बीजिंग, 31 मई (आईएएनएस)। हाल ही में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने बांग्लादेशी बच्ची अलीफा चीन को जवाबी पत्र भेजकर उसे कड़ी मेहनत करने, अपने सपनों को साकार करने और चीन-बांग्लादेश पारंपरिक दोस्ती को विरासत में लेते हुए उसको प्रगाढ़ करने के लिए प्रोत्साहित किया।
शी चिनफिंग ने अपने जवाबी पत्र में कहा कि अपने पत्र में छोटी लड़की अलीफा का व्यक्तिगत अनुभव चीन-बांग्लादेश मित्रता का एक विशुद्ध चित्रण है। दोनों देशों के लोग प्राचीन काल से ही अच्छे पड़ोसी, अच्छे मित्र रहे हैं। द्विपक्षीय मित्रवत आवाजाही का इतिहास एक हजार वर्ष से अधिक पुराना है। 600 साल पहले, चीन के मिंग राजवंश में नाविक चंग ह के खजाना जहाज ने दो बार बांग्लादेश का दौरा किया और दोनों देशों के लोगों के बीच दोस्ती के बीज बोए। 600 साल बाद, चीनी नौसेना के अस्पताल जहाज पीस आर्क के ह्वाएयुआन जहाज में चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने चटगाँव में अलीफा की माँ को खतरे से उबरने और सुचारू रूप से जन्म देने में मदद की। पिता ने अपनी बेटी के नाम चीन रखा। इस कहानी ने दोनों देशों के बीच दोस्ती का नया और मर्मस्पर्शी अध्याय लिखा है।
शी चिनफिंग ने कहा कि उन्हें यह जानकर बहुत खुशी हुई कि अलीफा बड़ी होने पर चीन-बांग्लादेश दोस्ती का दूत बनने की इच्छा रखती है, और वह भविष्य में चीन में चिकित्सा का अध्ययन करने और चीनी मां की तरह जीवन बचाने और घायलों को ठीक करने की उम्मीद करती है। 1 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर, वह अलीफा के अच्छे स्वास्थ्य, पारिवारिक सुख और शैक्षणिक प्रगति की कामना करते हैं।
बता दें कि अलीफा चीन का जन्म 2010 में हुआ, उसकी मां गंभीर हृदय रोग के कारण डायस्टोसिया से पीड़ित थी, और एक समय पर उसकी मृत्यु होने वाली थी। चीनी नौसेना का अस्पताल जहाज पीस आर्क, जो उस समय बांग्लादेश के चटगांव का दौरा कर रहा था, ने मदद के लिए एक कॉल प्राप्त की और सैन्य डॉक्टरों को जल्द से जल्द स्थानीय अस्पताल भेज दिया। चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने बड़े दबाव में सिजेरियन सेक्शन किया और आखिरकार मां-बेटी सुरक्षित बच गईं। उनका आभार प्रकट करने के लिए उसके पिता ने उसका नाम चीन रखा।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
–आईएएनएस
एएनएम
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बीजिंग, 31 मई (आईएएनएस)। हाल ही में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने बांग्लादेशी बच्ची अलीफा चीन को जवाबी पत्र भेजकर उसे कड़ी मेहनत करने, अपने सपनों को साकार करने और चीन-बांग्लादेश पारंपरिक दोस्ती को विरासत में लेते हुए उसको प्रगाढ़ करने के लिए प्रोत्साहित किया।
शी चिनफिंग ने अपने जवाबी पत्र में कहा कि अपने पत्र में छोटी लड़की अलीफा का व्यक्तिगत अनुभव चीन-बांग्लादेश मित्रता का एक विशुद्ध चित्रण है। दोनों देशों के लोग प्राचीन काल से ही अच्छे पड़ोसी, अच्छे मित्र रहे हैं। द्विपक्षीय मित्रवत आवाजाही का इतिहास एक हजार वर्ष से अधिक पुराना है। 600 साल पहले, चीन के मिंग राजवंश में नाविक चंग ह के खजाना जहाज ने दो बार बांग्लादेश का दौरा किया और दोनों देशों के लोगों के बीच दोस्ती के बीज बोए। 600 साल बाद, चीनी नौसेना के अस्पताल जहाज पीस आर्क के ह्वाएयुआन जहाज में चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने चटगाँव में अलीफा की माँ को खतरे से उबरने और सुचारू रूप से जन्म देने में मदद की। पिता ने अपनी बेटी के नाम चीन रखा। इस कहानी ने दोनों देशों के बीच दोस्ती का नया और मर्मस्पर्शी अध्याय लिखा है।
