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शबाना आज़मी… ‘आंखों में नमी हंसी लबों पर’ को जीने वाली मशहूर एक्ट्रेस

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September 17, 2024
in मनोरंजन
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शबाना आज़मी… ‘आंखों में नमी हंसी लबों पर’ को जीने वाली मशहूर एक्ट्रेस
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नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)। साल 1982 की बॉलीवुड फिल्म ‘अर्थ’ में जगजीत सिंह की जादुई आवाज़ और कैफी आज़मी की लिखी गज़ल ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’ आज भी संगीतप्रेमियों की प्लेलिस्ट में शुमार है। इस गज़ल में एक लाइन ‘आंखों में नमी हंसी लबों पर, क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो’ है। पर्दे पर एक्ट्रेस शबाना आज़मी ने इसे निभाया था और इस एक लाइन ने उनके सिल्वर स्क्रीन के सफर को नया आयाम दिया।

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक शानदार मुकाम हासिल कर चुकी शबाना आज़मी ने अपने दौर के मशहूर कलाकारों के साथ ना सिर्फ काम किया बल्कि दमदार अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी जीते। 1974 में ‘अंकुर’ फिल्म के जरिए ऐसा ‘जादू’ रचा, जिसका दीवाना हर कोई हो गया। यह किस्मत का कनेक्शन ही समझिए कि शबाना ने जिस इंसान के साथ ताउम्र जीने-मरने की कसमें खाई, उसे लोग प्यार से ‘जादू’ ही कहते हैं।

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शबाना आज़मी ने एक्टिंग को नई परिभाषा दी। सामान्य सा चेहरा और बोलती आंखें, शबाना आज़मी का नाम सुनकर पहली दफा जेहन में यही दोनों खूबियां तैरती हैं। 18 सितंबर 1950 को पैदा हुईं शबाना आज़मी को छोटी उम्र से ही शेरो-शायरी समझ में आने लगी थी। उनके पिता कैफी आज़मी अपने दौर के मशहूर शायर रहे। लिहाजा, शबाना आज़मी को बचपन से ही जज्बातों को बयां करने का हुनर आ गया था।

कहा जाता है कि 1974 में आई श्याम बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’ के लिए शबाना आज़मी लीड रोल के रूप में पहली पसंद नहीं थीं। कई एक्ट्रेस के नामों पर विचार किया गया। बात बढ़ी, बनी नहीं। कई एक्ट्रेस ने फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया। आखिर में शबाना आज़मी ने फिल्म में एक्टिंग की। शूटिंग के दौरान ही कहीं ना कहीं अहसास हो गया था कि बॉलीवुड को शबाना के रूप में एक चमकता सितारा मिल गया है।

इस फिल्म के लिए शबाना ने खूब तारीफ बटोरी। उन्हें नेशनल अवॉर्ड तक मिला। उन्होंने 1982 से 1984 तक तीन साल तक लगातार ‘अर्थ’, ‘कंधार’ और ‘पार’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किया। उस दौर में कला फिल्मों का अलग ही दर्शक वर्ग था। शबाना निर्देशकों की पसंदीदा एक्ट्रेस की लिस्ट में शुमार थीं।

कला फिल्मों में अपना लोहा मनवाने वाली एक्टर ने कमर्शियल सिनेमा में भी खूब नाम कमाया।

1998 में आई ‘गॉडमदर’ के लिए भी शबाना आज़मी को नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्होंने ‘भावना’, ‘अर्थ’ और ‘स्वामी’ के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी अपने नाम किया।

शबाना आज़मी के बारे में कई किस्से मशहूर हैं। कई रिपोर्ट्स में जिक्र है कि शबाना आज़मी ने दो दफा खुदकुशी की कोशिश की थी। एक बार तो वह रेल की पटरी पर चली गई थी। लेकिन खुद को संभाला और फिल्म इंडस्ट्री की दिग्गज एक्ट्रेस में शुमार हो गईं। शबाना ने हर मुसीबत का डट कर मुकाबला किया। एक बेहतरीन पत्नी बनीं, एक ऐसी शख्सियत के रूप में खुद को साबित किया, जिसके बराबर इंडस्ट्री में कोई खड़ा नहीं हो सका।

अब बात शबाना की ज़िंदगी में ‘जादू’ की। उन्होंने मशहूर पटकथा लेखक जावेद अख्तर से शादी की, जिन्हें ‘जादू’ के नाम से भी पुकारा जाता है। पहले शबाना को जावेद अख्तर पसंद नहीं थे। शबाना के पिता कैफी आज़मी को जावेद अख्तर अपनी शायरी सुनाने आया करते थे। शबाना ने उनसे दूरी बना रखी थी। लेकिन, प्यार कहां दूरियों और परेशानियों को मानता है! शबाना और जावेद ने 9 दिसंबर 1984 को शादी कर ली।

शबाना आज़मी से पहले जावेद की शादी हनी ईरानी से हुई थी, जिनसे उनके दो बच्चे फरहान और जोया अख्तर हैं। शबाना आज़मी ने ‘फायर’, ‘निशांत’, ‘जुनून’, ‘तुम्हारी अमृता’, ‘फायर’, ‘मकड़ी’ और ‘मृत्युदंड’ में काम किया और खुद को एक सफल एक्ट्रेस के रूप में स्थापित किया। शबाना आज़मी का सफर अब भी जारी है। जुलाई 2023 में रिलीज हुई करण जौहर की फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में भी नजर आई थीं।

‘घूमर’ फिल्म में भी दिखाई दी थीं। शबाना आज़मी और जावेद अख्तर की जोड़ी को इंडस्ट्री में पावर कपल माना जाता है। कई मौकों पर दोनों साथ दिखते हैं। जावेद अख्तर भी शबाना की तारीफ करते दिख जाते हैं। शायद, जावेद अख्तर ने शबाना के लिए ही लिखा है, “मगर ये ज़िंदगी की ख़ूबसूरत इक हक़ीक़त है, कि मेरी राह में जब ऐसा कोई मोड़ आया है, तो हर उस मोड़ पर मैंने, तुम्हें हम-राह पाया है।”

–आईएएनएस

एबीएम/

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नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)। साल 1982 की बॉलीवुड फिल्म ‘अर्थ’ में जगजीत सिंह की जादुई आवाज़ और कैफी आज़मी की लिखी गज़ल ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’ आज भी संगीतप्रेमियों की प्लेलिस्ट में शुमार है। इस गज़ल में एक लाइन ‘आंखों में नमी हंसी लबों पर, क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो’ है। पर्दे पर एक्ट्रेस शबाना आज़मी ने इसे निभाया था और इस एक लाइन ने उनके सिल्वर स्क्रीन के सफर को नया आयाम दिया।

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक शानदार मुकाम हासिल कर चुकी शबाना आज़मी ने अपने दौर के मशहूर कलाकारों के साथ ना सिर्फ काम किया बल्कि दमदार अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी जीते। 1974 में ‘अंकुर’ फिल्म के जरिए ऐसा ‘जादू’ रचा, जिसका दीवाना हर कोई हो गया। यह किस्मत का कनेक्शन ही समझिए कि शबाना ने जिस इंसान के साथ ताउम्र जीने-मरने की कसमें खाई, उसे लोग प्यार से ‘जादू’ ही कहते हैं।

शबाना आज़मी ने एक्टिंग को नई परिभाषा दी। सामान्य सा चेहरा और बोलती आंखें, शबाना आज़मी का नाम सुनकर पहली दफा जेहन में यही दोनों खूबियां तैरती हैं। 18 सितंबर 1950 को पैदा हुईं शबाना आज़मी को छोटी उम्र से ही शेरो-शायरी समझ में आने लगी थी। उनके पिता कैफी आज़मी अपने दौर के मशहूर शायर रहे। लिहाजा, शबाना आज़मी को बचपन से ही जज्बातों को बयां करने का हुनर आ गया था।

कहा जाता है कि 1974 में आई श्याम बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’ के लिए शबाना आज़मी लीड रोल के रूप में पहली पसंद नहीं थीं। कई एक्ट्रेस के नामों पर विचार किया गया। बात बढ़ी, बनी नहीं। कई एक्ट्रेस ने फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया। आखिर में शबाना आज़मी ने फिल्म में एक्टिंग की। शूटिंग के दौरान ही कहीं ना कहीं अहसास हो गया था कि बॉलीवुड को शबाना के रूप में एक चमकता सितारा मिल गया है।

इस फिल्म के लिए शबाना ने खूब तारीफ बटोरी। उन्हें नेशनल अवॉर्ड तक मिला। उन्होंने 1982 से 1984 तक तीन साल तक लगातार ‘अर्थ’, ‘कंधार’ और ‘पार’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किया। उस दौर में कला फिल्मों का अलग ही दर्शक वर्ग था। शबाना निर्देशकों की पसंदीदा एक्ट्रेस की लिस्ट में शुमार थीं।

कला फिल्मों में अपना लोहा मनवाने वाली एक्टर ने कमर्शियल सिनेमा में भी खूब नाम कमाया।

1998 में आई ‘गॉडमदर’ के लिए भी शबाना आज़मी को नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्होंने ‘भावना’, ‘अर्थ’ और ‘स्वामी’ के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी अपने नाम किया।

शबाना आज़मी के बारे में कई किस्से मशहूर हैं। कई रिपोर्ट्स में जिक्र है कि शबाना आज़मी ने दो दफा खुदकुशी की कोशिश की थी। एक बार तो वह रेल की पटरी पर चली गई थी। लेकिन खुद को संभाला और फिल्म इंडस्ट्री की दिग्गज एक्ट्रेस में शुमार हो गईं। शबाना ने हर मुसीबत का डट कर मुकाबला किया। एक बेहतरीन पत्नी बनीं, एक ऐसी शख्सियत के रूप में खुद को साबित किया, जिसके बराबर इंडस्ट्री में कोई खड़ा नहीं हो सका।

अब बात शबाना की ज़िंदगी में ‘जादू’ की। उन्होंने मशहूर पटकथा लेखक जावेद अख्तर से शादी की, जिन्हें ‘जादू’ के नाम से भी पुकारा जाता है। पहले शबाना को जावेद अख्तर पसंद नहीं थे। शबाना के पिता कैफी आज़मी को जावेद अख्तर अपनी शायरी सुनाने आया करते थे। शबाना ने उनसे दूरी बना रखी थी। लेकिन, प्यार कहां दूरियों और परेशानियों को मानता है! शबाना और जावेद ने 9 दिसंबर 1984 को शादी कर ली।

शबाना आज़मी से पहले जावेद की शादी हनी ईरानी से हुई थी, जिनसे उनके दो बच्चे फरहान और जोया अख्तर हैं। शबाना आज़मी ने ‘फायर’, ‘निशांत’, ‘जुनून’, ‘तुम्हारी अमृता’, ‘फायर’, ‘मकड़ी’ और ‘मृत्युदंड’ में काम किया और खुद को एक सफल एक्ट्रेस के रूप में स्थापित किया। शबाना आज़मी का सफर अब भी जारी है। जुलाई 2023 में रिलीज हुई करण जौहर की फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में भी नजर आई थीं।

‘घूमर’ फिल्म में भी दिखाई दी थीं। शबाना आज़मी और जावेद अख्तर की जोड़ी को इंडस्ट्री में पावर कपल माना जाता है। कई मौकों पर दोनों साथ दिखते हैं। जावेद अख्तर भी शबाना की तारीफ करते दिख जाते हैं। शायद, जावेद अख्तर ने शबाना के लिए ही लिखा है, “मगर ये ज़िंदगी की ख़ूबसूरत इक हक़ीक़त है, कि मेरी राह में जब ऐसा कोई मोड़ आया है, तो हर उस मोड़ पर मैंने, तुम्हें हम-राह पाया है।”

