नई दिल्ली, 26 दिसंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने हिंदुत्व को विश्व शांति और समृद्धि के लिए जरूरी बताते हुए कहा है कि सामान्य से सामान्य लोगों तक हिंदुत्व की समझ को पहुंचाना एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्य है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जो लोग इसके लिए काम कर रहे हैं, उनको अपने काम की गति को बढ़ाकर इसे और ज्यादा मजबूती और अच्छे तरीके से करना पड़ेगा, तभी वो समय आएगा, जिसकी प्रतीक्षा हम सब कर रहे हैं। आंबेकर ने कहा कि हिंदुत्व को लेकर सिर्फ विद्वानों की समझ बढ़ने से ऐसा संभव नहीं हो पाएगा।
दिल्ली में हिंदुत्व- एक विमर्श पुस्तक के लोकार्पण कार्यक्रम में सुनील आंबेकर ने आजादी के बाद बनने वाली सरकारों के कामकाज पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुगल काल में तत्कालीन शासकों ने प्राचीन हिंदुत्व आधारित व्यवस्था को हर तरीके से बदल कर और ध्वस्त कर अपने तरह की व्यवस्था स्थापित कर दी। आगे चलकर ब्रिटिश काल के दौरान ब्रिटिश शासन ने भारत में अपनी व्यवस्था लागू कर दी। इसी तरह से देश के आजाद होने के चार पांच वर्षो के अंदर ही वीर शिवाजी की तरह औपनिवेशिक व्यवस्था को बदलकर अपनी व्यवस्था लागू करनी चाहिए थी, लेकिन उस समय यह काम नहीं हो पाया। अब हिंदुत्व आधारित व्यवस्था की इस समझ को ऊपर से नीचे तक गति के साथ स्थापित करने की आवश्यकता है।
संघ के नेता ने कहा कि कुछ देशों का शोषण कर दुनिया के कुछ देशों में समृद्धि आई है, लेकिन ये मॉडल दुनियाभर में नहीं चल सकता। मार्क्स का संघर्ष का विचार अधूरा है और हिंदुत्व ही सबकी प्रगति का रास्ता बन सकता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बाजार आधारित वर्तमान प्रतिस्पर्धा वाली अर्थव्यवस्था को हिंदुत्व आधारित बनाना पड़ेगा, तभी पूरी दुनिया में सबके लिए शांति और समृद्धि आ सकती है।
–आईएएनएस
एसटीपी/एसजीके
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नई दिल्ली, 26 दिसंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने हिंदुत्व को विश्व शांति और समृद्धि के लिए जरूरी बताते हुए कहा है कि सामान्य से सामान्य लोगों तक हिंदुत्व की समझ को पहुंचाना एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्य है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जो लोग इसके लिए काम कर रहे हैं, उनको अपने काम की गति को बढ़ाकर इसे और ज्यादा मजबूती और अच्छे तरीके से करना पड़ेगा, तभी वो समय आएगा, जिसकी प्रतीक्षा हम सब कर रहे हैं। आंबेकर ने कहा कि हिंदुत्व को लेकर सिर्फ विद्वानों की समझ बढ़ने से ऐसा संभव नहीं हो पाएगा।
दिल्ली में हिंदुत्व- एक विमर्श पुस्तक के लोकार्पण कार्यक्रम में सुनील आंबेकर ने आजादी के बाद बनने वाली सरकारों के कामकाज पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुगल काल में तत्कालीन शासकों ने प्राचीन हिंदुत्व आधारित व्यवस्था को हर तरीके से बदल कर और ध्वस्त कर अपने तरह की व्यवस्था स्थापित कर दी। आगे चलकर ब्रिटिश काल के दौरान ब्रिटिश शासन ने भारत में अपनी व्यवस्था लागू कर दी। इसी तरह से देश के आजाद होने के चार पांच वर्षो के अंदर ही वीर शिवाजी की तरह औपनिवेशिक व्यवस्था को बदलकर अपनी व्यवस्था लागू करनी चाहिए थी, लेकिन उस समय यह काम नहीं हो पाया। अब हिंदुत्व आधारित व्यवस्था की इस समझ को ऊपर से नीचे तक गति के साथ स्थापित करने की आवश्यकता है।
संघ के नेता ने कहा कि कुछ देशों का शोषण कर दुनिया के कुछ देशों में समृद्धि आई है, लेकिन ये मॉडल दुनियाभर में नहीं चल सकता। मार्क्स का संघर्ष का विचार अधूरा है और हिंदुत्व ही सबकी प्रगति का रास्ता बन सकता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बाजार आधारित वर्तमान प्रतिस्पर्धा वाली अर्थव्यवस्था को हिंदुत्व आधारित बनाना पड़ेगा, तभी पूरी दुनिया में सबके लिए शांति और समृद्धि आ सकती है।
