deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home राष्ट्रीय

विशेेषज्ञों की चेतावनी, बच्चों के स्वास्थ्य के समक्ष खतरा है पैसिव स्मोकिंग

by
August 10, 2024
in राष्ट्रीय
0
विशेेषज्ञों की चेतावनी, बच्चों के स्वास्थ्य के समक्ष खतरा है पैसिव स्मोकिंग
0
SHARES
8
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। पैसिव स्मोकिंग (अप्रत्यक्ष धूम्रपान), जिसे सेकेंड हैंड स्मोक के रूप में भी जाना जाता है, बच्चों के स्वास्थ्य के समक्ष एक खतरा है। यह बात शनिवार को विशेषज्ञों ने कही।

पैसिव स्मोकिंग के कारण बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस), कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग का खतरा रहता है।

READ ALSO

एआई और डीपफेक मामले पर आज सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

सिक्किम राज्य के 50वें स्थापना दिवस पर द्रौपदी मुर्मू समेत अन्य राजनीतिक हस्तियों ने दी शुभकामनाएं

इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान से मुक्त रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से बचना आवश्यक है।

धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के निदेशक और एचओडी, पल्मोनोलॉजी, रवि शेखर झा ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग से बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, एसआईडीएस, कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग की आशंका रहती है। इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान मुक्त बनाए रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रखना चाहिए। धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन करना और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।”

उन्होंने कहा, “पैसिव स्मोकिंग बच्चों को हानिकारक रसायनों के संपर्क में लाता है, इससे श्वसन संक्रमण, अस्थमा और एसआईडीएस का खतरा बढ़ जाता है। यह फेफड़ों के विकास को भी बाधित कर सकता है, इससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।”

पैसिव स्मोकिंग के परिणाम तत्काल और दीर्घकालिक दोनों हैं।

अल्पकालिक संपर्क से आंखों, नाक और गले में जलन हो सकती है, साथ ही खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।

सीके बिरला अस्पताल के क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी के प्रमुख कुलदीप कुमार ग्रोवर ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग के दुष्प्रभाव तत्काल और लंबे समय तक रहने वाले हैं। अल्पावधि में, इसके संपर्क में आने से आंख, नाक और गले में जलन, खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ, पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और सीओपीडी जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।”

उन्होंने यह भी कहा, “विशेष रूप से शिशु और बच्चे सेकेंड हैंड स्मोकिंग के हानिकारक प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिन्हें श्वसन संक्रमण, अस्थमा, कान के संक्रमण और एसआईडीएस का अधिक खतरा रहता है।”

बच्चों में पैसिव स्मोकिंग को रोकने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। घर और कार को धूम्रपान मुक्त रखना, बच्चों के आसपास धूम्रपान से बचना और सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रहना आवश्यक कदम हैं।

सेकेंड हैंड स्मोकिंग के खतरों के बारे में लोगों को शिक्षित करना और धूम्रपान करने वालों को इसे छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना भी महत्वपूर्ण उपाय हैं।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कानूनी उपायों को जन जागरूकता अभियानों के साथ जोड़कर, पैसिव स्मोकिंग के हानिकारक परिणामों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। पैसिव स्मोकिंग (अप्रत्यक्ष धूम्रपान), जिसे सेकेंड हैंड स्मोक के रूप में भी जाना जाता है, बच्चों के स्वास्थ्य के समक्ष एक खतरा है। यह बात शनिवार को विशेषज्ञों ने कही।

पैसिव स्मोकिंग के कारण बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस), कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग का खतरा रहता है।

इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान से मुक्त रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से बचना आवश्यक है।

धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के निदेशक और एचओडी, पल्मोनोलॉजी, रवि शेखर झा ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग से बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, एसआईडीएस, कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग की आशंका रहती है। इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान मुक्त बनाए रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रखना चाहिए। धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन करना और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।”

उन्होंने कहा, “पैसिव स्मोकिंग बच्चों को हानिकारक रसायनों के संपर्क में लाता है, इससे श्वसन संक्रमण, अस्थमा और एसआईडीएस का खतरा बढ़ जाता है। यह फेफड़ों के विकास को भी बाधित कर सकता है, इससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।”

पैसिव स्मोकिंग के परिणाम तत्काल और दीर्घकालिक दोनों हैं।

अल्पकालिक संपर्क से आंखों, नाक और गले में जलन हो सकती है, साथ ही खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।

सीके बिरला अस्पताल के क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी के प्रमुख कुलदीप कुमार ग्रोवर ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग के दुष्प्रभाव तत्काल और लंबे समय तक रहने वाले हैं। अल्पावधि में, इसके संपर्क में आने से आंख, नाक और गले में जलन, खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ, पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और सीओपीडी जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।”

उन्होंने यह भी कहा, “विशेष रूप से शिशु और बच्चे सेकेंड हैंड स्मोकिंग के हानिकारक प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिन्हें श्वसन संक्रमण, अस्थमा, कान के संक्रमण और एसआईडीएस का अधिक खतरा रहता है।”

बच्चों में पैसिव स्मोकिंग को रोकने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। घर और कार को धूम्रपान मुक्त रखना, बच्चों के आसपास धूम्रपान से बचना और सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रहना आवश्यक कदम हैं।

