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व्यक्तिगत डेटा चुराने के लिए साइबर ठग लेते हैं डार्क वेब का सहारा

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August 27, 2023
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व्यक्तिगत डेटा चुराने के लिए साइबर ठग लेते हैं डार्क वेब का सहारा
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नोएडा, 27 अगस्त (आईएएनएस)। नोएडा पुलिस ने गुरुवार को फर्जी कॉल सेंटर में कम कर रहे 84 लड़के लड़कियों को गिरफ्तार किया। अमेरिकी एजेंसी के इनपुट पर नोएडा पुलिस ने ये करवाई की। ये जालसाज अमेरिकी नागरिकों को एसएसएन (सोशल सिक्योरिटी नंबर) का गलत इस्तेमाल के नाम पर धमकी देते थे, फिर क्रिप्टो करेंसी और गिफ्ट कार्ड के जरिए ठगी कर रहे थे।

पूछताछ में खुलासा हुआ कि डार्कवेब से अमेरिका के 4 लाख लोगों का डेटा लेकर कई करोड़ की ठगी की गई। नोएडा पुलिस ने कॉल सेंटर ऑफिस से 46 लड़के और 38 लड़कियों को अरेस्ट किया। इनमें 90 प्रतिशत लोग नॉर्थ ईस्ट के हैं। ये क्रिप्टो बार कोड या गिफ्ट कार्ड के जरिए जालसाजी करते थे। मजे की बात है कि ये ठगी महीने में सिर्फ 15 दिन करते थे।

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डीसीपी हरीश चंदर ने बताया कि इन लोगों ने सबसे पहले अलग-अलग डार्क वेबसाइट से करीब 4 लाख यूएस नागरिकों का डेटा लिया। यूएस में नागरिकों को एक यूनिक सोशल सिक्योरिटी नंबर दिया जाता है। इन नंबरों पर कॉलर सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट ऑफ यूएस के नाम पर एक वाइस मैसेज भेजते थे।

एसएनएन पर जैसे ही अमेरिकी नागरिक इस वाइस मैसेज को खोलता, उसे बताया जाता कि आपका एसएसएन नंबर का गलत इस्तेमाल हो रहा है। आपका अकाउंट ब्लॉक किया जा रहा है। अधिक जानकारी के लिए 1 प्रेस करें। वन टाइप होते ही उनकी कॉल विसीडियल पर लैंड हो जाती थी। उसके बाद ठगी की जाती थी।

डार्क वेब इंटरनेट की दुनिया का वह हिस्सा होता है जिसमें सामान्य तौर पर आम सर्च इंजन नहीं पहुंच पाता। इन्हें स्पेशल वेब ब्राउज़र से एक्सेस किया जा सकता है। यहां पर कई तरीके की गतिविधियां होती है। डार्क वेब का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हैकर, साइबर जालसाज अपराधियों के मीटिंग पॉइंट के रूप में किया जाता है।

यहां पर जाकर साइबर अपराधी यह कर कोई भी डाटा खरीद सकता है। उसके साथ-साथ यहां पर कई तरीके के अवैध काम होते हैं। इस समय एनसीआर की सबसे हाईटेक सिटी नोएडा में डार्क वेब का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है।

डार्क वेब के जरिए जालसाज लोगों का डाटा लेकर उनसे ठगी कर रहे हैं। फर्जी कॉल सेंटर खोलकर डार्क वेब से देश ही नहीं बल्कि विदेशों में बैठे लाखों विदेशियों का डाटा लेकर उनसे ठगी की जा रही है।

इस समय सबसे ज्यादा साइबर ठगी नौकरी दिलाने के नाम पर, सस्ते दर पर लोन दिलाने के नाम पर, बीमा कराने वाला और लैप्स बीमा के नाम पर रकम दिलाने का झांसा देकर, कंप्यूटर में पॉप अप वायरस को ठीक करने के नाम पर, चाइल्ड पोर्नोग्राफी के नाम पर विदेशी नागरिकों से, फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज खोलकर विदेश से कम दर पर बातचीत करने के नाम पर, लकी ड्रा में कार गिफ्ट के नाम पर और लोगों को वीडियो कॉल के जरिए लड़कियों के साथ अश्लील वीडियो रिकॉर्ड कर उनके साथ साइबर अपराध किया जा रहा है।

यह सब कुछ ऐसे अपराध हैं जिनमें साइबर अपराधी आम आदमी को बहुत आसानी से फंसा लेते हैं और फिर उनसे मोटी रकम ऐंठ लेते हैं। ज्यादातर लोगों का डाटा — नाम, नंबर और उनकी इनफॉरमेशन साइबर अपराधी डार्क वेब के जरिए ही जुटाते हैं और उसके लिए अच्छी रकम भी खर्च करते हैं।

साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे के मुताबिक, जीरो ट्रस्ट मॉडल को अपनाना ही बचाव का सबसे बड़ा साधन है। उन्होंने बताया कि जब भी आपको कोई फोन आए कि मैं पुलिस, साइबर सेल, इनकम टैक्स या किसी और डिपार्टमेंट से बात कर रहा हूं तो तुरंत विश्वास ना करें, पहले उसकी जांच पड़ताल करें और फिर उससे बात करें।

और सबसे बड़ी बात है कि अगर पैसों की डिमांड आए तो आप समझ जाएं कि यह आपके साथ कोई ना कोई फ्रॉड होने वाला है। कोई भी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी आपसे फोन पर पैसे की डिमांड नहीं कर सकता। इसके साथ ही साथ किसी भी अनजान नंबर से व्हाट्सएप पर आए वीडियो कॉल या ऑडियो कॉल को न उठाए तो ही बेहतर है। कोई भी ओटीपी या कोई भी लिंक अगर मैसेज के जरिए आप तक आ रहा है तो उसे ना शेयर करें।

सबसे ज्यादा सतर्कता इस बात की चाहिए कि आपको जागरूक होना बेहद जरूरी है। आप खुद ही सोचें कि जब आपने किसी बहुत बड़े टैलेंट शो में हिस्सा नहीं लिया, आपने कोई लॉटरी का टिकट नहीं खरीदा, तो अचानक आपकी लॉटरी कैसे निकल गई या आपका सिलेक्शन कहीं पर कैसे हो गया। इन सब बातों पर गौर करते ही आप तुरंत अपराध को भांप लेंगे।

