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विपक्ष को वोट देने वाले 50 प्रतिशत लोग भी मानते हैं मोदी मजबूत फैसले लेते हैं: सीवोटर सर्वे

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May 26, 2023
in राष्ट्रीय
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विपक्ष को वोट देने वाले 50 प्रतिशत लोग भी मानते हैं मोदी मजबूत फैसले लेते हैं: सीवोटर सर्वे
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नई दिल्ली, 26 मई (आईएएनएस)। हर पांच में से लगभग तीन भारतीयों की राय है कि नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले नौ साल के शासनकाल में मजबूत निर्णय लिए गए हैं।

मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के अवसर पर सीवोटर द्वारा कराए गए अखिल भारतीय सर्वेक्षण के दौरान इसका खुलासा हुआ। मोदी ने 26 मई 2014 को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उनके नेतृत्व में भाजपा ने लोकसभा चुनावों में 282 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल किया था।

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उस चुनाव में उनके अभियान की तख्तियों में से एक में वादा किया गया था कि उनकी सरकार पूर्ववर्ती डॉ. मनमोहन सिंह की तरह कमजोर नहीं होगी। हैरानी की बात यह है कि यूपीए का समर्थन करने वाले और मोदी का विरोध करने वाले अधिकांश मतदाता भी यही राय रखते हैं।

सर्वेक्षण के दौरान, 48 प्रतिशत संप्रग समर्थकों ने भी माना कि मोदी शासन ने कड़े फैसले लिए हैं। ऐसा सोचने वाले मोदी समर्थकों की संख्या काफी अधिक है। कुल मिलाकर हर चार में से तीन भारतीय की यही राय है। मोदी के समर्थक अक्सर शेखी बघारते हैं कि उन्होंने हमेशा कड़े फैसले लिए हैं, भले ही वे राजनीतिक रूप से जोखिम भरे हों। कई लोग नोटबंदी को मोदी द्वारा उठाए गए एक ऐसे राजनीतिक जोखिम बताते हैं।

सीवोटर सर्वेक्षण अन्य महत्वपूर्ण अंतरों का भी खुलासा करता है। उदाहरण के लिए 18 से 24 वर्ष के आयु वर्ग के 53 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उन्होंने कड़े फैसले लिए हैं, 35 से 44 वर्ष के आयु वर्ग के करीब 74 प्रतिशत लोग ऐसा ही महसूस करते हैं। अनुसूचित जाति (दलित) के 45 प्रतिशत लोगों को लगता है कि मोदी ने कड़े फैसले लिए हैं तो उच्च जाति के 70 प्रतिशत हिंदू ऐसा मानते हैं।

इसके एक शक्तिशाली उदाहरण के रूप में विश्लेषक जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का हवाला देते हैं।

–आईएएनएस

एकेजे

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नई दिल्ली, 26 मई (आईएएनएस)। हर पांच में से लगभग तीन भारतीयों की राय है कि नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले नौ साल के शासनकाल में मजबूत निर्णय लिए गए हैं।

मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के अवसर पर सीवोटर द्वारा कराए गए अखिल भारतीय सर्वेक्षण के दौरान इसका खुलासा हुआ। मोदी ने 26 मई 2014 को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उनके नेतृत्व में भाजपा ने लोकसभा चुनावों में 282 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल किया था।

उस चुनाव में उनके अभियान की तख्तियों में से एक में वादा किया गया था कि उनकी सरकार पूर्ववर्ती डॉ. मनमोहन सिंह की तरह कमजोर नहीं होगी। हैरानी की बात यह है कि यूपीए का समर्थन करने वाले और मोदी का विरोध करने वाले अधिकांश मतदाता भी यही राय रखते हैं।

सर्वेक्षण के दौरान, 48 प्रतिशत संप्रग समर्थकों ने भी माना कि मोदी शासन ने कड़े फैसले लिए हैं। ऐसा सोचने वाले मोदी समर्थकों की संख्या काफी अधिक है। कुल मिलाकर हर चार में से तीन भारतीय की यही राय है। मोदी के समर्थक अक्सर शेखी बघारते हैं कि उन्होंने हमेशा कड़े फैसले लिए हैं, भले ही वे राजनीतिक रूप से जोखिम भरे हों। कई लोग नोटबंदी को मोदी द्वारा उठाए गए एक ऐसे राजनीतिक जोखिम बताते हैं।

