ग्रेटर नोएडा, 7 अगस्त (आईएएनएस)। दादरी नोएडा गाजियाबाद इन्वेस्टमेंट रीजन (डीएनजीआईआर) यानी न्यू नोएडा, पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए एक नया वरदान साबित होगा।
इसमें ग्रेटर नोएडा, खुर्जा, बुलंदशहर प्राधिकरण के करीब 88 गांव शामिल हो रहे हैं, जिनसे भूमि अधिग्रहण करके इसका निर्माण किया जाएगा। न्यू नोएडा 203 वर्ग किमी में बसेगा और इसका मास्टर प्लान 2041 के तहत तैयार हो रहा है।
इसके पहले फेज के निर्माण में करीब 8,500 करोड़ की लागत आएगी और पहले फेज में 50 हजार लोगों को रोजगार मिलेंगे।
मिली जानकारी के मुताबिक अडानी समूह इसमें पहले इन्वेस्टर के रूप में भाग लेगा। वेस्ट यूपी में निवेश का केंद्र अब दादरी नोएडा गाजियाबाद इनवेस्टमेंट रीजन होगा।
डीएनजीआईआर नोएडा, बुलंदशहर और दादरी के 88 गांवों की जमीन अधिग्रहीत कर बसाया जाएगा। इसकी जिम्मेदारी स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्ट को दी गई है। इसे 13 अगस्त को नोएडा अथॉरिटी की 210वीं बोर्ड बैठक में पास किया जाएगा।
डीएनजीआईआर करीब 21 हजार हेक्टेयर (203 वर्ग किमी) में बसाया जाएगा। 21 हजार हेक्टेयर का ब्रेकअप किया गया है। जिसमें 8 हजार हेक्टेयर जमीन औद्योगिक निवेश के लिए रिजर्व की गई है।
यहां सबसे पहले अडानी ग्रुप आएगा, जो 5,000 करोड़ का निवेश करेगा। इसके अलावा यहां रेजिडेंशियल, कॉमर्शियल, पीएसपी इंस्टीट्यूशनल, फैसिलिटी/यूटिलिटी, इंडस्ट्री, ग्रीन पार्क/ओपेन एरिया, रिक्रेशनल और वाटर बॉडी, ट्रैफिक और ट्रांसपोर्टेशन भी होगा।
इसकी कुल आबादी 6 लाख मानी जा रही है। जिसमें 3.5 लाख की आबादी माइग्रेट होगी। जिनके लिए ईडब्ल्यूएस, एलआईजी, एमआईजी और एचआईजी यूनिट बनाई जाएगी। इसके अलावा कुल रेजिडेंशियल एरिया 2 हजार हेक्टेयर से ज्यादा होगा।
डीएनजीआईआर को चार चरणों में विकसित किया जाएगा। पहले चरण में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 8,500 करोड़ रुपये से अधिक की जरूरत है। जिसमें 3,000 हेक्टेयर जमीन शामिल है।
पहले चरण में अनुमानित रूप से 40,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा, जिससे 50,000 से अधिक लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
डीएनजीआईआर में भूमि अधिग्रहण और आंतरिक विकास के लिए 1,000 करोड़ रुपये बजट आवंटित किया गया है। राशि इस साल फरवरी में यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान साइन किए गए एमओयू के लिए नोएडा प्राधिकरण की भूमि आवश्यकताओं को पूरा करेगी।
अधिकारियों के अनुसार, मांग करने वाली कंपनियों को “स्मार्ट” भौतिक बुनियादी ढांचे वाले शहर डीएनजीआईआर में आवंटन दिया जाएगा। इस प्रोजेक्ट को शिकागो इंडस्ट्रियल हब के रूप में विकसित किया जाएगा। शिकागो इंडस्ट्रियल हब मुख्यता सड़क, रेलवे, हवाई मार्गों से जुड़ा है। जिससे निवेशकों को बेहतर विकल्प मिलते हैं।
डीएनजीआईआर के मास्टर प्लान के तहत अलग-अलग योजनाओं के लिए जमीन का ब्रेकअप किया गया है। जिसके मुताबिक रेजिडेंशियल 2477 हेक्टेयर, कॉमर्शियल 905.97, पीएसपी इंस्टीट्यूशनल 1682.15, फैसिलिटी/यूटिलिटी 198.85, इंडस्ट्री 8811, ग्रीन पार्क/ओपेन एरिया 3173.94, रिक्रेशनल 420.60, वाटर बॉडी 150.65 ट्रैफिक और ट्रांसपोटेशन 3282.59 के लिए हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई है।