सेकेंड हैंड स्मोकिंग के खतरों के बारे में लोगों को शिक्षित करना और धूम्रपान करने वालों को इसे छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना भी महत्वपूर्ण उपाय हैं।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कानूनी उपायों को जन जागरूकता अभियानों के साथ जोड़कर, पैसिव स्मोकिंग के हानिकारक परिणामों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। पैसिव स्मोकिंग (अप्रत्यक्ष धूम्रपान), जिसे सेकेंड हैंड स्मोक के रूप में भी जाना जाता है, बच्चों के स्वास्थ्य के समक्ष एक खतरा है। यह बात शनिवार को विशेषज्ञों ने कही।

पैसिव स्मोकिंग के कारण बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस), कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग का खतरा रहता है।

इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान से मुक्त रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से बचना आवश्यक है।

धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के निदेशक और एचओडी, पल्मोनोलॉजी, रवि शेखर झा ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग से बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, एसआईडीएस, कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग की आशंका रहती है। इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान मुक्त बनाए रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रखना चाहिए। धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन करना और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।”

उन्होंने कहा, “पैसिव स्मोकिंग बच्चों को हानिकारक रसायनों के संपर्क में लाता है, इससे श्वसन संक्रमण, अस्थमा और एसआईडीएस का खतरा बढ़ जाता है। यह फेफड़ों के विकास को भी बाधित कर सकता है, इससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।”

पैसिव स्मोकिंग के परिणाम तत्काल और दीर्घकालिक दोनों हैं।

अल्पकालिक संपर्क से आंखों, नाक और गले में जलन हो सकती है, साथ ही खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।

सीके बिरला अस्पताल के क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी के प्रमुख कुलदीप कुमार ग्रोवर ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग के दुष्प्रभाव तत्काल और लंबे समय तक रहने वाले हैं। अल्पावधि में, इसके संपर्क में आने से आंख, नाक और गले में जलन, खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ, पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और सीओपीडी जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।”

उन्होंने यह भी कहा, “विशेष रूप से शिशु और बच्चे सेकेंड हैंड स्मोकिंग के हानिकारक प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिन्हें श्वसन संक्रमण, अस्थमा, कान के संक्रमण और एसआईडीएस का अधिक खतरा रहता है।”

बच्चों में पैसिव स्मोकिंग को रोकने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। घर और कार को धूम्रपान मुक्त रखना, बच्चों के आसपास धूम्रपान से बचना और सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रहना आवश्यक कदम हैं।

सेकेंड हैंड स्मोकिंग के खतरों के बारे में लोगों को शिक्षित करना और धूम्रपान करने वालों को इसे छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना भी महत्वपूर्ण उपाय हैं।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कानूनी उपायों को जन जागरूकता अभियानों के साथ जोड़कर, पैसिव स्मोकिंग के हानिकारक परिणामों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। पैसिव स्मोकिंग (अप्रत्यक्ष धूम्रपान), जिसे सेकेंड हैंड स्मोक के रूप में भी जाना जाता है, बच्चों के स्वास्थ्य के समक्ष एक खतरा है। यह बात शनिवार को विशेषज्ञों ने कही।

पैसिव स्मोकिंग के कारण बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस), कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग का खतरा रहता है।

इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान से मुक्त रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से बचना आवश्यक है।

धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के निदेशक और एचओडी, पल्मोनोलॉजी, रवि शेखर झा ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग से बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, एसआईडीएस, कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग की आशंका रहती है। इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान मुक्त बनाए रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रखना चाहिए। धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन करना और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।”

उन्होंने कहा, “पैसिव स्मोकिंग बच्चों को हानिकारक रसायनों के संपर्क में लाता है, इससे श्वसन संक्रमण, अस्थमा और एसआईडीएस का खतरा बढ़ जाता है। यह फेफड़ों के विकास को भी बाधित कर सकता है, इससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।”

पैसिव स्मोकिंग के परिणाम तत्काल और दीर्घकालिक दोनों हैं।

अल्पकालिक संपर्क से आंखों, नाक और गले में जलन हो सकती है, साथ ही खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।

सीके बिरला अस्पताल के क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी के प्रमुख कुलदीप कुमार ग्रोवर ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग के दुष्प्रभाव तत्काल और लंबे समय तक रहने वाले हैं। अल्पावधि में, इसके संपर्क में आने से आंख, नाक और गले में जलन, खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ, पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और सीओपीडी जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।”

उन्होंने यह भी कहा, “विशेष रूप से शिशु और बच्चे सेकेंड हैंड स्मोकिंग के हानिकारक प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिन्हें श्वसन संक्रमण, अस्थमा, कान के संक्रमण और एसआईडीएस का अधिक खतरा रहता है।”

बच्चों में पैसिव स्मोकिंग को रोकने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। घर और कार को धूम्रपान मुक्त रखना, बच्चों के आसपास धूम्रपान से बचना और सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रहना आवश्यक कदम हैं।

सेकेंड हैंड स्मोकिंग के खतरों के बारे में लोगों को शिक्षित करना और धूम्रपान करने वालों को इसे छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना भी महत्वपूर्ण उपाय हैं।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कानूनी उपायों को जन जागरूकता अभियानों के साथ जोड़कर, पैसिव स्मोकिंग के हानिकारक परिणामों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। पैसिव स्मोकिंग (अप्रत्यक्ष धूम्रपान), जिसे सेकेंड हैंड स्मोक के रूप में भी जाना जाता है, बच्चों के स्वास्थ्य के समक्ष एक खतरा है। यह बात शनिवार को विशेषज्ञों ने कही।

पैसिव स्मोकिंग के कारण बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस), कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग का खतरा रहता है।

इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान से मुक्त रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से बचना आवश्यक है।

धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के निदेशक और एचओडी, पल्मोनोलॉजी, रवि शेखर झा ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग से बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, एसआईडीएस, कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग की आशंका रहती है। इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान मुक्त बनाए रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रखना चाहिए। धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन करना और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।”

उन्होंने कहा, “पैसिव स्मोकिंग बच्चों को हानिकारक रसायनों के संपर्क में लाता है, इससे श्वसन संक्रमण, अस्थमा और एसआईडीएस का खतरा बढ़ जाता है। यह फेफड़ों के विकास को भी बाधित कर सकता है, इससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।”

पैसिव स्मोकिंग के परिणाम तत्काल और दीर्घकालिक दोनों हैं।

अल्पकालिक संपर्क से आंखों, नाक और गले में जलन हो सकती है, साथ ही खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।

सीके बिरला अस्पताल के क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी के प्रमुख कुलदीप कुमार ग्रोवर ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग के दुष्प्रभाव तत्काल और लंबे समय तक रहने वाले हैं। अल्पावधि में, इसके संपर्क में आने से आंख, नाक और गले में जलन, खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ, पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और सीओपीडी जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।”

उन्होंने यह भी कहा, “विशेष रूप से शिशु और बच्चे सेकेंड हैंड स्मोकिंग के हानिकारक प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिन्हें श्वसन संक्रमण, अस्थमा, कान के संक्रमण और एसआईडीएस का अधिक खतरा रहता है।”

बच्चों में पैसिव स्मोकिंग को रोकने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। घर और कार को धूम्रपान मुक्त रखना, बच्चों के आसपास धूम्रपान से बचना और सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रहना आवश्यक कदम हैं।

सेकेंड हैंड स्मोकिंग के खतरों के बारे में लोगों को शिक्षित करना और धूम्रपान करने वालों को इसे छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना भी महत्वपूर्ण उपाय हैं।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कानूनी उपायों को जन जागरूकता अभियानों के साथ जोड़कर, पैसिव स्मोकिंग के हानिकारक परिणामों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। पैसिव स्मोकिंग (अप्रत्यक्ष धूम्रपान), जिसे सेकेंड हैंड स्मोक के रूप में भी जाना जाता है, बच्चों के स्वास्थ्य के समक्ष एक खतरा है। यह बात शनिवार को विशेषज्ञों ने कही।

पैसिव स्मोकिंग के कारण बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस), कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग का खतरा रहता है।

इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान से मुक्त रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से बचना आवश्यक है।

धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के निदेशक और एचओडी, पल्मोनोलॉजी, रवि शेखर झा ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग से बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, एसआईडीएस, कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग की आशंका रहती है। इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान मुक्त बनाए रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रखना चाहिए। धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन करना और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।”

उन्होंने कहा, “पैसिव स्मोकिंग बच्चों को हानिकारक रसायनों के संपर्क में लाता है, इससे श्वसन संक्रमण, अस्थमा और एसआईडीएस का खतरा बढ़ जाता है। यह फेफड़ों के विकास को भी बाधित कर सकता है, इससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।”

पैसिव स्मोकिंग के परिणाम तत्काल और दीर्घकालिक दोनों हैं।

अल्पकालिक संपर्क से आंखों, नाक और गले में जलन हो सकती है, साथ ही खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।

सीके बिरला अस्पताल के क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी के प्रमुख कुलदीप कुमार ग्रोवर ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग के दुष्प्रभाव तत्काल और लंबे समय तक रहने वाले हैं। अल्पावधि में, इसके संपर्क में आने से आंख, नाक और गले में जलन, खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ, पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और सीओपीडी जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।”

उन्होंने यह भी कहा, “विशेष रूप से शिशु और बच्चे सेकेंड हैंड स्मोकिंग के हानिकारक प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिन्हें श्वसन संक्रमण, अस्थमा, कान के संक्रमण और एसआईडीएस का अधिक खतरा रहता है।”

बच्चों में पैसिव स्मोकिंग को रोकने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। घर और कार को धूम्रपान मुक्त रखना, बच्चों के आसपास धूम्रपान से बचना और सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रहना आवश्यक कदम हैं।

सेकेंड हैंड स्मोकिंग के खतरों के बारे में लोगों को शिक्षित करना और धूम्रपान करने वालों को इसे छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना भी महत्वपूर्ण उपाय हैं।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कानूनी उपायों को जन जागरूकता अभियानों के साथ जोड़कर, पैसिव स्मोकिंग के हानिकारक परिणामों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। पैसिव स्मोकिंग (अप्रत्यक्ष धूम्रपान), जिसे सेकेंड हैंड स्मोक के रूप में भी जाना जाता है, बच्चों के स्वास्थ्य के समक्ष एक खतरा है। यह बात शनिवार को विशेषज्ञों ने कही।

पैसिव स्मोकिंग के कारण बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस), कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग का खतरा रहता है।

इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान से मुक्त रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से बचना आवश्यक है।

धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के निदेशक और एचओडी, पल्मोनोलॉजी, रवि शेखर झा ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग से बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, एसआईडीएस, कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग की आशंका रहती है। इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान मुक्त बनाए रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रखना चाहिए। धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन करना और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।”

उन्होंने कहा, “पैसिव स्मोकिंग बच्चों को हानिकारक रसायनों के संपर्क में लाता है, इससे श्वसन संक्रमण, अस्थमा और एसआईडीएस का खतरा बढ़ जाता है। यह फेफड़ों के विकास को भी बाधित कर सकता है, इससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।”