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नई दिल्ली, 26 दिसंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने हिंदुत्व को विश्व शांति और समृद्धि के लिए जरूरी बताते हुए कहा है कि सामान्य से सामान्य लोगों तक हिंदुत्व की समझ को पहुंचाना एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्य है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जो लोग इसके लिए काम कर रहे हैं, उनको अपने काम की गति को बढ़ाकर इसे और ज्यादा मजबूती और अच्छे तरीके से करना पड़ेगा, तभी वो समय आएगा, जिसकी प्रतीक्षा हम सब कर रहे हैं। आंबेकर ने कहा कि हिंदुत्व को लेकर सिर्फ विद्वानों की समझ बढ़ने से ऐसा संभव नहीं हो पाएगा।
दिल्ली में हिंदुत्व- एक विमर्श पुस्तक के लोकार्पण कार्यक्रम में सुनील आंबेकर ने आजादी के बाद बनने वाली सरकारों के कामकाज पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुगल काल में तत्कालीन शासकों ने प्राचीन हिंदुत्व आधारित व्यवस्था को हर तरीके से बदल कर और ध्वस्त कर अपने तरह की व्यवस्था स्थापित कर दी। आगे चलकर ब्रिटिश काल के दौरान ब्रिटिश शासन ने भारत में अपनी व्यवस्था लागू कर दी। इसी तरह से देश के आजाद होने के चार पांच वर्षो के अंदर ही वीर शिवाजी की तरह औपनिवेशिक व्यवस्था को बदलकर अपनी व्यवस्था लागू करनी चाहिए थी, लेकिन उस समय यह काम नहीं हो पाया। अब हिंदुत्व आधारित व्यवस्था की इस समझ को ऊपर से नीचे तक गति के साथ स्थापित करने की आवश्यकता है।
संघ के नेता ने कहा कि कुछ देशों का शोषण कर दुनिया के कुछ देशों में समृद्धि आई है, लेकिन ये मॉडल दुनियाभर में नहीं चल सकता। मार्क्स का संघर्ष का विचार अधूरा है और हिंदुत्व ही सबकी प्रगति का रास्ता बन सकता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बाजार आधारित वर्तमान प्रतिस्पर्धा वाली अर्थव्यवस्था को हिंदुत्व आधारित बनाना पड़ेगा, तभी पूरी दुनिया में सबके लिए शांति और समृद्धि आ सकती है।
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नई दिल्ली, 26 दिसंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने हिंदुत्व को विश्व शांति और समृद्धि के लिए जरूरी बताते हुए कहा है कि सामान्य से सामान्य लोगों तक हिंदुत्व की समझ को पहुंचाना एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्य है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जो लोग इसके लिए काम कर रहे हैं, उनको अपने काम की गति को बढ़ाकर इसे और ज्यादा मजबूती और अच्छे तरीके से करना पड़ेगा, तभी वो समय आएगा, जिसकी प्रतीक्षा हम सब कर रहे हैं। आंबेकर ने कहा कि हिंदुत्व को लेकर सिर्फ विद्वानों की समझ बढ़ने से ऐसा संभव नहीं हो पाएगा।
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संघ के नेता ने कहा कि कुछ देशों का शोषण कर दुनिया के कुछ देशों में समृद्धि आई है, लेकिन ये मॉडल दुनियाभर में नहीं चल सकता। मार्क्स का संघर्ष का विचार अधूरा है और हिंदुत्व ही सबकी प्रगति का रास्ता बन सकता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बाजार आधारित वर्तमान प्रतिस्पर्धा वाली अर्थव्यवस्था को हिंदुत्व आधारित बनाना पड़ेगा, तभी पूरी दुनिया में सबके लिए शांति और समृद्धि आ सकती है।
