deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home ताज़ा समाचार

वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क की गतिविधि को किया डिकोड, अवसाद के इलाज में मिल सकती है मदद

by
November 24, 2024
in ताज़ा समाचार
0
0
SHARES
2
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

न्यूयॉर्क, 24 नवंबर (आईएएनएस)। वैज्ञानिकों की एक टीम ने मस्तिष्क के ऐसे नए हिस्सों का पता लगाया है, जो सामाजिक संपर्कों (सोशल इंटरेक्शन) में मदद करते हैं। ये हिस्से पुराने हिस्से, जैसे एमिग्डाला (जो डर और भावनाओं से जुड़ा होता है) से जुड़े रहते हैं और हमेशा आपस में संपर्क में रहते हैं। इस खोज से चिंता और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं का इलाज करने में मदद मिल सकती है।

READ ALSO

पीएम मत्स्य संपदा योजना से हरिद्वार के किसान की बढ़ी आय, भूदेव सिंह ने प्रधानमंत्री का किया धन्यवाद

दिल्ली की सीएम ने ‘बीजेपी दिल्ली विन-मोदी की गारंटी’ पुस्तक का विमोचन किया, महिलाओं की भूमिका को सराहा

अमेरिका के शिकागो स्थित नॉर्थवेस्टर्न मेडिसिन के एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बेहतर ढंग से यह जानने की कोशिश की कि इंसान कैसे इतने माहिर हो गए कि वे दूसरों के दिमाग (मस्तिष्क) में क्या चल रहा है, इसके बारे में सोच सकें। यह अध्ययन साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

वरिष्ठ लेखक रोड्रिगो ब्रागा ने कहा, “हम बहुत समय यह सोचने में बिताते हैं कि ‘वह व्यक्ति क्या महसूस कर रहा है, क्या सोच रहा है? क्या मैंने उसे परेशान करने वाली कोई बात कही है?”

मस्तिष्क के वे भाग जो हमें ऐसा करने की अनुमति देते हैं, मानव मस्तिष्क के उन क्षेत्रों में हैं जो हमारे विकास में हाल ही में विस्तारित हुए हैं और इसका अर्थ है कि यह एक हाल ही में विकसित प्रक्रिया है।

ब्रागा ने आगे कहा, “आप खुद को किसी दूसरे के दिमाग में रखकर यह अनुमान लगा रहे हैं कि वह व्यक्ति क्या सोच रहा है, जबकि आप वास्तव में यह नहीं जान सकते।”

इस अध्ययन में यह पाया गया कि मस्तिष्क के हाल ही में विकसित और उन्नत हिस्से, जो सामाजिक इंटरएक्शन को सपोर्ट करते हैं, उन्हें सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क कहा जाता है, और ये मस्तिष्क के एक प्राचीन हिस्से एमिग्डाला से जुड़े होते हैं और उनके बीच लगातार संपर्क बना रहता है।

एमिग्डाला को “लिजर्ड मस्तिष्क” के रूप में जाना जाता है जौ आमतौर पर खतरों का पता लगाने और डर को प्रोसेस करने से जुड़ा हुआ है।

ब्रागा ने कहा कि “एमिग्डाला सामाजिक व्यवहारों जैसे पालन-पोषण, आक्रामकता और सामाजिक-प्रभुत्व पदानुक्रमों (क्रमबद्ध व्यवस्था) के संचालन के लिए जिम्मेदार है। अध्ययनों में एमिग्डाला और सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क की सह-क्रियाशीलता पाई गई थी, लेकिन “हमारा अध्ययन नया है क्योंकि यह दिखाता है कि यह संचार हमेशा हो रहा है।”

एमिग्डाला के भीतर एक विशेष हिस्सा होता है जिसे ‘मेडियल न्यूक्लियस’ कहा जाता है, और यह सामाजिक व्यवहारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

यह अध्ययन पहला था जिसने दिखाया कि एमिग्डाला का मेडियल न्यूक्लियस नए विकसित सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है, जो दूसरों के बारे में सोचने से संबंधित होते हैं।

वैज्ञानिकों ने कहा कि एमिग्डाला से जुड़ाव सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क के कार्य को आकार देने में मदद करता है, क्योंकि यह उसे एमिग्डाला की भूमिका तक पहुंच प्रदान करता है, जो भावनात्मक रूप से महत्वपूर्ण सामग्री को प्रोसेस करने से संबंधित होती है।

चिंता और अवसाद दोनों में एमिग्डाला की ज्यादा सक्रियता होती है, जो अत्यधिक भावनाओं और उनके नियंत्रण में मुश्किलें पैदा कर सकती है।