–आईएएनएस

पीकेटी/एसकेपी

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नोएडा, 27 अगस्त (आईएएनएस)। नोएडा पुलिस ने गुरुवार को फर्जी कॉल सेंटर में कम कर रहे 84 लड़के लड़कियों को गिरफ्तार किया। अमेरिकी एजेंसी के इनपुट पर नोएडा पुलिस ने ये करवाई की। ये जालसाज अमेरिकी नागरिकों को एसएसएन (सोशल सिक्योरिटी नंबर) का गलत इस्तेमाल के नाम पर धमकी देते थे, फिर क्रिप्टो करेंसी और गिफ्ट कार्ड के जरिए ठगी कर रहे थे।

पूछताछ में खुलासा हुआ कि डार्कवेब से अमेरिका के 4 लाख लोगों का डेटा लेकर कई करोड़ की ठगी की गई। नोएडा पुलिस ने कॉल सेंटर ऑफिस से 46 लड़के और 38 लड़कियों को अरेस्ट किया। इनमें 90 प्रतिशत लोग नॉर्थ ईस्ट के हैं। ये क्रिप्टो बार कोड या गिफ्ट कार्ड के जरिए जालसाजी करते थे। मजे की बात है कि ये ठगी महीने में सिर्फ 15 दिन करते थे।

डीसीपी हरीश चंदर ने बताया कि इन लोगों ने सबसे पहले अलग-अलग डार्क वेबसाइट से करीब 4 लाख यूएस नागरिकों का डेटा लिया। यूएस में नागरिकों को एक यूनिक सोशल सिक्योरिटी नंबर दिया जाता है। इन नंबरों पर कॉलर सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट ऑफ यूएस के नाम पर एक वाइस मैसेज भेजते थे।

एसएनएन पर जैसे ही अमेरिकी नागरिक इस वाइस मैसेज को खोलता, उसे बताया जाता कि आपका एसएसएन नंबर का गलत इस्तेमाल हो रहा है। आपका अकाउंट ब्लॉक किया जा रहा है। अधिक जानकारी के लिए 1 प्रेस करें। वन टाइप होते ही उनकी कॉल विसीडियल पर लैंड हो जाती थी। उसके बाद ठगी की जाती थी।

डार्क वेब इंटरनेट की दुनिया का वह हिस्सा होता है जिसमें सामान्य तौर पर आम सर्च इंजन नहीं पहुंच पाता। इन्हें स्पेशल वेब ब्राउज़र से एक्सेस किया जा सकता है। यहां पर कई तरीके की गतिविधियां होती है। डार्क वेब का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हैकर, साइबर जालसाज अपराधियों के मीटिंग पॉइंट के रूप में किया जाता है।

यहां पर जाकर साइबर अपराधी यह कर कोई भी डाटा खरीद सकता है। उसके साथ-साथ यहां पर कई तरीके के अवैध काम होते हैं। इस समय एनसीआर की सबसे हाईटेक सिटी नोएडा में डार्क वेब का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है।

डार्क वेब के जरिए जालसाज लोगों का डाटा लेकर उनसे ठगी कर रहे हैं। फर्जी कॉल सेंटर खोलकर डार्क वेब से देश ही नहीं बल्कि विदेशों में बैठे लाखों विदेशियों का डाटा लेकर उनसे ठगी की जा रही है।

इस समय सबसे ज्यादा साइबर ठगी नौकरी दिलाने के नाम पर, सस्ते दर पर लोन दिलाने के नाम पर, बीमा कराने वाला और लैप्स बीमा के नाम पर रकम दिलाने का झांसा देकर, कंप्यूटर में पॉप अप वायरस को ठीक करने के नाम पर, चाइल्ड पोर्नोग्राफी के नाम पर विदेशी नागरिकों से, फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज खोलकर विदेश से कम दर पर बातचीत करने के नाम पर, लकी ड्रा में कार गिफ्ट के नाम पर और लोगों को वीडियो कॉल के जरिए लड़कियों के साथ अश्लील वीडियो रिकॉर्ड कर उनके साथ साइबर अपराध किया जा रहा है।

यह सब कुछ ऐसे अपराध हैं जिनमें साइबर अपराधी आम आदमी को बहुत आसानी से फंसा लेते हैं और फिर उनसे मोटी रकम ऐंठ लेते हैं। ज्यादातर लोगों का डाटा — नाम, नंबर और उनकी इनफॉरमेशन साइबर अपराधी डार्क वेब के जरिए ही जुटाते हैं और उसके लिए अच्छी रकम भी खर्च करते हैं।

साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे के मुताबिक, जीरो ट्रस्ट मॉडल को अपनाना ही बचाव का सबसे बड़ा साधन है। उन्होंने बताया कि जब भी आपको कोई फोन आए कि मैं पुलिस, साइबर सेल, इनकम टैक्स या किसी और डिपार्टमेंट से बात कर रहा हूं तो तुरंत विश्वास ना करें, पहले उसकी जांच पड़ताल करें और फिर उससे बात करें।

और सबसे बड़ी बात है कि अगर पैसों की डिमांड आए तो आप समझ जाएं कि यह आपके साथ कोई ना कोई फ्रॉड होने वाला है। कोई भी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी आपसे फोन पर पैसे की डिमांड नहीं कर सकता। इसके साथ ही साथ किसी भी अनजान नंबर से व्हाट्सएप पर आए वीडियो कॉल या ऑडियो कॉल को न उठाए तो ही बेहतर है। कोई भी ओटीपी या कोई भी लिंक अगर मैसेज के जरिए आप तक आ रहा है तो उसे ना शेयर करें।

सबसे ज्यादा सतर्कता इस बात की चाहिए कि आपको जागरूक होना बेहद जरूरी है। आप खुद ही सोचें कि जब आपने किसी बहुत बड़े टैलेंट शो में हिस्सा नहीं लिया, आपने कोई लॉटरी का टिकट नहीं खरीदा, तो अचानक आपकी लॉटरी कैसे निकल गई या आपका सिलेक्शन कहीं पर कैसे हो गया। इन सब बातों पर गौर करते ही आप तुरंत अपराध को भांप लेंगे।