शी चिनफिंग ने कहा कि उन्हें यह जानकर बहुत खुशी हुई कि अलीफा बड़ी होने पर चीन-बांग्लादेश दोस्ती का दूत बनने की इच्छा रखती है, और वह भविष्य में चीन में चिकित्सा का अध्ययन करने और चीनी मां की तरह जीवन बचाने और घायलों को ठीक करने की उम्मीद करती है। 1 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर, वह अलीफा के अच्छे स्वास्थ्य, पारिवारिक सुख और शैक्षणिक प्रगति की कामना करते हैं।
बता दें कि अलीफा चीन का जन्म 2010 में हुआ, उसकी मां गंभीर हृदय रोग के कारण डायस्टोसिया से पीड़ित थी, और एक समय पर उसकी मृत्यु होने वाली थी। चीनी नौसेना का अस्पताल जहाज पीस आर्क, जो उस समय बांग्लादेश के चटगांव का दौरा कर रहा था, ने मदद के लिए एक कॉल प्राप्त की और सैन्य डॉक्टरों को जल्द से जल्द स्थानीय अस्पताल भेज दिया। चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने बड़े दबाव में सिजेरियन सेक्शन किया और आखिरकार मां-बेटी सुरक्षित बच गईं। उनका आभार प्रकट करने के लिए उसके पिता ने उसका नाम चीन रखा।
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बीजिंग, 31 मई (आईएएनएस)। हाल ही में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने बांग्लादेशी बच्ची अलीफा चीन को जवाबी पत्र भेजकर उसे कड़ी मेहनत करने, अपने सपनों को साकार करने और चीन-बांग्लादेश पारंपरिक दोस्ती को विरासत में लेते हुए उसको प्रगाढ़ करने के लिए प्रोत्साहित किया।
शी चिनफिंग ने अपने जवाबी पत्र में कहा कि अपने पत्र में छोटी लड़की अलीफा का व्यक्तिगत अनुभव चीन-बांग्लादेश मित्रता का एक विशुद्ध चित्रण है। दोनों देशों के लोग प्राचीन काल से ही अच्छे पड़ोसी, अच्छे मित्र रहे हैं। द्विपक्षीय मित्रवत आवाजाही का इतिहास एक हजार वर्ष से अधिक पुराना है। 600 साल पहले, चीन के मिंग राजवंश में नाविक चंग ह के खजाना जहाज ने दो बार बांग्लादेश का दौरा किया और दोनों देशों के लोगों के बीच दोस्ती के बीज बोए। 600 साल बाद, चीनी नौसेना के अस्पताल जहाज पीस आर्क के ह्वाएयुआन जहाज में चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने चटगाँव में अलीफा की माँ को खतरे से उबरने और सुचारू रूप से जन्म देने में मदद की। पिता ने अपनी बेटी के नाम चीन रखा। इस कहानी ने दोनों देशों के बीच दोस्ती का नया और मर्मस्पर्शी अध्याय लिखा है।
शी चिनफिंग ने कहा कि उन्हें यह जानकर बहुत खुशी हुई कि अलीफा बड़ी होने पर चीन-बांग्लादेश दोस्ती का दूत बनने की इच्छा रखती है, और वह भविष्य में चीन में चिकित्सा का अध्ययन करने और चीनी मां की तरह जीवन बचाने और घायलों को ठीक करने की उम्मीद करती है। 1 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर, वह अलीफा के अच्छे स्वास्थ्य, पारिवारिक सुख और शैक्षणिक प्रगति की कामना करते हैं।