लेखकों ने कहा कि इस अध्ययन के निष्कर्षों के साथ, एक कम हानिकारक प्रक्रिया, ट्रांस-क्रानियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (टीएमएस), इस मस्तिष्क संबंध के बारे में जानकारी का उपयोग करके उपचार को बेहतर बना सकती है।

–आईएएनएस

एफजेड/केआर

ADVERTISEMENT

न्यूयॉर्क, 24 नवंबर (आईएएनएस)। वैज्ञानिकों की एक टीम ने मस्तिष्क के ऐसे नए हिस्सों का पता लगाया है, जो सामाजिक संपर्कों (सोशल इंटरेक्शन) में मदद करते हैं। ये हिस्से पुराने हिस्से, जैसे एमिग्डाला (जो डर और भावनाओं से जुड़ा होता है) से जुड़े रहते हैं और हमेशा आपस में संपर्क में रहते हैं। इस खोज से चिंता और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं का इलाज करने में मदद मिल सकती है।

अमेरिका के शिकागो स्थित नॉर्थवेस्टर्न मेडिसिन के एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बेहतर ढंग से यह जानने की कोशिश की कि इंसान कैसे इतने माहिर हो गए कि वे दूसरों के दिमाग (मस्तिष्क) में क्या चल रहा है, इसके बारे में सोच सकें। यह अध्ययन साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

वरिष्ठ लेखक रोड्रिगो ब्रागा ने कहा, “हम बहुत समय यह सोचने में बिताते हैं कि ‘वह व्यक्ति क्या महसूस कर रहा है, क्या सोच रहा है? क्या मैंने उसे परेशान करने वाली कोई बात कही है?”

मस्तिष्क के वे भाग जो हमें ऐसा करने की अनुमति देते हैं, मानव मस्तिष्क के उन क्षेत्रों में हैं जो हमारे विकास में हाल ही में विस्तारित हुए हैं और इसका अर्थ है कि यह एक हाल ही में विकसित प्रक्रिया है।

ब्रागा ने आगे कहा, “आप खुद को किसी दूसरे के दिमाग में रखकर यह अनुमान लगा रहे हैं कि वह व्यक्ति क्या सोच रहा है, जबकि आप वास्तव में यह नहीं जान सकते।”

इस अध्ययन में यह पाया गया कि मस्तिष्क के हाल ही में विकसित और उन्नत हिस्से, जो सामाजिक इंटरएक्शन को सपोर्ट करते हैं, उन्हें सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क कहा जाता है, और ये मस्तिष्क के एक प्राचीन हिस्से एमिग्डाला से जुड़े होते हैं और उनके बीच लगातार संपर्क बना रहता है।

एमिग्डाला को “लिजर्ड मस्तिष्क” के रूप में जाना जाता है जौ आमतौर पर खतरों का पता लगाने और डर को प्रोसेस करने से जुड़ा हुआ है।

ब्रागा ने कहा कि “एमिग्डाला सामाजिक व्यवहारों जैसे पालन-पोषण, आक्रामकता और सामाजिक-प्रभुत्व पदानुक्रमों (क्रमबद्ध व्यवस्था) के संचालन के लिए जिम्मेदार है। अध्ययनों में एमिग्डाला और सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क की सह-क्रियाशीलता पाई गई थी, लेकिन “हमारा अध्ययन नया है क्योंकि यह दिखाता है कि यह संचार हमेशा हो रहा है।”

एमिग्डाला के भीतर एक विशेष हिस्सा होता है जिसे ‘मेडियल न्यूक्लियस’ कहा जाता है, और यह सामाजिक व्यवहारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

यह अध्ययन पहला था जिसने दिखाया कि एमिग्डाला का मेडियल न्यूक्लियस नए विकसित सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है, जो दूसरों के बारे में सोचने से संबंधित होते हैं।

वैज्ञानिकों ने कहा कि एमिग्डाला से जुड़ाव सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क के कार्य को आकार देने में मदद करता है, क्योंकि यह उसे एमिग्डाला की भूमिका तक पहुंच प्रदान करता है, जो भावनात्मक रूप से महत्वपूर्ण सामग्री को प्रोसेस करने से संबंधित होती है।

चिंता और अवसाद दोनों में एमिग्डाला की ज्यादा सक्रियता होती है, जो अत्यधिक भावनाओं और उनके नियंत्रण में मुश्किलें पैदा कर सकती है।

लेखकों ने कहा कि इस अध्ययन के निष्कर्षों के साथ, एक कम हानिकारक प्रक्रिया, ट्रांस-क्रानियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (टीएमएस), इस मस्तिष्क संबंध के बारे में जानकारी का उपयोग करके उपचार को बेहतर बना सकती है।

