हैदराबाद, 19 मई (आईएएनएस)। कडप्पा के सांसद वाई.एस. अविनाश रेड्डी एक बार फिर आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री वाई.एस. विवेकानंद रेड्डी की हत्या का मामले में पूछताछ के लिए सीबीआई के समक्ष उपस्थित नहीं हुए। सांसद शुक्रवार को हैदराबाद से कडप्पा में अपने गृहनगर पुलिवेंदुला के लिए रवाना हुए।
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के नेता ने सीबीआई को सूचित किया है कि वह इसके सामने पेश नहीं हो पाएंगे क्योंकि उनकी मां बीमार हैं और इसलिए उन्हें पुलिवेंदुला जाना पड़ा।
अविनाश रेड्डी जब हैदराबाद से निकले, तो माना जा रहा था कि वह सीबीआई कार्यालय जा रहे हैं। मीडिया की गाड़ियां भी उनका पीछा कर रही थीं, लेकिन सांसद का वाहन हाईवे की ओर मुड़ गया।
इस सप्ताह यह दूसरी बार है जब अविनाश रेड्डी सीबीआई की पूछताछ में शामिल नहीं हुए हैं।
सांसद रेड्डी इसके पहले मंगलवार को भी अपने संसदीय क्षेत्र में पहले से निर्धारित कार्यक्रमों का हवाला देते हुए एजेंसी केंद्रीय एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए थे।
इस पर उसी दिन सीबीआई ने उन्हें एक नया नोटिस जारी किया, जिसमें उन्हें शुक्रवार को सुबह 11 बजे हैदराबाद में अपने क्षेत्रीय कार्यालय में पेश होने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सांसद की अग्रिम जमानत देने के लिए तेलंगाना उच्च न्यायालय को निर्देश देने की उनकी याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
पिछले महीने, अविनाश रेड्डी, जिनसे सीबीआई पहले ही चार बार पूछताछ कर चुकी है, ने अग्रिम जमानत के लिए तेलंगाना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
उच्च न्यायालय ने 28 अप्रैल को सुनवाई 5 जून तक के लिए स्थगित कर दी और मामले में सीबीआई को उसके खिलाफ कोई कठोर कदम उठाने से रोकने का आदेश पारित करने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने मामले की जांच पूरी करने की समय सीमा 30 जून तक बढ़ा दी थी।
शीर्ष अदालत ने पहले सीबीआई के लिए समय सीमा 30 अप्रैल तय की थी।
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. राजशेखर रेड्डी और जगन मोहन रेड्डी के चाचा विवेकानंद रेड्डी की चुनाव से कुछ हफ्ते पहले 15 मार्च, 2019 को पुलिवेंदुला स्थित उनके आवास पर हत्या कर दी गई थी।
राज्य के 68 वर्षीय पूर्व मंत्री अपने घर में अकेले थे, तभी अज्ञात लोगों ने उनके घर में घुसकर हत्या कर दी।
सीबीआई ने विवेकानंद रेड्डी की बेटी सुनीता रेड्डी की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देश पर 2020 में जांच का जिम्मा संभाला, जिसने कुछ रिश्तेदारों पर संदेह जताया था।
–आईएएनएस
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