बेलगावी (कर्नाटक), 10 दिसंबर (आईएएनएस)। जब भारत का स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था तब बेलगावी, बीजापुर, धारवाड़ और करवार समेत इस क्षेत्र ने ब्रिटिश शासकों के खिलाफ पूरी ताकत और एकता के साथ लड़ाई लड़ी थी। स्थानीय लोगों ने कहा है कि भाषा के विवाद का कोई तत्व नहीं था।
मराठी, कन्नड़ और उर्दू भाषी लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। 1924 में बेलगावी के तिलकवाडी में कांग्रेस का 39वां अधिवेशन हुआ। जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी। अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मोहम्मद अली जिन्ना और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने भाग लिया और सभा को संबोधित किया।
तिलकवाडी का नाम विजयनगर रखा गया और लाखों प्रतिभागियों के लिए पानी की सुविधा की व्यवस्था करने के लिए एक कुआं का निर्माण कराया गया। जिसे कांग्रेस का कुआं कहा जाता है। एसएम कृष्णा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय इस ऐतिहासिक स्थान को गार्डन के रूप में ऊंचा किया गया और इसका नाम वीर सौधा रखा गया। हर साल इस ऐतिहासिक पल को याद करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कन्नड़ कार्यकर्ताओं का कहना है कि दिग्गज गायक गंगूभाई हंगल ने दिग्गज हस्तियों के सामने उदयवागली नम्मा चेलुवा कन्नड़ नाडू गाया, जिसका शाब्दिक अर्थ कर्नाटक की खूबसूरत भूमि को उभरने दें है। उनका कहना है कि गीत को लेकर कोई विवाद नहीं था और वीर सौधा अभी भी तिलकवाड़ी क्षेत्र में भाषाओं की तर्ज पर लोगों के बीच तनाव के बीच खड़ा है। बेलगावी में ज्यादातर लोग द्विभाषी हैं। यहां के लोग कन्नड़ और कन्नडिगा मराठी बहुत अच्छे से बोलते हैं। वह बिना किसी कलह के आपस में भाई चारे के साथ रखते हैं।
बेलगावी को कुंदनगरी के नाम से भी जाना जाता है। कुंडा एक ट्रेडमार्क मिठाई है जो विशेष रूप से बेलगावी में उपलब्ध है। इसके लिए मराठा और कन्नडिगा गर्व महसूस करते हैं। मिठाई को कई देशों में निर्यात भी किया जाता है, इसका आविष्कार यहां बसे राजस्थान के एक परिवार ने किया था।
जिले का कर्नाटक की राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव है क्योंकि यह 17 तालुकों, 18 विधानसभा क्षेत्रों और तीन संसदीय सीटों वाला सबसे बड़ा जिला है। इंजीनियरिंग के एक छात्र तरुण ने कहा कि यह क्षेत्र ज्यादातर समय हिंसा की किसी न किसी घटना से प्रभावित रहता है। शांति अच्छी है लेकिन इसमें समय लगता है।
यह देखना होगा कि क्या यह शहर आजादी से पहले के दिनों की तरह फिर से खड़ा हो पाएगा या नहीं, जहां लोगों के बीच सद्भाव और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की भावना के अलावा कुछ नहीं था।
–आईएएनएस
एफजेड/एएनएम
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बेलगावी (कर्नाटक), 10 दिसंबर (आईएएनएस)। जब भारत का स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था तब बेलगावी, बीजापुर, धारवाड़ और करवार समेत इस क्षेत्र ने ब्रिटिश शासकों के खिलाफ पूरी ताकत और एकता के साथ लड़ाई लड़ी थी। स्थानीय लोगों ने कहा है कि भाषा के विवाद का कोई तत्व नहीं था।
मराठी, कन्नड़ और उर्दू भाषी लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। 1924 में बेलगावी के तिलकवाडी में कांग्रेस का 39वां अधिवेशन हुआ। जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी। अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मोहम्मद अली जिन्ना और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने भाग लिया और सभा को संबोधित किया।
तिलकवाडी का नाम विजयनगर रखा गया और लाखों प्रतिभागियों के लिए पानी की सुविधा की व्यवस्था करने के लिए एक कुआं का निर्माण कराया गया। जिसे कांग्रेस का कुआं कहा जाता है। एसएम कृष्णा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय इस ऐतिहासिक स्थान को गार्डन के रूप में ऊंचा किया गया और इसका नाम वीर सौधा रखा गया। हर साल इस ऐतिहासिक पल को याद करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कन्नड़ कार्यकर्ताओं का कहना है कि दिग्गज गायक गंगूभाई हंगल ने दिग्गज हस्तियों के सामने उदयवागली नम्मा चेलुवा कन्नड़ नाडू गाया, जिसका शाब्दिक अर्थ कर्नाटक की खूबसूरत भूमि को उभरने दें है। उनका कहना है कि गीत को लेकर कोई विवाद नहीं था और वीर सौधा अभी भी तिलकवाड़ी क्षेत्र में भाषाओं की तर्ज पर लोगों के बीच तनाव के बीच खड़ा है। बेलगावी में ज्यादातर लोग द्विभाषी हैं। यहां के लोग कन्नड़ और कन्नडिगा मराठी बहुत अच्छे से बोलते हैं। वह बिना किसी कलह के आपस में भाई चारे के साथ रखते हैं।
बेलगावी को कुंदनगरी के नाम से भी जाना जाता है। कुंडा एक ट्रेडमार्क मिठाई है जो विशेष रूप से बेलगावी में उपलब्ध है। इसके लिए मराठा और कन्नडिगा गर्व महसूस करते हैं। मिठाई को कई देशों में निर्यात भी किया जाता है, इसका आविष्कार यहां बसे राजस्थान के एक परिवार ने किया था।
जिले का कर्नाटक की राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव है क्योंकि यह 17 तालुकों, 18 विधानसभा क्षेत्रों और तीन संसदीय सीटों वाला सबसे बड़ा जिला है। इंजीनियरिंग के एक छात्र तरुण ने कहा कि यह क्षेत्र ज्यादातर समय हिंसा की किसी न किसी घटना से प्रभावित रहता है। शांति अच्छी है लेकिन इसमें समय लगता है।
यह देखना होगा कि क्या यह शहर आजादी से पहले के दिनों की तरह फिर से खड़ा हो पाएगा या नहीं, जहां लोगों के बीच सद्भाव और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की भावना के अलावा कुछ नहीं था।