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नई दिल्ली, 26 दिसंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने हिंदुत्व को विश्व शांति और समृद्धि के लिए जरूरी बताते हुए कहा है कि सामान्य से सामान्य लोगों तक हिंदुत्व की समझ को पहुंचाना एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्य है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जो लोग इसके लिए काम कर रहे हैं, उनको अपने काम की गति को बढ़ाकर इसे और ज्यादा मजबूती और अच्छे तरीके से करना पड़ेगा, तभी वो समय आएगा, जिसकी प्रतीक्षा हम सब कर रहे हैं। आंबेकर ने कहा कि हिंदुत्व को लेकर सिर्फ विद्वानों की समझ बढ़ने से ऐसा संभव नहीं हो पाएगा।
दिल्ली में हिंदुत्व- एक विमर्श पुस्तक के लोकार्पण कार्यक्रम में सुनील आंबेकर ने आजादी के बाद बनने वाली सरकारों के कामकाज पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुगल काल में तत्कालीन शासकों ने प्राचीन हिंदुत्व आधारित व्यवस्था को हर तरीके से बदल कर और ध्वस्त कर अपने तरह की व्यवस्था स्थापित कर दी। आगे चलकर ब्रिटिश काल के दौरान ब्रिटिश शासन ने भारत में अपनी व्यवस्था लागू कर दी। इसी तरह से देश के आजाद होने के चार पांच वर्षो के अंदर ही वीर शिवाजी की तरह औपनिवेशिक व्यवस्था को बदलकर अपनी व्यवस्था लागू करनी चाहिए थी, लेकिन उस समय यह काम नहीं हो पाया। अब हिंदुत्व आधारित व्यवस्था की इस समझ को ऊपर से नीचे तक गति के साथ स्थापित करने की आवश्यकता है।
संघ के नेता ने कहा कि कुछ देशों का शोषण कर दुनिया के कुछ देशों में समृद्धि आई है, लेकिन ये मॉडल दुनियाभर में नहीं चल सकता। मार्क्स का संघर्ष का विचार अधूरा है और हिंदुत्व ही सबकी प्रगति का रास्ता बन सकता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बाजार आधारित वर्तमान प्रतिस्पर्धा वाली अर्थव्यवस्था को हिंदुत्व आधारित बनाना पड़ेगा, तभी पूरी दुनिया में सबके लिए शांति और समृद्धि आ सकती है।
–आईएएनएस
एसटीपी/एसजीके
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नई दिल्ली, 26 दिसंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने हिंदुत्व को विश्व शांति और समृद्धि के लिए जरूरी बताते हुए कहा है कि सामान्य से सामान्य लोगों तक हिंदुत्व की समझ को पहुंचाना एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्य है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जो लोग इसके लिए काम कर रहे हैं, उनको अपने काम की गति को बढ़ाकर इसे और ज्यादा मजबूती और अच्छे तरीके से करना पड़ेगा, तभी वो समय आएगा, जिसकी प्रतीक्षा हम सब कर रहे हैं। आंबेकर ने कहा कि हिंदुत्व को लेकर सिर्फ विद्वानों की समझ बढ़ने से ऐसा संभव नहीं हो पाएगा।
दिल्ली में हिंदुत्व- एक विमर्श पुस्तक के लोकार्पण कार्यक्रम में सुनील आंबेकर ने आजादी के बाद बनने वाली सरकारों के कामकाज पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुगल काल में तत्कालीन शासकों ने प्राचीन हिंदुत्व आधारित व्यवस्था को हर तरीके से बदल कर और ध्वस्त कर अपने तरह की व्यवस्था स्थापित कर दी। आगे चलकर ब्रिटिश काल के दौरान ब्रिटिश शासन ने भारत में अपनी व्यवस्था लागू कर दी। इसी तरह से देश के आजाद होने के चार पांच वर्षो के अंदर ही वीर शिवाजी की तरह औपनिवेशिक व्यवस्था को बदलकर अपनी व्यवस्था लागू करनी चाहिए थी, लेकिन उस समय यह काम नहीं हो पाया। अब हिंदुत्व आधारित व्यवस्था की इस समझ को ऊपर से नीचे तक गति के साथ स्थापित करने की आवश्यकता है।
संघ के नेता ने कहा कि कुछ देशों का शोषण कर दुनिया के कुछ देशों में समृद्धि आई है, लेकिन ये मॉडल दुनियाभर में नहीं चल सकता। मार्क्स का संघर्ष का विचार अधूरा है और हिंदुत्व ही सबकी प्रगति का रास्ता बन सकता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बाजार आधारित वर्तमान प्रतिस्पर्धा वाली अर्थव्यवस्था को हिंदुत्व आधारित बनाना पड़ेगा, तभी पूरी दुनिया में सबके लिए शांति और समृद्धि आ सकती है।