इस बार किसी प्रोजेक्ट में ऐसा होगा की लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत किसानों से उनकी जमीन ली जाएगी। लैंड पूल नीति के तहत भू-स्वामी को 5 वर्ष तक अथवा विकसित भूखंड प्राप्त होने तक क्षतिपूर्ति के आधार पर मासिक रूप से मुआवजा 5,000 रुपए प्रति एकड़ प्रतिमाह होगा।
योजना के तहत पूलिग में दी गई भूमि का 25 प्रतिशत भू-स्वामी को आवंटित की जाएगी। विकसित भूमि का 80 प्रतिशत भूमि औद्योगिक उपयोग के लिए, जो कम से कम 450 वर्गमीटर का होगा, 12 प्रतिशत उपयोग आवासीय जो कम से कम 172 वर्ग मीटर, वहीं, 8 प्रतिशत उपयोग व्यवसायिक के लिए जो कम से कम 48 वर्ग मीटर का होगा, दिया जाएगा।
जहां न्यूनतम आकार भी भूमि से कम भू-स्वामी को आवंटित होगी, वहां उन मामलों में भू-स्वामी द्वारा अतिरिक्त भूमि मानकों के अनुसार खरीदी जा सकेगी। लाटरी के जरिए भू-स्वामियों को विकसित भूखंड आवंटित किए जाएंगे।
लैंड पूल नीति में बाई-बैक का प्रावधान नहीं होगा। आवंटित भूमि पर मास्टर प्लान, बिल्डिंग बॉयलॉज, स्वीकृत जोनल प्लान, लीज डीड की शर्तें मान्य होगी। भू-स्वामी के लिए स्टांप ड्यूटी देय नहीं होगी। लेकिन, प्राधिकरण को पंजीकरण शुल्क देना होगा।
विकसित भूखंडों पर जल आपूर्ति, सीवरेज, बिजली, कचरा निष्पादन निस्तारण का प्रावधान किया जाएगा। इन भूखंडों के रखरखाव की जिम्मेदारी प्राधिकरण की होगी।
–आईएएनएस
पीकेटी/एबीएम
ग्रेटर नोएडा, 7 अगस्त (आईएएनएस)। दादरी नोएडा गाजियाबाद इन्वेस्टमेंट रीजन (डीएनजीआईआर) यानी न्यू नोएडा, पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए एक नया वरदान साबित होगा।
इसमें ग्रेटर नोएडा, खुर्जा, बुलंदशहर प्राधिकरण के करीब 88 गांव शामिल हो रहे हैं, जिनसे भूमि अधिग्रहण करके इसका निर्माण किया जाएगा। न्यू नोएडा 203 वर्ग किमी में बसेगा और इसका मास्टर प्लान 2041 के तहत तैयार हो रहा है।
इसके पहले फेज के निर्माण में करीब 8,500 करोड़ की लागत आएगी और पहले फेज में 50 हजार लोगों को रोजगार मिलेंगे।
मिली जानकारी के मुताबिक अडानी समूह इसमें पहले इन्वेस्टर के रूप में भाग लेगा। वेस्ट यूपी में निवेश का केंद्र अब दादरी नोएडा गाजियाबाद इनवेस्टमेंट रीजन होगा।
डीएनजीआईआर नोएडा, बुलंदशहर और दादरी के 88 गांवों की जमीन अधिग्रहीत कर बसाया जाएगा। इसकी जिम्मेदारी स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्ट को दी गई है। इसे 13 अगस्त को नोएडा अथॉरिटी की 210वीं बोर्ड बैठक में पास किया जाएगा।
डीएनजीआईआर करीब 21 हजार हेक्टेयर (203 वर्ग किमी) में बसाया जाएगा। 21 हजार हेक्टेयर का ब्रेकअप किया गया है। जिसमें 8 हजार हेक्टेयर जमीन औद्योगिक निवेश के लिए रिजर्व की गई है।
यहां सबसे पहले अडानी ग्रुप आएगा, जो 5,000 करोड़ का निवेश करेगा। इसके अलावा यहां रेजिडेंशियल, कॉमर्शियल, पीएसपी इंस्टीट्यूशनल, फैसिलिटी/यूटिलिटी, इंडस्ट्री, ग्रीन पार्क/ओपेन एरिया, रिक्रेशनल और वाटर बॉडी, ट्रैफिक और ट्रांसपोर्टेशन भी होगा।