–आईएएनएस

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नोएडा, 27 अगस्त (आईएएनएस)। नोएडा पुलिस ने गुरुवार को फर्जी कॉल सेंटर में कम कर रहे 84 लड़के लड़कियों को गिरफ्तार किया। अमेरिकी एजेंसी के इनपुट पर नोएडा पुलिस ने ये करवाई की। ये जालसाज अमेरिकी नागरिकों को एसएसएन (सोशल सिक्योरिटी नंबर) का गलत इस्तेमाल के नाम पर धमकी देते थे, फिर क्रिप्टो करेंसी और गिफ्ट कार्ड के जरिए ठगी कर रहे थे।

पूछताछ में खुलासा हुआ कि डार्कवेब से अमेरिका के 4 लाख लोगों का डेटा लेकर कई करोड़ की ठगी की गई। नोएडा पुलिस ने कॉल सेंटर ऑफिस से 46 लड़के और 38 लड़कियों को अरेस्ट किया। इनमें 90 प्रतिशत लोग नॉर्थ ईस्ट के हैं। ये क्रिप्टो बार कोड या गिफ्ट कार्ड के जरिए जालसाजी करते थे। मजे की बात है कि ये ठगी महीने में सिर्फ 15 दिन करते थे।

डीसीपी हरीश चंदर ने बताया कि इन लोगों ने सबसे पहले अलग-अलग डार्क वेबसाइट से करीब 4 लाख यूएस नागरिकों का डेटा लिया। यूएस में नागरिकों को एक यूनिक सोशल सिक्योरिटी नंबर दिया जाता है। इन नंबरों पर कॉलर सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट ऑफ यूएस के नाम पर एक वाइस मैसेज भेजते थे।

एसएनएन पर जैसे ही अमेरिकी नागरिक इस वाइस मैसेज को खोलता, उसे बताया जाता कि आपका एसएसएन नंबर का गलत इस्तेमाल हो रहा है। आपका अकाउंट ब्लॉक किया जा रहा है। अधिक जानकारी के लिए 1 प्रेस करें। वन टाइप होते ही उनकी कॉल विसीडियल पर लैंड हो जाती थी। उसके बाद ठगी की जाती थी।

डार्क वेब इंटरनेट की दुनिया का वह हिस्सा होता है जिसमें सामान्य तौर पर आम सर्च इंजन नहीं पहुंच पाता। इन्हें स्पेशल वेब ब्राउज़र से एक्सेस किया जा सकता है। यहां पर कई तरीके की गतिविधियां होती है। डार्क वेब का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हैकर, साइबर जालसाज अपराधियों के मीटिंग पॉइंट के रूप में किया जाता है।

यहां पर जाकर साइबर अपराधी यह कर कोई भी डाटा खरीद सकता है। उसके साथ-साथ यहां पर कई तरीके के अवैध काम होते हैं। इस समय एनसीआर की सबसे हाईटेक सिटी नोएडा में डार्क वेब का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है।

डार्क वेब के जरिए जालसाज लोगों का डाटा लेकर उनसे ठगी कर रहे हैं। फर्जी कॉल सेंटर खोलकर डार्क वेब से देश ही नहीं बल्कि विदेशों में बैठे लाखों विदेशियों का डाटा लेकर उनसे ठगी की जा रही है।

इस समय सबसे ज्यादा साइबर ठगी नौकरी दिलाने के नाम पर, सस्ते दर पर लोन दिलाने के नाम पर, बीमा कराने वाला और लैप्स बीमा के नाम पर रकम दिलाने का झांसा देकर, कंप्यूटर में पॉप अप वायरस को ठीक करने के नाम पर, चाइल्ड पोर्नोग्राफी के नाम पर विदेशी नागरिकों से, फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज खोलकर विदेश से कम दर पर बातचीत करने के नाम पर, लकी ड्रा में कार गिफ्ट के नाम पर और लोगों को वीडियो कॉल के जरिए लड़कियों के साथ अश्लील वीडियो रिकॉर्ड कर उनके साथ साइबर अपराध किया जा रहा है।

यह सब कुछ ऐसे अपराध हैं जिनमें साइबर अपराधी आम आदमी को बहुत आसानी से फंसा लेते हैं और फिर उनसे मोटी रकम ऐंठ लेते हैं। ज्यादातर लोगों का डाटा — नाम, नंबर और उनकी इनफॉरमेशन साइबर अपराधी डार्क वेब के जरिए ही जुटाते हैं और उसके लिए अच्छी रकम भी खर्च करते हैं।

साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे के मुताबिक, जीरो ट्रस्ट मॉडल को अपनाना ही बचाव का सबसे बड़ा साधन है। उन्होंने बताया कि जब भी आपको कोई फोन आए कि मैं पुलिस, साइबर सेल, इनकम टैक्स या किसी और डिपार्टमेंट से बात कर रहा हूं तो तुरंत विश्वास ना करें, पहले उसकी जांच पड़ताल करें और फिर उससे बात करें।

और सबसे बड़ी बात है कि अगर पैसों की डिमांड आए तो आप समझ जाएं कि यह आपके साथ कोई ना कोई फ्रॉड होने वाला है। कोई भी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी आपसे फोन पर पैसे की डिमांड नहीं कर सकता। इसके साथ ही साथ किसी भी अनजान नंबर से व्हाट्सएप पर आए वीडियो कॉल या ऑडियो कॉल को न उठाए तो ही बेहतर है। कोई भी ओटीपी या कोई भी लिंक अगर मैसेज के जरिए आप तक आ रहा है तो उसे ना शेयर करें।

सबसे ज्यादा सतर्कता इस बात की चाहिए कि आपको जागरूक होना बेहद जरूरी है। आप खुद ही सोचें कि जब आपने किसी बहुत बड़े टैलेंट शो में हिस्सा नहीं लिया, आपने कोई लॉटरी का टिकट नहीं खरीदा, तो अचानक आपकी लॉटरी कैसे निकल गई या आपका सिलेक्शन कहीं पर कैसे हो गया। इन सब बातों पर गौर करते ही आप तुरंत अपराध को भांप लेंगे।