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बेलगावी (कर्नाटक), 10 दिसंबर (आईएएनएस)। जब भारत का स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था तब बेलगावी, बीजापुर, धारवाड़ और करवार समेत इस क्षेत्र ने ब्रिटिश शासकों के खिलाफ पूरी ताकत और एकता के साथ लड़ाई लड़ी थी। स्थानीय लोगों ने कहा है कि भाषा के विवाद का कोई तत्व नहीं था।
मराठी, कन्नड़ और उर्दू भाषी लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। 1924 में बेलगावी के तिलकवाडी में कांग्रेस का 39वां अधिवेशन हुआ। जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी। अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मोहम्मद अली जिन्ना और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने भाग लिया और सभा को संबोधित किया।
तिलकवाडी का नाम विजयनगर रखा गया और लाखों प्रतिभागियों के लिए पानी की सुविधा की व्यवस्था करने के लिए एक कुआं का निर्माण कराया गया। जिसे कांग्रेस का कुआं कहा जाता है। एसएम कृष्णा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय इस ऐतिहासिक स्थान को गार्डन के रूप में ऊंचा किया गया और इसका नाम वीर सौधा रखा गया। हर साल इस ऐतिहासिक पल को याद करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कन्नड़ कार्यकर्ताओं का कहना है कि दिग्गज गायक गंगूभाई हंगल ने दिग्गज हस्तियों के सामने उदयवागली नम्मा चेलुवा कन्नड़ नाडू गाया, जिसका शाब्दिक अर्थ कर्नाटक की खूबसूरत भूमि को उभरने दें है। उनका कहना है कि गीत को लेकर कोई विवाद नहीं था और वीर सौधा अभी भी तिलकवाड़ी क्षेत्र में भाषाओं की तर्ज पर लोगों के बीच तनाव के बीच खड़ा है। बेलगावी में ज्यादातर लोग द्विभाषी हैं। यहां के लोग कन्नड़ और कन्नडिगा मराठी बहुत अच्छे से बोलते हैं। वह बिना किसी कलह के आपस में भाई चारे के साथ रखते हैं।
बेलगावी को कुंदनगरी के नाम से भी जाना जाता है। कुंडा एक ट्रेडमार्क मिठाई है जो विशेष रूप से बेलगावी में उपलब्ध है। इसके लिए मराठा और कन्नडिगा गर्व महसूस करते हैं। मिठाई को कई देशों में निर्यात भी किया जाता है, इसका आविष्कार यहां बसे राजस्थान के एक परिवार ने किया था।
जिले का कर्नाटक की राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव है क्योंकि यह 17 तालुकों, 18 विधानसभा क्षेत्रों और तीन संसदीय सीटों वाला सबसे बड़ा जिला है। इंजीनियरिंग के एक छात्र तरुण ने कहा कि यह क्षेत्र ज्यादातर समय हिंसा की किसी न किसी घटना से प्रभावित रहता है। शांति अच्छी है लेकिन इसमें समय लगता है।
यह देखना होगा कि क्या यह शहर आजादी से पहले के दिनों की तरह फिर से खड़ा हो पाएगा या नहीं, जहां लोगों के बीच सद्भाव और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की भावना के अलावा कुछ नहीं था।
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बेलगावी (कर्नाटक), 10 दिसंबर (आईएएनएस)। जब भारत का स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था तब बेलगावी, बीजापुर, धारवाड़ और करवार समेत इस क्षेत्र ने ब्रिटिश शासकों के खिलाफ पूरी ताकत और एकता के साथ लड़ाई लड़ी थी। स्थानीय लोगों ने कहा है कि भाषा के विवाद का कोई तत्व नहीं था।
मराठी, कन्नड़ और उर्दू भाषी लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। 1924 में बेलगावी के तिलकवाडी में कांग्रेस का 39वां अधिवेशन हुआ। जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी। अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मोहम्मद अली जिन्ना और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने भाग लिया और सभा को संबोधित किया।
तिलकवाडी का नाम विजयनगर रखा गया और लाखों प्रतिभागियों के लिए पानी की सुविधा की व्यवस्था करने के लिए एक कुआं का निर्माण कराया गया। जिसे कांग्रेस का कुआं कहा जाता है। एसएम कृष्णा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय इस ऐतिहासिक स्थान को गार्डन के रूप में ऊंचा किया गया और इसका नाम वीर सौधा रखा गया। हर साल इस ऐतिहासिक पल को याद करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कन्नड़ कार्यकर्ताओं का कहना है कि दिग्गज गायक गंगूभाई हंगल ने दिग्गज हस्तियों के सामने उदयवागली नम्मा चेलुवा कन्नड़ नाडू गाया, जिसका शाब्दिक अर्थ कर्नाटक की खूबसूरत भूमि को उभरने दें है। उनका कहना है कि गीत को लेकर कोई विवाद नहीं था और वीर सौधा अभी भी तिलकवाड़ी क्षेत्र में भाषाओं की तर्ज पर लोगों के बीच तनाव के बीच खड़ा है। बेलगावी में ज्यादातर लोग द्विभाषी हैं। यहां के लोग कन्नड़ और कन्नडिगा मराठी बहुत अच्छे से बोलते हैं। वह बिना किसी कलह के आपस में भाई चारे के साथ रखते हैं।
बेलगावी को कुंदनगरी के नाम से भी जाना जाता है। कुंडा एक ट्रेडमार्क मिठाई है जो विशेष रूप से बेलगावी में उपलब्ध है। इसके लिए मराठा और कन्नडिगा गर्व महसूस करते हैं। मिठाई को कई देशों में निर्यात भी किया जाता है, इसका आविष्कार यहां बसे राजस्थान के एक परिवार ने किया था।
जिले का कर्नाटक की राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव है क्योंकि यह 17 तालुकों, 18 विधानसभा क्षेत्रों और तीन संसदीय सीटों वाला सबसे बड़ा जिला है। इंजीनियरिंग के एक छात्र तरुण ने कहा कि यह क्षेत्र ज्यादातर समय हिंसा की किसी न किसी घटना से प्रभावित रहता है। शांति अच्छी है लेकिन इसमें समय लगता है।
यह देखना होगा कि क्या यह शहर आजादी से पहले के दिनों की तरह फिर से खड़ा हो पाएगा या नहीं, जहां लोगों के बीच सद्भाव और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की भावना के अलावा कुछ नहीं था।