पैसिव स्मोकिंग के परिणाम तत्काल और दीर्घकालिक दोनों हैं।

अल्पकालिक संपर्क से आंखों, नाक और गले में जलन हो सकती है, साथ ही खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।

सीके बिरला अस्पताल के क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी के प्रमुख कुलदीप कुमार ग्रोवर ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग के दुष्प्रभाव तत्काल और लंबे समय तक रहने वाले हैं। अल्पावधि में, इसके संपर्क में आने से आंख, नाक और गले में जलन, खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ, पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और सीओपीडी जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।”

उन्होंने यह भी कहा, “विशेष रूप से शिशु और बच्चे सेकेंड हैंड स्मोकिंग के हानिकारक प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिन्हें श्वसन संक्रमण, अस्थमा, कान के संक्रमण और एसआईडीएस का अधिक खतरा रहता है।”

बच्चों में पैसिव स्मोकिंग को रोकने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। घर और कार को धूम्रपान मुक्त रखना, बच्चों के आसपास धूम्रपान से बचना और सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रहना आवश्यक कदम हैं।

सेकेंड हैंड स्मोकिंग के खतरों के बारे में लोगों को शिक्षित करना और धूम्रपान करने वालों को इसे छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना भी महत्वपूर्ण उपाय हैं।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कानूनी उपायों को जन जागरूकता अभियानों के साथ जोड़कर, पैसिव स्मोकिंग के हानिकारक परिणामों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। पैसिव स्मोकिंग (अप्रत्यक्ष धूम्रपान), जिसे सेकेंड हैंड स्मोक के रूप में भी जाना जाता है, बच्चों के स्वास्थ्य के समक्ष एक खतरा है। यह बात शनिवार को विशेषज्ञों ने कही।

पैसिव स्मोकिंग के कारण बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस), कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग का खतरा रहता है।

इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान से मुक्त रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से बचना आवश्यक है।

धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के निदेशक और एचओडी, पल्मोनोलॉजी, रवि शेखर झा ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग से बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, एसआईडीएस, कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग की आशंका रहती है। इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान मुक्त बनाए रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रखना चाहिए। धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन करना और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।”

उन्होंने कहा, “पैसिव स्मोकिंग बच्चों को हानिकारक रसायनों के संपर्क में लाता है, इससे श्वसन संक्रमण, अस्थमा और एसआईडीएस का खतरा बढ़ जाता है। यह फेफड़ों के विकास को भी बाधित कर सकता है, इससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।”

पैसिव स्मोकिंग के परिणाम तत्काल और दीर्घकालिक दोनों हैं।

अल्पकालिक संपर्क से आंखों, नाक और गले में जलन हो सकती है, साथ ही खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।

सीके बिरला अस्पताल के क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी के प्रमुख कुलदीप कुमार ग्रोवर ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग के दुष्प्रभाव तत्काल और लंबे समय तक रहने वाले हैं। अल्पावधि में, इसके संपर्क में आने से आंख, नाक और गले में जलन, खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ, पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और सीओपीडी जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।”

उन्होंने यह भी कहा, “विशेष रूप से शिशु और बच्चे सेकेंड हैंड स्मोकिंग के हानिकारक प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिन्हें श्वसन संक्रमण, अस्थमा, कान के संक्रमण और एसआईडीएस का अधिक खतरा रहता है।”

बच्चों में पैसिव स्मोकिंग को रोकने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। घर और कार को धूम्रपान मुक्त रखना, बच्चों के आसपास धूम्रपान से बचना और सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रहना आवश्यक कदम हैं।

सेकेंड हैंड स्मोकिंग के खतरों के बारे में लोगों को शिक्षित करना और धूम्रपान करने वालों को इसे छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना भी महत्वपूर्ण उपाय हैं।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कानूनी उपायों को जन जागरूकता अभियानों के साथ जोड़कर, पैसिव स्मोकिंग के हानिकारक परिणामों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। पैसिव स्मोकिंग (अप्रत्यक्ष धूम्रपान), जिसे सेकेंड हैंड स्मोक के रूप में भी जाना जाता है, बच्चों के स्वास्थ्य के समक्ष एक खतरा है। यह बात शनिवार को विशेषज्ञों ने कही।

पैसिव स्मोकिंग के कारण बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस), कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग का खतरा रहता है।

इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान से मुक्त रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से बचना आवश्यक है।

धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के निदेशक और एचओडी, पल्मोनोलॉजी, रवि शेखर झा ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग से बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, एसआईडीएस, कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग की आशंका रहती है। इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान मुक्त बनाए रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रखना चाहिए। धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन करना और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।”

उन्होंने कहा, “पैसिव स्मोकिंग बच्चों को हानिकारक रसायनों के संपर्क में लाता है, इससे श्वसन संक्रमण, अस्थमा और एसआईडीएस का खतरा बढ़ जाता है। यह फेफड़ों के विकास को भी बाधित कर सकता है, इससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।”

पैसिव स्मोकिंग के परिणाम तत्काल और दीर्घकालिक दोनों हैं।

अल्पकालिक संपर्क से आंखों, नाक और गले में जलन हो सकती है, साथ ही खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।

सीके बिरला अस्पताल के क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी के प्रमुख कुलदीप कुमार ग्रोवर ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग के दुष्प्रभाव तत्काल और लंबे समय तक रहने वाले हैं। अल्पावधि में, इसके संपर्क में आने से आंख, नाक और गले में जलन, खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ, पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और सीओपीडी जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।”

