विशाखापत्तनम, 17 जनवरी (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम स्टील प्लांट को केंद्र सरकार ने 10,300 करोड़ रुपये की इक्विटी सहायता देने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के माध्यम से इसे आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में मददगार कदम बताया है।
पीएम मोदी ने अपने एक्स पोस्ट में कहा, “विशाखापत्तनम स्टील प्लांट का आंध्र प्रदेश के लोगों के दिल और दिमाग में एक विशेष स्थान है। कल (गुरुवार) की कैबिनेट मीटिंग में प्लांट के लिए 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की इक्विटी सहायता देने का निर्णय लिया गया। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में स्टील सेक्टर के महत्व को समझते हुए यह कदम उठाया गया है।”
पीएम मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल के आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने विशाखापत्तनम स्टील प्लांट का संचालन करने वाले राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) के जीर्णोद्धार के लिए 11,440 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी है। इसमें 10,300 करोड़ रुपये इक्विटी कैपिटल के रूप में और 1,140 करोड़ रुपये का वर्किंग कैपिटल लोन सात प्रतिशत के ब्याज वाले नॉन कम्युलेटिव प्रिफरेंस शेयर कैपिटल के रूप में दिया जाएगा जो 10 साल बाद भुनाए जा सकेंगे।
आरआईएनएल की शत-प्रतिशत हिस्सेदारी भारत सरकार के पास है। यह विशाखापत्तनम स्टील प्लांट का संचालन करता है। इसकी सालाना उत्पादन क्षमता 73 लाख टन लिक्विड स्टील की है।
आरआईएनएल की आर्थिक स्थिति काफी खराब है। पिछले साल 31 मार्च को कंपनी का नेटवर्थ माइनस 4.538 करोड़ रुपये था और उसकी देनदारी 26,114.92 करोड़ रुपये थी। उसका ऋण बैंक से उधारी लेने की सीमा को छू चुका है। पूंजीगत ऋण भुगतान में कंपनी चूक कर चुकी है। उम्मीद है कि केंद्र सरकार की इस मदद से कंपनी फिर पटरी पर लौट सकेगी।
पिछले तीन साल से विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के कर्मचारी प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।
इससे पहले भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के प्रतिनिधि दल ने इसी साल 8 जनवरी को भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी से मुलाकात कर विशाखापत्तनम स्टील प्लांट को पुनर्जीवित करने की अपील की थी। इस्पात मंत्री ने आश्वासन दिया था कि वह विशाखापत्तनम स्टील प्लांट का निजीकरण नहीं होने देंगे और इस मुद्दे को सुलझाने के लिए जरूरी कदम उठाएंगे।
–आईएएनएस
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