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बेलगावी (कर्नाटक), 10 दिसंबर (आईएएनएस)। जब भारत का स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था तब बेलगावी, बीजापुर, धारवाड़ और करवार समेत इस क्षेत्र ने ब्रिटिश शासकों के खिलाफ पूरी ताकत और एकता के साथ लड़ाई लड़ी थी। स्थानीय लोगों ने कहा है कि भाषा के विवाद का कोई तत्व नहीं था।
मराठी, कन्नड़ और उर्दू भाषी लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। 1924 में बेलगावी के तिलकवाडी में कांग्रेस का 39वां अधिवेशन हुआ। जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी। अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मोहम्मद अली जिन्ना और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने भाग लिया और सभा को संबोधित किया।
तिलकवाडी का नाम विजयनगर रखा गया और लाखों प्रतिभागियों के लिए पानी की सुविधा की व्यवस्था करने के लिए एक कुआं का निर्माण कराया गया। जिसे कांग्रेस का कुआं कहा जाता है। एसएम कृष्णा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय इस ऐतिहासिक स्थान को गार्डन के रूप में ऊंचा किया गया और इसका नाम वीर सौधा रखा गया। हर साल इस ऐतिहासिक पल को याद करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कन्नड़ कार्यकर्ताओं का कहना है कि दिग्गज गायक गंगूभाई हंगल ने दिग्गज हस्तियों के सामने उदयवागली नम्मा चेलुवा कन्नड़ नाडू गाया, जिसका शाब्दिक अर्थ कर्नाटक की खूबसूरत भूमि को उभरने दें है। उनका कहना है कि गीत को लेकर कोई विवाद नहीं था और वीर सौधा अभी भी तिलकवाड़ी क्षेत्र में भाषाओं की तर्ज पर लोगों के बीच तनाव के बीच खड़ा है। बेलगावी में ज्यादातर लोग द्विभाषी हैं। यहां के लोग कन्नड़ और कन्नडिगा मराठी बहुत अच्छे से बोलते हैं। वह बिना किसी कलह के आपस में भाई चारे के साथ रखते हैं।
बेलगावी को कुंदनगरी के नाम से भी जाना जाता है। कुंडा एक ट्रेडमार्क मिठाई है जो विशेष रूप से बेलगावी में उपलब्ध है। इसके लिए मराठा और कन्नडिगा गर्व महसूस करते हैं। मिठाई को कई देशों में निर्यात भी किया जाता है, इसका आविष्कार यहां बसे राजस्थान के एक परिवार ने किया था।
जिले का कर्नाटक की राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव है क्योंकि यह 17 तालुकों, 18 विधानसभा क्षेत्रों और तीन संसदीय सीटों वाला सबसे बड़ा जिला है। इंजीनियरिंग के एक छात्र तरुण ने कहा कि यह क्षेत्र ज्यादातर समय हिंसा की किसी न किसी घटना से प्रभावित रहता है। शांति अच्छी है लेकिन इसमें समय लगता है।
यह देखना होगा कि क्या यह शहर आजादी से पहले के दिनों की तरह फिर से खड़ा हो पाएगा या नहीं, जहां लोगों के बीच सद्भाव और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की भावना के अलावा कुछ नहीं था।
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बेलगावी (कर्नाटक), 10 दिसंबर (आईएएनएस)। जब भारत का स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था तब बेलगावी, बीजापुर, धारवाड़ और करवार समेत इस क्षेत्र ने ब्रिटिश शासकों के खिलाफ पूरी ताकत और एकता के साथ लड़ाई लड़ी थी। स्थानीय लोगों ने कहा है कि भाषा के विवाद का कोई तत्व नहीं था।
मराठी, कन्नड़ और उर्दू भाषी लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। 1924 में बेलगावी के तिलकवाडी में कांग्रेस का 39वां अधिवेशन हुआ। जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी। अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मोहम्मद अली जिन्ना और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने भाग लिया और सभा को संबोधित किया।
तिलकवाडी का नाम विजयनगर रखा गया और लाखों प्रतिभागियों के लिए पानी की सुविधा की व्यवस्था करने के लिए एक कुआं का निर्माण कराया गया। जिसे कांग्रेस का कुआं कहा जाता है। एसएम कृष्णा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय इस ऐतिहासिक स्थान को गार्डन के रूप में ऊंचा किया गया और इसका नाम वीर सौधा रखा गया। हर साल इस ऐतिहासिक पल को याद करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कन्नड़ कार्यकर्ताओं का कहना है कि दिग्गज गायक गंगूभाई हंगल ने दिग्गज हस्तियों के सामने उदयवागली नम्मा चेलुवा कन्नड़ नाडू गाया, जिसका शाब्दिक अर्थ कर्नाटक की खूबसूरत भूमि को उभरने दें है। उनका कहना है कि गीत को लेकर कोई विवाद नहीं था और वीर सौधा अभी भी तिलकवाड़ी क्षेत्र में भाषाओं की तर्ज पर लोगों के बीच तनाव के बीच खड़ा है। बेलगावी में ज्यादातर लोग द्विभाषी हैं। यहां के लोग कन्नड़ और कन्नडिगा मराठी बहुत अच्छे से बोलते हैं। वह बिना किसी कलह के आपस में भाई चारे के साथ रखते हैं।
बेलगावी को कुंदनगरी के नाम से भी जाना जाता है। कुंडा एक ट्रेडमार्क मिठाई है जो विशेष रूप से बेलगावी में उपलब्ध है। इसके लिए मराठा और कन्नडिगा गर्व महसूस करते हैं। मिठाई को कई देशों में निर्यात भी किया जाता है, इसका आविष्कार यहां बसे राजस्थान के एक परिवार ने किया था।
जिले का कर्नाटक की राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव है क्योंकि यह 17 तालुकों, 18 विधानसभा क्षेत्रों और तीन संसदीय सीटों वाला सबसे बड़ा जिला है। इंजीनियरिंग के एक छात्र तरुण ने कहा कि यह क्षेत्र ज्यादातर समय हिंसा की किसी न किसी घटना से प्रभावित रहता है। शांति अच्छी है लेकिन इसमें समय लगता है।
यह देखना होगा कि क्या यह शहर आजादी से पहले के दिनों की तरह फिर से खड़ा हो पाएगा या नहीं, जहां लोगों के बीच सद्भाव और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की भावना के अलावा कुछ नहीं था।