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)। साल 1982 की बॉलीवुड फिल्म ‘अर्थ’ में जगजीत सिंह की जादुई आवाज़ और कैफी आज़मी की लिखी गज़ल ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’ आज भी संगीतप्रेमियों की प्लेलिस्ट में शुमार है। इस गज़ल में एक लाइन ‘आंखों में नमी हंसी लबों पर, क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो’ है। पर्दे पर एक्ट्रेस शबाना आज़मी ने इसे निभाया था और इस एक लाइन ने उनके सिल्वर स्क्रीन के सफर को नया आयाम दिया।

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक शानदार मुकाम हासिल कर चुकी शबाना आज़मी ने अपने दौर के मशहूर कलाकारों के साथ ना सिर्फ काम किया बल्कि दमदार अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी जीते। 1974 में ‘अंकुर’ फिल्म के जरिए ऐसा ‘जादू’ रचा, जिसका दीवाना हर कोई हो गया। यह किस्मत का कनेक्शन ही समझिए कि शबाना ने जिस इंसान के साथ ताउम्र जीने-मरने की कसमें खाई, उसे लोग प्यार से ‘जादू’ ही कहते हैं।

शबाना आज़मी ने एक्टिंग को नई परिभाषा दी। सामान्य सा चेहरा और बोलती आंखें, शबाना आज़मी का नाम सुनकर पहली दफा जेहन में यही दोनों खूबियां तैरती हैं। 18 सितंबर 1950 को पैदा हुईं शबाना आज़मी को छोटी उम्र से ही शेरो-शायरी समझ में आने लगी थी। उनके पिता कैफी आज़मी अपने दौर के मशहूर शायर रहे। लिहाजा, शबाना आज़मी को बचपन से ही जज्बातों को बयां करने का हुनर आ गया था।

कहा जाता है कि 1974 में आई श्याम बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’ के लिए शबाना आज़मी लीड रोल के रूप में पहली पसंद नहीं थीं। कई एक्ट्रेस के नामों पर विचार किया गया। बात बढ़ी, बनी नहीं। कई एक्ट्रेस ने फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया। आखिर में शबाना आज़मी ने फिल्म में एक्टिंग की। शूटिंग के दौरान ही कहीं ना कहीं अहसास हो गया था कि बॉलीवुड को शबाना के रूप में एक चमकता सितारा मिल गया है।

इस फिल्म के लिए शबाना ने खूब तारीफ बटोरी। उन्हें नेशनल अवॉर्ड तक मिला। उन्होंने 1982 से 1984 तक तीन साल तक लगातार ‘अर्थ’, ‘कंधार’ और ‘पार’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किया। उस दौर में कला फिल्मों का अलग ही दर्शक वर्ग था। शबाना निर्देशकों की पसंदीदा एक्ट्रेस की लिस्ट में शुमार थीं।

कला फिल्मों में अपना लोहा मनवाने वाली एक्टर ने कमर्शियल सिनेमा में भी खूब नाम कमाया।

1998 में आई ‘गॉडमदर’ के लिए भी शबाना आज़मी को नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्होंने ‘भावना’, ‘अर्थ’ और ‘स्वामी’ के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी अपने नाम किया।

शबाना आज़मी के बारे में कई किस्से मशहूर हैं। कई रिपोर्ट्स में जिक्र है कि शबाना आज़मी ने दो दफा खुदकुशी की कोशिश की थी। एक बार तो वह रेल की पटरी पर चली गई थी। लेकिन खुद को संभाला और फिल्म इंडस्ट्री की दिग्गज एक्ट्रेस में शुमार हो गईं। शबाना ने हर मुसीबत का डट कर मुकाबला किया। एक बेहतरीन पत्नी बनीं, एक ऐसी शख्सियत के रूप में खुद को साबित किया, जिसके बराबर इंडस्ट्री में कोई खड़ा नहीं हो सका।

अब बात शबाना की ज़िंदगी में ‘जादू’ की। उन्होंने मशहूर पटकथा लेखक जावेद अख्तर से शादी की, जिन्हें ‘जादू’ के नाम से भी पुकारा जाता है। पहले शबाना को जावेद अख्तर पसंद नहीं थे। शबाना के पिता कैफी आज़मी को जावेद अख्तर अपनी शायरी सुनाने आया करते थे। शबाना ने उनसे दूरी बना रखी थी। लेकिन, प्यार कहां दूरियों और परेशानियों को मानता है! शबाना और जावेद ने 9 दिसंबर 1984 को शादी कर ली।

शबाना आज़मी से पहले जावेद की शादी हनी ईरानी से हुई थी, जिनसे उनके दो बच्चे फरहान और जोया अख्तर हैं। शबाना आज़मी ने ‘फायर’, ‘निशांत’, ‘जुनून’, ‘तुम्हारी अमृता’, ‘फायर’, ‘मकड़ी’ और ‘मृत्युदंड’ में काम किया और खुद को एक सफल एक्ट्रेस के रूप में स्थापित किया। शबाना आज़मी का सफर अब भी जारी है। जुलाई 2023 में रिलीज हुई करण जौहर की फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में भी नजर आई थीं।

‘घूमर’ फिल्म में भी दिखाई दी थीं। शबाना आज़मी और जावेद अख्तर की जोड़ी को इंडस्ट्री में पावर कपल माना जाता है। कई मौकों पर दोनों साथ दिखते हैं। जावेद अख्तर भी शबाना की तारीफ करते दिख जाते हैं। शायद, जावेद अख्तर ने शबाना के लिए ही लिखा है, “मगर ये ज़िंदगी की ख़ूबसूरत इक हक़ीक़त है, कि मेरी राह में जब ऐसा कोई मोड़ आया है, तो हर उस मोड़ पर मैंने, तुम्हें हम-राह पाया है।”

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नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)। साल 1982 की बॉलीवुड फिल्म ‘अर्थ’ में जगजीत सिंह की जादुई आवाज़ और कैफी आज़मी की लिखी गज़ल ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’ आज भी संगीतप्रेमियों की प्लेलिस्ट में शुमार है। इस गज़ल में एक लाइन ‘आंखों में नमी हंसी लबों पर, क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो’ है। पर्दे पर एक्ट्रेस शबाना आज़मी ने इसे निभाया था और इस एक लाइन ने उनके सिल्वर स्क्रीन के सफर को नया आयाम दिया।

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक शानदार मुकाम हासिल कर चुकी शबाना आज़मी ने अपने दौर के मशहूर कलाकारों के साथ ना सिर्फ काम किया बल्कि दमदार अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी जीते। 1974 में ‘अंकुर’ फिल्म के जरिए ऐसा ‘जादू’ रचा, जिसका दीवाना हर कोई हो गया। यह किस्मत का कनेक्शन ही समझिए कि शबाना ने जिस इंसान के साथ ताउम्र जीने-मरने की कसमें खाई, उसे लोग प्यार से ‘जादू’ ही कहते हैं।

शबाना आज़मी ने एक्टिंग को नई परिभाषा दी। सामान्य सा चेहरा और बोलती आंखें, शबाना आज़मी का नाम सुनकर पहली दफा जेहन में यही दोनों खूबियां तैरती हैं। 18 सितंबर 1950 को पैदा हुईं शबाना आज़मी को छोटी उम्र से ही शेरो-शायरी समझ में आने लगी थी। उनके पिता कैफी आज़मी अपने दौर के मशहूर शायर रहे। लिहाजा, शबाना आज़मी को बचपन से ही जज्बातों को बयां करने का हुनर आ गया था।

कहा जाता है कि 1974 में आई श्याम बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’ के लिए शबाना आज़मी लीड रोल के रूप में पहली पसंद नहीं थीं। कई एक्ट्रेस के नामों पर विचार किया गया। बात बढ़ी, बनी नहीं। कई एक्ट्रेस ने फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया। आखिर में शबाना आज़मी ने फिल्म में एक्टिंग की। शूटिंग के दौरान ही कहीं ना कहीं अहसास हो गया था कि बॉलीवुड को शबाना के रूप में एक चमकता सितारा मिल गया है।

इस फिल्म के लिए शबाना ने खूब तारीफ बटोरी। उन्हें नेशनल अवॉर्ड तक मिला। उन्होंने 1982 से 1984 तक तीन साल तक लगातार ‘अर्थ’, ‘कंधार’ और ‘पार’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किया। उस दौर में कला फिल्मों का अलग ही दर्शक वर्ग था। शबाना निर्देशकों की पसंदीदा एक्ट्रेस की लिस्ट में शुमार थीं।

कला फिल्मों में अपना लोहा मनवाने वाली एक्टर ने कमर्शियल सिनेमा में भी खूब नाम कमाया।

1998 में आई ‘गॉडमदर’ के लिए भी शबाना आज़मी को नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्होंने ‘भावना’, ‘अर्थ’ और ‘स्वामी’ के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी अपने नाम किया।

शबाना आज़मी के बारे में कई किस्से मशहूर हैं। कई रिपोर्ट्स में जिक्र है कि शबाना आज़मी ने दो दफा खुदकुशी की कोशिश की थी। एक बार तो वह रेल की पटरी पर चली गई थी। लेकिन खुद को संभाला और फिल्म इंडस्ट्री की दिग्गज एक्ट्रेस में शुमार हो गईं। शबाना ने हर मुसीबत का डट कर मुकाबला किया। एक बेहतरीन पत्नी बनीं, एक ऐसी शख्सियत के रूप में खुद को साबित किया, जिसके बराबर इंडस्ट्री में कोई खड़ा नहीं हो सका।

अब बात शबाना की ज़िंदगी में ‘जादू’ की। उन्होंने मशहूर पटकथा लेखक जावेद अख्तर से शादी की, जिन्हें ‘जादू’ के नाम से भी पुकारा जाता है। पहले शबाना को जावेद अख्तर पसंद नहीं थे। शबाना के पिता कैफी आज़मी को जावेद अख्तर अपनी शायरी सुनाने आया करते थे। शबाना ने उनसे दूरी बना रखी थी। लेकिन, प्यार कहां दूरियों और परेशानियों को मानता है! शबाना और जावेद ने 9 दिसंबर 1984 को शादी कर ली।

शबाना आज़मी से पहले जावेद की शादी हनी ईरानी से हुई थी, जिनसे उनके दो बच्चे फरहान और जोया अख्तर हैं। शबाना आज़मी ने ‘फायर’, ‘निशांत’, ‘जुनून’, ‘तुम्हारी अमृता’, ‘फायर’, ‘मकड़ी’ और ‘मृत्युदंड’ में काम किया और खुद को एक सफल एक्ट्रेस के रूप में स्थापित किया। शबाना आज़मी का सफर अब भी जारी है। जुलाई 2023 में रिलीज हुई करण जौहर की फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में भी नजर आई थीं।

‘घूमर’ फिल्म में भी दिखाई दी थीं। शबाना आज़मी और जावेद अख्तर की जोड़ी को इंडस्ट्री में पावर कपल माना जाता है। कई मौकों पर दोनों साथ दिखते हैं। जावेद अख्तर भी शबाना की तारीफ करते दिख जाते हैं। शायद, जावेद अख्तर ने शबाना के लिए ही लिखा है, “मगर ये ज़िंदगी की ख़ूबसूरत इक हक़ीक़त है, कि मेरी राह में जब ऐसा कोई मोड़ आया है, तो हर उस मोड़ पर मैंने, तुम्हें हम-राह पाया है।”

