जबलपुर. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने इंदौर की अंकिता राठौर और जबलपुर के हसनैन अंसारी को विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह करने की अनुमति प्रदान की है. युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि दोनों का विवाह निर्विवाद सम्पन्न कराया जाये. विवाह के बाद उन्हें एक माह तक सुरक्षा प्रदान की जाये. इसके बाद पुलिस अधीक्षक उनकी सुरक्षा के संबंध में विचार कर निर्णय लें.
गौरतलब है कि इंदौर निवासी अंकिता ठाकुर तथा सिहोरा निवासी हसनैन अंसारी ने पुलिस सुरक्षा की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. उनकी तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि उन्होंने विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह के लिए कलेक्टर जबलपुर कार्यालय में आवेदन किया था. जिसके बाद से लडकी पक्ष तथा धार्मिक संगठन के लोगों विरोध कर रहे है. जिसके कारण दोनों को अपनी जान का खतरा है.
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उनकी तरफ से एकलपीठ को बताया गया था कि दोनों के बीच विगत चार साल से प्रेम संबंध है तथा एक साल से लिव-इन-रिलेशनशिप में है. दोनों अपनी मर्जी से शादी करना चाहते है. प्रदेश व्यक्ति को अपने जीवन के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार है.एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा था कि याचिकाकर्ताओं को खतरा है,इसलिए पुलिस अधीक्षक जबलपुर उन्हें सुरक्षा प्रदान करें. पुलिस उसे जबलपुर स्थित राजकुमार बाई बाल निकेतन में रखे.
लडकी को पुलिस सुरक्षा में विशेष विवाह अधिनियम के तहत बयान दर्ज करवाने 12 नवम्बर को कलेक्टर कार्यालय में प्रस्तुत किया जाये. इस दौरान वह हसनैन से विवाह करने के संबंध में विचार कर सकती है. इस दौरान हसनैन या उसके परिवार वाले उससे संपर्क नहीं करेंगे.
एकलपीठ के आदेश तथा विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी की कार्यवाही को रोकने के लिए लडकी के पिता ने हाईकोर्ट में अपील दायर की गयी थी. दायर अपील में कहा गया था कि याचिका की सुनवाई 4 नवम्बर को निर्धारित थी याचिका पर वह जवाब पेश करते हुए पहले एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए उक्त आदेश जारी कर दिय.
हाई कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश का हवाला देते हुए अपील में कहा गया था कि विशेष विवाह अधिनियम के तहत हुआ विवाह भी मुस्लिम एक्ट के तहत मान्य नहीं होगा. मुस्लिम समाज में अग्नि व मूर्ति पूजन करने वालों से विवाह मान्य नहीं है. मुस्लिम एक्ट में चार विवाह को मान्यता है,जबकि हिन्दू मैरिज एक्ट में सिर्फ एक विवाह को मान्यता है. युगलपीठ ने अपील की सुनवाई करते हुए दोनोें की षादी पर रोक लगा दी थी.
युगलपीठ ने सुनवाई के बाद अपील को खारिज करते हुए अपने आदेष में कहा कि विशेष विवाह अधिनियम की धारा 4 के तहत, प्रत्येक जोड़े को धर्म, जाति या समुदाय के बावजूद विवाह करने का संवैधानिक अधिकार है. विशेष विवाह अधिनियम के लिए पर्सनल लॉ एक्ट बंधनकारी नहीं है. युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि शादी में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए. शादी का विरोध करने वालों के खिलाफ विधि अनुसार सख्त कार्यवाही की जाये.
पुलिस को शादी के एक महीने बाद तक सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया. इस बाद उनकी सुरक्ष्ज्ञज्ञ के संबंध में पुलिस अधीक्षक को निर्णय लेने आदेष जारी किये है. कोर्ट ने विवाह रजिस्ट्रार को बिना किसी देरी या रुकावट के शादी को आगे बढ़ाने का भी निर्देश दिया.
गौरतलब है कि विशेष विवाह अधिनियम के तहत दोनों की ष्षादी का विरोध हैदराबाद के विधायक टी राजा से हिन्दूवादी संगठनों से किया था. ष्षादी के विरोध में हिंदूवादी संगठनों ने एक दिन सिहोरा बंद का आव्हान भी किया था. बंद के आह्वान के अभूतपूर्व सफलता भी मिली थी.