबाद, 5 दिसम्बर (आईएएनएस)। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी.एल. संतोष और केरल के डॉक्टर जग्गू स्वामी, जिनका नाम तेलंगाना में विधायकों की खरीद फरोख्त मामले में सामने आया था, उन्हें सोमवार को उच्च न्यायालय द्वारा मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा जारी नोटिस पर रोक लगाने के बाद राहत मिली।

हाईकोर्ट ने संतोष और जग्गू स्वामी को जारी नोटिस पर 13 दिसंबर तक रोक लगा दी है।

अदालत ने दोनों को जारी नोटिस के संबंध में एसआईटी को कोई कार्रवाई करने से रोक दिया।

याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने स्टे जारी किया था।

संतोष ने एमएलए अवैध शिकार मामले में एसआईटी पुलिस द्वारा जारी 23 नवंबर को दूसरे 41ए सीआरपीसी नोटिस को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की।

अदालत ने इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता को जारी नोटिस पर पांच दिसंबर तक रोक लगा दी थी।

कोटिलिल नारायण जग्गू उर्फ जग्गू स्वामी ने भी एसआईटी द्वारा उन्हें दिए गए नोटिस और जांच दल द्वारा उनके लिए जारी किए गए लुकआउट नोटिस को चुनौती देते हुए एक निरस्त याचिका दायर की थी।

यह तर्क देते हुए कि वह मामले में किसी भी तरह से शामिल नहीं है, याचिकाकर्ता ने उसके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की है।

एसआईटी ने 22 नवंबर को जग्गू स्वामी को मामले में वांछित बताते हुए उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था।

संतोष और जग्गू स्वामी के नाम अक्टूबर में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन कथित भाजपा एजेंटों के बीच हुई बातचीत में सामने आए, जब वे टीआरएस के चार विधायकों को बड़ी रकम का लालच देकर भाजपा के पाले में लाने की कोशिश कर रहे थे।

पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन आरोपियों को जमानत दे दी थी।

रामचंद्र भारती, नंद कुमार और डी.पी.एस.के. वी. सिंहयाजी को अदालत ने सशर्त जमानत दे दी थी।

उन्हें 26 अक्टूबर की रात को हैदराबाद के पास मोइनाबाद के एक फार्महाउस से साइबराबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जब वे कथित तौर पर टीआरएस के चार विधायकों को मोटी रकम का लालच देने की कोशिश कर रहे थे।

साइबराबाद पुलिस ने एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की गुप्त सूचना पर छापा मारा। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये और तीन अन्य को 50-50 करोड़ रुपये की पेशकश की।

एसआईटी ने सनसनीखेज मामले में संतोष, तुषार वेल्लापल्ली, जग्गू स्वामी और अधिवक्ता बी. श्रीनिवास को अन्य आरोपियों के रूप में जोड़ा है।

–आईएएनएस

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हाईकोर्ट ने संतोष और जग्गू स्वामी को जारी नोटिस पर 13 दिसंबर तक रोक लगा दी है।

अदालत ने दोनों को जारी नोटिस के संबंध में एसआईटी को कोई कार्रवाई करने से रोक दिया।

याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने स्टे जारी किया था।

संतोष ने एमएलए अवैध शिकार मामले में एसआईटी पुलिस द्वारा जारी 23 नवंबर को दूसरे 41ए सीआरपीसी नोटिस को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की।

अदालत ने इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता को जारी नोटिस पर पांच दिसंबर तक रोक लगा दी थी।

कोटिलिल नारायण जग्गू उर्फ जग्गू स्वामी ने भी एसआईटी द्वारा उन्हें दिए गए नोटिस और जांच दल द्वारा उनके लिए जारी किए गए लुकआउट नोटिस को चुनौती देते हुए एक निरस्त याचिका दायर की थी।

यह तर्क देते हुए कि वह मामले में किसी भी तरह से शामिल नहीं है, याचिकाकर्ता ने उसके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की है।

एसआईटी ने 22 नवंबर को जग्गू स्वामी को मामले में वांछित बताते हुए उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था।

संतोष और जग्गू स्वामी के नाम अक्टूबर में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन कथित भाजपा एजेंटों के बीच हुई बातचीत में सामने आए, जब वे टीआरएस के चार विधायकों को बड़ी रकम का लालच देकर भाजपा के पाले में लाने की कोशिश कर रहे थे।

पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन आरोपियों को जमानत दे दी थी।