–आईएएनएस

एफजेड/केआर

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

न्यूयॉर्क, 24 नवंबर (आईएएनएस)। वैज्ञानिकों की एक टीम ने मस्तिष्क के ऐसे नए हिस्सों का पता लगाया है, जो सामाजिक संपर्कों (सोशल इंटरेक्शन) में मदद करते हैं। ये हिस्से पुराने हिस्से, जैसे एमिग्डाला (जो डर और भावनाओं से जुड़ा होता है) से जुड़े रहते हैं और हमेशा आपस में संपर्क में रहते हैं। इस खोज से चिंता और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं का इलाज करने में मदद मिल सकती है।

अमेरिका के शिकागो स्थित नॉर्थवेस्टर्न मेडिसिन के एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बेहतर ढंग से यह जानने की कोशिश की कि इंसान कैसे इतने माहिर हो गए कि वे दूसरों के दिमाग (मस्तिष्क) में क्या चल रहा है, इसके बारे में सोच सकें। यह अध्ययन साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

वरिष्ठ लेखक रोड्रिगो ब्रागा ने कहा, “हम बहुत समय यह सोचने में बिताते हैं कि ‘वह व्यक्ति क्या महसूस कर रहा है, क्या सोच रहा है? क्या मैंने उसे परेशान करने वाली कोई बात कही है?”

मस्तिष्क के वे भाग जो हमें ऐसा करने की अनुमति देते हैं, मानव मस्तिष्क के उन क्षेत्रों में हैं जो हमारे विकास में हाल ही में विस्तारित हुए हैं और इसका अर्थ है कि यह एक हाल ही में विकसित प्रक्रिया है।

ब्रागा ने आगे कहा, “आप खुद को किसी दूसरे के दिमाग में रखकर यह अनुमान लगा रहे हैं कि वह व्यक्ति क्या सोच रहा है, जबकि आप वास्तव में यह नहीं जान सकते।”

इस अध्ययन में यह पाया गया कि मस्तिष्क के हाल ही में विकसित और उन्नत हिस्से, जो सामाजिक इंटरएक्शन को सपोर्ट करते हैं, उन्हें सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क कहा जाता है, और ये मस्तिष्क के एक प्राचीन हिस्से एमिग्डाला से जुड़े होते हैं और उनके बीच लगातार संपर्क बना रहता है।

एमिग्डाला को “लिजर्ड मस्तिष्क” के रूप में जाना जाता है जौ आमतौर पर खतरों का पता लगाने और डर को प्रोसेस करने से जुड़ा हुआ है।

ब्रागा ने कहा कि “एमिग्डाला सामाजिक व्यवहारों जैसे पालन-पोषण, आक्रामकता और सामाजिक-प्रभुत्व पदानुक्रमों (क्रमबद्ध व्यवस्था) के संचालन के लिए जिम्मेदार है। अध्ययनों में एमिग्डाला और सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क की सह-क्रियाशीलता पाई गई थी, लेकिन “हमारा अध्ययन नया है क्योंकि यह दिखाता है कि यह संचार हमेशा हो रहा है।”

एमिग्डाला के भीतर एक विशेष हिस्सा होता है जिसे ‘मेडियल न्यूक्लियस’ कहा जाता है, और यह सामाजिक व्यवहारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

यह अध्ययन पहला था जिसने दिखाया कि एमिग्डाला का मेडियल न्यूक्लियस नए विकसित सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है, जो दूसरों के बारे में सोचने से संबंधित होते हैं।

वैज्ञानिकों ने कहा कि एमिग्डाला से जुड़ाव सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क के कार्य को आकार देने में मदद करता है, क्योंकि यह उसे एमिग्डाला की भूमिका तक पहुंच प्रदान करता है, जो भावनात्मक रूप से महत्वपूर्ण सामग्री को प्रोसेस करने से संबंधित होती है।

चिंता और अवसाद दोनों में एमिग्डाला की ज्यादा सक्रियता होती है, जो अत्यधिक भावनाओं और उनके नियंत्रण में मुश्किलें पैदा कर सकती है।

लेखकों ने कहा कि इस अध्ययन के निष्कर्षों के साथ, एक कम हानिकारक प्रक्रिया, ट्रांस-क्रानियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (टीएमएस), इस मस्तिष्क संबंध के बारे में जानकारी का उपयोग करके उपचार को बेहतर बना सकती है।