बता दें कि अलीफा चीन का जन्म 2010 में हुआ, उसकी मां गंभीर हृदय रोग के कारण डायस्टोसिया से पीड़ित थी, और एक समय पर उसकी मृत्यु होने वाली थी। चीनी नौसेना का अस्पताल जहाज पीस आर्क, जो उस समय बांग्लादेश के चटगांव का दौरा कर रहा था, ने मदद के लिए एक कॉल प्राप्त की और सैन्य डॉक्टरों को जल्द से जल्द स्थानीय अस्पताल भेज दिया। चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने बड़े दबाव में सिजेरियन सेक्शन किया और आखिरकार मां-बेटी सुरक्षित बच गईं। उनका आभार प्रकट करने के लिए उसके पिता ने उसका नाम चीन रखा।
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शी चिनफिंग ने अपने जवाबी पत्र में कहा कि अपने पत्र में छोटी लड़की अलीफा का व्यक्तिगत अनुभव चीन-बांग्लादेश मित्रता का एक विशुद्ध चित्रण है। दोनों देशों के लोग प्राचीन काल से ही अच्छे पड़ोसी, अच्छे मित्र रहे हैं। द्विपक्षीय मित्रवत आवाजाही का इतिहास एक हजार वर्ष से अधिक पुराना है। 600 साल पहले, चीन के मिंग राजवंश में नाविक चंग ह के खजाना जहाज ने दो बार बांग्लादेश का दौरा किया और दोनों देशों के लोगों के बीच दोस्ती के बीज बोए। 600 साल बाद, चीनी नौसेना के अस्पताल जहाज पीस आर्क के ह्वाएयुआन जहाज में चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने चटगाँव में अलीफा की माँ को खतरे से उबरने और सुचारू रूप से जन्म देने में मदद की। पिता ने अपनी बेटी के नाम चीन रखा। इस कहानी ने दोनों देशों के बीच दोस्ती का नया और मर्मस्पर्शी अध्याय लिखा है।
शी चिनफिंग ने कहा कि उन्हें यह जानकर बहुत खुशी हुई कि अलीफा बड़ी होने पर चीन-बांग्लादेश दोस्ती का दूत बनने की इच्छा रखती है, और वह भविष्य में चीन में चिकित्सा का अध्ययन करने और चीनी मां की तरह जीवन बचाने और घायलों को ठीक करने की उम्मीद करती है। 1 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर, वह अलीफा के अच्छे स्वास्थ्य, पारिवारिक सुख और शैक्षणिक प्रगति की कामना करते हैं।
बता दें कि अलीफा चीन का जन्म 2010 में हुआ, उसकी मां गंभीर हृदय रोग के कारण डायस्टोसिया से पीड़ित थी, और एक समय पर उसकी मृत्यु होने वाली थी। चीनी नौसेना का अस्पताल जहाज पीस आर्क, जो उस समय बांग्लादेश के चटगांव का दौरा कर रहा था, ने मदद के लिए एक कॉल प्राप्त की और सैन्य डॉक्टरों को जल्द से जल्द स्थानीय अस्पताल भेज दिया। चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने बड़े दबाव में सिजेरियन सेक्शन किया और आखिरकार मां-बेटी सुरक्षित बच गईं। उनका आभार प्रकट करने के लिए उसके पिता ने उसका नाम चीन रखा।
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शी चिनफिंग ने अपने जवाबी पत्र में कहा कि अपने पत्र में छोटी लड़की अलीफा का व्यक्तिगत अनुभव चीन-बांग्लादेश मित्रता का एक विशुद्ध चित्रण है। दोनों देशों के लोग प्राचीन काल से ही अच्छे पड़ोसी, अच्छे मित्र रहे हैं। द्विपक्षीय मित्रवत आवाजाही का इतिहास एक हजार वर्ष से अधिक पुराना है। 600 साल पहले, चीन के मिंग राजवंश में नाविक चंग ह के खजाना जहाज ने दो बार बांग्लादेश का दौरा किया और दोनों देशों के लोगों के बीच दोस्ती के बीज बोए। 600 साल बाद, चीनी नौसेना के अस्पताल जहाज पीस आर्क के ह्वाएयुआन जहाज में चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने चटगाँव में अलीफा की माँ को खतरे से उबरने और सुचारू रूप से जन्म देने में मदद की। पिता ने अपनी बेटी के नाम चीन रखा। इस कहानी ने दोनों देशों के बीच दोस्ती का नया और मर्मस्पर्शी अध्याय लिखा है।