रामचंद्र भारती, नंद कुमार और डी.पी.एस.के. वी. सिंहयाजी को अदालत ने सशर्त जमानत दे दी थी।

उन्हें 26 अक्टूबर की रात को हैदराबाद के पास मोइनाबाद के एक फार्महाउस से साइबराबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जब वे कथित तौर पर टीआरएस के चार विधायकों को मोटी रकम का लालच देने की कोशिश कर रहे थे।

साइबराबाद पुलिस ने एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की गुप्त सूचना पर छापा मारा। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये और तीन अन्य को 50-50 करोड़ रुपये की पेशकश की।

एसआईटी ने सनसनीखेज मामले में संतोष, तुषार वेल्लापल्ली, जग्गू स्वामी और अधिवक्ता बी. श्रीनिवास को अन्य आरोपियों के रूप में जोड़ा है।

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हाईकोर्ट ने संतोष और जग्गू स्वामी को जारी नोटिस पर 13 दिसंबर तक रोक लगा दी है।

अदालत ने दोनों को जारी नोटिस के संबंध में एसआईटी को कोई कार्रवाई करने से रोक दिया।

याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने स्टे जारी किया था।

संतोष ने एमएलए अवैध शिकार मामले में एसआईटी पुलिस द्वारा जारी 23 नवंबर को दूसरे 41ए सीआरपीसी नोटिस को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की।

अदालत ने इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता को जारी नोटिस पर पांच दिसंबर तक रोक लगा दी थी।

कोटिलिल नारायण जग्गू उर्फ जग्गू स्वामी ने भी एसआईटी द्वारा उन्हें दिए गए नोटिस और जांच दल द्वारा उनके लिए जारी किए गए लुकआउट नोटिस को चुनौती देते हुए एक निरस्त याचिका दायर की थी।

यह तर्क देते हुए कि वह मामले में किसी भी तरह से शामिल नहीं है, याचिकाकर्ता ने उसके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की है।

एसआईटी ने 22 नवंबर को जग्गू स्वामी को मामले में वांछित बताते हुए उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था।

संतोष और जग्गू स्वामी के नाम अक्टूबर में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन कथित भाजपा एजेंटों के बीच हुई बातचीत में सामने आए, जब वे टीआरएस के चार विधायकों को बड़ी रकम का लालच देकर भाजपा के पाले में लाने की कोशिश कर रहे थे।

पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन आरोपियों को जमानत दे दी थी।

रामचंद्र भारती, नंद कुमार और डी.पी.एस.के. वी. सिंहयाजी को अदालत ने सशर्त जमानत दे दी थी।

उन्हें 26 अक्टूबर की रात को हैदराबाद के पास मोइनाबाद के एक फार्महाउस से साइबराबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जब वे कथित तौर पर टीआरएस के चार विधायकों को मोटी रकम का लालच देने की कोशिश कर रहे थे।

साइबराबाद पुलिस ने एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की गुप्त सूचना पर छापा मारा। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये और तीन अन्य को 50-50 करोड़ रुपये की पेशकश की।

एसआईटी ने सनसनीखेज मामले में संतोष, तुषार वेल्लापल्ली, जग्गू स्वामी और अधिवक्ता बी. श्रीनिवास को अन्य आरोपियों के रूप में जोड़ा है।

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हाईकोर्ट ने संतोष और जग्गू स्वामी को जारी नोटिस पर 13 दिसंबर तक रोक लगा दी है।

अदालत ने दोनों को जारी नोटिस के संबंध में एसआईटी को कोई कार्रवाई करने से रोक दिया।

याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने स्टे जारी किया था।

संतोष ने एमएलए अवैध शिकार मामले में एसआईटी पुलिस द्वारा जारी 23 नवंबर को दूसरे 41ए सीआरपीसी नोटिस को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की।

अदालत ने इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता को जारी नोटिस पर पांच दिसंबर तक रोक लगा दी थी।

कोटिलिल नारायण जग्गू उर्फ जग्गू स्वामी ने भी एसआईटी द्वारा उन्हें दिए गए नोटिस और जांच दल द्वारा उनके लिए जारी किए गए लुकआउट नोटिस को चुनौती देते हुए एक निरस्त याचिका दायर की थी।

यह तर्क देते हुए कि वह मामले में किसी भी तरह से शामिल नहीं है, याचिकाकर्ता ने उसके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की है।

एसआईटी ने 22 नवंबर को जग्गू स्वामी को मामले में वांछित बताते हुए उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था।