–आईएएनएस

एफजेड/केआर

ADVERTISEMENT

न्यूयॉर्क, 24 नवंबर (आईएएनएस)। वैज्ञानिकों की एक टीम ने मस्तिष्क के ऐसे नए हिस्सों का पता लगाया है, जो सामाजिक संपर्कों (सोशल इंटरेक्शन) में मदद करते हैं। ये हिस्से पुराने हिस्से, जैसे एमिग्डाला (जो डर और भावनाओं से जुड़ा होता है) से जुड़े रहते हैं और हमेशा आपस में संपर्क में रहते हैं। इस खोज से चिंता और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं का इलाज करने में मदद मिल सकती है।

अमेरिका के शिकागो स्थित नॉर्थवेस्टर्न मेडिसिन के एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बेहतर ढंग से यह जानने की कोशिश की कि इंसान कैसे इतने माहिर हो गए कि वे दूसरों के दिमाग (मस्तिष्क) में क्या चल रहा है, इसके बारे में सोच सकें। यह अध्ययन साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

वरिष्ठ लेखक रोड्रिगो ब्रागा ने कहा, “हम बहुत समय यह सोचने में बिताते हैं कि ‘वह व्यक्ति क्या महसूस कर रहा है, क्या सोच रहा है? क्या मैंने उसे परेशान करने वाली कोई बात कही है?”

मस्तिष्क के वे भाग जो हमें ऐसा करने की अनुमति देते हैं, मानव मस्तिष्क के उन क्षेत्रों में हैं जो हमारे विकास में हाल ही में विस्तारित हुए हैं और इसका अर्थ है कि यह एक हाल ही में विकसित प्रक्रिया है।

ब्रागा ने आगे कहा, “आप खुद को किसी दूसरे के दिमाग में रखकर यह अनुमान लगा रहे हैं कि वह व्यक्ति क्या सोच रहा है, जबकि आप वास्तव में यह नहीं जान सकते।”

इस अध्ययन में यह पाया गया कि मस्तिष्क के हाल ही में विकसित और उन्नत हिस्से, जो सामाजिक इंटरएक्शन को सपोर्ट करते हैं, उन्हें सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क कहा जाता है, और ये मस्तिष्क के एक प्राचीन हिस्से एमिग्डाला से जुड़े होते हैं और उनके बीच लगातार संपर्क बना रहता है।

एमिग्डाला को “लिजर्ड मस्तिष्क” के रूप में जाना जाता है जौ आमतौर पर खतरों का पता लगाने और डर को प्रोसेस करने से जुड़ा हुआ है।

ब्रागा ने कहा कि “एमिग्डाला सामाजिक व्यवहारों जैसे पालन-पोषण, आक्रामकता और सामाजिक-प्रभुत्व पदानुक्रमों (क्रमबद्ध व्यवस्था) के संचालन के लिए जिम्मेदार है। अध्ययनों में एमिग्डाला और सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क की सह-क्रियाशीलता पाई गई थी, लेकिन “हमारा अध्ययन नया है क्योंकि यह दिखाता है कि यह संचार हमेशा हो रहा है।”

एमिग्डाला के भीतर एक विशेष हिस्सा होता है जिसे ‘मेडियल न्यूक्लियस’ कहा जाता है, और यह सामाजिक व्यवहारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

यह अध्ययन पहला था जिसने दिखाया कि एमिग्डाला का मेडियल न्यूक्लियस नए विकसित सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है, जो दूसरों के बारे में सोचने से संबंधित होते हैं।

वैज्ञानिकों ने कहा कि एमिग्डाला से जुड़ाव सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क के कार्य को आकार देने में मदद करता है, क्योंकि यह उसे एमिग्डाला की भूमिका तक पहुंच प्रदान करता है, जो भावनात्मक रूप से महत्वपूर्ण सामग्री को प्रोसेस करने से संबंधित होती है।

चिंता और अवसाद दोनों में एमिग्डाला की ज्यादा सक्रियता होती है, जो अत्यधिक भावनाओं और उनके नियंत्रण में मुश्किलें पैदा कर सकती है।

लेखकों ने कहा कि इस अध्ययन के निष्कर्षों के साथ, एक कम हानिकारक प्रक्रिया, ट्रांस-क्रानियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (टीएमएस), इस मस्तिष्क संबंध के बारे में जानकारी का उपयोग करके उपचार को बेहतर बना सकती है।

–आईएएनएस

एफजेड/केआर

ADVERTISEMENT

न्यूयॉर्क, 24 नवंबर (आईएएनएस)। वैज्ञानिकों की एक टीम ने मस्तिष्क के ऐसे नए हिस्सों का पता लगाया है, जो सामाजिक संपर्कों (सोशल इंटरेक्शन) में मदद करते हैं। ये हिस्से पुराने हिस्से, जैसे एमिग्डाला (जो डर और भावनाओं से जुड़ा होता है) से जुड़े रहते हैं और हमेशा आपस में संपर्क में रहते हैं। इस खोज से चिंता और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं का इलाज करने में मदद मिल सकती है।