–आईएएनएस

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नोएडा, 27 अगस्त (आईएएनएस)। नोएडा पुलिस ने गुरुवार को फर्जी कॉल सेंटर में कम कर रहे 84 लड़के लड़कियों को गिरफ्तार किया। अमेरिकी एजेंसी के इनपुट पर नोएडा पुलिस ने ये करवाई की। ये जालसाज अमेरिकी नागरिकों को एसएसएन (सोशल सिक्योरिटी नंबर) का गलत इस्तेमाल के नाम पर धमकी देते थे, फिर क्रिप्टो करेंसी और गिफ्ट कार्ड के जरिए ठगी कर रहे थे।

पूछताछ में खुलासा हुआ कि डार्कवेब से अमेरिका के 4 लाख लोगों का डेटा लेकर कई करोड़ की ठगी की गई। नोएडा पुलिस ने कॉल सेंटर ऑफिस से 46 लड़के और 38 लड़कियों को अरेस्ट किया। इनमें 90 प्रतिशत लोग नॉर्थ ईस्ट के हैं। ये क्रिप्टो बार कोड या गिफ्ट कार्ड के जरिए जालसाजी करते थे। मजे की बात है कि ये ठगी महीने में सिर्फ 15 दिन करते थे।

डीसीपी हरीश चंदर ने बताया कि इन लोगों ने सबसे पहले अलग-अलग डार्क वेबसाइट से करीब 4 लाख यूएस नागरिकों का डेटा लिया। यूएस में नागरिकों को एक यूनिक सोशल सिक्योरिटी नंबर दिया जाता है। इन नंबरों पर कॉलर सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट ऑफ यूएस के नाम पर एक वाइस मैसेज भेजते थे।

एसएनएन पर जैसे ही अमेरिकी नागरिक इस वाइस मैसेज को खोलता, उसे बताया जाता कि आपका एसएसएन नंबर का गलत इस्तेमाल हो रहा है। आपका अकाउंट ब्लॉक किया जा रहा है। अधिक जानकारी के लिए 1 प्रेस करें। वन टाइप होते ही उनकी कॉल विसीडियल पर लैंड हो जाती थी। उसके बाद ठगी की जाती थी।

डार्क वेब इंटरनेट की दुनिया का वह हिस्सा होता है जिसमें सामान्य तौर पर आम सर्च इंजन नहीं पहुंच पाता। इन्हें स्पेशल वेब ब्राउज़र से एक्सेस किया जा सकता है। यहां पर कई तरीके की गतिविधियां होती है। डार्क वेब का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हैकर, साइबर जालसाज अपराधियों के मीटिंग पॉइंट के रूप में किया जाता है।

यहां पर जाकर साइबर अपराधी यह कर कोई भी डाटा खरीद सकता है। उसके साथ-साथ यहां पर कई तरीके के अवैध काम होते हैं। इस समय एनसीआर की सबसे हाईटेक सिटी नोएडा में डार्क वेब का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है।

डार्क वेब के जरिए जालसाज लोगों का डाटा लेकर उनसे ठगी कर रहे हैं। फर्जी कॉल सेंटर खोलकर डार्क वेब से देश ही नहीं बल्कि विदेशों में बैठे लाखों विदेशियों का डाटा लेकर उनसे ठगी की जा रही है।

इस समय सबसे ज्यादा साइबर ठगी नौकरी दिलाने के नाम पर, सस्ते दर पर लोन दिलाने के नाम पर, बीमा कराने वाला और लैप्स बीमा के नाम पर रकम दिलाने का झांसा देकर, कंप्यूटर में पॉप अप वायरस को ठीक करने के नाम पर, चाइल्ड पोर्नोग्राफी के नाम पर विदेशी नागरिकों से, फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज खोलकर विदेश से कम दर पर बातचीत करने के नाम पर, लकी ड्रा में कार गिफ्ट के नाम पर और लोगों को वीडियो कॉल के जरिए लड़कियों के साथ अश्लील वीडियो रिकॉर्ड कर उनके साथ साइबर अपराध किया जा रहा है।

यह सब कुछ ऐसे अपराध हैं जिनमें साइबर अपराधी आम आदमी को बहुत आसानी से फंसा लेते हैं और फिर उनसे मोटी रकम ऐंठ लेते हैं। ज्यादातर लोगों का डाटा — नाम, नंबर और उनकी इनफॉरमेशन साइबर अपराधी डार्क वेब के जरिए ही जुटाते हैं और उसके लिए अच्छी रकम भी खर्च करते हैं।

साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे के मुताबिक, जीरो ट्रस्ट मॉडल को अपनाना ही बचाव का सबसे बड़ा साधन है। उन्होंने बताया कि जब भी आपको कोई फोन आए कि मैं पुलिस, साइबर सेल, इनकम टैक्स या किसी और डिपार्टमेंट से बात कर रहा हूं तो तुरंत विश्वास ना करें, पहले उसकी जांच पड़ताल करें और फिर उससे बात करें।

और सबसे बड़ी बात है कि अगर पैसों की डिमांड आए तो आप समझ जाएं कि यह आपके साथ कोई ना कोई फ्रॉड होने वाला है। कोई भी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी आपसे फोन पर पैसे की डिमांड नहीं कर सकता। इसके साथ ही साथ किसी भी अनजान नंबर से व्हाट्सएप पर आए वीडियो कॉल या ऑडियो कॉल को न उठाए तो ही बेहतर है। कोई भी ओटीपी या कोई भी लिंक अगर मैसेज के जरिए आप तक आ रहा है तो उसे ना शेयर करें।

सबसे ज्यादा सतर्कता इस बात की चाहिए कि आपको जागरूक होना बेहद जरूरी है। आप खुद ही सोचें कि जब आपने किसी बहुत बड़े टैलेंट शो में हिस्सा नहीं लिया, आपने कोई लॉटरी का टिकट नहीं खरीदा, तो अचानक आपकी लॉटरी कैसे निकल गई या आपका सिलेक्शन कहीं पर कैसे हो गया। इन सब बातों पर गौर करते ही आप तुरंत अपराध को भांप लेंगे।