संतोष और जग्गू स्वामी के नाम अक्टूबर में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन कथित भाजपा एजेंटों के बीच हुई बातचीत में सामने आए, जब वे टीआरएस के चार विधायकों को बड़ी रकम का लालच देकर भाजपा के पाले में लाने की कोशिश कर रहे थे।

पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन आरोपियों को जमानत दे दी थी।

रामचंद्र भारती, नंद कुमार और डी.पी.एस.के. वी. सिंहयाजी को अदालत ने सशर्त जमानत दे दी थी।

उन्हें 26 अक्टूबर की रात को हैदराबाद के पास मोइनाबाद के एक फार्महाउस से साइबराबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जब वे कथित तौर पर टीआरएस के चार विधायकों को मोटी रकम का लालच देने की कोशिश कर रहे थे।

साइबराबाद पुलिस ने एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की गुप्त सूचना पर छापा मारा। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये और तीन अन्य को 50-50 करोड़ रुपये की पेशकश की।

एसआईटी ने सनसनीखेज मामले में संतोष, तुषार वेल्लापल्ली, जग्गू स्वामी और अधिवक्ता बी. श्रीनिवास को अन्य आरोपियों के रूप में जोड़ा है।

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हैदरोबाद, 5 दिसम्बर (आईएएनएस)। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी.एल. संतोष और केरल के डॉक्टर जग्गू स्वामी, जिनका नाम तेलंगाना में विधायकों की खरीद फरोख्त मामले में सामने आया था, उन्हें सोमवार को उच्च न्यायालय द्वारा मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा जारी नोटिस पर रोक लगाने के बाद राहत मिली।

हाईकोर्ट ने संतोष और जग्गू स्वामी को जारी नोटिस पर 13 दिसंबर तक रोक लगा दी है।

अदालत ने दोनों को जारी नोटिस के संबंध में एसआईटी को कोई कार्रवाई करने से रोक दिया।

याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने स्टे जारी किया था।

संतोष ने एमएलए अवैध शिकार मामले में एसआईटी पुलिस द्वारा जारी 23 नवंबर को दूसरे 41ए सीआरपीसी नोटिस को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की।

अदालत ने इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता को जारी नोटिस पर पांच दिसंबर तक रोक लगा दी थी।

कोटिलिल नारायण जग्गू उर्फ जग्गू स्वामी ने भी एसआईटी द्वारा उन्हें दिए गए नोटिस और जांच दल द्वारा उनके लिए जारी किए गए लुकआउट नोटिस को चुनौती देते हुए एक निरस्त याचिका दायर की थी।

यह तर्क देते हुए कि वह मामले में किसी भी तरह से शामिल नहीं है, याचिकाकर्ता ने उसके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की है।

एसआईटी ने 22 नवंबर को जग्गू स्वामी को मामले में वांछित बताते हुए उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था।

संतोष और जग्गू स्वामी के नाम अक्टूबर में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन कथित भाजपा एजेंटों के बीच हुई बातचीत में सामने आए, जब वे टीआरएस के चार विधायकों को बड़ी रकम का लालच देकर भाजपा के पाले में लाने की कोशिश कर रहे थे।

पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन आरोपियों को जमानत दे दी थी।

रामचंद्र भारती, नंद कुमार और डी.पी.एस.के. वी. सिंहयाजी को अदालत ने सशर्त जमानत दे दी थी।

उन्हें 26 अक्टूबर की रात को हैदराबाद के पास मोइनाबाद के एक फार्महाउस से साइबराबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जब वे कथित तौर पर टीआरएस के चार विधायकों को मोटी रकम का लालच देने की कोशिश कर रहे थे।

साइबराबाद पुलिस ने एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की गुप्त सूचना पर छापा मारा। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये और तीन अन्य को 50-50 करोड़ रुपये की पेशकश की।

एसआईटी ने सनसनीखेज मामले में संतोष, तुषार वेल्लापल्ली, जग्गू स्वामी और अधिवक्ता बी. श्रीनिवास को अन्य आरोपियों के रूप में जोड़ा है।

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हाईकोर्ट ने संतोष और जग्गू स्वामी को जारी नोटिस पर 13 दिसंबर तक रोक लगा दी है।

अदालत ने दोनों को जारी नोटिस के संबंध में एसआईटी को कोई कार्रवाई करने से रोक दिया।

याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने स्टे जारी किया था।

संतोष ने एमएलए अवैध शिकार मामले में एसआईटी पुलिस द्वारा जारी 23 नवंबर को दूसरे 41ए सीआरपीसी नोटिस को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की।

अदालत ने इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता को जारी नोटिस पर पांच दिसंबर तक रोक लगा दी थी।

कोटिलिल नारायण जग्गू उर्फ जग्गू स्वामी ने भी एसआईटी द्वारा उन्हें दिए गए नोटिस और जांच दल द्वारा उनके लिए जारी किए गए लुकआउट नोटिस को चुनौती देते हुए एक निरस्त याचिका दायर की थी।

यह तर्क देते हुए कि वह मामले में किसी भी तरह से शामिल नहीं है, याचिकाकर्ता ने उसके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की है।

एसआईटी ने 22 नवंबर को जग्गू स्वामी को मामले में वांछित बताते हुए उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था।

संतोष और जग्गू स्वामी के नाम अक्टूबर में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन कथित भाजपा एजेंटों के बीच हुई बातचीत में सामने आए, जब वे टीआरएस के चार विधायकों को बड़ी रकम का लालच देकर भाजपा के पाले में लाने की कोशिश कर रहे थे।

पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन आरोपियों को जमानत दे दी थी।

रामचंद्र भारती, नंद कुमार और डी.पी.एस.के. वी. सिंहयाजी को अदालत ने सशर्त जमानत दे दी थी।

उन्हें 26 अक्टूबर की रात को हैदराबाद के पास मोइनाबाद के एक फार्महाउस से साइबराबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जब वे कथित तौर पर टीआरएस के चार विधायकों को मोटी रकम का लालच देने की कोशिश कर रहे थे।

साइबराबाद पुलिस ने एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की गुप्त सूचना पर छापा मारा। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये और तीन अन्य को 50-50 करोड़ रुपये की पेशकश की।

एसआईटी ने सनसनीखेज मामले में संतोष, तुषार वेल्लापल्ली, जग्गू स्वामी और अधिवक्ता बी. श्रीनिवास को अन्य आरोपियों के रूप में जोड़ा है।

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अदालत ने दोनों को जारी नोटिस के संबंध में एसआईटी को कोई कार्रवाई करने से रोक दिया।

याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने स्टे जारी किया था।

संतोष ने एमएलए अवैध शिकार मामले में एसआईटी पुलिस द्वारा जारी 23 नवंबर को दूसरे 41ए सीआरपीसी नोटिस को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की।

अदालत ने इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता को जारी नोटिस पर पांच दिसंबर तक रोक लगा दी थी।

कोटिलिल नारायण जग्गू उर्फ जग्गू स्वामी ने भी एसआईटी द्वारा उन्हें दिए गए नोटिस और जांच दल द्वारा उनके लिए जारी किए गए लुकआउट नोटिस को चुनौती देते हुए एक निरस्त याचिका दायर की थी।

यह तर्क देते हुए कि वह मामले में किसी भी तरह से शामिल नहीं है, याचिकाकर्ता ने उसके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की है।

एसआईटी ने 22 नवंबर को जग्गू स्वामी को मामले में वांछित बताते हुए उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था।

संतोष और जग्गू स्वामी के नाम अक्टूबर में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन कथित भाजपा एजेंटों के बीच हुई बातचीत में सामने आए, जब वे टीआरएस के चार विधायकों को बड़ी रकम का लालच देकर भाजपा के पाले में लाने की कोशिश कर रहे थे।

पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन आरोपियों को जमानत दे दी थी।

रामचंद्र भारती, नंद कुमार और डी.पी.एस.के. वी. सिंहयाजी को अदालत ने सशर्त जमानत दे दी थी।

उन्हें 26 अक्टूबर की रात को हैदराबाद के पास मोइनाबाद के एक फार्महाउस से साइबराबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जब वे कथित तौर पर टीआरएस के चार विधायकों को मोटी रकम का लालच देने की कोशिश कर रहे थे।

साइबराबाद पुलिस ने एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की गुप्त सूचना पर छापा मारा। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये और तीन अन्य को 50-50 करोड़ रुपये की पेशकश की।

एसआईटी ने सनसनीखेज मामले में संतोष, तुषार वेल्लापल्ली, जग्गू स्वामी और अधिवक्ता बी. श्रीनिवास को अन्य आरोपियों के रूप में जोड़ा है।