उन्होंने यह भी कहा, “विशेष रूप से शिशु और बच्चे सेकेंड हैंड स्मोकिंग के हानिकारक प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिन्हें श्वसन संक्रमण, अस्थमा, कान के संक्रमण और एसआईडीएस का अधिक खतरा रहता है।”

बच्चों में पैसिव स्मोकिंग को रोकने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। घर और कार को धूम्रपान मुक्त रखना, बच्चों के आसपास धूम्रपान से बचना और सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रहना आवश्यक कदम हैं।

सेकेंड हैंड स्मोकिंग के खतरों के बारे में लोगों को शिक्षित करना और धूम्रपान करने वालों को इसे छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना भी महत्वपूर्ण उपाय हैं।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कानूनी उपायों को जन जागरूकता अभियानों के साथ जोड़कर, पैसिव स्मोकिंग के हानिकारक परिणामों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। पैसिव स्मोकिंग (अप्रत्यक्ष धूम्रपान), जिसे सेकेंड हैंड स्मोक के रूप में भी जाना जाता है, बच्चों के स्वास्थ्य के समक्ष एक खतरा है। यह बात शनिवार को विशेषज्ञों ने कही।

पैसिव स्मोकिंग के कारण बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस), कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग का खतरा रहता है।

इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान से मुक्त रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से बचना आवश्यक है।

धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के निदेशक और एचओडी, पल्मोनोलॉजी, रवि शेखर झा ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग से बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, एसआईडीएस, कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग की आशंका रहती है। इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान मुक्त बनाए रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रखना चाहिए। धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन करना और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।”

उन्होंने कहा, “पैसिव स्मोकिंग बच्चों को हानिकारक रसायनों के संपर्क में लाता है, इससे श्वसन संक्रमण, अस्थमा और एसआईडीएस का खतरा बढ़ जाता है। यह फेफड़ों के विकास को भी बाधित कर सकता है, इससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।”

पैसिव स्मोकिंग के परिणाम तत्काल और दीर्घकालिक दोनों हैं।

अल्पकालिक संपर्क से आंखों, नाक और गले में जलन हो सकती है, साथ ही खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।

सीके बिरला अस्पताल के क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी के प्रमुख कुलदीप कुमार ग्रोवर ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग के दुष्प्रभाव तत्काल और लंबे समय तक रहने वाले हैं। अल्पावधि में, इसके संपर्क में आने से आंख, नाक और गले में जलन, खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ, पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और सीओपीडी जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।”

उन्होंने यह भी कहा, “विशेष रूप से शिशु और बच्चे सेकेंड हैंड स्मोकिंग के हानिकारक प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिन्हें श्वसन संक्रमण, अस्थमा, कान के संक्रमण और एसआईडीएस का अधिक खतरा रहता है।”

बच्चों में पैसिव स्मोकिंग को रोकने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। घर और कार को धूम्रपान मुक्त रखना, बच्चों के आसपास धूम्रपान से बचना और सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रहना आवश्यक कदम हैं।

सेकेंड हैंड स्मोकिंग के खतरों के बारे में लोगों को शिक्षित करना और धूम्रपान करने वालों को इसे छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना भी महत्वपूर्ण उपाय हैं।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कानूनी उपायों को जन जागरूकता अभियानों के साथ जोड़कर, पैसिव स्मोकिंग के हानिकारक परिणामों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। पैसिव स्मोकिंग (अप्रत्यक्ष धूम्रपान), जिसे सेकेंड हैंड स्मोक के रूप में भी जाना जाता है, बच्चों के स्वास्थ्य के समक्ष एक खतरा है। यह बात शनिवार को विशेषज्ञों ने कही।

पैसिव स्मोकिंग के कारण बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस), कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग का खतरा रहता है।

इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान से मुक्त रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से बचना आवश्यक है।

धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के निदेशक और एचओडी, पल्मोनोलॉजी, रवि शेखर झा ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग से बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, एसआईडीएस, कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग की आशंका रहती है। इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान मुक्त बनाए रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रखना चाहिए। धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन करना और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।”

उन्होंने कहा, “पैसिव स्मोकिंग बच्चों को हानिकारक रसायनों के संपर्क में लाता है, इससे श्वसन संक्रमण, अस्थमा और एसआईडीएस का खतरा बढ़ जाता है। यह फेफड़ों के विकास को भी बाधित कर सकता है, इससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।”

पैसिव स्मोकिंग के परिणाम तत्काल और दीर्घकालिक दोनों हैं।

अल्पकालिक संपर्क से आंखों, नाक और गले में जलन हो सकती है, साथ ही खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।

सीके बिरला अस्पताल के क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी के प्रमुख कुलदीप कुमार ग्रोवर ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग के दुष्प्रभाव तत्काल और लंबे समय तक रहने वाले हैं। अल्पावधि में, इसके संपर्क में आने से आंख, नाक और गले में जलन, खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ, पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और सीओपीडी जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।”

उन्होंने यह भी कहा, “विशेष रूप से शिशु और बच्चे सेकेंड हैंड स्मोकिंग के हानिकारक प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिन्हें श्वसन संक्रमण, अस्थमा, कान के संक्रमण और एसआईडीएस का अधिक खतरा रहता है।”

बच्चों में पैसिव स्मोकिंग को रोकने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। घर और कार को धूम्रपान मुक्त रखना, बच्चों के आसपास धूम्रपान से बचना और सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रहना आवश्यक कदम हैं।