सीवोटर सर्वेक्षण अन्य महत्वपूर्ण अंतरों का भी खुलासा करता है। उदाहरण के लिए 18 से 24 वर्ष के आयु वर्ग के 53 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उन्होंने कड़े फैसले लिए हैं, 35 से 44 वर्ष के आयु वर्ग के करीब 74 प्रतिशत लोग ऐसा ही महसूस करते हैं। अनुसूचित जाति (दलित) के 45 प्रतिशत लोगों को लगता है कि मोदी ने कड़े फैसले लिए हैं तो उच्च जाति के 70 प्रतिशत हिंदू ऐसा मानते हैं।

इसके एक शक्तिशाली उदाहरण के रूप में विश्लेषक जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का हवाला देते हैं।

–आईएएनएस

एकेजे

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नई दिल्ली, 26 मई (आईएएनएस)। हर पांच में से लगभग तीन भारतीयों की राय है कि नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले नौ साल के शासनकाल में मजबूत निर्णय लिए गए हैं।

मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के अवसर पर सीवोटर द्वारा कराए गए अखिल भारतीय सर्वेक्षण के दौरान इसका खुलासा हुआ। मोदी ने 26 मई 2014 को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उनके नेतृत्व में भाजपा ने लोकसभा चुनावों में 282 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल किया था।

उस चुनाव में उनके अभियान की तख्तियों में से एक में वादा किया गया था कि उनकी सरकार पूर्ववर्ती डॉ. मनमोहन सिंह की तरह कमजोर नहीं होगी। हैरानी की बात यह है कि यूपीए का समर्थन करने वाले और मोदी का विरोध करने वाले अधिकांश मतदाता भी यही राय रखते हैं।

सर्वेक्षण के दौरान, 48 प्रतिशत संप्रग समर्थकों ने भी माना कि मोदी शासन ने कड़े फैसले लिए हैं। ऐसा सोचने वाले मोदी समर्थकों की संख्या काफी अधिक है। कुल मिलाकर हर चार में से तीन भारतीय की यही राय है। मोदी के समर्थक अक्सर शेखी बघारते हैं कि उन्होंने हमेशा कड़े फैसले लिए हैं, भले ही वे राजनीतिक रूप से जोखिम भरे हों। कई लोग नोटबंदी को मोदी द्वारा उठाए गए एक ऐसे राजनीतिक जोखिम बताते हैं।

सीवोटर सर्वेक्षण अन्य महत्वपूर्ण अंतरों का भी खुलासा करता है। उदाहरण के लिए 18 से 24 वर्ष के आयु वर्ग के 53 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उन्होंने कड़े फैसले लिए हैं, 35 से 44 वर्ष के आयु वर्ग के करीब 74 प्रतिशत लोग ऐसा ही महसूस करते हैं। अनुसूचित जाति (दलित) के 45 प्रतिशत लोगों को लगता है कि मोदी ने कड़े फैसले लिए हैं तो उच्च जाति के 70 प्रतिशत हिंदू ऐसा मानते हैं।

इसके एक शक्तिशाली उदाहरण के रूप में विश्लेषक जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का हवाला देते हैं।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 26 मई (आईएएनएस)। हर पांच में से लगभग तीन भारतीयों की राय है कि नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले नौ साल के शासनकाल में मजबूत निर्णय लिए गए हैं।

मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के अवसर पर सीवोटर द्वारा कराए गए अखिल भारतीय सर्वेक्षण के दौरान इसका खुलासा हुआ। मोदी ने 26 मई 2014 को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उनके नेतृत्व में भाजपा ने लोकसभा चुनावों में 282 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल किया था।

उस चुनाव में उनके अभियान की तख्तियों में से एक में वादा किया गया था कि उनकी सरकार पूर्ववर्ती डॉ. मनमोहन सिंह की तरह कमजोर नहीं होगी। हैरानी की बात यह है कि यूपीए का समर्थन करने वाले और मोदी का विरोध करने वाले अधिकांश मतदाता भी यही राय रखते हैं।