शी चिनफिंग ने कहा कि उन्हें यह जानकर बहुत खुशी हुई कि अलीफा बड़ी होने पर चीन-बांग्लादेश दोस्ती का दूत बनने की इच्छा रखती है, और वह भविष्य में चीन में चिकित्सा का अध्ययन करने और चीनी मां की तरह जीवन बचाने और घायलों को ठीक करने की उम्मीद करती है। 1 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर, वह अलीफा के अच्छे स्वास्थ्य, पारिवारिक सुख और शैक्षणिक प्रगति की कामना करते हैं।
बता दें कि अलीफा चीन का जन्म 2010 में हुआ, उसकी मां गंभीर हृदय रोग के कारण डायस्टोसिया से पीड़ित थी, और एक समय पर उसकी मृत्यु होने वाली थी। चीनी नौसेना का अस्पताल जहाज पीस आर्क, जो उस समय बांग्लादेश के चटगांव का दौरा कर रहा था, ने मदद के लिए एक कॉल प्राप्त की और सैन्य डॉक्टरों को जल्द से जल्द स्थानीय अस्पताल भेज दिया। चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने बड़े दबाव में सिजेरियन सेक्शन किया और आखिरकार मां-बेटी सुरक्षित बच गईं। उनका आभार प्रकट करने के लिए उसके पिता ने उसका नाम चीन रखा।
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शी चिनफिंग ने अपने जवाबी पत्र में कहा कि अपने पत्र में छोटी लड़की अलीफा का व्यक्तिगत अनुभव चीन-बांग्लादेश मित्रता का एक विशुद्ध चित्रण है। दोनों देशों के लोग प्राचीन काल से ही अच्छे पड़ोसी, अच्छे मित्र रहे हैं। द्विपक्षीय मित्रवत आवाजाही का इतिहास एक हजार वर्ष से अधिक पुराना है। 600 साल पहले, चीन के मिंग राजवंश में नाविक चंग ह के खजाना जहाज ने दो बार बांग्लादेश का दौरा किया और दोनों देशों के लोगों के बीच दोस्ती के बीज बोए। 600 साल बाद, चीनी नौसेना के अस्पताल जहाज पीस आर्क के ह्वाएयुआन जहाज में चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने चटगाँव में अलीफा की माँ को खतरे से उबरने और सुचारू रूप से जन्म देने में मदद की। पिता ने अपनी बेटी के नाम चीन रखा। इस कहानी ने दोनों देशों के बीच दोस्ती का नया और मर्मस्पर्शी अध्याय लिखा है।
शी चिनफिंग ने कहा कि उन्हें यह जानकर बहुत खुशी हुई कि अलीफा बड़ी होने पर चीन-बांग्लादेश दोस्ती का दूत बनने की इच्छा रखती है, और वह भविष्य में चीन में चिकित्सा का अध्ययन करने और चीनी मां की तरह जीवन बचाने और घायलों को ठीक करने की उम्मीद करती है। 1 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर, वह अलीफा के अच्छे स्वास्थ्य, पारिवारिक सुख और शैक्षणिक प्रगति की कामना करते हैं।
बता दें कि अलीफा चीन का जन्म 2010 में हुआ, उसकी मां गंभीर हृदय रोग के कारण डायस्टोसिया से पीड़ित थी, और एक समय पर उसकी मृत्यु होने वाली थी। चीनी नौसेना का अस्पताल जहाज पीस आर्क, जो उस समय बांग्लादेश के चटगांव का दौरा कर रहा था, ने मदद के लिए एक कॉल प्राप्त की और सैन्य डॉक्टरों को जल्द से जल्द स्थानीय अस्पताल भेज दिया। चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने बड़े दबाव में सिजेरियन सेक्शन किया और आखिरकार मां-बेटी सुरक्षित बच गईं। उनका आभार प्रकट करने के लिए उसके पिता ने उसका नाम चीन रखा।
