वृंदावन, 12 मार्च (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के ब्रज में होली का उल्लास चरम पर पहुंच चुका है। राधा-कृष्ण की प्रेम भक्ति में डूबे श्रद्धालु हर ओर रंगों की बौछार में सराबोर नजर आ रहे हैं। इस पावन अवसर पर वृंदावन के प्रसिद्ध राधा वल्लभ मंदिर में विशेष उत्सव का आयोजन किया गया, जहां ठाकुर जी पर चढ़ाए गए प्रसाद का रंग भक्तों पर बरसाया गया।
राधा वल्लभ मंदिर का प्रांगण रंगों से गूंज उठा। मंदिर में अबीर और गुलाल की छटा बिखरी हुई थी, और हर दिशा से श्रद्धालु रंगों में रंगते हुए श्री राधा और श्री कृष्ण की भक्ति में लीन थे। सेवायत गोस्वामियों ने जब रंगों की वर्षा शुरू की, तो मंदिर परिसर में उपस्थित भक्तगण आनंदित हो उठे और राधारानी तथा श्री कृष्ण के नाम पर नृत्य करने लगे। ‘राधे-राधे’ और ‘बांके बिहारी लाल की जय’ के उद्घोष से पूरा वातावरण भक्ति और उल्लास से भर गया।
इस दौरान देश-विदेश से आए भक्तगण इस अनोखी होली का आनंद ले रहे थे। उनकी आंखों में दिव्य प्रेम और उल्लास की झलक साफ नजर आ रही थी। श्रद्धालुओं का मानना है कि वृंदावन की होली का रंग ईश्वरीय प्रेम से जुड़ा होता है, जो उन्हें एक अद्वितीय आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति कराता है।
वृंदावन की होली को केवल एक पर्व के रूप में नहीं, बल्कि एक गहरी भक्ति और प्रेम के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इस अवसर पर मंदिर में संकीर्तन, भजन-कीर्तन और नृत्य की भी विशेष व्यवस्था की गई थी, जिसमें भक्तगण भाग लेकर अपनी भक्ति को नृत्य और गायन के माध्यम से व्यक्त कर रहे थे। वहीं, सुरक्षा के दृष्टिकोण से प्रशासन पूरी तरह सतर्क था। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर प्रशासन ने सभी आवश्यक प्रबंध किए थे, ताकि भक्तगण बिना किसी परेशानी के इस पवित्र उत्सव का हिस्सा बन सकें।
ब्रज की होली की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और हर साल भक्तों के लिए एक अनोखा अनुभव लेकर आती है। राधा वल्लभ मंदिर में आयोजित इस होली उत्सव ने भक्तों को ईश्वरीय प्रेम और रंगों के संगम में पूरी तरह डुबो दिया, जिससे हर कोई राधा-कृष्ण की भक्ति में पूरी तरह रमा हुआ महसूस कर रहा था।
गौरांगी शरण दास महाराज ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “राधा वल्लभ लाल की तो बसंत पंचमी से होली शुरू हो गई है और वह धीरे-धीरे अपने चरम पर पहुंच गई है। जिस दिन होली जलती है, वह हमारा अंतिम दिन होता है। होली के दिन रात्रि में समाज में जो पद चल रहे होते हैं, उसमें फाग की विदाई होती है। इस समय टेसू के रंगों से बनाया हुआ रंग सभी पर डाला जाता है। देखने में यह रंग ऐसा लगता है मानो प्रिया लाल राधा वल्लभ लाल अपना प्यार और प्रेम भक्तों पर बरसा रहे हों। होली प्रेम का त्योहार है, यहां प्रेम ही लुटाया जाता है और प्रेम ही लूटा जाता है।”
–आईएएनएस
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