सर्वेक्षण के दौरान, 48 प्रतिशत संप्रग समर्थकों ने भी माना कि मोदी शासन ने कड़े फैसले लिए हैं। ऐसा सोचने वाले मोदी समर्थकों की संख्या काफी अधिक है। कुल मिलाकर हर चार में से तीन भारतीय की यही राय है। मोदी के समर्थक अक्सर शेखी बघारते हैं कि उन्होंने हमेशा कड़े फैसले लिए हैं, भले ही वे राजनीतिक रूप से जोखिम भरे हों। कई लोग नोटबंदी को मोदी द्वारा उठाए गए एक ऐसे राजनीतिक जोखिम बताते हैं।

सीवोटर सर्वेक्षण अन्य महत्वपूर्ण अंतरों का भी खुलासा करता है। उदाहरण के लिए 18 से 24 वर्ष के आयु वर्ग के 53 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उन्होंने कड़े फैसले लिए हैं, 35 से 44 वर्ष के आयु वर्ग के करीब 74 प्रतिशत लोग ऐसा ही महसूस करते हैं। अनुसूचित जाति (दलित) के 45 प्रतिशत लोगों को लगता है कि मोदी ने कड़े फैसले लिए हैं तो उच्च जाति के 70 प्रतिशत हिंदू ऐसा मानते हैं।

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उस चुनाव में उनके अभियान की तख्तियों में से एक में वादा किया गया था कि उनकी सरकार पूर्ववर्ती डॉ. मनमोहन सिंह की तरह कमजोर नहीं होगी। हैरानी की बात यह है कि यूपीए का समर्थन करने वाले और मोदी का विरोध करने वाले अधिकांश मतदाता भी यही राय रखते हैं।

सर्वेक्षण के दौरान, 48 प्रतिशत संप्रग समर्थकों ने भी माना कि मोदी शासन ने कड़े फैसले लिए हैं। ऐसा सोचने वाले मोदी समर्थकों की संख्या काफी अधिक है। कुल मिलाकर हर चार में से तीन भारतीय की यही राय है। मोदी के समर्थक अक्सर शेखी बघारते हैं कि उन्होंने हमेशा कड़े फैसले लिए हैं, भले ही वे राजनीतिक रूप से जोखिम भरे हों। कई लोग नोटबंदी को मोदी द्वारा उठाए गए एक ऐसे राजनीतिक जोखिम बताते हैं।

सीवोटर सर्वेक्षण अन्य महत्वपूर्ण अंतरों का भी खुलासा करता है। उदाहरण के लिए 18 से 24 वर्ष के आयु वर्ग के 53 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उन्होंने कड़े फैसले लिए हैं, 35 से 44 वर्ष के आयु वर्ग के करीब 74 प्रतिशत लोग ऐसा ही महसूस करते हैं। अनुसूचित जाति (दलित) के 45 प्रतिशत लोगों को लगता है कि मोदी ने कड़े फैसले लिए हैं तो उच्च जाति के 70 प्रतिशत हिंदू ऐसा मानते हैं।

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उस चुनाव में उनके अभियान की तख्तियों में से एक में वादा किया गया था कि उनकी सरकार पूर्ववर्ती डॉ. मनमोहन सिंह की तरह कमजोर नहीं होगी। हैरानी की बात यह है कि यूपीए का समर्थन करने वाले और मोदी का विरोध करने वाले अधिकांश मतदाता भी यही राय रखते हैं।

सर्वेक्षण के दौरान, 48 प्रतिशत संप्रग समर्थकों ने भी माना कि मोदी शासन ने कड़े फैसले लिए हैं। ऐसा सोचने वाले मोदी समर्थकों की संख्या काफी अधिक है। कुल मिलाकर हर चार में से तीन भारतीय की यही राय है। मोदी के समर्थक अक्सर शेखी बघारते हैं कि उन्होंने हमेशा कड़े फैसले लिए हैं, भले ही वे राजनीतिक रूप से जोखिम भरे हों। कई लोग नोटबंदी को मोदी द्वारा उठाए गए एक ऐसे राजनीतिक जोखिम बताते हैं।

