शहडोल. चिकित्सकों की कमी से जूझते शहडोल जिले में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बुरी तरह चरमराती जा रही हैं. जिला अस्पताल के साथ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से विगत वर्षों में बढ़े चिकित्सकों के पलायन के चलते न सिर्फ चिकित्सकों की संख्या बल्कि जिला अस्पताल में बिस्तरों की संख्या बढ़ाने की भी लगातार मांग उठने के बावजूद स्थानीय स्तर पर कोई मांग पूरी न हो पाने से स्थानीयजनों में असंतोष हैं.
इस वर्ष जनवरी माह में जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं बढऩे के कारण संभाग के तीनों जिलों के अलावा छत्तीसगढ़ और सीधी के मरीज भी यहां उपचार के लिए आने लगे थे लेकिन चिकित्सकों के साथ बिस्तरों की संख्या न बढऩे की वजह से स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बुरी तरह चरमराई और मरीजों को धीरे-धीरे यहां से मोह भंग हो गया.
9 सौ से अधिक मरीज पहुंचते हैं अस्पताल
वर्तमान में भी संभाग के सबसे बड़े जिला चिकित्सालय शहडोल में हर दिन 9 सौ से एक हज़ार मरीज ओपीडी में आते हैं, इसके साथ ही भर्ती मरीजों का भी उपचार किया जाता है. मरीजों की संख्या बढऩे के कारण अब जिला अस्पताल में बिस्तर कम पडऩे लगे हैं. इससे मरीजों को असुविधा का सामना करना पड़ता है. इसलिए अस्पताल में मरीजों को समुचित सुविधाएं देने के लिए चिकित्सकों के साथ बिस्तरों की संख्या बढ़ाने की भी मांग की जा रही हैं.
जिला चिकित्सालय में हर दिन 20 से अधिक लोगों को डायलिसिस हो रहा है. सर्व-सुविधायुक्त आईसीयू गंभीर मरीजों के इलाज में मददगार साबित हो तो रहा हैं लेकिन अधिक संख्या में मरीज होने के चलते यहां न सिर्फ कई बार मरीजों को जल्द गहन चिकित्सा से अन्यत्र स्थानांतरित करना पड़ता हैं वहीं कुछ आकस्मिक मरीजों को जल्द गहन चिकित्सा का लाभ नहीं मिल पाता.
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में अनियमितताओं को माहौल
जिला अस्पताल जहां चिकित्सकों और बिस्तरों की संख्या कम होने से मरीजों को उचित लाभ नहीं दे पा रहा हैं वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केेंद्रों में भी पहुंचने वाले मरीज व्यवस्थाओं से खुश नहीं हैं. धनपुरी के स्वास्थ्य केंद्र इसकी बानगी दे रहा हैं. अस्पताल की कमान एमपीडब्ल्यू को दी गई थी. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धनपुरी में पदस्थ एमपीडब्ल्यू (बहुउद्देशीय पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ता) द्वारा अस्पताल के सहकर्मियों के साथ अभद्र व्यवहार का आरोप लगाया गया. इसके साथ ही मैदानी स्वास्थ्य अमला होने के बावजूद उससे अस्पताल के रोगी कल्याण समिति समेत अन्य प्रभार अस्पताल के प्रभारी द्वारा देकर रखा गया है.
जबकि उसकी मूल पदस्थापना मैदानी स्वास्थ्य अमले के रूप में है. जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धनपुरी में व्याप्त अनिमितताओं का मामला पहले भी सामने आ चुका है. कुछ दिन पूर्व अस्पताल में आने वाले मरीजों को बाहर चिन्हित पैथोलाजी में भेजकर ब्लड टेस्ट कराने के साथ-साथ चिन्हित मेडिकल स्टोर से महंगी दवाइयां लेने के लिए वहां पदस्थ एक चिकित्सक द्वारा बाध्य किया जाता था. इसकी जांच करने शहडोल से अधिकारी की टीम धनपुरी अस्पताल आई थी और संबंधित चिकित्सक को हिदायत दी गी थी कि जब अस्पताल में सारी सुविधा उपलब्ध है तो फिर अनावश्यक रूप से बाहर से टेस्ट क्यों कराया जा रहा है.
अधिकांश केंद्रों में यही हालात
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार जिले के अन्य सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में इसी तरह अनियमितताए फैली हुई हैं, जिनमें सुधार की आवश्यकता है. वरिष्ठों से चर्चा में यह बात तो कही जाती हैं कि जिले में पदस्थ किसी भी चिकित्सक या अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी द्वारा कोई अनियमितता की जाएगी तो संबंधित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी लेकिन कब कार्रवाई होगी और कब मरीजों को अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने पर समुचित परामर्श एवं उपचार का लाभ मिल पाएगा यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी कोई लेने तैयार नहीं जिसके चलते स्थानीयजनों में आक्रोश बढ़ता जा रहा हैं.