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बेलगावी (कर्नाटक), 10 दिसंबर (आईएएनएस)। जब भारत का स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था तब बेलगावी, बीजापुर, धारवाड़ और करवार समेत इस क्षेत्र ने ब्रिटिश शासकों के खिलाफ पूरी ताकत और एकता के साथ लड़ाई लड़ी थी। स्थानीय लोगों ने कहा है कि भाषा के विवाद का कोई तत्व नहीं था।
मराठी, कन्नड़ और उर्दू भाषी लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। 1924 में बेलगावी के तिलकवाडी में कांग्रेस का 39वां अधिवेशन हुआ। जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी। अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मोहम्मद अली जिन्ना और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने भाग लिया और सभा को संबोधित किया।
तिलकवाडी का नाम विजयनगर रखा गया और लाखों प्रतिभागियों के लिए पानी की सुविधा की व्यवस्था करने के लिए एक कुआं का निर्माण कराया गया। जिसे कांग्रेस का कुआं कहा जाता है। एसएम कृष्णा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय इस ऐतिहासिक स्थान को गार्डन के रूप में ऊंचा किया गया और इसका नाम वीर सौधा रखा गया। हर साल इस ऐतिहासिक पल को याद करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कन्नड़ कार्यकर्ताओं का कहना है कि दिग्गज गायक गंगूभाई हंगल ने दिग्गज हस्तियों के सामने उदयवागली नम्मा चेलुवा कन्नड़ नाडू गाया, जिसका शाब्दिक अर्थ कर्नाटक की खूबसूरत भूमि को उभरने दें है। उनका कहना है कि गीत को लेकर कोई विवाद नहीं था और वीर सौधा अभी भी तिलकवाड़ी क्षेत्र में भाषाओं की तर्ज पर लोगों के बीच तनाव के बीच खड़ा है। बेलगावी में ज्यादातर लोग द्विभाषी हैं। यहां के लोग कन्नड़ और कन्नडिगा मराठी बहुत अच्छे से बोलते हैं। वह बिना किसी कलह के आपस में भाई चारे के साथ रखते हैं।
बेलगावी को कुंदनगरी के नाम से भी जाना जाता है। कुंडा एक ट्रेडमार्क मिठाई है जो विशेष रूप से बेलगावी में उपलब्ध है। इसके लिए मराठा और कन्नडिगा गर्व महसूस करते हैं। मिठाई को कई देशों में निर्यात भी किया जाता है, इसका आविष्कार यहां बसे राजस्थान के एक परिवार ने किया था।
जिले का कर्नाटक की राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव है क्योंकि यह 17 तालुकों, 18 विधानसभा क्षेत्रों और तीन संसदीय सीटों वाला सबसे बड़ा जिला है। इंजीनियरिंग के एक छात्र तरुण ने कहा कि यह क्षेत्र ज्यादातर समय हिंसा की किसी न किसी घटना से प्रभावित रहता है। शांति अच्छी है लेकिन इसमें समय लगता है।
यह देखना होगा कि क्या यह शहर आजादी से पहले के दिनों की तरह फिर से खड़ा हो पाएगा या नहीं, जहां लोगों के बीच सद्भाव और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की भावना के अलावा कुछ नहीं था।
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बेलगावी (कर्नाटक), 10 दिसंबर (आईएएनएस)। जब भारत का स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था तब बेलगावी, बीजापुर, धारवाड़ और करवार समेत इस क्षेत्र ने ब्रिटिश शासकों के खिलाफ पूरी ताकत और एकता के साथ लड़ाई लड़ी थी। स्थानीय लोगों ने कहा है कि भाषा के विवाद का कोई तत्व नहीं था।
मराठी, कन्नड़ और उर्दू भाषी लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। 1924 में बेलगावी के तिलकवाडी में कांग्रेस का 39वां अधिवेशन हुआ। जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी। अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मोहम्मद अली जिन्ना और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने भाग लिया और सभा को संबोधित किया।
तिलकवाडी का नाम विजयनगर रखा गया और लाखों प्रतिभागियों के लिए पानी की सुविधा की व्यवस्था करने के लिए एक कुआं का निर्माण कराया गया। जिसे कांग्रेस का कुआं कहा जाता है। एसएम कृष्णा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय इस ऐतिहासिक स्थान को गार्डन के रूप में ऊंचा किया गया और इसका नाम वीर सौधा रखा गया। हर साल इस ऐतिहासिक पल को याद करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कन्नड़ कार्यकर्ताओं का कहना है कि दिग्गज गायक गंगूभाई हंगल ने दिग्गज हस्तियों के सामने उदयवागली नम्मा चेलुवा कन्नड़ नाडू गाया, जिसका शाब्दिक अर्थ कर्नाटक की खूबसूरत भूमि को उभरने दें है। उनका कहना है कि गीत को लेकर कोई विवाद नहीं था और वीर सौधा अभी भी तिलकवाड़ी क्षेत्र में भाषाओं की तर्ज पर लोगों के बीच तनाव के बीच खड़ा है। बेलगावी में ज्यादातर लोग द्विभाषी हैं। यहां के लोग कन्नड़ और कन्नडिगा मराठी बहुत अच्छे से बोलते हैं। वह बिना किसी कलह के आपस में भाई चारे के साथ रखते हैं।
बेलगावी को कुंदनगरी के नाम से भी जाना जाता है। कुंडा एक ट्रेडमार्क मिठाई है जो विशेष रूप से बेलगावी में उपलब्ध है। इसके लिए मराठा और कन्नडिगा गर्व महसूस करते हैं। मिठाई को कई देशों में निर्यात भी किया जाता है, इसका आविष्कार यहां बसे राजस्थान के एक परिवार ने किया था।
जिले का कर्नाटक की राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव है क्योंकि यह 17 तालुकों, 18 विधानसभा क्षेत्रों और तीन संसदीय सीटों वाला सबसे बड़ा जिला है। इंजीनियरिंग के एक छात्र तरुण ने कहा कि यह क्षेत्र ज्यादातर समय हिंसा की किसी न किसी घटना से प्रभावित रहता है। शांति अच्छी है लेकिन इसमें समय लगता है।