सीवोटर सर्वेक्षण अन्य महत्वपूर्ण अंतरों का भी खुलासा करता है। उदाहरण के लिए 18 से 24 वर्ष के आयु वर्ग के 53 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उन्होंने कड़े फैसले लिए हैं, 35 से 44 वर्ष के आयु वर्ग के करीब 74 प्रतिशत लोग ऐसा ही महसूस करते हैं। अनुसूचित जाति (दलित) के 45 प्रतिशत लोगों को लगता है कि मोदी ने कड़े फैसले लिए हैं तो उच्च जाति के 70 प्रतिशत हिंदू ऐसा मानते हैं।

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उस चुनाव में उनके अभियान की तख्तियों में से एक में वादा किया गया था कि उनकी सरकार पूर्ववर्ती डॉ. मनमोहन सिंह की तरह कमजोर नहीं होगी। हैरानी की बात यह है कि यूपीए का समर्थन करने वाले और मोदी का विरोध करने वाले अधिकांश मतदाता भी यही राय रखते हैं।

सर्वेक्षण के दौरान, 48 प्रतिशत संप्रग समर्थकों ने भी माना कि मोदी शासन ने कड़े फैसले लिए हैं। ऐसा सोचने वाले मोदी समर्थकों की संख्या काफी अधिक है। कुल मिलाकर हर चार में से तीन भारतीय की यही राय है। मोदी के समर्थक अक्सर शेखी बघारते हैं कि उन्होंने हमेशा कड़े फैसले लिए हैं, भले ही वे राजनीतिक रूप से जोखिम भरे हों। कई लोग नोटबंदी को मोदी द्वारा उठाए गए एक ऐसे राजनीतिक जोखिम बताते हैं।

सीवोटर सर्वेक्षण अन्य महत्वपूर्ण अंतरों का भी खुलासा करता है। उदाहरण के लिए 18 से 24 वर्ष के आयु वर्ग के 53 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उन्होंने कड़े फैसले लिए हैं, 35 से 44 वर्ष के आयु वर्ग के करीब 74 प्रतिशत लोग ऐसा ही महसूस करते हैं। अनुसूचित जाति (दलित) के 45 प्रतिशत लोगों को लगता है कि मोदी ने कड़े फैसले लिए हैं तो उच्च जाति के 70 प्रतिशत हिंदू ऐसा मानते हैं।

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उस चुनाव में उनके अभियान की तख्तियों में से एक में वादा किया गया था कि उनकी सरकार पूर्ववर्ती डॉ. मनमोहन सिंह की तरह कमजोर नहीं होगी। हैरानी की बात यह है कि यूपीए का समर्थन करने वाले और मोदी का विरोध करने वाले अधिकांश मतदाता भी यही राय रखते हैं।

सर्वेक्षण के दौरान, 48 प्रतिशत संप्रग समर्थकों ने भी माना कि मोदी शासन ने कड़े फैसले लिए हैं। ऐसा सोचने वाले मोदी समर्थकों की संख्या काफी अधिक है। कुल मिलाकर हर चार में से तीन भारतीय की यही राय है। मोदी के समर्थक अक्सर शेखी बघारते हैं कि उन्होंने हमेशा कड़े फैसले लिए हैं, भले ही वे राजनीतिक रूप से जोखिम भरे हों। कई लोग नोटबंदी को मोदी द्वारा उठाए गए एक ऐसे राजनीतिक जोखिम बताते हैं।

सीवोटर सर्वेक्षण अन्य महत्वपूर्ण अंतरों का भी खुलासा करता है। उदाहरण के लिए 18 से 24 वर्ष के आयु वर्ग के 53 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उन्होंने कड़े फैसले लिए हैं, 35 से 44 वर्ष के आयु वर्ग के करीब 74 प्रतिशत लोग ऐसा ही महसूस करते हैं। अनुसूचित जाति (दलित) के 45 प्रतिशत लोगों को लगता है कि मोदी ने कड़े फैसले लिए हैं तो उच्च जाति के 70 प्रतिशत हिंदू ऐसा मानते हैं।

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मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के अवसर पर सीवोटर द्वारा कराए गए अखिल भारतीय सर्वेक्षण के दौरान इसका खुलासा हुआ। मोदी ने 26 मई 2014 को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उनके नेतृत्व में भाजपा ने लोकसभा चुनावों में 282 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल किया था।