–आईएएनएस

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नोएडा, 27 अगस्त (आईएएनएस)। नोएडा पुलिस ने गुरुवार को फर्जी कॉल सेंटर में कम कर रहे 84 लड़के लड़कियों को गिरफ्तार किया। अमेरिकी एजेंसी के इनपुट पर नोएडा पुलिस ने ये करवाई की। ये जालसाज अमेरिकी नागरिकों को एसएसएन (सोशल सिक्योरिटी नंबर) का गलत इस्तेमाल के नाम पर धमकी देते थे, फिर क्रिप्टो करेंसी और गिफ्ट कार्ड के जरिए ठगी कर रहे थे।

पूछताछ में खुलासा हुआ कि डार्कवेब से अमेरिका के 4 लाख लोगों का डेटा लेकर कई करोड़ की ठगी की गई। नोएडा पुलिस ने कॉल सेंटर ऑफिस से 46 लड़के और 38 लड़कियों को अरेस्ट किया। इनमें 90 प्रतिशत लोग नॉर्थ ईस्ट के हैं। ये क्रिप्टो बार कोड या गिफ्ट कार्ड के जरिए जालसाजी करते थे। मजे की बात है कि ये ठगी महीने में सिर्फ 15 दिन करते थे।

डीसीपी हरीश चंदर ने बताया कि इन लोगों ने सबसे पहले अलग-अलग डार्क वेबसाइट से करीब 4 लाख यूएस नागरिकों का डेटा लिया। यूएस में नागरिकों को एक यूनिक सोशल सिक्योरिटी नंबर दिया जाता है। इन नंबरों पर कॉलर सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट ऑफ यूएस के नाम पर एक वाइस मैसेज भेजते थे।

एसएनएन पर जैसे ही अमेरिकी नागरिक इस वाइस मैसेज को खोलता, उसे बताया जाता कि आपका एसएसएन नंबर का गलत इस्तेमाल हो रहा है। आपका अकाउंट ब्लॉक किया जा रहा है। अधिक जानकारी के लिए 1 प्रेस करें। वन टाइप होते ही उनकी कॉल विसीडियल पर लैंड हो जाती थी। उसके बाद ठगी की जाती थी।

डार्क वेब इंटरनेट की दुनिया का वह हिस्सा होता है जिसमें सामान्य तौर पर आम सर्च इंजन नहीं पहुंच पाता। इन्हें स्पेशल वेब ब्राउज़र से एक्सेस किया जा सकता है। यहां पर कई तरीके की गतिविधियां होती है। डार्क वेब का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हैकर, साइबर जालसाज अपराधियों के मीटिंग पॉइंट के रूप में किया जाता है।

यहां पर जाकर साइबर अपराधी यह कर कोई भी डाटा खरीद सकता है। उसके साथ-साथ यहां पर कई तरीके के अवैध काम होते हैं। इस समय एनसीआर की सबसे हाईटेक सिटी नोएडा में डार्क वेब का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है।

डार्क वेब के जरिए जालसाज लोगों का डाटा लेकर उनसे ठगी कर रहे हैं। फर्जी कॉल सेंटर खोलकर डार्क वेब से देश ही नहीं बल्कि विदेशों में बैठे लाखों विदेशियों का डाटा लेकर उनसे ठगी की जा रही है।

इस समय सबसे ज्यादा साइबर ठगी नौकरी दिलाने के नाम पर, सस्ते दर पर लोन दिलाने के नाम पर, बीमा कराने वाला और लैप्स बीमा के नाम पर रकम दिलाने का झांसा देकर, कंप्यूटर में पॉप अप वायरस को ठीक करने के नाम पर, चाइल्ड पोर्नोग्राफी के नाम पर विदेशी नागरिकों से, फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज खोलकर विदेश से कम दर पर बातचीत करने के नाम पर, लकी ड्रा में कार गिफ्ट के नाम पर और लोगों को वीडियो कॉल के जरिए लड़कियों के साथ अश्लील वीडियो रिकॉर्ड कर उनके साथ साइबर अपराध किया जा रहा है।

यह सब कुछ ऐसे अपराध हैं जिनमें साइबर अपराधी आम आदमी को बहुत आसानी से फंसा लेते हैं और फिर उनसे मोटी रकम ऐंठ लेते हैं। ज्यादातर लोगों का डाटा — नाम, नंबर और उनकी इनफॉरमेशन साइबर अपराधी डार्क वेब के जरिए ही जुटाते हैं और उसके लिए अच्छी रकम भी खर्च करते हैं।

साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे के मुताबिक, जीरो ट्रस्ट मॉडल को अपनाना ही बचाव का सबसे बड़ा साधन है। उन्होंने बताया कि जब भी आपको कोई फोन आए कि मैं पुलिस, साइबर सेल, इनकम टैक्स या किसी और डिपार्टमेंट से बात कर रहा हूं तो तुरंत विश्वास ना करें, पहले उसकी जांच पड़ताल करें और फिर उससे बात करें।

और सबसे बड़ी बात है कि अगर पैसों की डिमांड आए तो आप समझ जाएं कि यह आपके साथ कोई ना कोई फ्रॉड होने वाला है। कोई भी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी आपसे फोन पर पैसे की डिमांड नहीं कर सकता। इसके साथ ही साथ किसी भी अनजान नंबर से व्हाट्सएप पर आए वीडियो कॉल या ऑडियो कॉल को न उठाए तो ही बेहतर है। कोई भी ओटीपी या कोई भी लिंक अगर मैसेज के जरिए आप तक आ रहा है तो उसे ना शेयर करें।

सबसे ज्यादा सतर्कता इस बात की चाहिए कि आपको जागरूक होना बेहद जरूरी है। आप खुद ही सोचें कि जब आपने किसी बहुत बड़े टैलेंट शो में हिस्सा नहीं लिया, आपने कोई लॉटरी का टिकट नहीं खरीदा, तो अचानक आपकी लॉटरी कैसे निकल गई या आपका सिलेक्शन कहीं पर कैसे हो गया। इन सब बातों पर गौर करते ही आप तुरंत अपराध को भांप लेंगे।