–आईएएनएस

एसकेके/एएनएम

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हैदरोबाद, 5 दिसम्बर (आईएएनएस)। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी.एल. संतोष और केरल के डॉक्टर जग्गू स्वामी, जिनका नाम तेलंगाना में विधायकों की खरीद फरोख्त मामले में सामने आया था, उन्हें सोमवार को उच्च न्यायालय द्वारा मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा जारी नोटिस पर रोक लगाने के बाद राहत मिली।

हाईकोर्ट ने संतोष और जग्गू स्वामी को जारी नोटिस पर 13 दिसंबर तक रोक लगा दी है।

अदालत ने दोनों को जारी नोटिस के संबंध में एसआईटी को कोई कार्रवाई करने से रोक दिया।

याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने स्टे जारी किया था।

संतोष ने एमएलए अवैध शिकार मामले में एसआईटी पुलिस द्वारा जारी 23 नवंबर को दूसरे 41ए सीआरपीसी नोटिस को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की।

अदालत ने इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता को जारी नोटिस पर पांच दिसंबर तक रोक लगा दी थी।

कोटिलिल नारायण जग्गू उर्फ जग्गू स्वामी ने भी एसआईटी द्वारा उन्हें दिए गए नोटिस और जांच दल द्वारा उनके लिए जारी किए गए लुकआउट नोटिस को चुनौती देते हुए एक निरस्त याचिका दायर की थी।

यह तर्क देते हुए कि वह मामले में किसी भी तरह से शामिल नहीं है, याचिकाकर्ता ने उसके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की है।

एसआईटी ने 22 नवंबर को जग्गू स्वामी को मामले में वांछित बताते हुए उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था।

संतोष और जग्गू स्वामी के नाम अक्टूबर में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन कथित भाजपा एजेंटों के बीच हुई बातचीत में सामने आए, जब वे टीआरएस के चार विधायकों को बड़ी रकम का लालच देकर भाजपा के पाले में लाने की कोशिश कर रहे थे।

पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन आरोपियों को जमानत दे दी थी।

रामचंद्र भारती, नंद कुमार और डी.पी.एस.के. वी. सिंहयाजी को अदालत ने सशर्त जमानत दे दी थी।

उन्हें 26 अक्टूबर की रात को हैदराबाद के पास मोइनाबाद के एक फार्महाउस से साइबराबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जब वे कथित तौर पर टीआरएस के चार विधायकों को मोटी रकम का लालच देने की कोशिश कर रहे थे।

साइबराबाद पुलिस ने एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की गुप्त सूचना पर छापा मारा। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये और तीन अन्य को 50-50 करोड़ रुपये की पेशकश की।

एसआईटी ने सनसनीखेज मामले में संतोष, तुषार वेल्लापल्ली, जग्गू स्वामी और अधिवक्ता बी. श्रीनिवास को अन्य आरोपियों के रूप में जोड़ा है।

–आईएएनएस

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हैदरोबाद, 5 दिसम्बर (आईएएनएस)। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी.एल. संतोष और केरल के डॉक्टर जग्गू स्वामी, जिनका नाम तेलंगाना में विधायकों की खरीद फरोख्त मामले में सामने आया था, उन्हें सोमवार को उच्च न्यायालय द्वारा मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा जारी नोटिस पर रोक लगाने के बाद राहत मिली।

हाईकोर्ट ने संतोष और जग्गू स्वामी को जारी नोटिस पर 13 दिसंबर तक रोक लगा दी है।

अदालत ने दोनों को जारी नोटिस के संबंध में एसआईटी को कोई कार्रवाई करने से रोक दिया।

याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने स्टे जारी किया था।

संतोष ने एमएलए अवैध शिकार मामले में एसआईटी पुलिस द्वारा जारी 23 नवंबर को दूसरे 41ए सीआरपीसी नोटिस को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की।

अदालत ने इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता को जारी नोटिस पर पांच दिसंबर तक रोक लगा दी थी।

कोटिलिल नारायण जग्गू उर्फ जग्गू स्वामी ने भी एसआईटी द्वारा उन्हें दिए गए नोटिस और जांच दल द्वारा उनके लिए जारी किए गए लुकआउट नोटिस को चुनौती देते हुए एक निरस्त याचिका दायर की थी।

यह तर्क देते हुए कि वह मामले में किसी भी तरह से शामिल नहीं है, याचिकाकर्ता ने उसके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की है।

एसआईटी ने 22 नवंबर को जग्गू स्वामी को मामले में वांछित बताते हुए उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था।