इसकी कुल आबादी 6 लाख मानी जा रही है। जिसमें 3.5 लाख की आबादी माइग्रेट होगी। जिनके लिए ईडब्ल्यूएस, एलआईजी, एमआईजी और एचआईजी यूनिट बनाई जाएगी। इसके अलावा कुल रेजिडेंशियल एरिया 2 हजार हेक्टेयर से ज्यादा होगा।
डीएनजीआईआर को चार चरणों में विकसित किया जाएगा। पहले चरण में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 8,500 करोड़ रुपये से अधिक की जरूरत है। जिसमें 3,000 हेक्टेयर जमीन शामिल है।
पहले चरण में अनुमानित रूप से 40,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा, जिससे 50,000 से अधिक लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
डीएनजीआईआर में भूमि अधिग्रहण और आंतरिक विकास के लिए 1,000 करोड़ रुपये बजट आवंटित किया गया है। राशि इस साल फरवरी में यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान साइन किए गए एमओयू के लिए नोएडा प्राधिकरण की भूमि आवश्यकताओं को पूरा करेगी।
अधिकारियों के अनुसार, मांग करने वाली कंपनियों को “स्मार्ट” भौतिक बुनियादी ढांचे वाले शहर डीएनजीआईआर में आवंटन दिया जाएगा। इस प्रोजेक्ट को शिकागो इंडस्ट्रियल हब के रूप में विकसित किया जाएगा। शिकागो इंडस्ट्रियल हब मुख्यता सड़क, रेलवे, हवाई मार्गों से जुड़ा है। जिससे निवेशकों को बेहतर विकल्प मिलते हैं।
डीएनजीआईआर के मास्टर प्लान के तहत अलग-अलग योजनाओं के लिए जमीन का ब्रेकअप किया गया है। जिसके मुताबिक रेजिडेंशियल 2477 हेक्टेयर, कॉमर्शियल 905.97, पीएसपी इंस्टीट्यूशनल 1682.15, फैसिलिटी/यूटिलिटी 198.85, इंडस्ट्री 8811, ग्रीन पार्क/ओपेन एरिया 3173.94, रिक्रेशनल 420.60, वाटर बॉडी 150.65 ट्रैफिक और ट्रांसपोटेशन 3282.59 के लिए हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई है।
इस बार किसी प्रोजेक्ट में ऐसा होगा की लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत किसानों से उनकी जमीन ली जाएगी। लैंड पूल नीति के तहत भू-स्वामी को 5 वर्ष तक अथवा विकसित भूखंड प्राप्त होने तक क्षतिपूर्ति के आधार पर मासिक रूप से मुआवजा 5,000 रुपए प्रति एकड़ प्रतिमाह होगा।
योजना के तहत पूलिग में दी गई भूमि का 25 प्रतिशत भू-स्वामी को आवंटित की जाएगी। विकसित भूमि का 80 प्रतिशत भूमि औद्योगिक उपयोग के लिए, जो कम से कम 450 वर्गमीटर का होगा, 12 प्रतिशत उपयोग आवासीय जो कम से कम 172 वर्ग मीटर, वहीं, 8 प्रतिशत उपयोग व्यवसायिक के लिए जो कम से कम 48 वर्ग मीटर का होगा, दिया जाएगा।
जहां न्यूनतम आकार भी भूमि से कम भू-स्वामी को आवंटित होगी, वहां उन मामलों में भू-स्वामी द्वारा अतिरिक्त भूमि मानकों के अनुसार खरीदी जा सकेगी। लाटरी के जरिए भू-स्वामियों को विकसित भूखंड आवंटित किए जाएंगे।
लैंड पूल नीति में बाई-बैक का प्रावधान नहीं होगा। आवंटित भूमि पर मास्टर प्लान, बिल्डिंग बॉयलॉज, स्वीकृत जोनल प्लान, लीज डीड की शर्तें मान्य होगी। भू-स्वामी के लिए स्टांप ड्यूटी देय नहीं होगी। लेकिन, प्राधिकरण को पंजीकरण शुल्क देना होगा।
विकसित भूखंडों पर जल आपूर्ति, सीवरेज, बिजली, कचरा निष्पादन निस्तारण का प्रावधान किया जाएगा। इन भूखंडों के रखरखाव की जिम्मेदारी प्राधिकरण की होगी।
–आईएएनएस
पीकेटी/एबीएम