–आईएएनएस

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नोएडा, 27 अगस्त (आईएएनएस)। नोएडा पुलिस ने गुरुवार को फर्जी कॉल सेंटर में कम कर रहे 84 लड़के लड़कियों को गिरफ्तार किया। अमेरिकी एजेंसी के इनपुट पर नोएडा पुलिस ने ये करवाई की। ये जालसाज अमेरिकी नागरिकों को एसएसएन (सोशल सिक्योरिटी नंबर) का गलत इस्तेमाल के नाम पर धमकी देते थे, फिर क्रिप्टो करेंसी और गिफ्ट कार्ड के जरिए ठगी कर रहे थे।

पूछताछ में खुलासा हुआ कि डार्कवेब से अमेरिका के 4 लाख लोगों का डेटा लेकर कई करोड़ की ठगी की गई। नोएडा पुलिस ने कॉल सेंटर ऑफिस से 46 लड़के और 38 लड़कियों को अरेस्ट किया। इनमें 90 प्रतिशत लोग नॉर्थ ईस्ट के हैं। ये क्रिप्टो बार कोड या गिफ्ट कार्ड के जरिए जालसाजी करते थे। मजे की बात है कि ये ठगी महीने में सिर्फ 15 दिन करते थे।

डीसीपी हरीश चंदर ने बताया कि इन लोगों ने सबसे पहले अलग-अलग डार्क वेबसाइट से करीब 4 लाख यूएस नागरिकों का डेटा लिया। यूएस में नागरिकों को एक यूनिक सोशल सिक्योरिटी नंबर दिया जाता है। इन नंबरों पर कॉलर सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट ऑफ यूएस के नाम पर एक वाइस मैसेज भेजते थे।

एसएनएन पर जैसे ही अमेरिकी नागरिक इस वाइस मैसेज को खोलता, उसे बताया जाता कि आपका एसएसएन नंबर का गलत इस्तेमाल हो रहा है। आपका अकाउंट ब्लॉक किया जा रहा है। अधिक जानकारी के लिए 1 प्रेस करें। वन टाइप होते ही उनकी कॉल विसीडियल पर लैंड हो जाती थी। उसके बाद ठगी की जाती थी।

डार्क वेब इंटरनेट की दुनिया का वह हिस्सा होता है जिसमें सामान्य तौर पर आम सर्च इंजन नहीं पहुंच पाता। इन्हें स्पेशल वेब ब्राउज़र से एक्सेस किया जा सकता है। यहां पर कई तरीके की गतिविधियां होती है। डार्क वेब का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हैकर, साइबर जालसाज अपराधियों के मीटिंग पॉइंट के रूप में किया जाता है।

यहां पर जाकर साइबर अपराधी यह कर कोई भी डाटा खरीद सकता है। उसके साथ-साथ यहां पर कई तरीके के अवैध काम होते हैं। इस समय एनसीआर की सबसे हाईटेक सिटी नोएडा में डार्क वेब का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है।

डार्क वेब के जरिए जालसाज लोगों का डाटा लेकर उनसे ठगी कर रहे हैं। फर्जी कॉल सेंटर खोलकर डार्क वेब से देश ही नहीं बल्कि विदेशों में बैठे लाखों विदेशियों का डाटा लेकर उनसे ठगी की जा रही है।

इस समय सबसे ज्यादा साइबर ठगी नौकरी दिलाने के नाम पर, सस्ते दर पर लोन दिलाने के नाम पर, बीमा कराने वाला और लैप्स बीमा के नाम पर रकम दिलाने का झांसा देकर, कंप्यूटर में पॉप अप वायरस को ठीक करने के नाम पर, चाइल्ड पोर्नोग्राफी के नाम पर विदेशी नागरिकों से, फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज खोलकर विदेश से कम दर पर बातचीत करने के नाम पर, लकी ड्रा में कार गिफ्ट के नाम पर और लोगों को वीडियो कॉल के जरिए लड़कियों के साथ अश्लील वीडियो रिकॉर्ड कर उनके साथ साइबर अपराध किया जा रहा है।

यह सब कुछ ऐसे अपराध हैं जिनमें साइबर अपराधी आम आदमी को बहुत आसानी से फंसा लेते हैं और फिर उनसे मोटी रकम ऐंठ लेते हैं। ज्यादातर लोगों का डाटा — नाम, नंबर और उनकी इनफॉरमेशन साइबर अपराधी डार्क वेब के जरिए ही जुटाते हैं और उसके लिए अच्छी रकम भी खर्च करते हैं।

साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे के मुताबिक, जीरो ट्रस्ट मॉडल को अपनाना ही बचाव का सबसे बड़ा साधन है। उन्होंने बताया कि जब भी आपको कोई फोन आए कि मैं पुलिस, साइबर सेल, इनकम टैक्स या किसी और डिपार्टमेंट से बात कर रहा हूं तो तुरंत विश्वास ना करें, पहले उसकी जांच पड़ताल करें और फिर उससे बात करें।

और सबसे बड़ी बात है कि अगर पैसों की डिमांड आए तो आप समझ जाएं कि यह आपके साथ कोई ना कोई फ्रॉड होने वाला है। कोई भी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी आपसे फोन पर पैसे की डिमांड नहीं कर सकता। इसके साथ ही साथ किसी भी अनजान नंबर से व्हाट्सएप पर आए वीडियो कॉल या ऑडियो कॉल को न उठाए तो ही बेहतर है। कोई भी ओटीपी या कोई भी लिंक अगर मैसेज के जरिए आप तक आ रहा है तो उसे ना शेयर करें।

सबसे ज्यादा सतर्कता इस बात की चाहिए कि आपको जागरूक होना बेहद जरूरी है। आप खुद ही सोचें कि जब आपने किसी बहुत बड़े टैलेंट शो में हिस्सा नहीं लिया, आपने कोई लॉटरी का टिकट नहीं खरीदा, तो अचानक आपकी लॉटरी कैसे निकल गई या आपका सिलेक्शन कहीं पर कैसे हो गया। इन सब बातों पर गौर करते ही आप तुरंत अपराध को भांप लेंगे।