यह देखना होगा कि क्या यह शहर आजादी से पहले के दिनों की तरह फिर से खड़ा हो पाएगा या नहीं, जहां लोगों के बीच सद्भाव और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की भावना के अलावा कुछ नहीं था।
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बेलगावी (कर्नाटक), 10 दिसंबर (आईएएनएस)। जब भारत का स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था तब बेलगावी, बीजापुर, धारवाड़ और करवार समेत इस क्षेत्र ने ब्रिटिश शासकों के खिलाफ पूरी ताकत और एकता के साथ लड़ाई लड़ी थी। स्थानीय लोगों ने कहा है कि भाषा के विवाद का कोई तत्व नहीं था।
मराठी, कन्नड़ और उर्दू भाषी लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। 1924 में बेलगावी के तिलकवाडी में कांग्रेस का 39वां अधिवेशन हुआ। जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी। अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मोहम्मद अली जिन्ना और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने भाग लिया और सभा को संबोधित किया।
तिलकवाडी का नाम विजयनगर रखा गया और लाखों प्रतिभागियों के लिए पानी की सुविधा की व्यवस्था करने के लिए एक कुआं का निर्माण कराया गया। जिसे कांग्रेस का कुआं कहा जाता है। एसएम कृष्णा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय इस ऐतिहासिक स्थान को गार्डन के रूप में ऊंचा किया गया और इसका नाम वीर सौधा रखा गया। हर साल इस ऐतिहासिक पल को याद करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कन्नड़ कार्यकर्ताओं का कहना है कि दिग्गज गायक गंगूभाई हंगल ने दिग्गज हस्तियों के सामने उदयवागली नम्मा चेलुवा कन्नड़ नाडू गाया, जिसका शाब्दिक अर्थ कर्नाटक की खूबसूरत भूमि को उभरने दें है। उनका कहना है कि गीत को लेकर कोई विवाद नहीं था और वीर सौधा अभी भी तिलकवाड़ी क्षेत्र में भाषाओं की तर्ज पर लोगों के बीच तनाव के बीच खड़ा है। बेलगावी में ज्यादातर लोग द्विभाषी हैं। यहां के लोग कन्नड़ और कन्नडिगा मराठी बहुत अच्छे से बोलते हैं। वह बिना किसी कलह के आपस में भाई चारे के साथ रखते हैं।
बेलगावी को कुंदनगरी के नाम से भी जाना जाता है। कुंडा एक ट्रेडमार्क मिठाई है जो विशेष रूप से बेलगावी में उपलब्ध है। इसके लिए मराठा और कन्नडिगा गर्व महसूस करते हैं। मिठाई को कई देशों में निर्यात भी किया जाता है, इसका आविष्कार यहां बसे राजस्थान के एक परिवार ने किया था।
जिले का कर्नाटक की राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव है क्योंकि यह 17 तालुकों, 18 विधानसभा क्षेत्रों और तीन संसदीय सीटों वाला सबसे बड़ा जिला है। इंजीनियरिंग के एक छात्र तरुण ने कहा कि यह क्षेत्र ज्यादातर समय हिंसा की किसी न किसी घटना से प्रभावित रहता है। शांति अच्छी है लेकिन इसमें समय लगता है।
यह देखना होगा कि क्या यह शहर आजादी से पहले के दिनों की तरह फिर से खड़ा हो पाएगा या नहीं, जहां लोगों के बीच सद्भाव और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की भावना के अलावा कुछ नहीं था।
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बेलगावी (कर्नाटक), 10 दिसंबर (आईएएनएस)। जब भारत का स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था तब बेलगावी, बीजापुर, धारवाड़ और करवार समेत इस क्षेत्र ने ब्रिटिश शासकों के खिलाफ पूरी ताकत और एकता के साथ लड़ाई लड़ी थी। स्थानीय लोगों ने कहा है कि भाषा के विवाद का कोई तत्व नहीं था।
मराठी, कन्नड़ और उर्दू भाषी लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। 1924 में बेलगावी के तिलकवाडी में कांग्रेस का 39वां अधिवेशन हुआ। जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी। अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मोहम्मद अली जिन्ना और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने भाग लिया और सभा को संबोधित किया।
तिलकवाडी का नाम विजयनगर रखा गया और लाखों प्रतिभागियों के लिए पानी की सुविधा की व्यवस्था करने के लिए एक कुआं का निर्माण कराया गया। जिसे कांग्रेस का कुआं कहा जाता है। एसएम कृष्णा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय इस ऐतिहासिक स्थान को गार्डन के रूप में ऊंचा किया गया और इसका नाम वीर सौधा रखा गया। हर साल इस ऐतिहासिक पल को याद करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कन्नड़ कार्यकर्ताओं का कहना है कि दिग्गज गायक गंगूभाई हंगल ने दिग्गज हस्तियों के सामने उदयवागली नम्मा चेलुवा कन्नड़ नाडू गाया, जिसका शाब्दिक अर्थ कर्नाटक की खूबसूरत भूमि को उभरने दें है। उनका कहना है कि गीत को लेकर कोई विवाद नहीं था और वीर सौधा अभी भी तिलकवाड़ी क्षेत्र में भाषाओं की तर्ज पर लोगों के बीच तनाव के बीच खड़ा है। बेलगावी में ज्यादातर लोग द्विभाषी हैं। यहां के लोग कन्नड़ और कन्नडिगा मराठी बहुत अच्छे से बोलते हैं। वह बिना किसी कलह के आपस में भाई चारे के साथ रखते हैं।
बेलगावी को कुंदनगरी के नाम से भी जाना जाता है। कुंडा एक ट्रेडमार्क मिठाई है जो विशेष रूप से बेलगावी में उपलब्ध है। इसके लिए मराठा और कन्नडिगा गर्व महसूस करते हैं। मिठाई को कई देशों में निर्यात भी किया जाता है, इसका आविष्कार यहां बसे राजस्थान के एक परिवार ने किया था।
जिले का कर्नाटक की राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव है क्योंकि यह 17 तालुकों, 18 विधानसभा क्षेत्रों और तीन संसदीय सीटों वाला सबसे बड़ा जिला है। इंजीनियरिंग के एक छात्र तरुण ने कहा कि यह क्षेत्र ज्यादातर समय हिंसा की किसी न किसी घटना से प्रभावित रहता है। शांति अच्छी है लेकिन इसमें समय लगता है।
