हैदराबाद, 5 जनवरी (आईएएनएस)। तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार ने बीआरएस विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त के मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करने के अदालत के आदेश को तेलंगाना हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
सरकार ने मामले की जांच के लिए सीबीआई को निर्देश देने वाली एकल-न्यायाधीश पीठ द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी है। मुख्य न्यायाधीश उज्जवल भुइयां की अध्यक्षता वाली खंडपीठ द्वारा सुनवाई के लिए अपील किए जाने की संभावना है। 26 दिसंबर को न्यायमूर्ति बी विजयसेन रेड्डी ने आरोपी व्यक्तियों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि उन्हें राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल द्वारा जांच में कोई विश्वास नहीं है।
अदालत ने तब मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने के सरकार के आदेश को रद्द कर दिया था। हालांकि, सरकार द्वारा दायर एक याचिका के बाद अदालत ने फैसले की प्रतियां उपलब्ध होने तक आदेश के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी थी। फैसले का अध्ययन करने के बाद बीआरएस सरकार ने अपील दायर करने का फैसला किया।
संयोग से, हाईकोर्ट ने पिछले साल नवंबर में मामले की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था। हालांकि, आरोपी रामचंद्र भारती, नंद कुमार और डीपीएसकेवीएन सिम्हयाजी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसने तब हाईकोर्ट को सीबीआई को जांच ट्रांसफर करने की याचिकाओं पर फैसला करने का निर्देश दिया था। पायलट रोहित रेड्डी द्वारा गुप्त सूचना के आधार तीनों आरोपियों को साइबराबाद पुलिस ने हैदराबाद के पास मोइनाबाद के एक फार्महाउस पर छापेमारी कर 26 अक्टूबर की रात को गिरफ्तार किया था, जब वे कथित रूप से भारी धन की पेशकश के साथ बीआरएस के चार विधायकों को खरीदने की कोशिश कर रहे थे।
पायलट रोहित रेड्डी ने आरोप लगाया था कि आरोपियों ने भाजपा में शामिल होने के लिए उन्हें 100 करोड़ रुपये और तीन अन्य विधायकों को 50 करोड़ रुपये की पेशकश की थी। राज्य सरकार ने बाद में हैदराबाद पुलिस आयुक्त सीवी की अध्यक्षता में एक एसआईटी का गठन किया था।
–आईएएनएस
एफजेड/एसजीके