जबलपुर. जिले में एक पूर्व सहायक आयुक्त आबकारी पर निलंबन की गाज गिरने की एक वजह शहर में अधिकतम विक्रय मूल्य (एमआरपी) से अधिक मूल्य पर शराब की बिक्री भी थी लेकिन पूर्व अधिकारी के निलंबन के बाद तीन वर्ष पूर्व पदभार ग्रहण करने वाले अधिकारी भी जिले में हर शराब दुकान में एमआरपी से अधिक मूल्य पर शराब की बिक्री पर अंकुश नहीं लगा पाए. आबकारी विभाग के सूत्रों की मानें तो नए अधिकारी के पदभार ग्रहण करने के बाद लगातार तीन वर्षों से जिले में शराब एमआरपी से अधिक मूल्य पर बिक रही हैं. आबकारी सूत्रों की मानेंं तो विगत तीन साल से विभाग को अधिकारी नहीं बल्कि शराब सिंडिकेट चला रहा हैं. स्थिति ये हैं कि विभागीय कर्मी यदि अपने वरिष्ठ अधिकारियों की न सुने तो माफी मिल जाएगी लेकिन यदि सिंडिकेट के आकाओं की नाफरमानी की तो खैर नहीं.
एमआरपी के चक्कर में निपटे थे अधिकारी
विभागीय सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार ने जबलपुर के पूर्व सहायक आबकारी आयुक्त एस. एन. दुबे को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था. श्री दुबे को अपर्याप्त एवं लापरवाही पूर्ण पर्यवेक्षण तथा नियंत्रण तथा मदिरा दुकानों द्वारा एमआरपी से अधिक मूल्य पर किये जा रहे मदिरा विक्रय के कार्य में संलिप्तता के आधार पर निलंबित किया गया. वर्तमान में भी जबलपुर जिले में स्थित देशी तथा विदेशी मदिरा की फुटकर विक्रय दुकानों से विक्रय की जा रही मदिरा का निर्धारित अधिकतम विक्रय मूल्य से अधिक मूल्य पर विक्रय किया जा रहा हैं लेकिन इस का परीक्षण शासन द्वारा अरसे से नहीं करवाया गया. पूर्व में वाणिज्यिक कर आयुक्त के निर्देश पर जबलपुर में अधीनस्थ अधिकारियों का दल गठित कर क्रय हेतु भेजा गया जिसमें तमाम तथ्य श्री दुबे के खिलाफ मिले थे.
अरसे से नहीं मिले नोटिस
पूर्व में एमआरपी से अधिक मूल्य पर शराब की बिक्री को लेकर जांच के बाद कार्यालय आबकारी आयुक्त ग्वालियर द्वारा जिले के दो आबकारी अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, जो पिछले लंबे अरसे से अधिकारियों को नहीं दिया जा रहा हैं. पूर्व में जिले के सहायक जिला आबकारी अधिकारी इंद्रेश तिवारी एवं घंसूलाल मरावी को मप्र सिविल सेवा(वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 16 के अंतर्गत कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. जारी पत्र में कहा गया था कि अपर आयुक्त आबकारी आयुक्त, राज्य स्तरीय उडऩदस्ता भोपाल के पत्र में उल्लिखित तथ्यों अनुसार उनके प्रभाराधीन देशी/विदेशी मदिरा दुकानों का अपर आबकारी आयुक्त, राज्य स्तरीय उडऩदस्ता मप्र भोपाल के दल ने 8 अक्टूबर 2020 को निरीक्षण किया जिसमें अनियमितताएं पाईं गई.
3 सालों से ठेकेदारों ने नहीं दिया कितारा
पूर्व सहायक आयुक्त आबकारी के खिलाफ आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यु) में दर्ज प्रकरण की विवेचना के दौरान ईओडब्ल्यु सूत्रों से मिली जानकारी से यह बात सामने आई थी कि ठेकेदारों से शासन द्वारा ली जाने वाली एक्साइज ड्यूटी या कितारा जिले में ठेकेदारों से नहीं वसूला गया था जिसकी राशि 25 करोड़ से अधिक थी. सूत्रों की मानें तो विगत तीन वर्षों से कई ठेकेदारों से यह वसूली नहीं की जा रही हैं. ज्ञात हो कि इस वसूली के बाद कलेक्टर द्वारा राजस्व वसूली प्रमाण पत्र जारी किया जाता है. हैरानी की बात है कि प्रदेश के अधिकांश जिलों में यह प्रमाण पत्र जारी होने के बावजूद जबलपुर में अब तक जारी नहीं हुआ क्योंकि विभाग द्वारा अब तक ठेकेदारों से राशि वसूली ही नहीं की गई. विभागीय सूत्रों ने दबी जुबान से स्वीकारा की ठेकेदारों से कथित तौर पर सहायक आयुक्त की मिली भगत के चलते शासन को करोड़ों का नुकसान पहुंच रहा हैं.