अमेरिका के शिकागो स्थित नॉर्थवेस्टर्न मेडिसिन के एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बेहतर ढंग से यह जानने की कोशिश की कि इंसान कैसे इतने माहिर हो गए कि वे दूसरों के दिमाग (मस्तिष्क) में क्या चल रहा है, इसके बारे में सोच सकें। यह अध्ययन साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

वरिष्ठ लेखक रोड्रिगो ब्रागा ने कहा, “हम बहुत समय यह सोचने में बिताते हैं कि ‘वह व्यक्ति क्या महसूस कर रहा है, क्या सोच रहा है? क्या मैंने उसे परेशान करने वाली कोई बात कही है?”

मस्तिष्क के वे भाग जो हमें ऐसा करने की अनुमति देते हैं, मानव मस्तिष्क के उन क्षेत्रों में हैं जो हमारे विकास में हाल ही में विस्तारित हुए हैं और इसका अर्थ है कि यह एक हाल ही में विकसित प्रक्रिया है।

ब्रागा ने आगे कहा, “आप खुद को किसी दूसरे के दिमाग में रखकर यह अनुमान लगा रहे हैं कि वह व्यक्ति क्या सोच रहा है, जबकि आप वास्तव में यह नहीं जान सकते।”

इस अध्ययन में यह पाया गया कि मस्तिष्क के हाल ही में विकसित और उन्नत हिस्से, जो सामाजिक इंटरएक्शन को सपोर्ट करते हैं, उन्हें सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क कहा जाता है, और ये मस्तिष्क के एक प्राचीन हिस्से एमिग्डाला से जुड़े होते हैं और उनके बीच लगातार संपर्क बना रहता है।

एमिग्डाला को “लिजर्ड मस्तिष्क” के रूप में जाना जाता है जौ आमतौर पर खतरों का पता लगाने और डर को प्रोसेस करने से जुड़ा हुआ है।

ब्रागा ने कहा कि “एमिग्डाला सामाजिक व्यवहारों जैसे पालन-पोषण, आक्रामकता और सामाजिक-प्रभुत्व पदानुक्रमों (क्रमबद्ध व्यवस्था) के संचालन के लिए जिम्मेदार है। अध्ययनों में एमिग्डाला और सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क की सह-क्रियाशीलता पाई गई थी, लेकिन “हमारा अध्ययन नया है क्योंकि यह दिखाता है कि यह संचार हमेशा हो रहा है।”

एमिग्डाला के भीतर एक विशेष हिस्सा होता है जिसे ‘मेडियल न्यूक्लियस’ कहा जाता है, और यह सामाजिक व्यवहारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

यह अध्ययन पहला था जिसने दिखाया कि एमिग्डाला का मेडियल न्यूक्लियस नए विकसित सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है, जो दूसरों के बारे में सोचने से संबंधित होते हैं।

वैज्ञानिकों ने कहा कि एमिग्डाला से जुड़ाव सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क के कार्य को आकार देने में मदद करता है, क्योंकि यह उसे एमिग्डाला की भूमिका तक पहुंच प्रदान करता है, जो भावनात्मक रूप से महत्वपूर्ण सामग्री को प्रोसेस करने से संबंधित होती है।

चिंता और अवसाद दोनों में एमिग्डाला की ज्यादा सक्रियता होती है, जो अत्यधिक भावनाओं और उनके नियंत्रण में मुश्किलें पैदा कर सकती है।

लेखकों ने कहा कि इस अध्ययन के निष्कर्षों के साथ, एक कम हानिकारक प्रक्रिया, ट्रांस-क्रानियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (टीएमएस), इस मस्तिष्क संबंध के बारे में जानकारी का उपयोग करके उपचार को बेहतर बना सकती है।

–आईएएनएस

एफजेड/केआर

ADVERTISEMENT

न्यूयॉर्क, 24 नवंबर (आईएएनएस)। वैज्ञानिकों की एक टीम ने मस्तिष्क के ऐसे नए हिस्सों का पता लगाया है, जो सामाजिक संपर्कों (सोशल इंटरेक्शन) में मदद करते हैं। ये हिस्से पुराने हिस्से, जैसे एमिग्डाला (जो डर और भावनाओं से जुड़ा होता है) से जुड़े रहते हैं और हमेशा आपस में संपर्क में रहते हैं। इस खोज से चिंता और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं का इलाज करने में मदद मिल सकती है।

अमेरिका के शिकागो स्थित नॉर्थवेस्टर्न मेडिसिन के एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बेहतर ढंग से यह जानने की कोशिश की कि इंसान कैसे इतने माहिर हो गए कि वे दूसरों के दिमाग (मस्तिष्क) में क्या चल रहा है, इसके बारे में सोच सकें। यह अध्ययन साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

वरिष्ठ लेखक रोड्रिगो ब्रागा ने कहा, “हम बहुत समय यह सोचने में बिताते हैं कि ‘वह व्यक्ति क्या महसूस कर रहा है, क्या सोच रहा है? क्या मैंने उसे परेशान करने वाली कोई बात कही है?”

