कोलकाता, 14 मार्च (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने मंगलवार को राज्य में करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार युवा नेताओं कुंतल घोष और शांतनु बंदोपाध्याय को निष्कासित करने की घोषणा की।
केंद्रीय एजेंसियों द्वारा घोटाले की जांच शुरू किए जाने के बाद से यह दूसरी बार है जब तृणमूल ने इस मामले में ऐसा कदम उठाया है। पिछले जुलाई में, पार्टी नेतृत्व ने राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री और महासचिव पार्थ चटर्जी को इस संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किए जाने के एक हफ्ते बाद उनके सभी मंत्री और पार्टी विभागों से हटा दिया था।
जहां घोष अभी न्यायिक हिरासत में हैं, वहीं बंदोपाध्याय ईडी की हिरासत में हैं। एक संवाददाता सम्मेलन में घोष और बंदोपाध्याय को निष्कासित करने के पार्टी के फैसले की घोषणा करते हुए राज्य की महिला एवं बाल विकास और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री डॉ. शशि पांजा ने कहा कि तृणमूल भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपने रुख को लेकर स्पष्ट है।
उन्होंने कहा, तृणमूल कांग्रेस और अन्य दलों में यही अंतर है। हमारी पार्टी कभी भी आरोपी व्यक्तियों के साथ नहीं खड़ी होती है। दूसरी ओर, भाजपा में पार्टी नेतृत्व भी अपने आरोपी नेताओं के पीछे खड़ा होता है। हालांकि, विपक्षी नेताओं ने निष्कासन की इस घोषणा को महज आंखों में धूल झोंकने वाला बताया है। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने सवाल किया कि पार्टी विधायक माणिक भट्टाचार्य और बीरभूम जिला प्रमुख अनुब्रत मंडल पर पार्टी नेतृत्व चुप क्यों है।
उन्होंने कहा, दरअसल, अगर तृणमूल कांग्रेस भ्रष्टाचार में शामिल सभी लोगों को बाहर करना शुरू कर देती है, तो पार्टी का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। यह और कुछ नहीं बल्कि आंखों में धूल झोंकने जैसा है।
–आईएएनएस
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