उस चुनाव में उनके अभियान की तख्तियों में से एक में वादा किया गया था कि उनकी सरकार पूर्ववर्ती डॉ. मनमोहन सिंह की तरह कमजोर नहीं होगी। हैरानी की बात यह है कि यूपीए का समर्थन करने वाले और मोदी का विरोध करने वाले अधिकांश मतदाता भी यही राय रखते हैं।

सर्वेक्षण के दौरान, 48 प्रतिशत संप्रग समर्थकों ने भी माना कि मोदी शासन ने कड़े फैसले लिए हैं। ऐसा सोचने वाले मोदी समर्थकों की संख्या काफी अधिक है। कुल मिलाकर हर चार में से तीन भारतीय की यही राय है। मोदी के समर्थक अक्सर शेखी बघारते हैं कि उन्होंने हमेशा कड़े फैसले लिए हैं, भले ही वे राजनीतिक रूप से जोखिम भरे हों। कई लोग नोटबंदी को मोदी द्वारा उठाए गए एक ऐसे राजनीतिक जोखिम बताते हैं।

सीवोटर सर्वेक्षण अन्य महत्वपूर्ण अंतरों का भी खुलासा करता है। उदाहरण के लिए 18 से 24 वर्ष के आयु वर्ग के 53 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उन्होंने कड़े फैसले लिए हैं, 35 से 44 वर्ष के आयु वर्ग के करीब 74 प्रतिशत लोग ऐसा ही महसूस करते हैं। अनुसूचित जाति (दलित) के 45 प्रतिशत लोगों को लगता है कि मोदी ने कड़े फैसले लिए हैं तो उच्च जाति के 70 प्रतिशत हिंदू ऐसा मानते हैं।

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उस चुनाव में उनके अभियान की तख्तियों में से एक में वादा किया गया था कि उनकी सरकार पूर्ववर्ती डॉ. मनमोहन सिंह की तरह कमजोर नहीं होगी। हैरानी की बात यह है कि यूपीए का समर्थन करने वाले और मोदी का विरोध करने वाले अधिकांश मतदाता भी यही राय रखते हैं।

सर्वेक्षण के दौरान, 48 प्रतिशत संप्रग समर्थकों ने भी माना कि मोदी शासन ने कड़े फैसले लिए हैं। ऐसा सोचने वाले मोदी समर्थकों की संख्या काफी अधिक है। कुल मिलाकर हर चार में से तीन भारतीय की यही राय है। मोदी के समर्थक अक्सर शेखी बघारते हैं कि उन्होंने हमेशा कड़े फैसले लिए हैं, भले ही वे राजनीतिक रूप से जोखिम भरे हों। कई लोग नोटबंदी को मोदी द्वारा उठाए गए एक ऐसे राजनीतिक जोखिम बताते हैं।

सीवोटर सर्वेक्षण अन्य महत्वपूर्ण अंतरों का भी खुलासा करता है। उदाहरण के लिए 18 से 24 वर्ष के आयु वर्ग के 53 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उन्होंने कड़े फैसले लिए हैं, 35 से 44 वर्ष के आयु वर्ग के करीब 74 प्रतिशत लोग ऐसा ही महसूस करते हैं। अनुसूचित जाति (दलित) के 45 प्रतिशत लोगों को लगता है कि मोदी ने कड़े फैसले लिए हैं तो उच्च जाति के 70 प्रतिशत हिंदू ऐसा मानते हैं।

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उस चुनाव में उनके अभियान की तख्तियों में से एक में वादा किया गया था कि उनकी सरकार पूर्ववर्ती डॉ. मनमोहन सिंह की तरह कमजोर नहीं होगी। हैरानी की बात यह है कि यूपीए का समर्थन करने वाले और मोदी का विरोध करने वाले अधिकांश मतदाता भी यही राय रखते हैं।

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सीवोटर सर्वेक्षण अन्य महत्वपूर्ण अंतरों का भी खुलासा करता है। उदाहरण के लिए 18 से 24 वर्ष के आयु वर्ग के 53 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उन्होंने कड़े फैसले लिए हैं, 35 से 44 वर्ष के आयु वर्ग के करीब 74 प्रतिशत लोग ऐसा ही महसूस करते हैं। अनुसूचित जाति (दलित) के 45 प्रतिशत लोगों को लगता है कि मोदी ने कड़े फैसले लिए हैं तो उच्च जाति के 70 प्रतिशत हिंदू ऐसा मानते हैं।