–आईएएनएस

पीकेटी/एसकेपी

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नोएडा, 27 अगस्त (आईएएनएस)। नोएडा पुलिस ने गुरुवार को फर्जी कॉल सेंटर में कम कर रहे 84 लड़के लड़कियों को गिरफ्तार किया। अमेरिकी एजेंसी के इनपुट पर नोएडा पुलिस ने ये करवाई की। ये जालसाज अमेरिकी नागरिकों को एसएसएन (सोशल सिक्योरिटी नंबर) का गलत इस्तेमाल के नाम पर धमकी देते थे, फिर क्रिप्टो करेंसी और गिफ्ट कार्ड के जरिए ठगी कर रहे थे।

पूछताछ में खुलासा हुआ कि डार्कवेब से अमेरिका के 4 लाख लोगों का डेटा लेकर कई करोड़ की ठगी की गई। नोएडा पुलिस ने कॉल सेंटर ऑफिस से 46 लड़के और 38 लड़कियों को अरेस्ट किया। इनमें 90 प्रतिशत लोग नॉर्थ ईस्ट के हैं। ये क्रिप्टो बार कोड या गिफ्ट कार्ड के जरिए जालसाजी करते थे। मजे की बात है कि ये ठगी महीने में सिर्फ 15 दिन करते थे।

डीसीपी हरीश चंदर ने बताया कि इन लोगों ने सबसे पहले अलग-अलग डार्क वेबसाइट से करीब 4 लाख यूएस नागरिकों का डेटा लिया। यूएस में नागरिकों को एक यूनिक सोशल सिक्योरिटी नंबर दिया जाता है। इन नंबरों पर कॉलर सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट ऑफ यूएस के नाम पर एक वाइस मैसेज भेजते थे।

एसएनएन पर जैसे ही अमेरिकी नागरिक इस वाइस मैसेज को खोलता, उसे बताया जाता कि आपका एसएसएन नंबर का गलत इस्तेमाल हो रहा है। आपका अकाउंट ब्लॉक किया जा रहा है। अधिक जानकारी के लिए 1 प्रेस करें। वन टाइप होते ही उनकी कॉल विसीडियल पर लैंड हो जाती थी। उसके बाद ठगी की जाती थी।

डार्क वेब इंटरनेट की दुनिया का वह हिस्सा होता है जिसमें सामान्य तौर पर आम सर्च इंजन नहीं पहुंच पाता। इन्हें स्पेशल वेब ब्राउज़र से एक्सेस किया जा सकता है। यहां पर कई तरीके की गतिविधियां होती है। डार्क वेब का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हैकर, साइबर जालसाज अपराधियों के मीटिंग पॉइंट के रूप में किया जाता है।

यहां पर जाकर साइबर अपराधी यह कर कोई भी डाटा खरीद सकता है। उसके साथ-साथ यहां पर कई तरीके के अवैध काम होते हैं। इस समय एनसीआर की सबसे हाईटेक सिटी नोएडा में डार्क वेब का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है।

डार्क वेब के जरिए जालसाज लोगों का डाटा लेकर उनसे ठगी कर रहे हैं। फर्जी कॉल सेंटर खोलकर डार्क वेब से देश ही नहीं बल्कि विदेशों में बैठे लाखों विदेशियों का डाटा लेकर उनसे ठगी की जा रही है।

इस समय सबसे ज्यादा साइबर ठगी नौकरी दिलाने के नाम पर, सस्ते दर पर लोन दिलाने के नाम पर, बीमा कराने वाला और लैप्स बीमा के नाम पर रकम दिलाने का झांसा देकर, कंप्यूटर में पॉप अप वायरस को ठीक करने के नाम पर, चाइल्ड पोर्नोग्राफी के नाम पर विदेशी नागरिकों से, फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज खोलकर विदेश से कम दर पर बातचीत करने के नाम पर, लकी ड्रा में कार गिफ्ट के नाम पर और लोगों को वीडियो कॉल के जरिए लड़कियों के साथ अश्लील वीडियो रिकॉर्ड कर उनके साथ साइबर अपराध किया जा रहा है।

यह सब कुछ ऐसे अपराध हैं जिनमें साइबर अपराधी आम आदमी को बहुत आसानी से फंसा लेते हैं और फिर उनसे मोटी रकम ऐंठ लेते हैं। ज्यादातर लोगों का डाटा — नाम, नंबर और उनकी इनफॉरमेशन साइबर अपराधी डार्क वेब के जरिए ही जुटाते हैं और उसके लिए अच्छी रकम भी खर्च करते हैं।

साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे के मुताबिक, जीरो ट्रस्ट मॉडल को अपनाना ही बचाव का सबसे बड़ा साधन है। उन्होंने बताया कि जब भी आपको कोई फोन आए कि मैं पुलिस, साइबर सेल, इनकम टैक्स या किसी और डिपार्टमेंट से बात कर रहा हूं तो तुरंत विश्वास ना करें, पहले उसकी जांच पड़ताल करें और फिर उससे बात करें।

और सबसे बड़ी बात है कि अगर पैसों की डिमांड आए तो आप समझ जाएं कि यह आपके साथ कोई ना कोई फ्रॉड होने वाला है। कोई भी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी आपसे फोन पर पैसे की डिमांड नहीं कर सकता। इसके साथ ही साथ किसी भी अनजान नंबर से व्हाट्सएप पर आए वीडियो कॉल या ऑडियो कॉल को न उठाए तो ही बेहतर है। कोई भी ओटीपी या कोई भी लिंक अगर मैसेज के जरिए आप तक आ रहा है तो उसे ना शेयर करें।

सबसे ज्यादा सतर्कता इस बात की चाहिए कि आपको जागरूक होना बेहद जरूरी है। आप खुद ही सोचें कि जब आपने किसी बहुत बड़े टैलेंट शो में हिस्सा नहीं लिया, आपने कोई लॉटरी का टिकट नहीं खरीदा, तो अचानक आपकी लॉटरी कैसे निकल गई या आपका सिलेक्शन कहीं पर कैसे हो गया। इन सब बातों पर गौर करते ही आप तुरंत अपराध को भांप लेंगे।

