कोलकाता, 26 फरवरी (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने पिछले सप्ताह उन 30 साक्षात्कारकर्ताओं से व्यक्तिगत रूप से पूछताछ की, जो 2016 में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के लिए साक्षात्कार बोर्ड में थे। उनसे पूछा गया कि कैसे निर्धारित नियमों का उल्लंघन करते हुए प्रक्रिया का संचालन किया गया।
सूत्रों ने बताया कि मानदंडों का पहला उल्लंघन साक्षात्कार बोर्ड के चयन की प्रक्रिया में था, जहां इस संबंध में एक औपचारिक पत्र जारी करने के बजाय, साक्षात्कारकर्ताओं को केवल मौखिक रूप से या चयन के बारे में एक संदेश के माध्यम से सूचित किया गया था।
सूत्रों ने कहा, कुछ साक्षात्कारकर्ताओं को इस संबंध में उचित पहचान पत्र भी प्रदान नहीं किया गया था और साक्षात्कार प्रक्रिया समाप्त होने के बाद, उन्हें ऑन-ड्यूटी की पर्ची सौंप दी गई थी।
तीसरी विसंगति यह है कि बोर्ड के कुछ सदस्यों के पहली बार साक्षात्कार बोर्ड में शामिल होने के बावजूद उन्हें कोई दिशानिर्देश नहीं दिया गया था। उन्हें केवल कुछ मौखिक निर्देश दिए गए थे।
चौथी और सबसे बड़ी अनियमितता यह थी कि इंटरव्यू के दौरान अलग से एप्टीट्यूड टेस्ट कराने के निर्देश नहीं दिए गए थे, हालांकि इस हिस्से के अलग-अलग अंक होते हैं। न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय द्वारा पूछताछ किए गए साक्षात्कारकर्ताओं ने पुष्टि की है कि चूंकि योग्यता परीक्षण आयोजित करने के लिए कोई निर्देश नहीं दिया गया था, इसलिए साक्षात्कार प्रक्रिया के दौरान अभ्यास आयोजित नहीं किया गया था।
एप्टीट्यूड टेस्ट ब्लैकबोर्ड, डस्टर और ब्लैकबोर्ड पेंसिल जैसी वस्तुओं का उपयोग करके शिक्षण में उम्मीदवारों की योग्यता को समझने के लिए एक प्रकार का व्यावहारिक परीक्षण है। न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय द्वारा पूछे गए कई साक्षात्कारकर्ताओं ने बताया कि साक्षात्कार कक्ष में इन शिक्षण मदों के लिए कोई प्रावधान नहीं था, जो इस तरह की योग्यता परीक्षा आयोजित करने के लिए नितांत आवश्यक हैं।
ऐसे में सवाल आता है कि जब एप्टीट्यूड की कवायद ही नहीं हुई, तो उसके लिए अंक कैसे आवंटित किए जा सकते हैं।
–आईएएनएस
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