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)। साल 1982 की बॉलीवुड फिल्म ‘अर्थ’ में जगजीत सिंह की जादुई आवाज़ और कैफी आज़मी की लिखी गज़ल ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’ आज भी संगीतप्रेमियों की प्लेलिस्ट में शुमार है। इस गज़ल में एक लाइन ‘आंखों में नमी हंसी लबों पर, क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो’ है। पर्दे पर एक्ट्रेस शबाना आज़मी ने इसे निभाया था और इस एक लाइन ने उनके सिल्वर स्क्रीन के सफर को नया आयाम दिया।

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक शानदार मुकाम हासिल कर चुकी शबाना आज़मी ने अपने दौर के मशहूर कलाकारों के साथ ना सिर्फ काम किया बल्कि दमदार अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी जीते। 1974 में ‘अंकुर’ फिल्म के जरिए ऐसा ‘जादू’ रचा, जिसका दीवाना हर कोई हो गया। यह किस्मत का कनेक्शन ही समझिए कि शबाना ने जिस इंसान के साथ ताउम्र जीने-मरने की कसमें खाई, उसे लोग प्यार से ‘जादू’ ही कहते हैं।

शबाना आज़मी ने एक्टिंग को नई परिभाषा दी। सामान्य सा चेहरा और बोलती आंखें, शबाना आज़मी का नाम सुनकर पहली दफा जेहन में यही दोनों खूबियां तैरती हैं। 18 सितंबर 1950 को पैदा हुईं शबाना आज़मी को छोटी उम्र से ही शेरो-शायरी समझ में आने लगी थी। उनके पिता कैफी आज़मी अपने दौर के मशहूर शायर रहे। लिहाजा, शबाना आज़मी को बचपन से ही जज्बातों को बयां करने का हुनर आ गया था।

कहा जाता है कि 1974 में आई श्याम बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’ के लिए शबाना आज़मी लीड रोल के रूप में पहली पसंद नहीं थीं। कई एक्ट्रेस के नामों पर विचार किया गया। बात बढ़ी, बनी नहीं। कई एक्ट्रेस ने फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया। आखिर में शबाना आज़मी ने फिल्म में एक्टिंग की। शूटिंग के दौरान ही कहीं ना कहीं अहसास हो गया था कि बॉलीवुड को शबाना के रूप में एक चमकता सितारा मिल गया है।

इस फिल्म के लिए शबाना ने खूब तारीफ बटोरी। उन्हें नेशनल अवॉर्ड तक मिला। उन्होंने 1982 से 1984 तक तीन साल तक लगातार ‘अर्थ’, ‘कंधार’ और ‘पार’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किया। उस दौर में कला फिल्मों का अलग ही दर्शक वर्ग था। शबाना निर्देशकों की पसंदीदा एक्ट्रेस की लिस्ट में शुमार थीं।

कला फिल्मों में अपना लोहा मनवाने वाली एक्टर ने कमर्शियल सिनेमा में भी खूब नाम कमाया।

1998 में आई ‘गॉडमदर’ के लिए भी शबाना आज़मी को नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्होंने ‘भावना’, ‘अर्थ’ और ‘स्वामी’ के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी अपने नाम किया।

शबाना आज़मी के बारे में कई किस्से मशहूर हैं। कई रिपोर्ट्स में जिक्र है कि शबाना आज़मी ने दो दफा खुदकुशी की कोशिश की थी। एक बार तो वह रेल की पटरी पर चली गई थी। लेकिन खुद को संभाला और फिल्म इंडस्ट्री की दिग्गज एक्ट्रेस में शुमार हो गईं। शबाना ने हर मुसीबत का डट कर मुकाबला किया। एक बेहतरीन पत्नी बनीं, एक ऐसी शख्सियत के रूप में खुद को साबित किया, जिसके बराबर इंडस्ट्री में कोई खड़ा नहीं हो सका।

अब बात शबाना की ज़िंदगी में ‘जादू’ की। उन्होंने मशहूर पटकथा लेखक जावेद अख्तर से शादी की, जिन्हें ‘जादू’ के नाम से भी पुकारा जाता है। पहले शबाना को जावेद अख्तर पसंद नहीं थे। शबाना के पिता कैफी आज़मी को जावेद अख्तर अपनी शायरी सुनाने आया करते थे। शबाना ने उनसे दूरी बना रखी थी। लेकिन, प्यार कहां दूरियों और परेशानियों को मानता है! शबाना और जावेद ने 9 दिसंबर 1984 को शादी कर ली।

शबाना आज़मी से पहले जावेद की शादी हनी ईरानी से हुई थी, जिनसे उनके दो बच्चे फरहान और जोया अख्तर हैं। शबाना आज़मी ने ‘फायर’, ‘निशांत’, ‘जुनून’, ‘तुम्हारी अमृता’, ‘फायर’, ‘मकड़ी’ और ‘मृत्युदंड’ में काम किया और खुद को एक सफल एक्ट्रेस के रूप में स्थापित किया। शबाना आज़मी का सफर अब भी जारी है। जुलाई 2023 में रिलीज हुई करण जौहर की फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में भी नजर आई थीं।

‘घूमर’ फिल्म में भी दिखाई दी थीं। शबाना आज़मी और जावेद अख्तर की जोड़ी को इंडस्ट्री में पावर कपल माना जाता है। कई मौकों पर दोनों साथ दिखते हैं। जावेद अख्तर भी शबाना की तारीफ करते दिख जाते हैं। शायद, जावेद अख्तर ने शबाना के लिए ही लिखा है, “मगर ये ज़िंदगी की ख़ूबसूरत इक हक़ीक़त है, कि मेरी राह में जब ऐसा कोई मोड़ आया है, तो हर उस मोड़ पर मैंने, तुम्हें हम-राह पाया है।”

–आईएएनएस

एबीएम/

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नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)। साल 1982 की बॉलीवुड फिल्म ‘अर्थ’ में जगजीत सिंह की जादुई आवाज़ और कैफी आज़मी की लिखी गज़ल ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’ आज भी संगीतप्रेमियों की प्लेलिस्ट में शुमार है। इस गज़ल में एक लाइन ‘आंखों में नमी हंसी लबों पर, क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो’ है। पर्दे पर एक्ट्रेस शबाना आज़मी ने इसे निभाया था और इस एक लाइन ने उनके सिल्वर स्क्रीन के सफर को नया आयाम दिया।

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक शानदार मुकाम हासिल कर चुकी शबाना आज़मी ने अपने दौर के मशहूर कलाकारों के साथ ना सिर्फ काम किया बल्कि दमदार अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी जीते। 1974 में ‘अंकुर’ फिल्म के जरिए ऐसा ‘जादू’ रचा, जिसका दीवाना हर कोई हो गया। यह किस्मत का कनेक्शन ही समझिए कि शबाना ने जिस इंसान के साथ ताउम्र जीने-मरने की कसमें खाई, उसे लोग प्यार से ‘जादू’ ही कहते हैं।

शबाना आज़मी ने एक्टिंग को नई परिभाषा दी। सामान्य सा चेहरा और बोलती आंखें, शबाना आज़मी का नाम सुनकर पहली दफा जेहन में यही दोनों खूबियां तैरती हैं। 18 सितंबर 1950 को पैदा हुईं शबाना आज़मी को छोटी उम्र से ही शेरो-शायरी समझ में आने लगी थी। उनके पिता कैफी आज़मी अपने दौर के मशहूर शायर रहे। लिहाजा, शबाना आज़मी को बचपन से ही जज्बातों को बयां करने का हुनर आ गया था।

कहा जाता है कि 1974 में आई श्याम बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’ के लिए शबाना आज़मी लीड रोल के रूप में पहली पसंद नहीं थीं। कई एक्ट्रेस के नामों पर विचार किया गया। बात बढ़ी, बनी नहीं। कई एक्ट्रेस ने फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया। आखिर में शबाना आज़मी ने फिल्म में एक्टिंग की। शूटिंग के दौरान ही कहीं ना कहीं अहसास हो गया था कि बॉलीवुड को शबाना के रूप में एक चमकता सितारा मिल गया है।

इस फिल्म के लिए शबाना ने खूब तारीफ बटोरी। उन्हें नेशनल अवॉर्ड तक मिला। उन्होंने 1982 से 1984 तक तीन साल तक लगातार ‘अर्थ’, ‘कंधार’ और ‘पार’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किया। उस दौर में कला फिल्मों का अलग ही दर्शक वर्ग था। शबाना निर्देशकों की पसंदीदा एक्ट्रेस की लिस्ट में शुमार थीं।

कला फिल्मों में अपना लोहा मनवाने वाली एक्टर ने कमर्शियल सिनेमा में भी खूब नाम कमाया।

1998 में आई ‘गॉडमदर’ के लिए भी शबाना आज़मी को नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्होंने ‘भावना’, ‘अर्थ’ और ‘स्वामी’ के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी अपने नाम किया।

शबाना आज़मी के बारे में कई किस्से मशहूर हैं। कई रिपोर्ट्स में जिक्र है कि शबाना आज़मी ने दो दफा खुदकुशी की कोशिश की थी। एक बार तो वह रेल की पटरी पर चली गई थी। लेकिन खुद को संभाला और फिल्म इंडस्ट्री की दिग्गज एक्ट्रेस में शुमार हो गईं। शबाना ने हर मुसीबत का डट कर मुकाबला किया। एक बेहतरीन पत्नी बनीं, एक ऐसी शख्सियत के रूप में खुद को साबित किया, जिसके बराबर इंडस्ट्री में कोई खड़ा नहीं हो सका।

अब बात शबाना की ज़िंदगी में ‘जादू’ की। उन्होंने मशहूर पटकथा लेखक जावेद अख्तर से शादी की, जिन्हें ‘जादू’ के नाम से भी पुकारा जाता है। पहले शबाना को जावेद अख्तर पसंद नहीं थे। शबाना के पिता कैफी आज़मी को जावेद अख्तर अपनी शायरी सुनाने आया करते थे। शबाना ने उनसे दूरी बना रखी थी। लेकिन, प्यार कहां दूरियों और परेशानियों को मानता है! शबाना और जावेद ने 9 दिसंबर 1984 को शादी कर ली।

शबाना आज़मी से पहले जावेद की शादी हनी ईरानी से हुई थी, जिनसे उनके दो बच्चे फरहान और जोया अख्तर हैं। शबाना आज़मी ने ‘फायर’, ‘निशांत’, ‘जुनून’, ‘तुम्हारी अमृता’, ‘फायर’, ‘मकड़ी’ और ‘मृत्युदंड’ में काम किया और खुद को एक सफल एक्ट्रेस के रूप में स्थापित किया। शबाना आज़मी का सफर अब भी जारी है। जुलाई 2023 में रिलीज हुई करण जौहर की फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में भी नजर आई थीं।

‘घूमर’ फिल्म में भी दिखाई दी थीं। शबाना आज़मी और जावेद अख्तर की जोड़ी को इंडस्ट्री में पावर कपल माना जाता है। कई मौकों पर दोनों साथ दिखते हैं। जावेद अख्तर भी शबाना की तारीफ करते दिख जाते हैं। शायद, जावेद अख्तर ने शबाना के लिए ही लिखा है, “मगर ये ज़िंदगी की ख़ूबसूरत इक हक़ीक़त है, कि मेरी राह में जब ऐसा कोई मोड़ आया है, तो हर उस मोड़ पर मैंने, तुम्हें हम-राह पाया है।”