–आईएएनएस

पीकेटी/एसकेपी

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नोएडा, 27 अगस्त (आईएएनएस)। नोएडा पुलिस ने गुरुवार को फर्जी कॉल सेंटर में कम कर रहे 84 लड़के लड़कियों को गिरफ्तार किया। अमेरिकी एजेंसी के इनपुट पर नोएडा पुलिस ने ये करवाई की। ये जालसाज अमेरिकी नागरिकों को एसएसएन (सोशल सिक्योरिटी नंबर) का गलत इस्तेमाल के नाम पर धमकी देते थे, फिर क्रिप्टो करेंसी और गिफ्ट कार्ड के जरिए ठगी कर रहे थे।

पूछताछ में खुलासा हुआ कि डार्कवेब से अमेरिका के 4 लाख लोगों का डेटा लेकर कई करोड़ की ठगी की गई। नोएडा पुलिस ने कॉल सेंटर ऑफिस से 46 लड़के और 38 लड़कियों को अरेस्ट किया। इनमें 90 प्रतिशत लोग नॉर्थ ईस्ट के हैं। ये क्रिप्टो बार कोड या गिफ्ट कार्ड के जरिए जालसाजी करते थे। मजे की बात है कि ये ठगी महीने में सिर्फ 15 दिन करते थे।

डीसीपी हरीश चंदर ने बताया कि इन लोगों ने सबसे पहले अलग-अलग डार्क वेबसाइट से करीब 4 लाख यूएस नागरिकों का डेटा लिया। यूएस में नागरिकों को एक यूनिक सोशल सिक्योरिटी नंबर दिया जाता है। इन नंबरों पर कॉलर सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट ऑफ यूएस के नाम पर एक वाइस मैसेज भेजते थे।

एसएनएन पर जैसे ही अमेरिकी नागरिक इस वाइस मैसेज को खोलता, उसे बताया जाता कि आपका एसएसएन नंबर का गलत इस्तेमाल हो रहा है। आपका अकाउंट ब्लॉक किया जा रहा है। अधिक जानकारी के लिए 1 प्रेस करें। वन टाइप होते ही उनकी कॉल विसीडियल पर लैंड हो जाती थी। उसके बाद ठगी की जाती थी।

डार्क वेब इंटरनेट की दुनिया का वह हिस्सा होता है जिसमें सामान्य तौर पर आम सर्च इंजन नहीं पहुंच पाता। इन्हें स्पेशल वेब ब्राउज़र से एक्सेस किया जा सकता है। यहां पर कई तरीके की गतिविधियां होती है। डार्क वेब का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हैकर, साइबर जालसाज अपराधियों के मीटिंग पॉइंट के रूप में किया जाता है।

यहां पर जाकर साइबर अपराधी यह कर कोई भी डाटा खरीद सकता है। उसके साथ-साथ यहां पर कई तरीके के अवैध काम होते हैं। इस समय एनसीआर की सबसे हाईटेक सिटी नोएडा में डार्क वेब का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है।

डार्क वेब के जरिए जालसाज लोगों का डाटा लेकर उनसे ठगी कर रहे हैं। फर्जी कॉल सेंटर खोलकर डार्क वेब से देश ही नहीं बल्कि विदेशों में बैठे लाखों विदेशियों का डाटा लेकर उनसे ठगी की जा रही है।

इस समय सबसे ज्यादा साइबर ठगी नौकरी दिलाने के नाम पर, सस्ते दर पर लोन दिलाने के नाम पर, बीमा कराने वाला और लैप्स बीमा के नाम पर रकम दिलाने का झांसा देकर, कंप्यूटर में पॉप अप वायरस को ठीक करने के नाम पर, चाइल्ड पोर्नोग्राफी के नाम पर विदेशी नागरिकों से, फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज खोलकर विदेश से कम दर पर बातचीत करने के नाम पर, लकी ड्रा में कार गिफ्ट के नाम पर और लोगों को वीडियो कॉल के जरिए लड़कियों के साथ अश्लील वीडियो रिकॉर्ड कर उनके साथ साइबर अपराध किया जा रहा है।

यह सब कुछ ऐसे अपराध हैं जिनमें साइबर अपराधी आम आदमी को बहुत आसानी से फंसा लेते हैं और फिर उनसे मोटी रकम ऐंठ लेते हैं। ज्यादातर लोगों का डाटा — नाम, नंबर और उनकी इनफॉरमेशन साइबर अपराधी डार्क वेब के जरिए ही जुटाते हैं और उसके लिए अच्छी रकम भी खर्च करते हैं।

साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे के मुताबिक, जीरो ट्रस्ट मॉडल को अपनाना ही बचाव का सबसे बड़ा साधन है। उन्होंने बताया कि जब भी आपको कोई फोन आए कि मैं पुलिस, साइबर सेल, इनकम टैक्स या किसी और डिपार्टमेंट से बात कर रहा हूं तो तुरंत विश्वास ना करें, पहले उसकी जांच पड़ताल करें और फिर उससे बात करें।

और सबसे बड़ी बात है कि अगर पैसों की डिमांड आए तो आप समझ जाएं कि यह आपके साथ कोई ना कोई फ्रॉड होने वाला है। कोई भी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी आपसे फोन पर पैसे की डिमांड नहीं कर सकता। इसके साथ ही साथ किसी भी अनजान नंबर से व्हाट्सएप पर आए वीडियो कॉल या ऑडियो कॉल को न उठाए तो ही बेहतर है। कोई भी ओटीपी या कोई भी लिंक अगर मैसेज के जरिए आप तक आ रहा है तो उसे ना शेयर करें।

सबसे ज्यादा सतर्कता इस बात की चाहिए कि आपको जागरूक होना बेहद जरूरी है। आप खुद ही सोचें कि जब आपने किसी बहुत बड़े टैलेंट शो में हिस्सा नहीं लिया, आपने कोई लॉटरी का टिकट नहीं खरीदा, तो अचानक आपकी लॉटरी कैसे निकल गई या आपका सिलेक्शन कहीं पर कैसे हो गया। इन सब बातों पर गौर करते ही आप तुरंत अपराध को भांप लेंगे।

–आईएएनएस

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