सेकेंड हैंड स्मोकिंग के खतरों के बारे में लोगों को शिक्षित करना और धूम्रपान करने वालों को इसे छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना भी महत्वपूर्ण उपाय हैं।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कानूनी उपायों को जन जागरूकता अभियानों के साथ जोड़कर, पैसिव स्मोकिंग के हानिकारक परिणामों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। पैसिव स्मोकिंग (अप्रत्यक्ष धूम्रपान), जिसे सेकेंड हैंड स्मोक के रूप में भी जाना जाता है, बच्चों के स्वास्थ्य के समक्ष एक खतरा है। यह बात शनिवार को विशेषज्ञों ने कही।

पैसिव स्मोकिंग के कारण बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस), कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग का खतरा रहता है।

इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान से मुक्त रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से बचना आवश्यक है।

धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के निदेशक और एचओडी, पल्मोनोलॉजी, रवि शेखर झा ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग से बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, एसआईडीएस, कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग की आशंका रहती है। इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान मुक्त बनाए रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रखना चाहिए। धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन करना और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।”

उन्होंने कहा, “पैसिव स्मोकिंग बच्चों को हानिकारक रसायनों के संपर्क में लाता है, इससे श्वसन संक्रमण, अस्थमा और एसआईडीएस का खतरा बढ़ जाता है। यह फेफड़ों के विकास को भी बाधित कर सकता है, इससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।”

पैसिव स्मोकिंग के परिणाम तत्काल और दीर्घकालिक दोनों हैं।

अल्पकालिक संपर्क से आंखों, नाक और गले में जलन हो सकती है, साथ ही खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।

सीके बिरला अस्पताल के क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी के प्रमुख कुलदीप कुमार ग्रोवर ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग के दुष्प्रभाव तत्काल और लंबे समय तक रहने वाले हैं। अल्पावधि में, इसके संपर्क में आने से आंख, नाक और गले में जलन, खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ, पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और सीओपीडी जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।”

उन्होंने यह भी कहा, “विशेष रूप से शिशु और बच्चे सेकेंड हैंड स्मोकिंग के हानिकारक प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिन्हें श्वसन संक्रमण, अस्थमा, कान के संक्रमण और एसआईडीएस का अधिक खतरा रहता है।”

बच्चों में पैसिव स्मोकिंग को रोकने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। घर और कार को धूम्रपान मुक्त रखना, बच्चों के आसपास धूम्रपान से बचना और सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रहना आवश्यक कदम हैं।

सेकेंड हैंड स्मोकिंग के खतरों के बारे में लोगों को शिक्षित करना और धूम्रपान करने वालों को इसे छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना भी महत्वपूर्ण उपाय हैं।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कानूनी उपायों को जन जागरूकता अभियानों के साथ जोड़कर, पैसिव स्मोकिंग के हानिकारक परिणामों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। पैसिव स्मोकिंग (अप्रत्यक्ष धूम्रपान), जिसे सेकेंड हैंड स्मोक के रूप में भी जाना जाता है, बच्चों के स्वास्थ्य के समक्ष एक खतरा है। यह बात शनिवार को विशेषज्ञों ने कही।

पैसिव स्मोकिंग के कारण बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस), कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग का खतरा रहता है।

इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान से मुक्त रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से बचना आवश्यक है।

धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के निदेशक और एचओडी, पल्मोनोलॉजी, रवि शेखर झा ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग से बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, एसआईडीएस, कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग की आशंका रहती है। इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान मुक्त बनाए रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रखना चाहिए। धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन करना और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।”

उन्होंने कहा, “पैसिव स्मोकिंग बच्चों को हानिकारक रसायनों के संपर्क में लाता है, इससे श्वसन संक्रमण, अस्थमा और एसआईडीएस का खतरा बढ़ जाता है। यह फेफड़ों के विकास को भी बाधित कर सकता है, इससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।”

पैसिव स्मोकिंग के परिणाम तत्काल और दीर्घकालिक दोनों हैं।

अल्पकालिक संपर्क से आंखों, नाक और गले में जलन हो सकती है, साथ ही खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।

सीके बिरला अस्पताल के क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी के प्रमुख कुलदीप कुमार ग्रोवर ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग के दुष्प्रभाव तत्काल और लंबे समय तक रहने वाले हैं। अल्पावधि में, इसके संपर्क में आने से आंख, नाक और गले में जलन, खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ, पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और सीओपीडी जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।”

उन्होंने यह भी कहा, “विशेष रूप से शिशु और बच्चे सेकेंड हैंड स्मोकिंग के हानिकारक प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिन्हें श्वसन संक्रमण, अस्थमा, कान के संक्रमण और एसआईडीएस का अधिक खतरा रहता है।”

बच्चों में पैसिव स्मोकिंग को रोकने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। घर और कार को धूम्रपान मुक्त रखना, बच्चों के आसपास धूम्रपान से बचना और सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रहना आवश्यक कदम हैं।

सेकेंड हैंड स्मोकिंग के खतरों के बारे में लोगों को शिक्षित करना और धूम्रपान करने वालों को इसे छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना भी महत्वपूर्ण उपाय हैं।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कानूनी उपायों को जन जागरूकता अभियानों के साथ जोड़कर, पैसिव स्मोकिंग के हानिकारक परिणामों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। पैसिव स्मोकिंग (अप्रत्यक्ष धूम्रपान), जिसे सेकेंड हैंड स्मोक के रूप में भी जाना जाता है, बच्चों के स्वास्थ्य के समक्ष एक खतरा है। यह बात शनिवार को विशेषज्ञों ने कही।