मस्तिष्क के वे भाग जो हमें ऐसा करने की अनुमति देते हैं, मानव मस्तिष्क के उन क्षेत्रों में हैं जो हमारे विकास में हाल ही में विस्तारित हुए हैं और इसका अर्थ है कि यह एक हाल ही में विकसित प्रक्रिया है।

ब्रागा ने आगे कहा, “आप खुद को किसी दूसरे के दिमाग में रखकर यह अनुमान लगा रहे हैं कि वह व्यक्ति क्या सोच रहा है, जबकि आप वास्तव में यह नहीं जान सकते।”

इस अध्ययन में यह पाया गया कि मस्तिष्क के हाल ही में विकसित और उन्नत हिस्से, जो सामाजिक इंटरएक्शन को सपोर्ट करते हैं, उन्हें सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क कहा जाता है, और ये मस्तिष्क के एक प्राचीन हिस्से एमिग्डाला से जुड़े होते हैं और उनके बीच लगातार संपर्क बना रहता है।

एमिग्डाला को “लिजर्ड मस्तिष्क” के रूप में जाना जाता है जौ आमतौर पर खतरों का पता लगाने और डर को प्रोसेस करने से जुड़ा हुआ है।

ब्रागा ने कहा कि “एमिग्डाला सामाजिक व्यवहारों जैसे पालन-पोषण, आक्रामकता और सामाजिक-प्रभुत्व पदानुक्रमों (क्रमबद्ध व्यवस्था) के संचालन के लिए जिम्मेदार है। अध्ययनों में एमिग्डाला और सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क की सह-क्रियाशीलता पाई गई थी, लेकिन “हमारा अध्ययन नया है क्योंकि यह दिखाता है कि यह संचार हमेशा हो रहा है।”

एमिग्डाला के भीतर एक विशेष हिस्सा होता है जिसे ‘मेडियल न्यूक्लियस’ कहा जाता है, और यह सामाजिक व्यवहारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

यह अध्ययन पहला था जिसने दिखाया कि एमिग्डाला का मेडियल न्यूक्लियस नए विकसित सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है, जो दूसरों के बारे में सोचने से संबंधित होते हैं।

वैज्ञानिकों ने कहा कि एमिग्डाला से जुड़ाव सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क के कार्य को आकार देने में मदद करता है, क्योंकि यह उसे एमिग्डाला की भूमिका तक पहुंच प्रदान करता है, जो भावनात्मक रूप से महत्वपूर्ण सामग्री को प्रोसेस करने से संबंधित होती है।

चिंता और अवसाद दोनों में एमिग्डाला की ज्यादा सक्रियता होती है, जो अत्यधिक भावनाओं और उनके नियंत्रण में मुश्किलें पैदा कर सकती है।

लेखकों ने कहा कि इस अध्ययन के निष्कर्षों के साथ, एक कम हानिकारक प्रक्रिया, ट्रांस-क्रानियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (टीएमएस), इस मस्तिष्क संबंध के बारे में जानकारी का उपयोग करके उपचार को बेहतर बना सकती है।

–आईएएनएस

एफजेड/केआर

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

न्यूयॉर्क, 24 नवंबर (आईएएनएस)। वैज्ञानिकों की एक टीम ने मस्तिष्क के ऐसे नए हिस्सों का पता लगाया है, जो सामाजिक संपर्कों (सोशल इंटरेक्शन) में मदद करते हैं। ये हिस्से पुराने हिस्से, जैसे एमिग्डाला (जो डर और भावनाओं से जुड़ा होता है) से जुड़े रहते हैं और हमेशा आपस में संपर्क में रहते हैं। इस खोज से चिंता और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं का इलाज करने में मदद मिल सकती है।

अमेरिका के शिकागो स्थित नॉर्थवेस्टर्न मेडिसिन के एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बेहतर ढंग से यह जानने की कोशिश की कि इंसान कैसे इतने माहिर हो गए कि वे दूसरों के दिमाग (मस्तिष्क) में क्या चल रहा है, इसके बारे में सोच सकें। यह अध्ययन साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

वरिष्ठ लेखक रोड्रिगो ब्रागा ने कहा, “हम बहुत समय यह सोचने में बिताते हैं कि ‘वह व्यक्ति क्या महसूस कर रहा है, क्या सोच रहा है? क्या मैंने उसे परेशान करने वाली कोई बात कही है?”