यह देखना होगा कि क्या यह शहर आजादी से पहले के दिनों की तरह फिर से खड़ा हो पाएगा या नहीं, जहां लोगों के बीच सद्भाव और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की भावना के अलावा कुछ नहीं था।
–आईएएनएस
एफजेड/एएनएम
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बेलगावी (कर्नाटक), 10 दिसंबर (आईएएनएस)। जब भारत का स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था तब बेलगावी, बीजापुर, धारवाड़ और करवार समेत इस क्षेत्र ने ब्रिटिश शासकों के खिलाफ पूरी ताकत और एकता के साथ लड़ाई लड़ी थी। स्थानीय लोगों ने कहा है कि भाषा के विवाद का कोई तत्व नहीं था।
मराठी, कन्नड़ और उर्दू भाषी लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। 1924 में बेलगावी के तिलकवाडी में कांग्रेस का 39वां अधिवेशन हुआ। जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी। अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मोहम्मद अली जिन्ना और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने भाग लिया और सभा को संबोधित किया।
तिलकवाडी का नाम विजयनगर रखा गया और लाखों प्रतिभागियों के लिए पानी की सुविधा की व्यवस्था करने के लिए एक कुआं का निर्माण कराया गया। जिसे कांग्रेस का कुआं कहा जाता है। एसएम कृष्णा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय इस ऐतिहासिक स्थान को गार्डन के रूप में ऊंचा किया गया और इसका नाम वीर सौधा रखा गया। हर साल इस ऐतिहासिक पल को याद करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कन्नड़ कार्यकर्ताओं का कहना है कि दिग्गज गायक गंगूभाई हंगल ने दिग्गज हस्तियों के सामने उदयवागली नम्मा चेलुवा कन्नड़ नाडू गाया, जिसका शाब्दिक अर्थ कर्नाटक की खूबसूरत भूमि को उभरने दें है। उनका कहना है कि गीत को लेकर कोई विवाद नहीं था और वीर सौधा अभी भी तिलकवाड़ी क्षेत्र में भाषाओं की तर्ज पर लोगों के बीच तनाव के बीच खड़ा है। बेलगावी में ज्यादातर लोग द्विभाषी हैं। यहां के लोग कन्नड़ और कन्नडिगा मराठी बहुत अच्छे से बोलते हैं। वह बिना किसी कलह के आपस में भाई चारे के साथ रखते हैं।
बेलगावी को कुंदनगरी के नाम से भी जाना जाता है। कुंडा एक ट्रेडमार्क मिठाई है जो विशेष रूप से बेलगावी में उपलब्ध है। इसके लिए मराठा और कन्नडिगा गर्व महसूस करते हैं। मिठाई को कई देशों में निर्यात भी किया जाता है, इसका आविष्कार यहां बसे राजस्थान के एक परिवार ने किया था।
जिले का कर्नाटक की राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव है क्योंकि यह 17 तालुकों, 18 विधानसभा क्षेत्रों और तीन संसदीय सीटों वाला सबसे बड़ा जिला है। इंजीनियरिंग के एक छात्र तरुण ने कहा कि यह क्षेत्र ज्यादातर समय हिंसा की किसी न किसी घटना से प्रभावित रहता है। शांति अच्छी है लेकिन इसमें समय लगता है।
यह देखना होगा कि क्या यह शहर आजादी से पहले के दिनों की तरह फिर से खड़ा हो पाएगा या नहीं, जहां लोगों के बीच सद्भाव और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की भावना के अलावा कुछ नहीं था।
–आईएएनएस
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बेलगावी (कर्नाटक), 10 दिसंबर (आईएएनएस)। जब भारत का स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था तब बेलगावी, बीजापुर, धारवाड़ और करवार समेत इस क्षेत्र ने ब्रिटिश शासकों के खिलाफ पूरी ताकत और एकता के साथ लड़ाई लड़ी थी। स्थानीय लोगों ने कहा है कि भाषा के विवाद का कोई तत्व नहीं था।
मराठी, कन्नड़ और उर्दू भाषी लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। 1924 में बेलगावी के तिलकवाडी में कांग्रेस का 39वां अधिवेशन हुआ। जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी। अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मोहम्मद अली जिन्ना और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने भाग लिया और सभा को संबोधित किया।
तिलकवाडी का नाम विजयनगर रखा गया और लाखों प्रतिभागियों के लिए पानी की सुविधा की व्यवस्था करने के लिए एक कुआं का निर्माण कराया गया। जिसे कांग्रेस का कुआं कहा जाता है। एसएम कृष्णा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय इस ऐतिहासिक स्थान को गार्डन के रूप में ऊंचा किया गया और इसका नाम वीर सौधा रखा गया। हर साल इस ऐतिहासिक पल को याद करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कन्नड़ कार्यकर्ताओं का कहना है कि दिग्गज गायक गंगूभाई हंगल ने दिग्गज हस्तियों के सामने उदयवागली नम्मा चेलुवा कन्नड़ नाडू गाया, जिसका शाब्दिक अर्थ कर्नाटक की खूबसूरत भूमि को उभरने दें है। उनका कहना है कि गीत को लेकर कोई विवाद नहीं था और वीर सौधा अभी भी तिलकवाड़ी क्षेत्र में भाषाओं की तर्ज पर लोगों के बीच तनाव के बीच खड़ा है। बेलगावी में ज्यादातर लोग द्विभाषी हैं। यहां के लोग कन्नड़ और कन्नडिगा मराठी बहुत अच्छे से बोलते हैं। वह बिना किसी कलह के आपस में भाई चारे के साथ रखते हैं।
बेलगावी को कुंदनगरी के नाम से भी जाना जाता है। कुंडा एक ट्रेडमार्क मिठाई है जो विशेष रूप से बेलगावी में उपलब्ध है। इसके लिए मराठा और कन्नडिगा गर्व महसूस करते हैं। मिठाई को कई देशों में निर्यात भी किया जाता है, इसका आविष्कार यहां बसे राजस्थान के एक परिवार ने किया था।
जिले का कर्नाटक की राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव है क्योंकि यह 17 तालुकों, 18 विधानसभा क्षेत्रों और तीन संसदीय सीटों वाला सबसे बड़ा जिला है। इंजीनियरिंग के एक छात्र तरुण ने कहा कि यह क्षेत्र ज्यादातर समय हिंसा की किसी न किसी घटना से प्रभावित रहता है। शांति अच्छी है लेकिन इसमें समय लगता है।