संतोष और जग्गू स्वामी के नाम अक्टूबर में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन कथित भाजपा एजेंटों के बीच हुई बातचीत में सामने आए, जब वे टीआरएस के चार विधायकों को बड़ी रकम का लालच देकर भाजपा के पाले में लाने की कोशिश कर रहे थे।

पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन आरोपियों को जमानत दे दी थी।

रामचंद्र भारती, नंद कुमार और डी.पी.एस.के. वी. सिंहयाजी को अदालत ने सशर्त जमानत दे दी थी।

उन्हें 26 अक्टूबर की रात को हैदराबाद के पास मोइनाबाद के एक फार्महाउस से साइबराबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जब वे कथित तौर पर टीआरएस के चार विधायकों को मोटी रकम का लालच देने की कोशिश कर रहे थे।

साइबराबाद पुलिस ने एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की गुप्त सूचना पर छापा मारा। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये और तीन अन्य को 50-50 करोड़ रुपये की पेशकश की।

एसआईटी ने सनसनीखेज मामले में संतोष, तुषार वेल्लापल्ली, जग्गू स्वामी और अधिवक्ता बी. श्रीनिवास को अन्य आरोपियों के रूप में जोड़ा है।

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हाईकोर्ट ने संतोष और जग्गू स्वामी को जारी नोटिस पर 13 दिसंबर तक रोक लगा दी है।

अदालत ने दोनों को जारी नोटिस के संबंध में एसआईटी को कोई कार्रवाई करने से रोक दिया।

याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने स्टे जारी किया था।

संतोष ने एमएलए अवैध शिकार मामले में एसआईटी पुलिस द्वारा जारी 23 नवंबर को दूसरे 41ए सीआरपीसी नोटिस को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की।

अदालत ने इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता को जारी नोटिस पर पांच दिसंबर तक रोक लगा दी थी।

कोटिलिल नारायण जग्गू उर्फ जग्गू स्वामी ने भी एसआईटी द्वारा उन्हें दिए गए नोटिस और जांच दल द्वारा उनके लिए जारी किए गए लुकआउट नोटिस को चुनौती देते हुए एक निरस्त याचिका दायर की थी।

यह तर्क देते हुए कि वह मामले में किसी भी तरह से शामिल नहीं है, याचिकाकर्ता ने उसके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की है।

एसआईटी ने 22 नवंबर को जग्गू स्वामी को मामले में वांछित बताते हुए उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था।

संतोष और जग्गू स्वामी के नाम अक्टूबर में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन कथित भाजपा एजेंटों के बीच हुई बातचीत में सामने आए, जब वे टीआरएस के चार विधायकों को बड़ी रकम का लालच देकर भाजपा के पाले में लाने की कोशिश कर रहे थे।

पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन आरोपियों को जमानत दे दी थी।

रामचंद्र भारती, नंद कुमार और डी.पी.एस.के. वी. सिंहयाजी को अदालत ने सशर्त जमानत दे दी थी।

उन्हें 26 अक्टूबर की रात को हैदराबाद के पास मोइनाबाद के एक फार्महाउस से साइबराबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जब वे कथित तौर पर टीआरएस के चार विधायकों को मोटी रकम का लालच देने की कोशिश कर रहे थे।

साइबराबाद पुलिस ने एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की गुप्त सूचना पर छापा मारा। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये और तीन अन्य को 50-50 करोड़ रुपये की पेशकश की।

एसआईटी ने सनसनीखेज मामले में संतोष, तुषार वेल्लापल्ली, जग्गू स्वामी और अधिवक्ता बी. श्रीनिवास को अन्य आरोपियों के रूप में जोड़ा है।

–आईएएनएस

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हाईकोर्ट ने संतोष और जग्गू स्वामी को जारी नोटिस पर 13 दिसंबर तक रोक लगा दी है।

अदालत ने दोनों को जारी नोटिस के संबंध में एसआईटी को कोई कार्रवाई करने से रोक दिया।

याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने स्टे जारी किया था।

संतोष ने एमएलए अवैध शिकार मामले में एसआईटी पुलिस द्वारा जारी 23 नवंबर को दूसरे 41ए सीआरपीसी नोटिस को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की।

अदालत ने इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता को जारी नोटिस पर पांच दिसंबर तक रोक लगा दी थी।