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)। साल 1982 की बॉलीवुड फिल्म ‘अर्थ’ में जगजीत सिंह की जादुई आवाज़ और कैफी आज़मी की लिखी गज़ल ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’ आज भी संगीतप्रेमियों की प्लेलिस्ट में शुमार है। इस गज़ल में एक लाइन ‘आंखों में नमी हंसी लबों पर, क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो’ है। पर्दे पर एक्ट्रेस शबाना आज़मी ने इसे निभाया था और इस एक लाइन ने उनके सिल्वर स्क्रीन के सफर को नया आयाम दिया।

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक शानदार मुकाम हासिल कर चुकी शबाना आज़मी ने अपने दौर के मशहूर कलाकारों के साथ ना सिर्फ काम किया बल्कि दमदार अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी जीते। 1974 में ‘अंकुर’ फिल्म के जरिए ऐसा ‘जादू’ रचा, जिसका दीवाना हर कोई हो गया। यह किस्मत का कनेक्शन ही समझिए कि शबाना ने जिस इंसान के साथ ताउम्र जीने-मरने की कसमें खाई, उसे लोग प्यार से ‘जादू’ ही कहते हैं।

शबाना आज़मी ने एक्टिंग को नई परिभाषा दी। सामान्य सा चेहरा और बोलती आंखें, शबाना आज़मी का नाम सुनकर पहली दफा जेहन में यही दोनों खूबियां तैरती हैं। 18 सितंबर 1950 को पैदा हुईं शबाना आज़मी को छोटी उम्र से ही शेरो-शायरी समझ में आने लगी थी। उनके पिता कैफी आज़मी अपने दौर के मशहूर शायर रहे। लिहाजा, शबाना आज़मी को बचपन से ही जज्बातों को बयां करने का हुनर आ गया था।

कहा जाता है कि 1974 में आई श्याम बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’ के लिए शबाना आज़मी लीड रोल के रूप में पहली पसंद नहीं थीं। कई एक्ट्रेस के नामों पर विचार किया गया। बात बढ़ी, बनी नहीं। कई एक्ट्रेस ने फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया। आखिर में शबाना आज़मी ने फिल्म में एक्टिंग की। शूटिंग के दौरान ही कहीं ना कहीं अहसास हो गया था कि बॉलीवुड को शबाना के रूप में एक चमकता सितारा मिल गया है।

इस फिल्म के लिए शबाना ने खूब तारीफ बटोरी। उन्हें नेशनल अवॉर्ड तक मिला। उन्होंने 1982 से 1984 तक तीन साल तक लगातार ‘अर्थ’, ‘कंधार’ और ‘पार’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किया। उस दौर में कला फिल्मों का अलग ही दर्शक वर्ग था। शबाना निर्देशकों की पसंदीदा एक्ट्रेस की लिस्ट में शुमार थीं।

कला फिल्मों में अपना लोहा मनवाने वाली एक्टर ने कमर्शियल सिनेमा में भी खूब नाम कमाया।

1998 में आई ‘गॉडमदर’ के लिए भी शबाना आज़मी को नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्होंने ‘भावना’, ‘अर्थ’ और ‘स्वामी’ के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी अपने नाम किया।

शबाना आज़मी के बारे में कई किस्से मशहूर हैं। कई रिपोर्ट्स में जिक्र है कि शबाना आज़मी ने दो दफा खुदकुशी की कोशिश की थी। एक बार तो वह रेल की पटरी पर चली गई थी। लेकिन खुद को संभाला और फिल्म इंडस्ट्री की दिग्गज एक्ट्रेस में शुमार हो गईं। शबाना ने हर मुसीबत का डट कर मुकाबला किया। एक बेहतरीन पत्नी बनीं, एक ऐसी शख्सियत के रूप में खुद को साबित किया, जिसके बराबर इंडस्ट्री में कोई खड़ा नहीं हो सका।

अब बात शबाना की ज़िंदगी में ‘जादू’ की। उन्होंने मशहूर पटकथा लेखक जावेद अख्तर से शादी की, जिन्हें ‘जादू’ के नाम से भी पुकारा जाता है। पहले शबाना को जावेद अख्तर पसंद नहीं थे। शबाना के पिता कैफी आज़मी को जावेद अख्तर अपनी शायरी सुनाने आया करते थे। शबाना ने उनसे दूरी बना रखी थी। लेकिन, प्यार कहां दूरियों और परेशानियों को मानता है! शबाना और जावेद ने 9 दिसंबर 1984 को शादी कर ली।

शबाना आज़मी से पहले जावेद की शादी हनी ईरानी से हुई थी, जिनसे उनके दो बच्चे फरहान और जोया अख्तर हैं। शबाना आज़मी ने ‘फायर’, ‘निशांत’, ‘जुनून’, ‘तुम्हारी अमृता’, ‘फायर’, ‘मकड़ी’ और ‘मृत्युदंड’ में काम किया और खुद को एक सफल एक्ट्रेस के रूप में स्थापित किया। शबाना आज़मी का सफर अब भी जारी है। जुलाई 2023 में रिलीज हुई करण जौहर की फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में भी नजर आई थीं।

‘घूमर’ फिल्म में भी दिखाई दी थीं। शबाना आज़मी और जावेद अख्तर की जोड़ी को इंडस्ट्री में पावर कपल माना जाता है। कई मौकों पर दोनों साथ दिखते हैं। जावेद अख्तर भी शबाना की तारीफ करते दिख जाते हैं। शायद, जावेद अख्तर ने शबाना के लिए ही लिखा है, “मगर ये ज़िंदगी की ख़ूबसूरत इक हक़ीक़त है, कि मेरी राह में जब ऐसा कोई मोड़ आया है, तो हर उस मोड़ पर मैंने, तुम्हें हम-राह पाया है।”

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)। साल 1982 की बॉलीवुड फिल्म ‘अर्थ’ में जगजीत सिंह की जादुई आवाज़ और कैफी आज़मी की लिखी गज़ल ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’ आज भी संगीतप्रेमियों की प्लेलिस्ट में शुमार है। इस गज़ल में एक लाइन ‘आंखों में नमी हंसी लबों पर, क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो’ है। पर्दे पर एक्ट्रेस शबाना आज़मी ने इसे निभाया था और इस एक लाइन ने उनके सिल्वर स्क्रीन के सफर को नया आयाम दिया।

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक शानदार मुकाम हासिल कर चुकी शबाना आज़मी ने अपने दौर के मशहूर कलाकारों के साथ ना सिर्फ काम किया बल्कि दमदार अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी जीते। 1974 में ‘अंकुर’ फिल्म के जरिए ऐसा ‘जादू’ रचा, जिसका दीवाना हर कोई हो गया। यह किस्मत का कनेक्शन ही समझिए कि शबाना ने जिस इंसान के साथ ताउम्र जीने-मरने की कसमें खाई, उसे लोग प्यार से ‘जादू’ ही कहते हैं।

शबाना आज़मी ने एक्टिंग को नई परिभाषा दी। सामान्य सा चेहरा और बोलती आंखें, शबाना आज़मी का नाम सुनकर पहली दफा जेहन में यही दोनों खूबियां तैरती हैं। 18 सितंबर 1950 को पैदा हुईं शबाना आज़मी को छोटी उम्र से ही शेरो-शायरी समझ में आने लगी थी। उनके पिता कैफी आज़मी अपने दौर के मशहूर शायर रहे। लिहाजा, शबाना आज़मी को बचपन से ही जज्बातों को बयां करने का हुनर आ गया था।

कहा जाता है कि 1974 में आई श्याम बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’ के लिए शबाना आज़मी लीड रोल के रूप में पहली पसंद नहीं थीं। कई एक्ट्रेस के नामों पर विचार किया गया। बात बढ़ी, बनी नहीं। कई एक्ट्रेस ने फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया। आखिर में शबाना आज़मी ने फिल्म में एक्टिंग की। शूटिंग के दौरान ही कहीं ना कहीं अहसास हो गया था कि बॉलीवुड को शबाना के रूप में एक चमकता सितारा मिल गया है।

इस फिल्म के लिए शबाना ने खूब तारीफ बटोरी। उन्हें नेशनल अवॉर्ड तक मिला। उन्होंने 1982 से 1984 तक तीन साल तक लगातार ‘अर्थ’, ‘कंधार’ और ‘पार’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किया। उस दौर में कला फिल्मों का अलग ही दर्शक वर्ग था। शबाना निर्देशकों की पसंदीदा एक्ट्रेस की लिस्ट में शुमार थीं।

कला फिल्मों में अपना लोहा मनवाने वाली एक्टर ने कमर्शियल सिनेमा में भी खूब नाम कमाया।

1998 में आई ‘गॉडमदर’ के लिए भी शबाना आज़मी को नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्होंने ‘भावना’, ‘अर्थ’ और ‘स्वामी’ के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी अपने नाम किया।

शबाना आज़मी के बारे में कई किस्से मशहूर हैं। कई रिपोर्ट्स में जिक्र है कि शबाना आज़मी ने दो दफा खुदकुशी की कोशिश की थी। एक बार तो वह रेल की पटरी पर चली गई थी। लेकिन खुद को संभाला और फिल्म इंडस्ट्री की दिग्गज एक्ट्रेस में शुमार हो गईं। शबाना ने हर मुसीबत का डट कर मुकाबला किया। एक बेहतरीन पत्नी बनीं, एक ऐसी शख्सियत के रूप में खुद को साबित किया, जिसके बराबर इंडस्ट्री में कोई खड़ा नहीं हो सका।

अब बात शबाना की ज़िंदगी में ‘जादू’ की। उन्होंने मशहूर पटकथा लेखक जावेद अख्तर से शादी की, जिन्हें ‘जादू’ के नाम से भी पुकारा जाता है। पहले शबाना को जावेद अख्तर पसंद नहीं थे। शबाना के पिता कैफी आज़मी को जावेद अख्तर अपनी शायरी सुनाने आया करते थे। शबाना ने उनसे दूरी बना रखी थी। लेकिन, प्यार कहां दूरियों और परेशानियों को मानता है! शबाना और जावेद ने 9 दिसंबर 1984 को शादी कर ली।

शबाना आज़मी से पहले जावेद की शादी हनी ईरानी से हुई थी, जिनसे उनके दो बच्चे फरहान और जोया अख्तर हैं। शबाना आज़मी ने ‘फायर’, ‘निशांत’, ‘जुनून’, ‘तुम्हारी अमृता’, ‘फायर’, ‘मकड़ी’ और ‘मृत्युदंड’ में काम किया और खुद को एक सफल एक्ट्रेस के रूप में स्थापित किया। शबाना आज़मी का सफर अब भी जारी है। जुलाई 2023 में रिलीज हुई करण जौहर की फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में भी नजर आई थीं।

‘घूमर’ फिल्म में भी दिखाई दी थीं। शबाना आज़मी और जावेद अख्तर की जोड़ी को इंडस्ट्री में पावर कपल माना जाता है। कई मौकों पर दोनों साथ दिखते हैं। जावेद अख्तर भी शबाना की तारीफ करते दिख जाते हैं। शायद, जावेद अख्तर ने शबाना के लिए ही लिखा है, “मगर ये ज़िंदगी की ख़ूबसूरत इक हक़ीक़त है, कि मेरी राह में जब ऐसा कोई मोड़ आया है, तो हर उस मोड़ पर मैंने, तुम्हें हम-राह पाया है।”