यह देखना होगा कि क्या यह शहर आजादी से पहले के दिनों की तरह फिर से खड़ा हो पाएगा या नहीं, जहां लोगों के बीच सद्भाव और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की भावना के अलावा कुछ नहीं था।
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बेलगावी (कर्नाटक), 10 दिसंबर (आईएएनएस)। जब भारत का स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था तब बेलगावी, बीजापुर, धारवाड़ और करवार समेत इस क्षेत्र ने ब्रिटिश शासकों के खिलाफ पूरी ताकत और एकता के साथ लड़ाई लड़ी थी। स्थानीय लोगों ने कहा है कि भाषा के विवाद का कोई तत्व नहीं था।
मराठी, कन्नड़ और उर्दू भाषी लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। 1924 में बेलगावी के तिलकवाडी में कांग्रेस का 39वां अधिवेशन हुआ। जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी। अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मोहम्मद अली जिन्ना और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने भाग लिया और सभा को संबोधित किया।
तिलकवाडी का नाम विजयनगर रखा गया और लाखों प्रतिभागियों के लिए पानी की सुविधा की व्यवस्था करने के लिए एक कुआं का निर्माण कराया गया। जिसे कांग्रेस का कुआं कहा जाता है। एसएम कृष्णा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय इस ऐतिहासिक स्थान को गार्डन के रूप में ऊंचा किया गया और इसका नाम वीर सौधा रखा गया। हर साल इस ऐतिहासिक पल को याद करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कन्नड़ कार्यकर्ताओं का कहना है कि दिग्गज गायक गंगूभाई हंगल ने दिग्गज हस्तियों के सामने उदयवागली नम्मा चेलुवा कन्नड़ नाडू गाया, जिसका शाब्दिक अर्थ कर्नाटक की खूबसूरत भूमि को उभरने दें है। उनका कहना है कि गीत को लेकर कोई विवाद नहीं था और वीर सौधा अभी भी तिलकवाड़ी क्षेत्र में भाषाओं की तर्ज पर लोगों के बीच तनाव के बीच खड़ा है। बेलगावी में ज्यादातर लोग द्विभाषी हैं। यहां के लोग कन्नड़ और कन्नडिगा मराठी बहुत अच्छे से बोलते हैं। वह बिना किसी कलह के आपस में भाई चारे के साथ रखते हैं।
बेलगावी को कुंदनगरी के नाम से भी जाना जाता है। कुंडा एक ट्रेडमार्क मिठाई है जो विशेष रूप से बेलगावी में उपलब्ध है। इसके लिए मराठा और कन्नडिगा गर्व महसूस करते हैं। मिठाई को कई देशों में निर्यात भी किया जाता है, इसका आविष्कार यहां बसे राजस्थान के एक परिवार ने किया था।
जिले का कर्नाटक की राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव है क्योंकि यह 17 तालुकों, 18 विधानसभा क्षेत्रों और तीन संसदीय सीटों वाला सबसे बड़ा जिला है। इंजीनियरिंग के एक छात्र तरुण ने कहा कि यह क्षेत्र ज्यादातर समय हिंसा की किसी न किसी घटना से प्रभावित रहता है। शांति अच्छी है लेकिन इसमें समय लगता है।
यह देखना होगा कि क्या यह शहर आजादी से पहले के दिनों की तरह फिर से खड़ा हो पाएगा या नहीं, जहां लोगों के बीच सद्भाव और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की भावना के अलावा कुछ नहीं था।
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बेलगावी (कर्नाटक), 10 दिसंबर (आईएएनएस)। जब भारत का स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था तब बेलगावी, बीजापुर, धारवाड़ और करवार समेत इस क्षेत्र ने ब्रिटिश शासकों के खिलाफ पूरी ताकत और एकता के साथ लड़ाई लड़ी थी। स्थानीय लोगों ने कहा है कि भाषा के विवाद का कोई तत्व नहीं था।
मराठी, कन्नड़ और उर्दू भाषी लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। 1924 में बेलगावी के तिलकवाडी में कांग्रेस का 39वां अधिवेशन हुआ। जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी। अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मोहम्मद अली जिन्ना और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने भाग लिया और सभा को संबोधित किया।
तिलकवाडी का नाम विजयनगर रखा गया और लाखों प्रतिभागियों के लिए पानी की सुविधा की व्यवस्था करने के लिए एक कुआं का निर्माण कराया गया। जिसे कांग्रेस का कुआं कहा जाता है। एसएम कृष्णा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय इस ऐतिहासिक स्थान को गार्डन के रूप में ऊंचा किया गया और इसका नाम वीर सौधा रखा गया। हर साल इस ऐतिहासिक पल को याद करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कन्नड़ कार्यकर्ताओं का कहना है कि दिग्गज गायक गंगूभाई हंगल ने दिग्गज हस्तियों के सामने उदयवागली नम्मा चेलुवा कन्नड़ नाडू गाया, जिसका शाब्दिक अर्थ कर्नाटक की खूबसूरत भूमि को उभरने दें है। उनका कहना है कि गीत को लेकर कोई विवाद नहीं था और वीर सौधा अभी भी तिलकवाड़ी क्षेत्र में भाषाओं की तर्ज पर लोगों के बीच तनाव के बीच खड़ा है। बेलगावी में ज्यादातर लोग द्विभाषी हैं। यहां के लोग कन्नड़ और कन्नडिगा मराठी बहुत अच्छे से बोलते हैं। वह बिना किसी कलह के आपस में भाई चारे के साथ रखते हैं।
बेलगावी को कुंदनगरी के नाम से भी जाना जाता है। कुंडा एक ट्रेडमार्क मिठाई है जो विशेष रूप से बेलगावी में उपलब्ध है। इसके लिए मराठा और कन्नडिगा गर्व महसूस करते हैं। मिठाई को कई देशों में निर्यात भी किया जाता है, इसका आविष्कार यहां बसे राजस्थान के एक परिवार ने किया था।
जिले का कर्नाटक की राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव है क्योंकि यह 17 तालुकों, 18 विधानसभा क्षेत्रों और तीन संसदीय सीटों वाला सबसे बड़ा जिला है। इंजीनियरिंग के एक छात्र तरुण ने कहा कि यह क्षेत्र ज्यादातर समय हिंसा की किसी न किसी घटना से प्रभावित रहता है। शांति अच्छी है लेकिन इसमें समय लगता है।