मस्तिष्क के वे भाग जो हमें ऐसा करने की अनुमति देते हैं, मानव मस्तिष्क के उन क्षेत्रों में हैं जो हमारे विकास में हाल ही में विस्तारित हुए हैं और इसका अर्थ है कि यह एक हाल ही में विकसित प्रक्रिया है।

ब्रागा ने आगे कहा, “आप खुद को किसी दूसरे के दिमाग में रखकर यह अनुमान लगा रहे हैं कि वह व्यक्ति क्या सोच रहा है, जबकि आप वास्तव में यह नहीं जान सकते।”

इस अध्ययन में यह पाया गया कि मस्तिष्क के हाल ही में विकसित और उन्नत हिस्से, जो सामाजिक इंटरएक्शन को सपोर्ट करते हैं, उन्हें सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क कहा जाता है, और ये मस्तिष्क के एक प्राचीन हिस्से एमिग्डाला से जुड़े होते हैं और उनके बीच लगातार संपर्क बना रहता है।

एमिग्डाला को “लिजर्ड मस्तिष्क” के रूप में जाना जाता है जौ आमतौर पर खतरों का पता लगाने और डर को प्रोसेस करने से जुड़ा हुआ है।

ब्रागा ने कहा कि “एमिग्डाला सामाजिक व्यवहारों जैसे पालन-पोषण, आक्रामकता और सामाजिक-प्रभुत्व पदानुक्रमों (क्रमबद्ध व्यवस्था) के संचालन के लिए जिम्मेदार है। अध्ययनों में एमिग्डाला और सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क की सह-क्रियाशीलता पाई गई थी, लेकिन “हमारा अध्ययन नया है क्योंकि यह दिखाता है कि यह संचार हमेशा हो रहा है।”

एमिग्डाला के भीतर एक विशेष हिस्सा होता है जिसे ‘मेडियल न्यूक्लियस’ कहा जाता है, और यह सामाजिक व्यवहारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

यह अध्ययन पहला था जिसने दिखाया कि एमिग्डाला का मेडियल न्यूक्लियस नए विकसित सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है, जो दूसरों के बारे में सोचने से संबंधित होते हैं।

वैज्ञानिकों ने कहा कि एमिग्डाला से जुड़ाव सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क के कार्य को आकार देने में मदद करता है, क्योंकि यह उसे एमिग्डाला की भूमिका तक पहुंच प्रदान करता है, जो भावनात्मक रूप से महत्वपूर्ण सामग्री को प्रोसेस करने से संबंधित होती है।

चिंता और अवसाद दोनों में एमिग्डाला की ज्यादा सक्रियता होती है, जो अत्यधिक भावनाओं और उनके नियंत्रण में मुश्किलें पैदा कर सकती है।

लेखकों ने कहा कि इस अध्ययन के निष्कर्षों के साथ, एक कम हानिकारक प्रक्रिया, ट्रांस-क्रानियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (टीएमएस), इस मस्तिष्क संबंध के बारे में जानकारी का उपयोग करके उपचार को बेहतर बना सकती है।

–आईएएनएस

एफजेड/केआर

ADVERTISEMENT

न्यूयॉर्क, 24 नवंबर (आईएएनएस)। वैज्ञानिकों की एक टीम ने मस्तिष्क के ऐसे नए हिस्सों का पता लगाया है, जो सामाजिक संपर्कों (सोशल इंटरेक्शन) में मदद करते हैं। ये हिस्से पुराने हिस्से, जैसे एमिग्डाला (जो डर और भावनाओं से जुड़ा होता है) से जुड़े रहते हैं और हमेशा आपस में संपर्क में रहते हैं। इस खोज से चिंता और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं का इलाज करने में मदद मिल सकती है।

अमेरिका के शिकागो स्थित नॉर्थवेस्टर्न मेडिसिन के एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बेहतर ढंग से यह जानने की कोशिश की कि इंसान कैसे इतने माहिर हो गए कि वे दूसरों के दिमाग (मस्तिष्क) में क्या चल रहा है, इसके बारे में सोच सकें। यह अध्ययन साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

वरिष्ठ लेखक रोड्रिगो ब्रागा ने कहा, “हम बहुत समय यह सोचने में बिताते हैं कि ‘वह व्यक्ति क्या महसूस कर रहा है, क्या सोच रहा है? क्या मैंने उसे परेशान करने वाली कोई बात कही है?”