–आईएएनएस

एबीएम/

नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)। साल 1982 की बॉलीवुड फिल्म ‘अर्थ’ में जगजीत सिंह की जादुई आवाज़ और कैफी आज़मी की लिखी गज़ल ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’ आज भी संगीतप्रेमियों की प्लेलिस्ट में शुमार है। इस गज़ल में एक लाइन ‘आंखों में नमी हंसी लबों पर, क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो’ है। पर्दे पर एक्ट्रेस शबाना आज़मी ने इसे निभाया था और इस एक लाइन ने उनके सिल्वर स्क्रीन के सफर को नया आयाम दिया।

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक शानदार मुकाम हासिल कर चुकी शबाना आज़मी ने अपने दौर के मशहूर कलाकारों के साथ ना सिर्फ काम किया बल्कि दमदार अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी जीते। 1974 में ‘अंकुर’ फिल्म के जरिए ऐसा ‘जादू’ रचा, जिसका दीवाना हर कोई हो गया। यह किस्मत का कनेक्शन ही समझिए कि शबाना ने जिस इंसान के साथ ताउम्र जीने-मरने की कसमें खाई, उसे लोग प्यार से ‘जादू’ ही कहते हैं।

शबाना आज़मी ने एक्टिंग को नई परिभाषा दी। सामान्य सा चेहरा और बोलती आंखें, शबाना आज़मी का नाम सुनकर पहली दफा जेहन में यही दोनों खूबियां तैरती हैं। 18 सितंबर 1950 को पैदा हुईं शबाना आज़मी को छोटी उम्र से ही शेरो-शायरी समझ में आने लगी थी। उनके पिता कैफी आज़मी अपने दौर के मशहूर शायर रहे। लिहाजा, शबाना आज़मी को बचपन से ही जज्बातों को बयां करने का हुनर आ गया था।

कहा जाता है कि 1974 में आई श्याम बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’ के लिए शबाना आज़मी लीड रोल के रूप में पहली पसंद नहीं थीं। कई एक्ट्रेस के नामों पर विचार किया गया। बात बढ़ी, बनी नहीं। कई एक्ट्रेस ने फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया। आखिर में शबाना आज़मी ने फिल्म में एक्टिंग की। शूटिंग के दौरान ही कहीं ना कहीं अहसास हो गया था कि बॉलीवुड को शबाना के रूप में एक चमकता सितारा मिल गया है।

इस फिल्म के लिए शबाना ने खूब तारीफ बटोरी। उन्हें नेशनल अवॉर्ड तक मिला। उन्होंने 1982 से 1984 तक तीन साल तक लगातार ‘अर्थ’, ‘कंधार’ और ‘पार’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किया। उस दौर में कला फिल्मों का अलग ही दर्शक वर्ग था। शबाना निर्देशकों की पसंदीदा एक्ट्रेस की लिस्ट में शुमार थीं।

कला फिल्मों में अपना लोहा मनवाने वाली एक्टर ने कमर्शियल सिनेमा में भी खूब नाम कमाया।

1998 में आई ‘गॉडमदर’ के लिए भी शबाना आज़मी को नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्होंने ‘भावना’, ‘अर्थ’ और ‘स्वामी’ के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी अपने नाम किया।

शबाना आज़मी के बारे में कई किस्से मशहूर हैं। कई रिपोर्ट्स में जिक्र है कि शबाना आज़मी ने दो दफा खुदकुशी की कोशिश की थी। एक बार तो वह रेल की पटरी पर चली गई थी। लेकिन खुद को संभाला और फिल्म इंडस्ट्री की दिग्गज एक्ट्रेस में शुमार हो गईं। शबाना ने हर मुसीबत का डट कर मुकाबला किया। एक बेहतरीन पत्नी बनीं, एक ऐसी शख्सियत के रूप में खुद को साबित किया, जिसके बराबर इंडस्ट्री में कोई खड़ा नहीं हो सका।

अब बात शबाना की ज़िंदगी में ‘जादू’ की। उन्होंने मशहूर पटकथा लेखक जावेद अख्तर से शादी की, जिन्हें ‘जादू’ के नाम से भी पुकारा जाता है। पहले शबाना को जावेद अख्तर पसंद नहीं थे। शबाना के पिता कैफी आज़मी को जावेद अख्तर अपनी शायरी सुनाने आया करते थे। शबाना ने उनसे दूरी बना रखी थी। लेकिन, प्यार कहां दूरियों और परेशानियों को मानता है! शबाना और जावेद ने 9 दिसंबर 1984 को शादी कर ली।

शबाना आज़मी से पहले जावेद की शादी हनी ईरानी से हुई थी, जिनसे उनके दो बच्चे फरहान और जोया अख्तर हैं। शबाना आज़मी ने ‘फायर’, ‘निशांत’, ‘जुनून’, ‘तुम्हारी अमृता’, ‘फायर’, ‘मकड़ी’ और ‘मृत्युदंड’ में काम किया और खुद को एक सफल एक्ट्रेस के रूप में स्थापित किया। शबाना आज़मी का सफर अब भी जारी है। जुलाई 2023 में रिलीज हुई करण जौहर की फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में भी नजर आई थीं।

‘घूमर’ फिल्म में भी दिखाई दी थीं। शबाना आज़मी और जावेद अख्तर की जोड़ी को इंडस्ट्री में पावर कपल माना जाता है। कई मौकों पर दोनों साथ दिखते हैं। जावेद अख्तर भी शबाना की तारीफ करते दिख जाते हैं। शायद, जावेद अख्तर ने शबाना के लिए ही लिखा है, “मगर ये ज़िंदगी की ख़ूबसूरत इक हक़ीक़त है, कि मेरी राह में जब ऐसा कोई मोड़ आया है, तो हर उस मोड़ पर मैंने, तुम्हें हम-राह पाया है।”

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नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)। साल 1982 की बॉलीवुड फिल्म ‘अर्थ’ में जगजीत सिंह की जादुई आवाज़ और कैफी आज़मी की लिखी गज़ल ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’ आज भी संगीतप्रेमियों की प्लेलिस्ट में शुमार है। इस गज़ल में एक लाइन ‘आंखों में नमी हंसी लबों पर, क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो’ है। पर्दे पर एक्ट्रेस शबाना आज़मी ने इसे निभाया था और इस एक लाइन ने उनके सिल्वर स्क्रीन के सफर को नया आयाम दिया।

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक शानदार मुकाम हासिल कर चुकी शबाना आज़मी ने अपने दौर के मशहूर कलाकारों के साथ ना सिर्फ काम किया बल्कि दमदार अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी जीते। 1974 में ‘अंकुर’ फिल्म के जरिए ऐसा ‘जादू’ रचा, जिसका दीवाना हर कोई हो गया। यह किस्मत का कनेक्शन ही समझिए कि शबाना ने जिस इंसान के साथ ताउम्र जीने-मरने की कसमें खाई, उसे लोग प्यार से ‘जादू’ ही कहते हैं।

शबाना आज़मी ने एक्टिंग को नई परिभाषा दी। सामान्य सा चेहरा और बोलती आंखें, शबाना आज़मी का नाम सुनकर पहली दफा जेहन में यही दोनों खूबियां तैरती हैं। 18 सितंबर 1950 को पैदा हुईं शबाना आज़मी को छोटी उम्र से ही शेरो-शायरी समझ में आने लगी थी। उनके पिता कैफी आज़मी अपने दौर के मशहूर शायर रहे। लिहाजा, शबाना आज़मी को बचपन से ही जज्बातों को बयां करने का हुनर आ गया था।

कहा जाता है कि 1974 में आई श्याम बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’ के लिए शबाना आज़मी लीड रोल के रूप में पहली पसंद नहीं थीं। कई एक्ट्रेस के नामों पर विचार किया गया। बात बढ़ी, बनी नहीं। कई एक्ट्रेस ने फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया। आखिर में शबाना आज़मी ने फिल्म में एक्टिंग की। शूटिंग के दौरान ही कहीं ना कहीं अहसास हो गया था कि बॉलीवुड को शबाना के रूप में एक चमकता सितारा मिल गया है।

इस फिल्म के लिए शबाना ने खूब तारीफ बटोरी। उन्हें नेशनल अवॉर्ड तक मिला। उन्होंने 1982 से 1984 तक तीन साल तक लगातार ‘अर्थ’, ‘कंधार’ और ‘पार’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किया। उस दौर में कला फिल्मों का अलग ही दर्शक वर्ग था। शबाना निर्देशकों की पसंदीदा एक्ट्रेस की लिस्ट में शुमार थीं।

कला फिल्मों में अपना लोहा मनवाने वाली एक्टर ने कमर्शियल सिनेमा में भी खूब नाम कमाया।

1998 में आई ‘गॉडमदर’ के लिए भी शबाना आज़मी को नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्होंने ‘भावना’, ‘अर्थ’ और ‘स्वामी’ के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी अपने नाम किया।

शबाना आज़मी के बारे में कई किस्से मशहूर हैं। कई रिपोर्ट्स में जिक्र है कि शबाना आज़मी ने दो दफा खुदकुशी की कोशिश की थी। एक बार तो वह रेल की पटरी पर चली गई थी। लेकिन खुद को संभाला और फिल्म इंडस्ट्री की दिग्गज एक्ट्रेस में शुमार हो गईं। शबाना ने हर मुसीबत का डट कर मुकाबला किया। एक बेहतरीन पत्नी बनीं, एक ऐसी शख्सियत के रूप में खुद को साबित किया, जिसके बराबर इंडस्ट्री में कोई खड़ा नहीं हो सका।

अब बात शबाना की ज़िंदगी में ‘जादू’ की। उन्होंने मशहूर पटकथा लेखक जावेद अख्तर से शादी की, जिन्हें ‘जादू’ के नाम से भी पुकारा जाता है। पहले शबाना को जावेद अख्तर पसंद नहीं थे। शबाना के पिता कैफी आज़मी को जावेद अख्तर अपनी शायरी सुनाने आया करते थे। शबाना ने उनसे दूरी बना रखी थी। लेकिन, प्यार कहां दूरियों और परेशानियों को मानता है! शबाना और जावेद ने 9 दिसंबर 1984 को शादी कर ली।

शबाना आज़मी से पहले जावेद की शादी हनी ईरानी से हुई थी, जिनसे उनके दो बच्चे फरहान और जोया अख्तर हैं। शबाना आज़मी ने ‘फायर’, ‘निशांत’, ‘जुनून’, ‘तुम्हारी अमृता’, ‘फायर’, ‘मकड़ी’ और ‘मृत्युदंड’ में काम किया और खुद को एक सफल एक्ट्रेस के रूप में स्थापित किया। शबाना आज़मी का सफर अब भी जारी है। जुलाई 2023 में रिलीज हुई करण जौहर की फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में भी नजर आई थीं।

‘घूमर’ फिल्म में भी दिखाई दी थीं। शबाना आज़मी और जावेद अख्तर की जोड़ी को इंडस्ट्री में पावर कपल माना जाता है। कई मौकों पर दोनों साथ दिखते हैं। जावेद अख्तर भी शबाना की तारीफ करते दिख जाते हैं। शायद, जावेद अख्तर ने शबाना के लिए ही लिखा है, “मगर ये ज़िंदगी की ख़ूबसूरत इक हक़ीक़त है, कि मेरी राह में जब ऐसा कोई मोड़ आया है, तो हर उस मोड़ पर मैंने, तुम्हें हम-राह पाया है।”