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उस चुनाव में उनके अभियान की तख्तियों में से एक में वादा किया गया था कि उनकी सरकार पूर्ववर्ती डॉ. मनमोहन सिंह की तरह कमजोर नहीं होगी। हैरानी की बात यह है कि यूपीए का समर्थन करने वाले और मोदी का विरोध करने वाले अधिकांश मतदाता भी यही राय रखते हैं।

सर्वेक्षण के दौरान, 48 प्रतिशत संप्रग समर्थकों ने भी माना कि मोदी शासन ने कड़े फैसले लिए हैं। ऐसा सोचने वाले मोदी समर्थकों की संख्या काफी अधिक है। कुल मिलाकर हर चार में से तीन भारतीय की यही राय है। मोदी के समर्थक अक्सर शेखी बघारते हैं कि उन्होंने हमेशा कड़े फैसले लिए हैं, भले ही वे राजनीतिक रूप से जोखिम भरे हों। कई लोग नोटबंदी को मोदी द्वारा उठाए गए एक ऐसे राजनीतिक जोखिम बताते हैं।

सीवोटर सर्वेक्षण अन्य महत्वपूर्ण अंतरों का भी खुलासा करता है। उदाहरण के लिए 18 से 24 वर्ष के आयु वर्ग के 53 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उन्होंने कड़े फैसले लिए हैं, 35 से 44 वर्ष के आयु वर्ग के करीब 74 प्रतिशत लोग ऐसा ही महसूस करते हैं। अनुसूचित जाति (दलित) के 45 प्रतिशत लोगों को लगता है कि मोदी ने कड़े फैसले लिए हैं तो उच्च जाति के 70 प्रतिशत हिंदू ऐसा मानते हैं।

इसके एक शक्तिशाली उदाहरण के रूप में विश्लेषक जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का हवाला देते हैं।

–आईएएनएस

एकेजे

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नई दिल्ली, 26 मई (आईएएनएस)। हर पांच में से लगभग तीन भारतीयों की राय है कि नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले नौ साल के शासनकाल में मजबूत निर्णय लिए गए हैं।

मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के अवसर पर सीवोटर द्वारा कराए गए अखिल भारतीय सर्वेक्षण के दौरान इसका खुलासा हुआ। मोदी ने 26 मई 2014 को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उनके नेतृत्व में भाजपा ने लोकसभा चुनावों में 282 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल किया था।

उस चुनाव में उनके अभियान की तख्तियों में से एक में वादा किया गया था कि उनकी सरकार पूर्ववर्ती डॉ. मनमोहन सिंह की तरह कमजोर नहीं होगी। हैरानी की बात यह है कि यूपीए का समर्थन करने वाले और मोदी का विरोध करने वाले अधिकांश मतदाता भी यही राय रखते हैं।

सर्वेक्षण के दौरान, 48 प्रतिशत संप्रग समर्थकों ने भी माना कि मोदी शासन ने कड़े फैसले लिए हैं। ऐसा सोचने वाले मोदी समर्थकों की संख्या काफी अधिक है। कुल मिलाकर हर चार में से तीन भारतीय की यही राय है। मोदी के समर्थक अक्सर शेखी बघारते हैं कि उन्होंने हमेशा कड़े फैसले लिए हैं, भले ही वे राजनीतिक रूप से जोखिम भरे हों। कई लोग नोटबंदी को मोदी द्वारा उठाए गए एक ऐसे राजनीतिक जोखिम बताते हैं।

सीवोटर सर्वेक्षण अन्य महत्वपूर्ण अंतरों का भी खुलासा करता है। उदाहरण के लिए 18 से 24 वर्ष के आयु वर्ग के 53 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उन्होंने कड़े फैसले लिए हैं, 35 से 44 वर्ष के आयु वर्ग के करीब 74 प्रतिशत लोग ऐसा ही महसूस करते हैं। अनुसूचित जाति (दलित) के 45 प्रतिशत लोगों को लगता है कि मोदी ने कड़े फैसले लिए हैं तो उच्च जाति के 70 प्रतिशत हिंदू ऐसा मानते हैं।