यह देखना होगा कि क्या यह शहर आजादी से पहले के दिनों की तरह फिर से खड़ा हो पाएगा या नहीं, जहां लोगों के बीच सद्भाव और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की भावना के अलावा कुछ नहीं था।
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मराठी, कन्नड़ और उर्दू भाषी लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। 1924 में बेलगावी के तिलकवाडी में कांग्रेस का 39वां अधिवेशन हुआ। जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी। अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मोहम्मद अली जिन्ना और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने भाग लिया और सभा को संबोधित किया।
तिलकवाडी का नाम विजयनगर रखा गया और लाखों प्रतिभागियों के लिए पानी की सुविधा की व्यवस्था करने के लिए एक कुआं का निर्माण कराया गया। जिसे कांग्रेस का कुआं कहा जाता है। एसएम कृष्णा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय इस ऐतिहासिक स्थान को गार्डन के रूप में ऊंचा किया गया और इसका नाम वीर सौधा रखा गया। हर साल इस ऐतिहासिक पल को याद करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कन्नड़ कार्यकर्ताओं का कहना है कि दिग्गज गायक गंगूभाई हंगल ने दिग्गज हस्तियों के सामने उदयवागली नम्मा चेलुवा कन्नड़ नाडू गाया, जिसका शाब्दिक अर्थ कर्नाटक की खूबसूरत भूमि को उभरने दें है। उनका कहना है कि गीत को लेकर कोई विवाद नहीं था और वीर सौधा अभी भी तिलकवाड़ी क्षेत्र में भाषाओं की तर्ज पर लोगों के बीच तनाव के बीच खड़ा है। बेलगावी में ज्यादातर लोग द्विभाषी हैं। यहां के लोग कन्नड़ और कन्नडिगा मराठी बहुत अच्छे से बोलते हैं। वह बिना किसी कलह के आपस में भाई चारे के साथ रखते हैं।
बेलगावी को कुंदनगरी के नाम से भी जाना जाता है। कुंडा एक ट्रेडमार्क मिठाई है जो विशेष रूप से बेलगावी में उपलब्ध है। इसके लिए मराठा और कन्नडिगा गर्व महसूस करते हैं। मिठाई को कई देशों में निर्यात भी किया जाता है, इसका आविष्कार यहां बसे राजस्थान के एक परिवार ने किया था।
जिले का कर्नाटक की राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव है क्योंकि यह 17 तालुकों, 18 विधानसभा क्षेत्रों और तीन संसदीय सीटों वाला सबसे बड़ा जिला है। इंजीनियरिंग के एक छात्र तरुण ने कहा कि यह क्षेत्र ज्यादातर समय हिंसा की किसी न किसी घटना से प्रभावित रहता है। शांति अच्छी है लेकिन इसमें समय लगता है।
यह देखना होगा कि क्या यह शहर आजादी से पहले के दिनों की तरह फिर से खड़ा हो पाएगा या नहीं, जहां लोगों के बीच सद्भाव और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की भावना के अलावा कुछ नहीं था।
–आईएएनएस
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बेलगावी (कर्नाटक), 10 दिसंबर (आईएएनएस)। जब भारत का स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था तब बेलगावी, बीजापुर, धारवाड़ और करवार समेत इस क्षेत्र ने ब्रिटिश शासकों के खिलाफ पूरी ताकत और एकता के साथ लड़ाई लड़ी थी। स्थानीय लोगों ने कहा है कि भाषा के विवाद का कोई तत्व नहीं था।
मराठी, कन्नड़ और उर्दू भाषी लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। 1924 में बेलगावी के तिलकवाडी में कांग्रेस का 39वां अधिवेशन हुआ। जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी। अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मोहम्मद अली जिन्ना और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने भाग लिया और सभा को संबोधित किया।
तिलकवाडी का नाम विजयनगर रखा गया और लाखों प्रतिभागियों के लिए पानी की सुविधा की व्यवस्था करने के लिए एक कुआं का निर्माण कराया गया। जिसे कांग्रेस का कुआं कहा जाता है। एसएम कृष्णा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय इस ऐतिहासिक स्थान को गार्डन के रूप में ऊंचा किया गया और इसका नाम वीर सौधा रखा गया। हर साल इस ऐतिहासिक पल को याद करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कन्नड़ कार्यकर्ताओं का कहना है कि दिग्गज गायक गंगूभाई हंगल ने दिग्गज हस्तियों के सामने उदयवागली नम्मा चेलुवा कन्नड़ नाडू गाया, जिसका शाब्दिक अर्थ कर्नाटक की खूबसूरत भूमि को उभरने दें है। उनका कहना है कि गीत को लेकर कोई विवाद नहीं था और वीर सौधा अभी भी तिलकवाड़ी क्षेत्र में भाषाओं की तर्ज पर लोगों के बीच तनाव के बीच खड़ा है। बेलगावी में ज्यादातर लोग द्विभाषी हैं। यहां के लोग कन्नड़ और कन्नडिगा मराठी बहुत अच्छे से बोलते हैं। वह बिना किसी कलह के आपस में भाई चारे के साथ रखते हैं।
बेलगावी को कुंदनगरी के नाम से भी जाना जाता है। कुंडा एक ट्रेडमार्क मिठाई है जो विशेष रूप से बेलगावी में उपलब्ध है। इसके लिए मराठा और कन्नडिगा गर्व महसूस करते हैं। मिठाई को कई देशों में निर्यात भी किया जाता है, इसका आविष्कार यहां बसे राजस्थान के एक परिवार ने किया था।
जिले का कर्नाटक की राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव है क्योंकि यह 17 तालुकों, 18 विधानसभा क्षेत्रों और तीन संसदीय सीटों वाला सबसे बड़ा जिला है। इंजीनियरिंग के एक छात्र तरुण ने कहा कि यह क्षेत्र ज्यादातर समय हिंसा की किसी न किसी घटना से प्रभावित रहता है। शांति अच्छी है लेकिन इसमें समय लगता है।
यह देखना होगा कि क्या यह शहर आजादी से पहले के दिनों की तरह फिर से खड़ा हो पाएगा या नहीं, जहां लोगों के बीच सद्भाव और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की भावना के अलावा कुछ नहीं था।