कोटिलिल नारायण जग्गू उर्फ जग्गू स्वामी ने भी एसआईटी द्वारा उन्हें दिए गए नोटिस और जांच दल द्वारा उनके लिए जारी किए गए लुकआउट नोटिस को चुनौती देते हुए एक निरस्त याचिका दायर की थी।

यह तर्क देते हुए कि वह मामले में किसी भी तरह से शामिल नहीं है, याचिकाकर्ता ने उसके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की है।

एसआईटी ने 22 नवंबर को जग्गू स्वामी को मामले में वांछित बताते हुए उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था।

संतोष और जग्गू स्वामी के नाम अक्टूबर में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन कथित भाजपा एजेंटों के बीच हुई बातचीत में सामने आए, जब वे टीआरएस के चार विधायकों को बड़ी रकम का लालच देकर भाजपा के पाले में लाने की कोशिश कर रहे थे।

पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन आरोपियों को जमानत दे दी थी।

रामचंद्र भारती, नंद कुमार और डी.पी.एस.के. वी. सिंहयाजी को अदालत ने सशर्त जमानत दे दी थी।

उन्हें 26 अक्टूबर की रात को हैदराबाद के पास मोइनाबाद के एक फार्महाउस से साइबराबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जब वे कथित तौर पर टीआरएस के चार विधायकों को मोटी रकम का लालच देने की कोशिश कर रहे थे।

साइबराबाद पुलिस ने एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की गुप्त सूचना पर छापा मारा। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये और तीन अन्य को 50-50 करोड़ रुपये की पेशकश की।

एसआईटी ने सनसनीखेज मामले में संतोष, तुषार वेल्लापल्ली, जग्गू स्वामी और अधिवक्ता बी. श्रीनिवास को अन्य आरोपियों के रूप में जोड़ा है।

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हाईकोर्ट ने संतोष और जग्गू स्वामी को जारी नोटिस पर 13 दिसंबर तक रोक लगा दी है।

अदालत ने दोनों को जारी नोटिस के संबंध में एसआईटी को कोई कार्रवाई करने से रोक दिया।

याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने स्टे जारी किया था।

संतोष ने एमएलए अवैध शिकार मामले में एसआईटी पुलिस द्वारा जारी 23 नवंबर को दूसरे 41ए सीआरपीसी नोटिस को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की।

अदालत ने इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता को जारी नोटिस पर पांच दिसंबर तक रोक लगा दी थी।

कोटिलिल नारायण जग्गू उर्फ जग्गू स्वामी ने भी एसआईटी द्वारा उन्हें दिए गए नोटिस और जांच दल द्वारा उनके लिए जारी किए गए लुकआउट नोटिस को चुनौती देते हुए एक निरस्त याचिका दायर की थी।

यह तर्क देते हुए कि वह मामले में किसी भी तरह से शामिल नहीं है, याचिकाकर्ता ने उसके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की है।

एसआईटी ने 22 नवंबर को जग्गू स्वामी को मामले में वांछित बताते हुए उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था।

संतोष और जग्गू स्वामी के नाम अक्टूबर में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन कथित भाजपा एजेंटों के बीच हुई बातचीत में सामने आए, जब वे टीआरएस के चार विधायकों को बड़ी रकम का लालच देकर भाजपा के पाले में लाने की कोशिश कर रहे थे।

पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन आरोपियों को जमानत दे दी थी।

रामचंद्र भारती, नंद कुमार और डी.पी.एस.के. वी. सिंहयाजी को अदालत ने सशर्त जमानत दे दी थी।

उन्हें 26 अक्टूबर की रात को हैदराबाद के पास मोइनाबाद के एक फार्महाउस से साइबराबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जब वे कथित तौर पर टीआरएस के चार विधायकों को मोटी रकम का लालच देने की कोशिश कर रहे थे।

साइबराबाद पुलिस ने एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की गुप्त सूचना पर छापा मारा। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये और तीन अन्य को 50-50 करोड़ रुपये की पेशकश की।

एसआईटी ने सनसनीखेज मामले में संतोष, तुषार वेल्लापल्ली, जग्गू स्वामी और अधिवक्ता बी. श्रीनिवास को अन्य आरोपियों के रूप में जोड़ा है।

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हाईकोर्ट ने संतोष और जग्गू स्वामी को जारी नोटिस पर 13 दिसंबर तक रोक लगा दी है।

अदालत ने दोनों को जारी नोटिस के संबंध में एसआईटी को कोई कार्रवाई करने से रोक दिया।

याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने स्टे जारी किया था।

संतोष ने एमएलए अवैध शिकार मामले में एसआईटी पुलिस द्वारा जारी 23 नवंबर को दूसरे 41ए सीआरपीसी नोटिस को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की।

अदालत ने इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता को जारी नोटिस पर पांच दिसंबर तक रोक लगा दी थी।

कोटिलिल नारायण जग्गू उर्फ जग्गू स्वामी ने भी एसआईटी द्वारा उन्हें दिए गए नोटिस और जांच दल द्वारा उनके लिए जारी किए गए लुकआउट नोटिस को चुनौती देते हुए एक निरस्त याचिका दायर की थी।

यह तर्क देते हुए कि वह मामले में किसी भी तरह से शामिल नहीं है, याचिकाकर्ता ने उसके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की है।

एसआईटी ने 22 नवंबर को जग्गू स्वामी को मामले में वांछित बताते हुए उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था।

संतोष और जग्गू स्वामी के नाम अक्टूबर में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन कथित भाजपा एजेंटों के बीच हुई बातचीत में सामने आए, जब वे टीआरएस के चार विधायकों को बड़ी रकम का लालच देकर भाजपा के पाले में लाने की कोशिश कर रहे थे।

पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन आरोपियों को जमानत दे दी थी।

रामचंद्र भारती, नंद कुमार और डी.पी.एस.के. वी. सिंहयाजी को अदालत ने सशर्त जमानत दे दी थी।

उन्हें 26 अक्टूबर की रात को हैदराबाद के पास मोइनाबाद के एक फार्महाउस से साइबराबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जब वे कथित तौर पर टीआरएस के चार विधायकों को मोटी रकम का लालच देने की कोशिश कर रहे थे।

साइबराबाद पुलिस ने एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की गुप्त सूचना पर छापा मारा। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये और तीन अन्य को 50-50 करोड़ रुपये की पेशकश की।

एसआईटी ने सनसनीखेज मामले में संतोष, तुषार वेल्लापल्ली, जग्गू स्वामी और अधिवक्ता बी. श्रीनिवास को अन्य आरोपियों के रूप में जोड़ा है।

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हाईकोर्ट ने संतोष और जग्गू स्वामी को जारी नोटिस पर 13 दिसंबर तक रोक लगा दी है।

अदालत ने दोनों को जारी नोटिस के संबंध में एसआईटी को कोई कार्रवाई करने से रोक दिया।

याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने स्टे जारी किया था।

संतोष ने एमएलए अवैध शिकार मामले में एसआईटी पुलिस द्वारा जारी 23 नवंबर को दूसरे 41ए सीआरपीसी नोटिस को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की।

अदालत ने इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता को जारी नोटिस पर पांच दिसंबर तक रोक लगा दी थी।

कोटिलिल नारायण जग्गू उर्फ जग्गू स्वामी ने भी एसआईटी द्वारा उन्हें दिए गए नोटिस और जांच दल द्वारा उनके लिए जारी किए गए लुकआउट नोटिस को चुनौती देते हुए एक निरस्त याचिका दायर की थी।

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एसआईटी ने 22 नवंबर को जग्गू स्वामी को मामले में वांछित बताते हुए उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था।

संतोष और जग्गू स्वामी के नाम अक्टूबर में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन कथित भाजपा एजेंटों के बीच हुई बातचीत में सामने आए, जब वे टीआरएस के चार विधायकों को बड़ी रकम का लालच देकर भाजपा के पाले में लाने की कोशिश कर रहे थे।

पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन आरोपियों को जमानत दे दी थी।

रामचंद्र भारती, नंद कुमार और डी.पी.एस.के. वी. सिंहयाजी को अदालत ने सशर्त जमानत दे दी थी।

उन्हें 26 अक्टूबर की रात को हैदराबाद के पास मोइनाबाद के एक फार्महाउस से साइबराबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जब वे कथित तौर पर टीआरएस के चार विधायकों को मोटी रकम का लालच देने की कोशिश कर रहे थे।

साइबराबाद पुलिस ने एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की गुप्त सूचना पर छापा मारा। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये और तीन अन्य को 50-50 करोड़ रुपये की पेशकश की।

एसआईटी ने सनसनीखेज मामले में संतोष, तुषार वेल्लापल्ली, जग्गू स्वामी और अधिवक्ता बी. श्रीनिवास को अन्य आरोपियों के रूप में जोड़ा है।

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