कोलकाता, 16 फरवरी (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच कर रहे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों को मामले में जांच की धीमी गति के लिए गुरुवार को विशेष सीबीआई न्यायाधीश के गुस्से का सामना करना पड़ा।
न्यायाधीश ने मामले में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और छह अन्य की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान कहा, आरोपियों के भी कुछ अधिकार हैं। जांच एजेंसी अनिश्चित काल तक जांच जारी नहीं रख सकती। जो हो रहा है वह सही नहीं है।
न्यायाधीश ने जांच अधिकारियों से पूछा- आपने चार्जशीट में लिखा है कि आपको घोटाले में दूसरों की भूमिका के लिए जांच करने की आवश्यकता है। लेकिन वह कहां हैं? मैं पिछले दो महीनों से इस मामले की सुनवाई कर रहा हूं। मैं समझता हूं कि यह एक बड़ा काम है। लेकिन क्या आपने दूसरों के बयान दर्ज किए हैं?
सीबीआई के वकील ने देरी का कारण बताते हुए कहा कि आरोपी व्यक्तियों के वकील दूसरे पक्ष को देखे बिना जांच प्रक्रिया में देरी का आरोप लगा रहे हैं। जब जांच शुरू हुई, तो आरोप सिर्फ पैसे के खिलाफ अवैध भर्ती के थे। लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, यह पता चला कि भर्ती प्रक्रिया में हेरफेर से लेकर आगे की कार्रवाई क्या होगी, यह पूरी साजिश पूर्व नियोजित थी।
उन्होंने यह भी बताया कि जांच एजेंसी को यह पता लगाने में भी सफलता मिली कि कैसे अनियमित भर्ती को सुविधाजनक बनाने के लिए ऑप्टिकल मार्क रिकग्निशन (ओएमआर) शीट से छेड़छाड़ की गई। सीबीआई के वकील ने कहा, जांच में कई महत्वपूर्ण सरकारी पदाधिकारियों और प्रभावशाली व्यक्तियों के नाम सामने आए हैं। ये सभी बड़ी साजिश का हिस्सा हैं। एजेंसी की केस डायरी सब कुछ बोलती है।
विशेष अदालत के जज ने सीबीआई से जल्द से जल्द जांच पूरी करने को कहा और कोर्ट ने चटर्जी और अन्य की जमानत याचिका मंजूर करने से इनकार कर दिया। इस मामले पर 2 मार्च को फिर से सुनवाई होगी।
–आईएएनएस
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