कोलकाता, 20 मार्च (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के टीचिंग और नॉन-टीचिंग स्टाफ भर्ती घोटाले में घोटाले की आय के अज्ञात लाभार्थियों के खिलाफ नई प्राथमिकी दर्ज की है।
सीबीआई सूत्रों ने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की पीठ के निर्देश के बाद नई प्राथमिकी दर्ज की गई है।
सीबीआई के एक सूत्र ने कहा, न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने यह निर्देश दिया कि घोटाले के पीछे के नाम सामने आने बाकी हैं। इसलिए, निर्देश के अनुसार, हमने अज्ञात लाभार्थियों के नाम पर मामले में नई प्राथमिकी दर्ज की है।
सूत्र ने यह भी कहा कि प्राथमिकी में यह भी उल्लेख किया गया है कि इन गुमनाम लाभार्थियों में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) के कुछ अंदरूनी लोग शामिल हैं। सीबीआई के प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, कुल 16,500 व्यक्तियों, जिनमें शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारी दोनों शामिल थे, को अवैध रूप से नियुक्त किया गया था।
2 मार्च को मामले की सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा कि 2014 में, एस बसु रॉय नामक एक संस्था को लिखित परीक्षा के लिए उपस्थित होने वाले उम्मीदवारों की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का ठेका मिला था। उन्होंने यह भी कहा कि आरोप यह है कि मूल्यांकन प्रक्रिया में अनियमितताएं की गईं जहां अपात्र उम्मीदवारों को अधिक अंक दिए गए।
न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह उस इकाई को इतने सारे महत्वपूर्ण कार्य देने के पीछे के कारणों की जांच करे और डब्ल्यूबीएसएससी के गोपनीय खंड तक उक्त इकाई की पहुंच क्यों थी, यह भी पता लगाए। सीबीआई सूत्रों ने कहा कि डब्ल्यूबीएसएससी की तत्कालीन तदर्थ समिति के सभी सदस्यों को उक्त इकाई को ये कार्य देने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा और केंद्रीय एजेंसी द्वारा पूछताछ की जाएगी और यदि आवश्यक हो तो उन्हें हिरासत में लिया जाएगा।
2 मार्च को न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भी इस मामले में जांच का हिस्सा बनने का निर्देश दिया था।
–आईएएनएस
केसी/एएनएम