पैसिव स्मोकिंग के कारण बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस), कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग का खतरा रहता है।

इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान से मुक्त रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से बचना आवश्यक है।

धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के निदेशक और एचओडी, पल्मोनोलॉजी, रवि शेखर झा ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग से बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, एसआईडीएस, कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग की आशंका रहती है। इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान मुक्त बनाए रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रखना चाहिए। धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन करना और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।”

उन्होंने कहा, “पैसिव स्मोकिंग बच्चों को हानिकारक रसायनों के संपर्क में लाता है, इससे श्वसन संक्रमण, अस्थमा और एसआईडीएस का खतरा बढ़ जाता है। यह फेफड़ों के विकास को भी बाधित कर सकता है, इससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।”

पैसिव स्मोकिंग के परिणाम तत्काल और दीर्घकालिक दोनों हैं।

अल्पकालिक संपर्क से आंखों, नाक और गले में जलन हो सकती है, साथ ही खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।

सीके बिरला अस्पताल के क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी के प्रमुख कुलदीप कुमार ग्रोवर ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग के दुष्प्रभाव तत्काल और लंबे समय तक रहने वाले हैं। अल्पावधि में, इसके संपर्क में आने से आंख, नाक और गले में जलन, खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ, पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और सीओपीडी जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।”

उन्होंने यह भी कहा, “विशेष रूप से शिशु और बच्चे सेकेंड हैंड स्मोकिंग के हानिकारक प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिन्हें श्वसन संक्रमण, अस्थमा, कान के संक्रमण और एसआईडीएस का अधिक खतरा रहता है।”

बच्चों में पैसिव स्मोकिंग को रोकने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। घर और कार को धूम्रपान मुक्त रखना, बच्चों के आसपास धूम्रपान से बचना और सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रहना आवश्यक कदम हैं।

सेकेंड हैंड स्मोकिंग के खतरों के बारे में लोगों को शिक्षित करना और धूम्रपान करने वालों को इसे छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना भी महत्वपूर्ण उपाय हैं।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कानूनी उपायों को जन जागरूकता अभियानों के साथ जोड़कर, पैसिव स्मोकिंग के हानिकारक परिणामों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। पैसिव स्मोकिंग (अप्रत्यक्ष धूम्रपान), जिसे सेकेंड हैंड स्मोक के रूप में भी जाना जाता है, बच्चों के स्वास्थ्य के समक्ष एक खतरा है। यह बात शनिवार को विशेषज्ञों ने कही।

पैसिव स्मोकिंग के कारण बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस), कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग का खतरा रहता है।

इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान से मुक्त रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से बचना आवश्यक है।

धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के निदेशक और एचओडी, पल्मोनोलॉजी, रवि शेखर झा ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग से बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, एसआईडीएस, कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग की आशंका रहती है। इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान मुक्त बनाए रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रखना चाहिए। धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन करना और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।”

उन्होंने कहा, “पैसिव स्मोकिंग बच्चों को हानिकारक रसायनों के संपर्क में लाता है, इससे श्वसन संक्रमण, अस्थमा और एसआईडीएस का खतरा बढ़ जाता है। यह फेफड़ों के विकास को भी बाधित कर सकता है, इससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।”

पैसिव स्मोकिंग के परिणाम तत्काल और दीर्घकालिक दोनों हैं।

अल्पकालिक संपर्क से आंखों, नाक और गले में जलन हो सकती है, साथ ही खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।

सीके बिरला अस्पताल के क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी के प्रमुख कुलदीप कुमार ग्रोवर ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग के दुष्प्रभाव तत्काल और लंबे समय तक रहने वाले हैं। अल्पावधि में, इसके संपर्क में आने से आंख, नाक और गले में जलन, खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ, पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और सीओपीडी जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।”

उन्होंने यह भी कहा, “विशेष रूप से शिशु और बच्चे सेकेंड हैंड स्मोकिंग के हानिकारक प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिन्हें श्वसन संक्रमण, अस्थमा, कान के संक्रमण और एसआईडीएस का अधिक खतरा रहता है।”

बच्चों में पैसिव स्मोकिंग को रोकने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। घर और कार को धूम्रपान मुक्त रखना, बच्चों के आसपास धूम्रपान से बचना और सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रहना आवश्यक कदम हैं।

सेकेंड हैंड स्मोकिंग के खतरों के बारे में लोगों को शिक्षित करना और धूम्रपान करने वालों को इसे छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना भी महत्वपूर्ण उपाय हैं।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कानूनी उपायों को जन जागरूकता अभियानों के साथ जोड़कर, पैसिव स्मोकिंग के हानिकारक परिणामों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। पैसिव स्मोकिंग (अप्रत्यक्ष धूम्रपान), जिसे सेकेंड हैंड स्मोक के रूप में भी जाना जाता है, बच्चों के स्वास्थ्य के समक्ष एक खतरा है। यह बात शनिवार को विशेषज्ञों ने कही।

पैसिव स्मोकिंग के कारण बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस), कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग का खतरा रहता है।

इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान से मुक्त रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से बचना आवश्यक है।

धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के निदेशक और एचओडी, पल्मोनोलॉजी, रवि शेखर झा ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग से बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, एसआईडीएस, कान में संक्रमण, विकास संबंधी समस्याएं और भविष्य में हृदय रोग की आशंका रहती है। इसे रोकने के लिए घर को धूम्रपान मुक्त बनाए रखना और बच्चों को सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रखना चाहिए। धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का समर्थन करना और परिवार के सदस्यों को जागरूक करना भी बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है।”