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)। साल 1982 की बॉलीवुड फिल्म ‘अर्थ’ में जगजीत सिंह की जादुई आवाज़ और कैफी आज़मी की लिखी गज़ल ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’ आज भी संगीतप्रेमियों की प्लेलिस्ट में शुमार है। इस गज़ल में एक लाइन ‘आंखों में नमी हंसी लबों पर, क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो’ है। पर्दे पर एक्ट्रेस शबाना आज़मी ने इसे निभाया था और इस एक लाइन ने उनके सिल्वर स्क्रीन के सफर को नया आयाम दिया।

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक शानदार मुकाम हासिल कर चुकी शबाना आज़मी ने अपने दौर के मशहूर कलाकारों के साथ ना सिर्फ काम किया बल्कि दमदार अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी जीते। 1974 में ‘अंकुर’ फिल्म के जरिए ऐसा ‘जादू’ रचा, जिसका दीवाना हर कोई हो गया। यह किस्मत का कनेक्शन ही समझिए कि शबाना ने जिस इंसान के साथ ताउम्र जीने-मरने की कसमें खाई, उसे लोग प्यार से ‘जादू’ ही कहते हैं।

शबाना आज़मी ने एक्टिंग को नई परिभाषा दी। सामान्य सा चेहरा और बोलती आंखें, शबाना आज़मी का नाम सुनकर पहली दफा जेहन में यही दोनों खूबियां तैरती हैं। 18 सितंबर 1950 को पैदा हुईं शबाना आज़मी को छोटी उम्र से ही शेरो-शायरी समझ में आने लगी थी। उनके पिता कैफी आज़मी अपने दौर के मशहूर शायर रहे। लिहाजा, शबाना आज़मी को बचपन से ही जज्बातों को बयां करने का हुनर आ गया था।

कहा जाता है कि 1974 में आई श्याम बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’ के लिए शबाना आज़मी लीड रोल के रूप में पहली पसंद नहीं थीं। कई एक्ट्रेस के नामों पर विचार किया गया। बात बढ़ी, बनी नहीं। कई एक्ट्रेस ने फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया। आखिर में शबाना आज़मी ने फिल्म में एक्टिंग की। शूटिंग के दौरान ही कहीं ना कहीं अहसास हो गया था कि बॉलीवुड को शबाना के रूप में एक चमकता सितारा मिल गया है।

इस फिल्म के लिए शबाना ने खूब तारीफ बटोरी। उन्हें नेशनल अवॉर्ड तक मिला। उन्होंने 1982 से 1984 तक तीन साल तक लगातार ‘अर्थ’, ‘कंधार’ और ‘पार’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किया। उस दौर में कला फिल्मों का अलग ही दर्शक वर्ग था। शबाना निर्देशकों की पसंदीदा एक्ट्रेस की लिस्ट में शुमार थीं।

कला फिल्मों में अपना लोहा मनवाने वाली एक्टर ने कमर्शियल सिनेमा में भी खूब नाम कमाया।

1998 में आई ‘गॉडमदर’ के लिए भी शबाना आज़मी को नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्होंने ‘भावना’, ‘अर्थ’ और ‘स्वामी’ के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी अपने नाम किया।

शबाना आज़मी के बारे में कई किस्से मशहूर हैं। कई रिपोर्ट्स में जिक्र है कि शबाना आज़मी ने दो दफा खुदकुशी की कोशिश की थी। एक बार तो वह रेल की पटरी पर चली गई थी। लेकिन खुद को संभाला और फिल्म इंडस्ट्री की दिग्गज एक्ट्रेस में शुमार हो गईं। शबाना ने हर मुसीबत का डट कर मुकाबला किया। एक बेहतरीन पत्नी बनीं, एक ऐसी शख्सियत के रूप में खुद को साबित किया, जिसके बराबर इंडस्ट्री में कोई खड़ा नहीं हो सका।

अब बात शबाना की ज़िंदगी में ‘जादू’ की। उन्होंने मशहूर पटकथा लेखक जावेद अख्तर से शादी की, जिन्हें ‘जादू’ के नाम से भी पुकारा जाता है। पहले शबाना को जावेद अख्तर पसंद नहीं थे। शबाना के पिता कैफी आज़मी को जावेद अख्तर अपनी शायरी सुनाने आया करते थे। शबाना ने उनसे दूरी बना रखी थी। लेकिन, प्यार कहां दूरियों और परेशानियों को मानता है! शबाना और जावेद ने 9 दिसंबर 1984 को शादी कर ली।

शबाना आज़मी से पहले जावेद की शादी हनी ईरानी से हुई थी, जिनसे उनके दो बच्चे फरहान और जोया अख्तर हैं। शबाना आज़मी ने ‘फायर’, ‘निशांत’, ‘जुनून’, ‘तुम्हारी अमृता’, ‘फायर’, ‘मकड़ी’ और ‘मृत्युदंड’ में काम किया और खुद को एक सफल एक्ट्रेस के रूप में स्थापित किया। शबाना आज़मी का सफर अब भी जारी है। जुलाई 2023 में रिलीज हुई करण जौहर की फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में भी नजर आई थीं।

‘घूमर’ फिल्म में भी दिखाई दी थीं। शबाना आज़मी और जावेद अख्तर की जोड़ी को इंडस्ट्री में पावर कपल माना जाता है। कई मौकों पर दोनों साथ दिखते हैं। जावेद अख्तर भी शबाना की तारीफ करते दिख जाते हैं। शायद, जावेद अख्तर ने शबाना के लिए ही लिखा है, “मगर ये ज़िंदगी की ख़ूबसूरत इक हक़ीक़त है, कि मेरी राह में जब ऐसा कोई मोड़ आया है, तो हर उस मोड़ पर मैंने, तुम्हें हम-राह पाया है।”

–आईएएनएस

एबीएम/

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नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)। साल 1982 की बॉलीवुड फिल्म ‘अर्थ’ में जगजीत सिंह की जादुई आवाज़ और कैफी आज़मी की लिखी गज़ल ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’ आज भी संगीतप्रेमियों की प्लेलिस्ट में शुमार है। इस गज़ल में एक लाइन ‘आंखों में नमी हंसी लबों पर, क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो’ है। पर्दे पर एक्ट्रेस शबाना आज़मी ने इसे निभाया था और इस एक लाइन ने उनके सिल्वर स्क्रीन के सफर को नया आयाम दिया।

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक शानदार मुकाम हासिल कर चुकी शबाना आज़मी ने अपने दौर के मशहूर कलाकारों के साथ ना सिर्फ काम किया बल्कि दमदार अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी जीते। 1974 में ‘अंकुर’ फिल्म के जरिए ऐसा ‘जादू’ रचा, जिसका दीवाना हर कोई हो गया। यह किस्मत का कनेक्शन ही समझिए कि शबाना ने जिस इंसान के साथ ताउम्र जीने-मरने की कसमें खाई, उसे लोग प्यार से ‘जादू’ ही कहते हैं।

शबाना आज़मी ने एक्टिंग को नई परिभाषा दी। सामान्य सा चेहरा और बोलती आंखें, शबाना आज़मी का नाम सुनकर पहली दफा जेहन में यही दोनों खूबियां तैरती हैं। 18 सितंबर 1950 को पैदा हुईं शबाना आज़मी को छोटी उम्र से ही शेरो-शायरी समझ में आने लगी थी। उनके पिता कैफी आज़मी अपने दौर के मशहूर शायर रहे। लिहाजा, शबाना आज़मी को बचपन से ही जज्बातों को बयां करने का हुनर आ गया था।

कहा जाता है कि 1974 में आई श्याम बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’ के लिए शबाना आज़मी लीड रोल के रूप में पहली पसंद नहीं थीं। कई एक्ट्रेस के नामों पर विचार किया गया। बात बढ़ी, बनी नहीं। कई एक्ट्रेस ने फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया। आखिर में शबाना आज़मी ने फिल्म में एक्टिंग की। शूटिंग के दौरान ही कहीं ना कहीं अहसास हो गया था कि बॉलीवुड को शबाना के रूप में एक चमकता सितारा मिल गया है।

इस फिल्म के लिए शबाना ने खूब तारीफ बटोरी। उन्हें नेशनल अवॉर्ड तक मिला। उन्होंने 1982 से 1984 तक तीन साल तक लगातार ‘अर्थ’, ‘कंधार’ और ‘पार’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किया। उस दौर में कला फिल्मों का अलग ही दर्शक वर्ग था। शबाना निर्देशकों की पसंदीदा एक्ट्रेस की लिस्ट में शुमार थीं।

कला फिल्मों में अपना लोहा मनवाने वाली एक्टर ने कमर्शियल सिनेमा में भी खूब नाम कमाया।

1998 में आई ‘गॉडमदर’ के लिए भी शबाना आज़मी को नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्होंने ‘भावना’, ‘अर्थ’ और ‘स्वामी’ के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी अपने नाम किया।

शबाना आज़मी के बारे में कई किस्से मशहूर हैं। कई रिपोर्ट्स में जिक्र है कि शबाना आज़मी ने दो दफा खुदकुशी की कोशिश की थी। एक बार तो वह रेल की पटरी पर चली गई थी। लेकिन खुद को संभाला और फिल्म इंडस्ट्री की दिग्गज एक्ट्रेस में शुमार हो गईं। शबाना ने हर मुसीबत का डट कर मुकाबला किया। एक बेहतरीन पत्नी बनीं, एक ऐसी शख्सियत के रूप में खुद को साबित किया, जिसके बराबर इंडस्ट्री में कोई खड़ा नहीं हो सका।

अब बात शबाना की ज़िंदगी में ‘जादू’ की। उन्होंने मशहूर पटकथा लेखक जावेद अख्तर से शादी की, जिन्हें ‘जादू’ के नाम से भी पुकारा जाता है। पहले शबाना को जावेद अख्तर पसंद नहीं थे। शबाना के पिता कैफी आज़मी को जावेद अख्तर अपनी शायरी सुनाने आया करते थे। शबाना ने उनसे दूरी बना रखी थी। लेकिन, प्यार कहां दूरियों और परेशानियों को मानता है! शबाना और जावेद ने 9 दिसंबर 1984 को शादी कर ली।

शबाना आज़मी से पहले जावेद की शादी हनी ईरानी से हुई थी, जिनसे उनके दो बच्चे फरहान और जोया अख्तर हैं। शबाना आज़मी ने ‘फायर’, ‘निशांत’, ‘जुनून’, ‘तुम्हारी अमृता’, ‘फायर’, ‘मकड़ी’ और ‘मृत्युदंड’ में काम किया और खुद को एक सफल एक्ट्रेस के रूप में स्थापित किया। शबाना आज़मी का सफर अब भी जारी है। जुलाई 2023 में रिलीज हुई करण जौहर की फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में भी नजर आई थीं।

‘घूमर’ फिल्म में भी दिखाई दी थीं। शबाना आज़मी और जावेद अख्तर की जोड़ी को इंडस्ट्री में पावर कपल माना जाता है। कई मौकों पर दोनों साथ दिखते हैं। जावेद अख्तर भी शबाना की तारीफ करते दिख जाते हैं। शायद, जावेद अख्तर ने शबाना के लिए ही लिखा है, “मगर ये ज़िंदगी की ख़ूबसूरत इक हक़ीक़त है, कि मेरी राह में जब ऐसा कोई मोड़ आया है, तो हर उस मोड़ पर मैंने, तुम्हें हम-राह पाया है।”