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शी चिनफिंग ने अपने जवाबी पत्र में कहा कि अपने पत्र में छोटी लड़की अलीफा का व्यक्तिगत अनुभव चीन-बांग्लादेश मित्रता का एक विशुद्ध चित्रण है। दोनों देशों के लोग प्राचीन काल से ही अच्छे पड़ोसी, अच्छे मित्र रहे हैं। द्विपक्षीय मित्रवत आवाजाही का इतिहास एक हजार वर्ष से अधिक पुराना है। 600 साल पहले, चीन के मिंग राजवंश में नाविक चंग ह के खजाना जहाज ने दो बार बांग्लादेश का दौरा किया और दोनों देशों के लोगों के बीच दोस्ती के बीज बोए। 600 साल बाद, चीनी नौसेना के अस्पताल जहाज पीस आर्क के ह्वाएयुआन जहाज में चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने चटगाँव में अलीफा की माँ को खतरे से उबरने और सुचारू रूप से जन्म देने में मदद की। पिता ने अपनी बेटी के नाम चीन रखा। इस कहानी ने दोनों देशों के बीच दोस्ती का नया और मर्मस्पर्शी अध्याय लिखा है।
शी चिनफिंग ने कहा कि उन्हें यह जानकर बहुत खुशी हुई कि अलीफा बड़ी होने पर चीन-बांग्लादेश दोस्ती का दूत बनने की इच्छा रखती है, और वह भविष्य में चीन में चिकित्सा का अध्ययन करने और चीनी मां की तरह जीवन बचाने और घायलों को ठीक करने की उम्मीद करती है। 1 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर, वह अलीफा के अच्छे स्वास्थ्य, पारिवारिक सुख और शैक्षणिक प्रगति की कामना करते हैं।
बता दें कि अलीफा चीन का जन्म 2010 में हुआ, उसकी मां गंभीर हृदय रोग के कारण डायस्टोसिया से पीड़ित थी, और एक समय पर उसकी मृत्यु होने वाली थी। चीनी नौसेना का अस्पताल जहाज पीस आर्क, जो उस समय बांग्लादेश के चटगांव का दौरा कर रहा था, ने मदद के लिए एक कॉल प्राप्त की और सैन्य डॉक्टरों को जल्द से जल्द स्थानीय अस्पताल भेज दिया। चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने बड़े दबाव में सिजेरियन सेक्शन किया और आखिरकार मां-बेटी सुरक्षित बच गईं। उनका आभार प्रकट करने के लिए उसके पिता ने उसका नाम चीन रखा।
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बीजिंग, 31 मई (आईएएनएस)। हाल ही में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने बांग्लादेशी बच्ची अलीफा चीन को जवाबी पत्र भेजकर उसे कड़ी मेहनत करने, अपने सपनों को साकार करने और चीन-बांग्लादेश पारंपरिक दोस्ती को विरासत में लेते हुए उसको प्रगाढ़ करने के लिए प्रोत्साहित किया।
शी चिनफिंग ने अपने जवाबी पत्र में कहा कि अपने पत्र में छोटी लड़की अलीफा का व्यक्तिगत अनुभव चीन-बांग्लादेश मित्रता का एक विशुद्ध चित्रण है। दोनों देशों के लोग प्राचीन काल से ही अच्छे पड़ोसी, अच्छे मित्र रहे हैं। द्विपक्षीय मित्रवत आवाजाही का इतिहास एक हजार वर्ष से अधिक पुराना है। 600 साल पहले, चीन के मिंग राजवंश में नाविक चंग ह के खजाना जहाज ने दो बार बांग्लादेश का दौरा किया और दोनों देशों के लोगों के बीच दोस्ती के बीज बोए। 600 साल बाद, चीनी नौसेना के अस्पताल जहाज पीस आर्क के ह्वाएयुआन जहाज में चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने चटगाँव में अलीफा की माँ को खतरे से उबरने और सुचारू रूप से जन्म देने में मदद की। पिता ने अपनी बेटी के नाम चीन रखा। इस कहानी ने दोनों देशों के बीच दोस्ती का नया और मर्मस्पर्शी अध्याय लिखा है।
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बता दें कि अलीफा चीन का जन्म 2010 में हुआ, उसकी मां गंभीर हृदय रोग के कारण डायस्टोसिया से पीड़ित थी, और एक समय पर उसकी मृत्यु होने वाली थी। चीनी नौसेना का अस्पताल जहाज पीस आर्क, जो उस समय बांग्लादेश के चटगांव का दौरा कर रहा था, ने मदद के लिए एक कॉल प्राप्त की और सैन्य डॉक्टरों को जल्द से जल्द स्थानीय अस्पताल भेज दिया। चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने बड़े दबाव में सिजेरियन सेक्शन किया और आखिरकार मां-बेटी सुरक्षित बच गईं। उनका आभार प्रकट करने के लिए उसके पिता ने उसका नाम चीन रखा।