उन्होंने कहा, “पैसिव स्मोकिंग बच्चों को हानिकारक रसायनों के संपर्क में लाता है, इससे श्वसन संक्रमण, अस्थमा और एसआईडीएस का खतरा बढ़ जाता है। यह फेफड़ों के विकास को भी बाधित कर सकता है, इससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।”

पैसिव स्मोकिंग के परिणाम तत्काल और दीर्घकालिक दोनों हैं।

अल्पकालिक संपर्क से आंखों, नाक और गले में जलन हो सकती है, साथ ही खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।

सीके बिरला अस्पताल के क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी के प्रमुख कुलदीप कुमार ग्रोवर ने आईएएनएस को बताया, “पैसिव स्मोकिंग के दुष्प्रभाव तत्काल और लंबे समय तक रहने वाले हैं। अल्पावधि में, इसके संपर्क में आने से आंख, नाक और गले में जलन, खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। समय के साथ, पैसिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और सीओपीडी जैसी गंभीर स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।”

उन्होंने यह भी कहा, “विशेष रूप से शिशु और बच्चे सेकेंड हैंड स्मोकिंग के हानिकारक प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिन्हें श्वसन संक्रमण, अस्थमा, कान के संक्रमण और एसआईडीएस का अधिक खतरा रहता है।”

बच्चों में पैसिव स्मोकिंग को रोकने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। घर और कार को धूम्रपान मुक्त रखना, बच्चों के आसपास धूम्रपान से बचना और सार्वजनिक धूम्रपान क्षेत्रों से दूर रहना आवश्यक कदम हैं।

सेकेंड हैंड स्मोकिंग के खतरों के बारे में लोगों को शिक्षित करना और धूम्रपान करने वालों को इसे छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना भी महत्वपूर्ण उपाय हैं।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कानूनी उपायों को जन जागरूकता अभियानों के साथ जोड़कर, पैसिव स्मोकिंग के हानिकारक परिणामों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

–आईएएनएस

सीबीटी/

Related Posts

एआई और डीपफेक मामले पर आज सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
राष्ट्रीय

एआई और डीपफेक मामले पर आज सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

May 16, 2025
सिक्किम राज्य के 50वें स्थापना दिवस पर द्रौपदी मुर्मू समेत अन्य राजनीतिक हस्तियों ने दी शुभकामनाएं
राष्ट्रीय

सिक्किम राज्य के 50वें स्थापना दिवस पर द्रौपदी मुर्मू समेत अन्य राजनीतिक हस्तियों ने दी शुभकामनाएं

May 16, 2025
राष्ट्रीय

पाकिस्तान का साथ देना तुर्की को भारी पड़ेगा, आतंकवाद के समर्थकों से व्यापार नहीं : नरेंद्र कश्यप

May 15, 2025
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को मिला इजरायल का साथ, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए दी बधाई
राष्ट्रीय

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को मिला इजरायल का साथ, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए दी बधाई

May 15, 2025
राष्ट्रीय

मध्य प्रदेशः लाड़ली बहना योजना के दो साल पूरे, सवा करोड़ बहनों के खातों में राशि ट्रांसफर

May 15, 2025
राष्ट्रीय

मुख्यमंत्री नायब सैनी ने शहीद लांस नायक दिनेश शर्मा को दी श्रद्धांजलि, कहा- आतंकवाद को जड़ से खत्म किया जाएगा

May 15, 2025
Next Post
चार धाम पैदल मार्ग को विकसित करेगी धामी सरकार, होमस्टे योजना पर भी हो रहा काम

चार धाम पैदल मार्ग को विकसित करेगी धामी सरकार, होमस्टे योजना पर भी हो रहा काम

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

POPULAR NEWS

बंदा प्रकाश तेलंगाना विधान परिषद के उप सभापति चुने गए

बंदा प्रकाश तेलंगाना विधान परिषद के उप सभापति चुने गए

February 12, 2023
बीएसएफ ने मेघालय में 40 मवेशियों को छुड़ाया, 3 तस्कर गिरफ्तार

बीएसएफ ने मेघालय में 40 मवेशियों को छुड़ाया, 3 तस्कर गिरफ्तार

February 12, 2023
चीनी शताब्दी की दूर-दूर तक संभावना नहीं

चीनी शताब्दी की दूर-दूर तक संभावना नहीं

February 12, 2023

बंगाल के जलपाईगुड़ी में बाढ़ जैसे हालात, शहर में घुसने लगा नदी का पानी

August 26, 2023
राधिका खेड़ा ने छोड़ा कांग्रेस का दामन, प्राथमिक सदस्यता से दिया इस्तीफा

राधिका खेड़ा ने छोड़ा कांग्रेस का दामन, प्राथमिक सदस्यता से दिया इस्तीफा

May 5, 2024

EDITOR'S PICK

सीईटी-23 : कर्नाटक में पहले दिन परेशानी मुक्त परीक्षा आयोजित की गई

May 21, 2023

मध्यप्रदेश के लोकायुक्त ने सप्तर्षि की मूर्तियों को हुए नुकसान की जांच के आदेश दिए

June 2, 2023

अन्य खेलों के भी बड़े प्रमोटर हैं सचिन तेंदुलकर

April 22, 2023
केंद्रीय एजेंसियों के रडार पर हैं केरल के बड़े फिल्म निर्माता?

केंद्रीय एजेंसियों के रडार पर हैं केरल के बड़े फिल्म निर्माता?

May 11, 2023
ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

081438
Total views : 5874839
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Notifications