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)। साल 1982 की बॉलीवुड फिल्म ‘अर्थ’ में जगजीत सिंह की जादुई आवाज़ और कैफी आज़मी की लिखी गज़ल ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’ आज भी संगीतप्रेमियों की प्लेलिस्ट में शुमार है। इस गज़ल में एक लाइन ‘आंखों में नमी हंसी लबों पर, क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो’ है। पर्दे पर एक्ट्रेस शबाना आज़मी ने इसे निभाया था और इस एक लाइन ने उनके सिल्वर स्क्रीन के सफर को नया आयाम दिया।

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक शानदार मुकाम हासिल कर चुकी शबाना आज़मी ने अपने दौर के मशहूर कलाकारों के साथ ना सिर्फ काम किया बल्कि दमदार अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी जीते। 1974 में ‘अंकुर’ फिल्म के जरिए ऐसा ‘जादू’ रचा, जिसका दीवाना हर कोई हो गया। यह किस्मत का कनेक्शन ही समझिए कि शबाना ने जिस इंसान के साथ ताउम्र जीने-मरने की कसमें खाई, उसे लोग प्यार से ‘जादू’ ही कहते हैं।

शबाना आज़मी ने एक्टिंग को नई परिभाषा दी। सामान्य सा चेहरा और बोलती आंखें, शबाना आज़मी का नाम सुनकर पहली दफा जेहन में यही दोनों खूबियां तैरती हैं। 18 सितंबर 1950 को पैदा हुईं शबाना आज़मी को छोटी उम्र से ही शेरो-शायरी समझ में आने लगी थी। उनके पिता कैफी आज़मी अपने दौर के मशहूर शायर रहे। लिहाजा, शबाना आज़मी को बचपन से ही जज्बातों को बयां करने का हुनर आ गया था।

कहा जाता है कि 1974 में आई श्याम बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’ के लिए शबाना आज़मी लीड रोल के रूप में पहली पसंद नहीं थीं। कई एक्ट्रेस के नामों पर विचार किया गया। बात बढ़ी, बनी नहीं। कई एक्ट्रेस ने फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया। आखिर में शबाना आज़मी ने फिल्म में एक्टिंग की। शूटिंग के दौरान ही कहीं ना कहीं अहसास हो गया था कि बॉलीवुड को शबाना के रूप में एक चमकता सितारा मिल गया है।

इस फिल्म के लिए शबाना ने खूब तारीफ बटोरी। उन्हें नेशनल अवॉर्ड तक मिला। उन्होंने 1982 से 1984 तक तीन साल तक लगातार ‘अर्थ’, ‘कंधार’ और ‘पार’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किया। उस दौर में कला फिल्मों का अलग ही दर्शक वर्ग था। शबाना निर्देशकों की पसंदीदा एक्ट्रेस की लिस्ट में शुमार थीं।

कला फिल्मों में अपना लोहा मनवाने वाली एक्टर ने कमर्शियल सिनेमा में भी खूब नाम कमाया।

1998 में आई ‘गॉडमदर’ के लिए भी शबाना आज़मी को नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्होंने ‘भावना’, ‘अर्थ’ और ‘स्वामी’ के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी अपने नाम किया।

शबाना आज़मी के बारे में कई किस्से मशहूर हैं। कई रिपोर्ट्स में जिक्र है कि शबाना आज़मी ने दो दफा खुदकुशी की कोशिश की थी। एक बार तो वह रेल की पटरी पर चली गई थी। लेकिन खुद को संभाला और फिल्म इंडस्ट्री की दिग्गज एक्ट्रेस में शुमार हो गईं। शबाना ने हर मुसीबत का डट कर मुकाबला किया। एक बेहतरीन पत्नी बनीं, एक ऐसी शख्सियत के रूप में खुद को साबित किया, जिसके बराबर इंडस्ट्री में कोई खड़ा नहीं हो सका।

अब बात शबाना की ज़िंदगी में ‘जादू’ की। उन्होंने मशहूर पटकथा लेखक जावेद अख्तर से शादी की, जिन्हें ‘जादू’ के नाम से भी पुकारा जाता है। पहले शबाना को जावेद अख्तर पसंद नहीं थे। शबाना के पिता कैफी आज़मी को जावेद अख्तर अपनी शायरी सुनाने आया करते थे। शबाना ने उनसे दूरी बना रखी थी। लेकिन, प्यार कहां दूरियों और परेशानियों को मानता है! शबाना और जावेद ने 9 दिसंबर 1984 को शादी कर ली।

शबाना आज़मी से पहले जावेद की शादी हनी ईरानी से हुई थी, जिनसे उनके दो बच्चे फरहान और जोया अख्तर हैं। शबाना आज़मी ने ‘फायर’, ‘निशांत’, ‘जुनून’, ‘तुम्हारी अमृता’, ‘फायर’, ‘मकड़ी’ और ‘मृत्युदंड’ में काम किया और खुद को एक सफल एक्ट्रेस के रूप में स्थापित किया। शबाना आज़मी का सफर अब भी जारी है। जुलाई 2023 में रिलीज हुई करण जौहर की फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में भी नजर आई थीं।

‘घूमर’ फिल्म में भी दिखाई दी थीं। शबाना आज़मी और जावेद अख्तर की जोड़ी को इंडस्ट्री में पावर कपल माना जाता है। कई मौकों पर दोनों साथ दिखते हैं। जावेद अख्तर भी शबाना की तारीफ करते दिख जाते हैं। शायद, जावेद अख्तर ने शबाना के लिए ही लिखा है, “मगर ये ज़िंदगी की ख़ूबसूरत इक हक़ीक़त है, कि मेरी राह में जब ऐसा कोई मोड़ आया है, तो हर उस मोड़ पर मैंने, तुम्हें हम-राह पाया है।”

–आईएएनएस

एबीएम/

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नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)। साल 1982 की बॉलीवुड फिल्म ‘अर्थ’ में जगजीत सिंह की जादुई आवाज़ और कैफी आज़मी की लिखी गज़ल ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’ आज भी संगीतप्रेमियों की प्लेलिस्ट में शुमार है। इस गज़ल में एक लाइन ‘आंखों में नमी हंसी लबों पर, क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो’ है। पर्दे पर एक्ट्रेस शबाना आज़मी ने इसे निभाया था और इस एक लाइन ने उनके सिल्वर स्क्रीन के सफर को नया आयाम दिया।

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक शानदार मुकाम हासिल कर चुकी शबाना आज़मी ने अपने दौर के मशहूर कलाकारों के साथ ना सिर्फ काम किया बल्कि दमदार अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी जीते। 1974 में ‘अंकुर’ फिल्म के जरिए ऐसा ‘जादू’ रचा, जिसका दीवाना हर कोई हो गया। यह किस्मत का कनेक्शन ही समझिए कि शबाना ने जिस इंसान के साथ ताउम्र जीने-मरने की कसमें खाई, उसे लोग प्यार से ‘जादू’ ही कहते हैं।

शबाना आज़मी ने एक्टिंग को नई परिभाषा दी। सामान्य सा चेहरा और बोलती आंखें, शबाना आज़मी का नाम सुनकर पहली दफा जेहन में यही दोनों खूबियां तैरती हैं। 18 सितंबर 1950 को पैदा हुईं शबाना आज़मी को छोटी उम्र से ही शेरो-शायरी समझ में आने लगी थी। उनके पिता कैफी आज़मी अपने दौर के मशहूर शायर रहे। लिहाजा, शबाना आज़मी को बचपन से ही जज्बातों को बयां करने का हुनर आ गया था।

कहा जाता है कि 1974 में आई श्याम बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’ के लिए शबाना आज़मी लीड रोल के रूप में पहली पसंद नहीं थीं। कई एक्ट्रेस के नामों पर विचार किया गया। बात बढ़ी, बनी नहीं। कई एक्ट्रेस ने फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया। आखिर में शबाना आज़मी ने फिल्म में एक्टिंग की। शूटिंग के दौरान ही कहीं ना कहीं अहसास हो गया था कि बॉलीवुड को शबाना के रूप में एक चमकता सितारा मिल गया है।

इस फिल्म के लिए शबाना ने खूब तारीफ बटोरी। उन्हें नेशनल अवॉर्ड तक मिला। उन्होंने 1982 से 1984 तक तीन साल तक लगातार ‘अर्थ’, ‘कंधार’ और ‘पार’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किया। उस दौर में कला फिल्मों का अलग ही दर्शक वर्ग था। शबाना निर्देशकों की पसंदीदा एक्ट्रेस की लिस्ट में शुमार थीं।

कला फिल्मों में अपना लोहा मनवाने वाली एक्टर ने कमर्शियल सिनेमा में भी खूब नाम कमाया।

1998 में आई ‘गॉडमदर’ के लिए भी शबाना आज़मी को नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्होंने ‘भावना’, ‘अर्थ’ और ‘स्वामी’ के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी अपने नाम किया।

शबाना आज़मी के बारे में कई किस्से मशहूर हैं। कई रिपोर्ट्स में जिक्र है कि शबाना आज़मी ने दो दफा खुदकुशी की कोशिश की थी। एक बार तो वह रेल की पटरी पर चली गई थी। लेकिन खुद को संभाला और फिल्म इंडस्ट्री की दिग्गज एक्ट्रेस में शुमार हो गईं। शबाना ने हर मुसीबत का डट कर मुकाबला किया। एक बेहतरीन पत्नी बनीं, एक ऐसी शख्सियत के रूप में खुद को साबित किया, जिसके बराबर इंडस्ट्री में कोई खड़ा नहीं हो सका।

अब बात शबाना की ज़िंदगी में ‘जादू’ की। उन्होंने मशहूर पटकथा लेखक जावेद अख्तर से शादी की, जिन्हें ‘जादू’ के नाम से भी पुकारा जाता है। पहले शबाना को जावेद अख्तर पसंद नहीं थे। शबाना के पिता कैफी आज़मी को जावेद अख्तर अपनी शायरी सुनाने आया करते थे। शबाना ने उनसे दूरी बना रखी थी। लेकिन, प्यार कहां दूरियों और परेशानियों को मानता है! शबाना और जावेद ने 9 दिसंबर 1984 को शादी कर ली।

शबाना आज़मी से पहले जावेद की शादी हनी ईरानी से हुई थी, जिनसे उनके दो बच्चे फरहान और जोया अख्तर हैं। शबाना आज़मी ने ‘फायर’, ‘निशांत’, ‘जुनून’, ‘तुम्हारी अमृता’, ‘फायर’, ‘मकड़ी’ और ‘मृत्युदंड’ में काम किया और खुद को एक सफल एक्ट्रेस के रूप में स्थापित किया। शबाना आज़मी का सफर अब भी जारी है। जुलाई 2023 में रिलीज हुई करण जौहर की फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में भी नजर आई थीं।

‘घूमर’ फिल्म में भी दिखाई दी थीं। शबाना आज़मी और जावेद अख्तर की जोड़ी को इंडस्ट्री में पावर कपल माना जाता है। कई मौकों पर दोनों साथ दिखते हैं। जावेद अख्तर भी शबाना की तारीफ करते दिख जाते हैं। शायद, जावेद अख्तर ने शबाना के लिए ही लिखा है, “मगर ये ज़िंदगी की ख़ूबसूरत इक हक़ीक़त है, कि मेरी राह में जब ऐसा कोई मोड़ आया है, तो हर उस मोड़ पर मैंने, तुम्हें हम-राह पाया है।”