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शी चिनफिंग ने अपने जवाबी पत्र में कहा कि अपने पत्र में छोटी लड़की अलीफा का व्यक्तिगत अनुभव चीन-बांग्लादेश मित्रता का एक विशुद्ध चित्रण है। दोनों देशों के लोग प्राचीन काल से ही अच्छे पड़ोसी, अच्छे मित्र रहे हैं। द्विपक्षीय मित्रवत आवाजाही का इतिहास एक हजार वर्ष से अधिक पुराना है। 600 साल पहले, चीन के मिंग राजवंश में नाविक चंग ह के खजाना जहाज ने दो बार बांग्लादेश का दौरा किया और दोनों देशों के लोगों के बीच दोस्ती के बीज बोए। 600 साल बाद, चीनी नौसेना के अस्पताल जहाज पीस आर्क के ह्वाएयुआन जहाज में चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने चटगाँव में अलीफा की माँ को खतरे से उबरने और सुचारू रूप से जन्म देने में मदद की। पिता ने अपनी बेटी के नाम चीन रखा। इस कहानी ने दोनों देशों के बीच दोस्ती का नया और मर्मस्पर्शी अध्याय लिखा है।
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बता दें कि अलीफा चीन का जन्म 2010 में हुआ, उसकी मां गंभीर हृदय रोग के कारण डायस्टोसिया से पीड़ित थी, और एक समय पर उसकी मृत्यु होने वाली थी। चीनी नौसेना का अस्पताल जहाज पीस आर्क, जो उस समय बांग्लादेश के चटगांव का दौरा कर रहा था, ने मदद के लिए एक कॉल प्राप्त की और सैन्य डॉक्टरों को जल्द से जल्द स्थानीय अस्पताल भेज दिया। चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने बड़े दबाव में सिजेरियन सेक्शन किया और आखिरकार मां-बेटी सुरक्षित बच गईं। उनका आभार प्रकट करने के लिए उसके पिता ने उसका नाम चीन रखा।
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शी चिनफिंग ने अपने जवाबी पत्र में कहा कि अपने पत्र में छोटी लड़की अलीफा का व्यक्तिगत अनुभव चीन-बांग्लादेश मित्रता का एक विशुद्ध चित्रण है। दोनों देशों के लोग प्राचीन काल से ही अच्छे पड़ोसी, अच्छे मित्र रहे हैं। द्विपक्षीय मित्रवत आवाजाही का इतिहास एक हजार वर्ष से अधिक पुराना है। 600 साल पहले, चीन के मिंग राजवंश में नाविक चंग ह के खजाना जहाज ने दो बार बांग्लादेश का दौरा किया और दोनों देशों के लोगों के बीच दोस्ती के बीज बोए। 600 साल बाद, चीनी नौसेना के अस्पताल जहाज पीस आर्क के ह्वाएयुआन जहाज में चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने चटगाँव में अलीफा की माँ को खतरे से उबरने और सुचारू रूप से जन्म देने में मदद की। पिता ने अपनी बेटी के नाम चीन रखा। इस कहानी ने दोनों देशों के बीच दोस्ती का नया और मर्मस्पर्शी अध्याय लिखा है।
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बीजिंग, 31 मई (आईएएनएस)। हाल ही में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने बांग्लादेशी बच्ची अलीफा चीन को जवाबी पत्र भेजकर उसे कड़ी मेहनत करने, अपने सपनों को साकार करने और चीन-बांग्लादेश पारंपरिक दोस्ती को विरासत में लेते हुए उसको प्रगाढ़ करने के लिए प्रोत्साहित किया।