मस्तिष्क के वे भाग जो हमें ऐसा करने की अनुमति देते हैं, मानव मस्तिष्क के उन क्षेत्रों में हैं जो हमारे विकास में हाल ही में विस्तारित हुए हैं और इसका अर्थ है कि यह एक हाल ही में विकसित प्रक्रिया है।

ब्रागा ने आगे कहा, “आप खुद को किसी दूसरे के दिमाग में रखकर यह अनुमान लगा रहे हैं कि वह व्यक्ति क्या सोच रहा है, जबकि आप वास्तव में यह नहीं जान सकते।”

इस अध्ययन में यह पाया गया कि मस्तिष्क के हाल ही में विकसित और उन्नत हिस्से, जो सामाजिक इंटरएक्शन को सपोर्ट करते हैं, उन्हें सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क कहा जाता है, और ये मस्तिष्क के एक प्राचीन हिस्से एमिग्डाला से जुड़े होते हैं और उनके बीच लगातार संपर्क बना रहता है।

एमिग्डाला को “लिजर्ड मस्तिष्क” के रूप में जाना जाता है जौ आमतौर पर खतरों का पता लगाने और डर को प्रोसेस करने से जुड़ा हुआ है।

ब्रागा ने कहा कि “एमिग्डाला सामाजिक व्यवहारों जैसे पालन-पोषण, आक्रामकता और सामाजिक-प्रभुत्व पदानुक्रमों (क्रमबद्ध व्यवस्था) के संचालन के लिए जिम्मेदार है। अध्ययनों में एमिग्डाला और सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क की सह-क्रियाशीलता पाई गई थी, लेकिन “हमारा अध्ययन नया है क्योंकि यह दिखाता है कि यह संचार हमेशा हो रहा है।”

एमिग्डाला के भीतर एक विशेष हिस्सा होता है जिसे ‘मेडियल न्यूक्लियस’ कहा जाता है, और यह सामाजिक व्यवहारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

यह अध्ययन पहला था जिसने दिखाया कि एमिग्डाला का मेडियल न्यूक्लियस नए विकसित सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है, जो दूसरों के बारे में सोचने से संबंधित होते हैं।

वैज्ञानिकों ने कहा कि एमिग्डाला से जुड़ाव सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क के कार्य को आकार देने में मदद करता है, क्योंकि यह उसे एमिग्डाला की भूमिका तक पहुंच प्रदान करता है, जो भावनात्मक रूप से महत्वपूर्ण सामग्री को प्रोसेस करने से संबंधित होती है।

चिंता और अवसाद दोनों में एमिग्डाला की ज्यादा सक्रियता होती है, जो अत्यधिक भावनाओं और उनके नियंत्रण में मुश्किलें पैदा कर सकती है।

लेखकों ने कहा कि इस अध्ययन के निष्कर्षों के साथ, एक कम हानिकारक प्रक्रिया, ट्रांस-क्रानियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (टीएमएस), इस मस्तिष्क संबंध के बारे में जानकारी का उपयोग करके उपचार को बेहतर बना सकती है।

–आईएएनएस

एफजेड/केआर

Related Posts

ताज़ा समाचार

पीएम मत्स्य संपदा योजना से हरिद्वार के किसान की बढ़ी आय, भूदेव सिंह ने प्रधानमंत्री का किया धन्यवाद

September 11, 2025
ताज़ा समाचार

दिल्ली की सीएम ने ‘बीजेपी दिल्ली विन-मोदी की गारंटी’ पुस्तक का विमोचन किया, महिलाओं की भूमिका को सराहा

September 11, 2025
ताज़ा समाचार

त्रिपुरा में भाईचारा ही प्रगति की कुंजी: सीएम माणिक साहा

September 11, 2025
ताज़ा समाचार

काठमांडू मेयर बालेन शाह ने अंतरिम सरकार का किया समर्थन, जेन जेड से शांति बनाए रखने की अपील

September 11, 2025
ताज़ा समाचार

बंगाल : राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने भारत-नेपाल सीमा का दौरा कर हालात का किया निरीक्षण

September 11, 2025
ताज़ा समाचार

राहुल, तेजस्वी और ममता को लेकर भाजपा ने जारी किया एआई जेनरेटेड फ्लैश पोस्टर

September 11, 2025
Next Post

चीन की संचयी बिजली उत्पादन स्थापित क्षमता लगभग 3.19 बिलियन किलोवाट

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

097703
Total views : 5971376
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In