नई दिल्ली, 19 मार्च (आईएएनएस)। सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के व्यवधान के कारण पिछले सप्ताह की पूरी संसदीय कार्यवाही बिना किसी कामकाज के धुल गई, सरकार के पास संसद में 2023-2024 के केंद्रीय बजट को पारित करने के लिए केवल दो सप्ताह का समय है।
मानदंडों के अनुसार, केंद्रीय बजट को वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले, यानी 31 मार्च 2023 से पहले संसद के दोनों सदनों में पारित करने की आवश्यकता होती है।
इसलिए सोमवार से शुरू होने वाले आगामी सप्ताह में सरकार कोशिश कर सकती है कि बजट क्लीयरेंस की प्रक्रिया शुरू की जाए।
आम तौर पर, रेलवे और कृषि जैसे कुछ प्रमुख मंत्रालयों की अनुदान मांगों को लोकसभा में चर्चा और मतदान के लिए लिया जाता है।
इनके लिए मतदान होने के बाद प्रत्येक विभाग के लिए अनुदान की मांगों को लेने का समय नहीं होता है, अध्यक्ष अनुदान की ऐसी सभी बकाया मांगों पर गिलोटिन लगाते हैं और उन्हें मतदान के लिए रखा जाता है, चाहे उन पर चर्चा हुई हो या नहीं।
एक बार यह हो जाने के बाद, सरकार विनियोग विधेयक पेश करती है, जिसमें भारत की संचित निधि से धन निकालने की स्वीकृति मांगी जाती है। इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद यह उपयुक्त अधिनियम बन जाता है। विनियोग विधेयक पर मतदान के बाद वित्त विधेयक पर विचार किया जाता है।
सूत्रों के मुताबिक, सरकार सोमवार को लोकसभा में 2023-24 के लिए रेल मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा और वोटिंग कराने की कोशिश कर सकती है। इसके अलावा, लोकसभा 2023-24 के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के बजट पर भी आम चर्चा कर सकती है।
इसके अलावा 2023-24 के लिए जम्मू-कश्मीर की अनुदान मांगों पर भी चर्चा और मतदान इसी सप्ताह हो सकता है। यदि लोकसभा सुचारू रूप से काम करती है तो यह 2022-23 के लिए जम्मू-कश्मीर के लिए अनुदान की पूरक मांगों पर चर्चा और मतदान भी कर सकती है।
सरकार 2022-23 के लिए अनुदान की पूरक मांगों के दूसरे बैच के लिए संसद की मंजूरी लेने का भी प्रयास करेगी।
–आईएएनएस
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