इसके एक शक्तिशाली उदाहरण के रूप में विश्लेषक जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का हवाला देते हैं।

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मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के अवसर पर सीवोटर द्वारा कराए गए अखिल भारतीय सर्वेक्षण के दौरान इसका खुलासा हुआ। मोदी ने 26 मई 2014 को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उनके नेतृत्व में भाजपा ने लोकसभा चुनावों में 282 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल किया था।

उस चुनाव में उनके अभियान की तख्तियों में से एक में वादा किया गया था कि उनकी सरकार पूर्ववर्ती डॉ. मनमोहन सिंह की तरह कमजोर नहीं होगी। हैरानी की बात यह है कि यूपीए का समर्थन करने वाले और मोदी का विरोध करने वाले अधिकांश मतदाता भी यही राय रखते हैं।

सर्वेक्षण के दौरान, 48 प्रतिशत संप्रग समर्थकों ने भी माना कि मोदी शासन ने कड़े फैसले लिए हैं। ऐसा सोचने वाले मोदी समर्थकों की संख्या काफी अधिक है। कुल मिलाकर हर चार में से तीन भारतीय की यही राय है। मोदी के समर्थक अक्सर शेखी बघारते हैं कि उन्होंने हमेशा कड़े फैसले लिए हैं, भले ही वे राजनीतिक रूप से जोखिम भरे हों। कई लोग नोटबंदी को मोदी द्वारा उठाए गए एक ऐसे राजनीतिक जोखिम बताते हैं।

सीवोटर सर्वेक्षण अन्य महत्वपूर्ण अंतरों का भी खुलासा करता है। उदाहरण के लिए 18 से 24 वर्ष के आयु वर्ग के 53 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उन्होंने कड़े फैसले लिए हैं, 35 से 44 वर्ष के आयु वर्ग के करीब 74 प्रतिशत लोग ऐसा ही महसूस करते हैं। अनुसूचित जाति (दलित) के 45 प्रतिशत लोगों को लगता है कि मोदी ने कड़े फैसले लिए हैं तो उच्च जाति के 70 प्रतिशत हिंदू ऐसा मानते हैं।

इसके एक शक्तिशाली उदाहरण के रूप में विश्लेषक जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का हवाला देते हैं।

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मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के अवसर पर सीवोटर द्वारा कराए गए अखिल भारतीय सर्वेक्षण के दौरान इसका खुलासा हुआ। मोदी ने 26 मई 2014 को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उनके नेतृत्व में भाजपा ने लोकसभा चुनावों में 282 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल किया था।

उस चुनाव में उनके अभियान की तख्तियों में से एक में वादा किया गया था कि उनकी सरकार पूर्ववर्ती डॉ. मनमोहन सिंह की तरह कमजोर नहीं होगी। हैरानी की बात यह है कि यूपीए का समर्थन करने वाले और मोदी का विरोध करने वाले अधिकांश मतदाता भी यही राय रखते हैं।

सर्वेक्षण के दौरान, 48 प्रतिशत संप्रग समर्थकों ने भी माना कि मोदी शासन ने कड़े फैसले लिए हैं। ऐसा सोचने वाले मोदी समर्थकों की संख्या काफी अधिक है। कुल मिलाकर हर चार में से तीन भारतीय की यही राय है। मोदी के समर्थक अक्सर शेखी बघारते हैं कि उन्होंने हमेशा कड़े फैसले लिए हैं, भले ही वे राजनीतिक रूप से जोखिम भरे हों। कई लोग नोटबंदी को मोदी द्वारा उठाए गए एक ऐसे राजनीतिक जोखिम बताते हैं।

सीवोटर सर्वेक्षण अन्य महत्वपूर्ण अंतरों का भी खुलासा करता है। उदाहरण के लिए 18 से 24 वर्ष के आयु वर्ग के 53 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उन्होंने कड़े फैसले लिए हैं, 35 से 44 वर्ष के आयु वर्ग के करीब 74 प्रतिशत लोग ऐसा ही महसूस करते हैं। अनुसूचित जाति (दलित) के 45 प्रतिशत लोगों को लगता है कि मोदी ने कड़े फैसले लिए हैं तो उच्च जाति के 70 प्रतिशत हिंदू ऐसा मानते हैं।

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