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)। साल 1982 की बॉलीवुड फिल्म ‘अर्थ’ में जगजीत सिंह की जादुई आवाज़ और कैफी आज़मी की लिखी गज़ल ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’ आज भी संगीतप्रेमियों की प्लेलिस्ट में शुमार है। इस गज़ल में एक लाइन ‘आंखों में नमी हंसी लबों पर, क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो’ है। पर्दे पर एक्ट्रेस शबाना आज़मी ने इसे निभाया था और इस एक लाइन ने उनके सिल्वर स्क्रीन के सफर को नया आयाम दिया।

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक शानदार मुकाम हासिल कर चुकी शबाना आज़मी ने अपने दौर के मशहूर कलाकारों के साथ ना सिर्फ काम किया बल्कि दमदार अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी जीते। 1974 में ‘अंकुर’ फिल्म के जरिए ऐसा ‘जादू’ रचा, जिसका दीवाना हर कोई हो गया। यह किस्मत का कनेक्शन ही समझिए कि शबाना ने जिस इंसान के साथ ताउम्र जीने-मरने की कसमें खाई, उसे लोग प्यार से ‘जादू’ ही कहते हैं।

शबाना आज़मी ने एक्टिंग को नई परिभाषा दी। सामान्य सा चेहरा और बोलती आंखें, शबाना आज़मी का नाम सुनकर पहली दफा जेहन में यही दोनों खूबियां तैरती हैं। 18 सितंबर 1950 को पैदा हुईं शबाना आज़मी को छोटी उम्र से ही शेरो-शायरी समझ में आने लगी थी। उनके पिता कैफी आज़मी अपने दौर के मशहूर शायर रहे। लिहाजा, शबाना आज़मी को बचपन से ही जज्बातों को बयां करने का हुनर आ गया था।

कहा जाता है कि 1974 में आई श्याम बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’ के लिए शबाना आज़मी लीड रोल के रूप में पहली पसंद नहीं थीं। कई एक्ट्रेस के नामों पर विचार किया गया। बात बढ़ी, बनी नहीं। कई एक्ट्रेस ने फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया। आखिर में शबाना आज़मी ने फिल्म में एक्टिंग की। शूटिंग के दौरान ही कहीं ना कहीं अहसास हो गया था कि बॉलीवुड को शबाना के रूप में एक चमकता सितारा मिल गया है।

इस फिल्म के लिए शबाना ने खूब तारीफ बटोरी। उन्हें नेशनल अवॉर्ड तक मिला। उन्होंने 1982 से 1984 तक तीन साल तक लगातार ‘अर्थ’, ‘कंधार’ और ‘पार’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किया। उस दौर में कला फिल्मों का अलग ही दर्शक वर्ग था। शबाना निर्देशकों की पसंदीदा एक्ट्रेस की लिस्ट में शुमार थीं।

कला फिल्मों में अपना लोहा मनवाने वाली एक्टर ने कमर्शियल सिनेमा में भी खूब नाम कमाया।

1998 में आई ‘गॉडमदर’ के लिए भी शबाना आज़मी को नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्होंने ‘भावना’, ‘अर्थ’ और ‘स्वामी’ के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी अपने नाम किया।

शबाना आज़मी के बारे में कई किस्से मशहूर हैं। कई रिपोर्ट्स में जिक्र है कि शबाना आज़मी ने दो दफा खुदकुशी की कोशिश की थी। एक बार तो वह रेल की पटरी पर चली गई थी। लेकिन खुद को संभाला और फिल्म इंडस्ट्री की दिग्गज एक्ट्रेस में शुमार हो गईं। शबाना ने हर मुसीबत का डट कर मुकाबला किया। एक बेहतरीन पत्नी बनीं, एक ऐसी शख्सियत के रूप में खुद को साबित किया, जिसके बराबर इंडस्ट्री में कोई खड़ा नहीं हो सका।

अब बात शबाना की ज़िंदगी में ‘जादू’ की। उन्होंने मशहूर पटकथा लेखक जावेद अख्तर से शादी की, जिन्हें ‘जादू’ के नाम से भी पुकारा जाता है। पहले शबाना को जावेद अख्तर पसंद नहीं थे। शबाना के पिता कैफी आज़मी को जावेद अख्तर अपनी शायरी सुनाने आया करते थे। शबाना ने उनसे दूरी बना रखी थी। लेकिन, प्यार कहां दूरियों और परेशानियों को मानता है! शबाना और जावेद ने 9 दिसंबर 1984 को शादी कर ली।

शबाना आज़मी से पहले जावेद की शादी हनी ईरानी से हुई थी, जिनसे उनके दो बच्चे फरहान और जोया अख्तर हैं। शबाना आज़मी ने ‘फायर’, ‘निशांत’, ‘जुनून’, ‘तुम्हारी अमृता’, ‘फायर’, ‘मकड़ी’ और ‘मृत्युदंड’ में काम किया और खुद को एक सफल एक्ट्रेस के रूप में स्थापित किया। शबाना आज़मी का सफर अब भी जारी है। जुलाई 2023 में रिलीज हुई करण जौहर की फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में भी नजर आई थीं।

‘घूमर’ फिल्म में भी दिखाई दी थीं। शबाना आज़मी और जावेद अख्तर की जोड़ी को इंडस्ट्री में पावर कपल माना जाता है। कई मौकों पर दोनों साथ दिखते हैं। जावेद अख्तर भी शबाना की तारीफ करते दिख जाते हैं। शायद, जावेद अख्तर ने शबाना के लिए ही लिखा है, “मगर ये ज़िंदगी की ख़ूबसूरत इक हक़ीक़त है, कि मेरी राह में जब ऐसा कोई मोड़ आया है, तो हर उस मोड़ पर मैंने, तुम्हें हम-राह पाया है।”

–आईएएनएस

एबीएम/

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नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)। साल 1982 की बॉलीवुड फिल्म ‘अर्थ’ में जगजीत सिंह की जादुई आवाज़ और कैफी आज़मी की लिखी गज़ल ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’ आज भी संगीतप्रेमियों की प्लेलिस्ट में शुमार है। इस गज़ल में एक लाइन ‘आंखों में नमी हंसी लबों पर, क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो’ है। पर्दे पर एक्ट्रेस शबाना आज़मी ने इसे निभाया था और इस एक लाइन ने उनके सिल्वर स्क्रीन के सफर को नया आयाम दिया।

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक शानदार मुकाम हासिल कर चुकी शबाना आज़मी ने अपने दौर के मशहूर कलाकारों के साथ ना सिर्फ काम किया बल्कि दमदार अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी जीते। 1974 में ‘अंकुर’ फिल्म के जरिए ऐसा ‘जादू’ रचा, जिसका दीवाना हर कोई हो गया। यह किस्मत का कनेक्शन ही समझिए कि शबाना ने जिस इंसान के साथ ताउम्र जीने-मरने की कसमें खाई, उसे लोग प्यार से ‘जादू’ ही कहते हैं।

शबाना आज़मी ने एक्टिंग को नई परिभाषा दी। सामान्य सा चेहरा और बोलती आंखें, शबाना आज़मी का नाम सुनकर पहली दफा जेहन में यही दोनों खूबियां तैरती हैं। 18 सितंबर 1950 को पैदा हुईं शबाना आज़मी को छोटी उम्र से ही शेरो-शायरी समझ में आने लगी थी। उनके पिता कैफी आज़मी अपने दौर के मशहूर शायर रहे। लिहाजा, शबाना आज़मी को बचपन से ही जज्बातों को बयां करने का हुनर आ गया था।

कहा जाता है कि 1974 में आई श्याम बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’ के लिए शबाना आज़मी लीड रोल के रूप में पहली पसंद नहीं थीं। कई एक्ट्रेस के नामों पर विचार किया गया। बात बढ़ी, बनी नहीं। कई एक्ट्रेस ने फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया। आखिर में शबाना आज़मी ने फिल्म में एक्टिंग की। शूटिंग के दौरान ही कहीं ना कहीं अहसास हो गया था कि बॉलीवुड को शबाना के रूप में एक चमकता सितारा मिल गया है।

इस फिल्म के लिए शबाना ने खूब तारीफ बटोरी। उन्हें नेशनल अवॉर्ड तक मिला। उन्होंने 1982 से 1984 तक तीन साल तक लगातार ‘अर्थ’, ‘कंधार’ और ‘पार’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किया। उस दौर में कला फिल्मों का अलग ही दर्शक वर्ग था। शबाना निर्देशकों की पसंदीदा एक्ट्रेस की लिस्ट में शुमार थीं।

कला फिल्मों में अपना लोहा मनवाने वाली एक्टर ने कमर्शियल सिनेमा में भी खूब नाम कमाया।

1998 में आई ‘गॉडमदर’ के लिए भी शबाना आज़मी को नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्होंने ‘भावना’, ‘अर्थ’ और ‘स्वामी’ के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी अपने नाम किया।

शबाना आज़मी के बारे में कई किस्से मशहूर हैं। कई रिपोर्ट्स में जिक्र है कि शबाना आज़मी ने दो दफा खुदकुशी की कोशिश की थी। एक बार तो वह रेल की पटरी पर चली गई थी। लेकिन खुद को संभाला और फिल्म इंडस्ट्री की दिग्गज एक्ट्रेस में शुमार हो गईं। शबाना ने हर मुसीबत का डट कर मुकाबला किया। एक बेहतरीन पत्नी बनीं, एक ऐसी शख्सियत के रूप में खुद को साबित किया, जिसके बराबर इंडस्ट्री में कोई खड़ा नहीं हो सका।

अब बात शबाना की ज़िंदगी में ‘जादू’ की। उन्होंने मशहूर पटकथा लेखक जावेद अख्तर से शादी की, जिन्हें ‘जादू’ के नाम से भी पुकारा जाता है। पहले शबाना को जावेद अख्तर पसंद नहीं थे। शबाना के पिता कैफी आज़मी को जावेद अख्तर अपनी शायरी सुनाने आया करते थे। शबाना ने उनसे दूरी बना रखी थी। लेकिन, प्यार कहां दूरियों और परेशानियों को मानता है! शबाना और जावेद ने 9 दिसंबर 1984 को शादी कर ली।

शबाना आज़मी से पहले जावेद की शादी हनी ईरानी से हुई थी, जिनसे उनके दो बच्चे फरहान और जोया अख्तर हैं। शबाना आज़मी ने ‘फायर’, ‘निशांत’, ‘जुनून’, ‘तुम्हारी अमृता’, ‘फायर’, ‘मकड़ी’ और ‘मृत्युदंड’ में काम किया और खुद को एक सफल एक्ट्रेस के रूप में स्थापित किया। शबाना आज़मी का सफर अब भी जारी है। जुलाई 2023 में रिलीज हुई करण जौहर की फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में भी नजर आई थीं।

‘घूमर’ फिल्म में भी दिखाई दी थीं। शबाना आज़मी और जावेद अख्तर की जोड़ी को इंडस्ट्री में पावर कपल माना जाता है। कई मौकों पर दोनों साथ दिखते हैं। जावेद अख्तर भी शबाना की तारीफ करते दिख जाते हैं। शायद, जावेद अख्तर ने शबाना के लिए ही लिखा है, “मगर ये ज़िंदगी की ख़ूबसूरत इक हक़ीक़त है, कि मेरी राह में जब ऐसा कोई मोड़ आया है, तो हर उस मोड़ पर मैंने, तुम्हें हम-राह पाया है।”

–आईएएनएस

एबीएम/

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