श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश), 17 फरवरी (आईएएनएस)। देश के तीसरी पीढ़ी के मौसम उपग्रह इनसैट-3डीएस की शनिवार को सफल लॉन्चिंग के बाद जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) रॉकेट में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के वैज्ञानिकों का विश्वास बढ़ गया है।
जीएसएलवी रॉकेट (पूर्व में जीएसएलवी-एमकेII) को शुरुआती दिनों में उसके प्रदर्शन में अनिश्चितता के लिए ‘शरारती बालक’ का उपनाम मिल गया था।
इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा, “जीएसएलवी रॉकेट पर भरोसा अब बहुत अधिक है।”
उन्होंने कहा कि जीएसएलवी रॉकेट का अगला मिशन भारत-अमेरिका के संयुक्त पृथ्वी अवलोकन उपग्रह नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (एनआईएसएआर) का प्रक्षेपण होगा।
सोमनाथ सहित इसरो के तमाम अधिकारियों ने शनिवार को ‘शरारती बालक’ की खूब तारीफ की।
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक एस. उन्नीकृष्णन ने कहा कि ‘शरारती बालक’ अब स्मार्ट हो गया है और मिशन से जुड़ी हर चीज सुचारू रूप से चल रही है।
शनिवार को प्रक्षेपित जीएसएलवी-एफ4 मिशन के निदेशक टॉमी जोसेफ ने कहा, “शरारती बालक परिपक्व हो गया है और अब एक अनुशासित लड़का बन गया है। रॉकेट ने उपग्रह को उसकी इच्छित कक्षा में पहुंचा दिया।”
जोसेफ ने यह भी कहा कि रॉकेट पिछले मिशन की तुलना में 50 किलोग्राम अधिक वजन ले गया था।
उपग्रह निदेशक इम्तियाज अहमद के अनुसार, चार मीटर व्यास वाला हीट शील्ड महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बड़े उपग्रह बनाने का विकल्प देता है।
तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र के निदेशक वी.नारायणन ने कहा कि रॉकेट की पेलोड क्षमता पहले लगभग 1,500 किलोग्राम से बढ़कर अब 2,274 किलोग्राम हो गई है – जो कि इनसैट-3डीएस उपग्रह का वजन है। यू.आर. राव उपग्रह के निदेशक एम. शंकरन के अनुसार, कक्षा हासिल करने के कारण इनसैट-3डीएस का जीवन काल अब तीन महीने बढ़कर 10 साल हो गया है।
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक ए. राजराजन ने कहा कि प्रक्षेपण अभियान बिना किसी रुकावट के चला और केंद्र अगले रॉकेट प्रक्षेपण के लिए तैयारी कर रहा है।
–आईएएनएस
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