नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। सुरक्षित, गरिमामयी और स्थिर आश्रय पर हर किसी का हक है और यह हक हम सबकी साझी जिम्मेदारी है। ‘विश्व आवास दिवस’ हमें सिर्फ शहरों की स्थिति पर चिंतन करने का मौका नहीं देता, बल्कि यह एक आह्वान है कि हम सभी मिलकर अपने शहरी भविष्य को आकार दें।
शहरी विस्थापन का मुद्दा सिर्फ नीतियों और सरकारी योजनाओं से हल नहीं होगा, बल्कि इसमें नागरिकों, स्थानीय निकायों, और वैश्विक संस्थाओं की साझेदारी की जरूरत है। विश्वभर में संघर्ष, राजनीतिक अस्थिरता, जलवायु परिवर्तन और आर्थिक कठिनाइयों के कारण लोगों को अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, आज रिकॉर्ड 12.2 करोड़ (122 मिलियन) लोग जबरन विस्थापित हैं। यह विस्थापन अब सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि एक शहरी परिघटना बन चुका है। आंकड़े कहते हैं कि 60 प्रतिशत से अधिक आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति, शरणार्थी और प्रवासी अब शहरों में शरण ले रहे हैं, जिससे स्थानीय संसाधनों पर भारी दबाव पड़ रहा है। यह न सिर्फ शहरी विकास को तेज कर रहा है, बल्कि क्षेत्रों की भौगोलिक और सामाजिक संरचना में भी बड़ा बदलाव ला रहा है।
इसी पृष्ठभूमि में ‘विश्व आवास दिवस’ हर साल अक्टूबर के पहले सोमवार को मनाया जाता है। इसे संयुक्त राष्ट्र की ओर से कस्बों और शहरों की स्थिति के साथ-साथ सभी के पर्याप्त आश्रय के मूल अधिकार पर विचार करने के लिए मान्यता दी गई।
1985 में, संयुक्त राष्ट्र ने आवासों की स्थिति और सभी के पर्याप्त आश्रय के मूल अधिकार पर विचार करने के लिए हर साल अक्टूबर के पहले सोमवार को ‘विश्व पर्यावास दिवस’ के रूप में घोषित किया। इस दिवस का उद्देश्य दुनिया को यह याद दिलाना भी है कि हम सभी के पास अपने शहरों और कस्बों के भविष्य को आकार देने की शक्ति और जिम्मेदारी है। साथ ही, मानव आवास के भविष्य के लिए यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
विश्व पर्यावास दिवस पहली बार 1986 में ‘आश्रय मेरा अधिकार है’ थीम के साथ मनाया गया था। उस वर्ष नैरोबी इस आयोजन का मेजबान शहर था।
तीन साल बाद 1989 में ‘संयुक्त राष्ट्र-हैबिटेट स्क्रॉल ऑफ ऑनर’ पुरस्कार की शुरुआत की गई। यह वर्तमान में दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित मानव बस्ती पुरस्कार है। ‘स्क्रॉल ऑफ ऑनर’ पुरस्कार का उद्देश्य अलग-अलग क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली पहलों को मान्यता देना है।
यह पुरस्कार मानव बस्तियों और शहरी विकास के क्षेत्र में असाधारण योगदान देने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को दिया जाता है। इसमें आश्रय उपलब्ध कराने, बेघर लोगों की दुर्दशा को उजागर करने, संघर्ष के बाद पुनर्निर्माण में नेतृत्व करने और शहरी जीवन की गुणवत्ता में सुधार जैसे क्षेत्रों को शामिल किया जाता है।
इस तरह ‘विश्व आवास दिवस’ न सिर्फ एक जागरूकता दिवस है, बल्कि यह एक बेहतर, समावेशी और स्थायी शहरी भविष्य की रचना करने के लिए एक वैश्विक आह्वान है, जहां हर किसी को सम्मान के साथ जीने के लिए एक सुरक्षित आश्रय मिले।
–आईएएनएस
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