शी चिनफिंग ने अपने जवाबी पत्र में कहा कि अपने पत्र में छोटी लड़की अलीफा का व्यक्तिगत अनुभव चीन-बांग्लादेश मित्रता का एक विशुद्ध चित्रण है। दोनों देशों के लोग प्राचीन काल से ही अच्छे पड़ोसी, अच्छे मित्र रहे हैं। द्विपक्षीय मित्रवत आवाजाही का इतिहास एक हजार वर्ष से अधिक पुराना है। 600 साल पहले, चीन के मिंग राजवंश में नाविक चंग ह के खजाना जहाज ने दो बार बांग्लादेश का दौरा किया और दोनों देशों के लोगों के बीच दोस्ती के बीज बोए। 600 साल बाद, चीनी नौसेना के अस्पताल जहाज पीस आर्क के ह्वाएयुआन जहाज में चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने चटगाँव में अलीफा की माँ को खतरे से उबरने और सुचारू रूप से जन्म देने में मदद की। पिता ने अपनी बेटी के नाम चीन रखा। इस कहानी ने दोनों देशों के बीच दोस्ती का नया और मर्मस्पर्शी अध्याय लिखा है।
शी चिनफिंग ने कहा कि उन्हें यह जानकर बहुत खुशी हुई कि अलीफा बड़ी होने पर चीन-बांग्लादेश दोस्ती का दूत बनने की इच्छा रखती है, और वह भविष्य में चीन में चिकित्सा का अध्ययन करने और चीनी मां की तरह जीवन बचाने और घायलों को ठीक करने की उम्मीद करती है। 1 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर, वह अलीफा के अच्छे स्वास्थ्य, पारिवारिक सुख और शैक्षणिक प्रगति की कामना करते हैं।
बता दें कि अलीफा चीन का जन्म 2010 में हुआ, उसकी मां गंभीर हृदय रोग के कारण डायस्टोसिया से पीड़ित थी, और एक समय पर उसकी मृत्यु होने वाली थी। चीनी नौसेना का अस्पताल जहाज पीस आर्क, जो उस समय बांग्लादेश के चटगांव का दौरा कर रहा था, ने मदद के लिए एक कॉल प्राप्त की और सैन्य डॉक्टरों को जल्द से जल्द स्थानीय अस्पताल भेज दिया। चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने बड़े दबाव में सिजेरियन सेक्शन किया और आखिरकार मां-बेटी सुरक्षित बच गईं। उनका आभार प्रकट करने के लिए उसके पिता ने उसका नाम चीन रखा।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
–आईएएनएस
एएनएम
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बीजिंग, 31 मई (आईएएनएस)। हाल ही में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने बांग्लादेशी बच्ची अलीफा चीन को जवाबी पत्र भेजकर उसे कड़ी मेहनत करने, अपने सपनों को साकार करने और चीन-बांग्लादेश पारंपरिक दोस्ती को विरासत में लेते हुए उसको प्रगाढ़ करने के लिए प्रोत्साहित किया।
शी चिनफिंग ने अपने जवाबी पत्र में कहा कि अपने पत्र में छोटी लड़की अलीफा का व्यक्तिगत अनुभव चीन-बांग्लादेश मित्रता का एक विशुद्ध चित्रण है। दोनों देशों के लोग प्राचीन काल से ही अच्छे पड़ोसी, अच्छे मित्र रहे हैं। द्विपक्षीय मित्रवत आवाजाही का इतिहास एक हजार वर्ष से अधिक पुराना है। 600 साल पहले, चीन के मिंग राजवंश में नाविक चंग ह के खजाना जहाज ने दो बार बांग्लादेश का दौरा किया और दोनों देशों के लोगों के बीच दोस्ती के बीज बोए। 600 साल बाद, चीनी नौसेना के अस्पताल जहाज पीस आर्क के ह्वाएयुआन जहाज में चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने चटगाँव में अलीफा की माँ को खतरे से उबरने और सुचारू रूप से जन्म देने में मदद की। पिता ने अपनी बेटी के नाम चीन रखा। इस कहानी ने दोनों देशों के बीच दोस्ती का नया और मर्मस्पर्शी अध्याय लिखा है।
शी चिनफिंग ने कहा कि उन्हें यह जानकर बहुत खुशी हुई कि अलीफा बड़ी होने पर चीन-बांग्लादेश दोस्ती का दूत बनने की इच्छा रखती है, और वह भविष्य में चीन में चिकित्सा का अध्ययन करने और चीनी मां की तरह जीवन बचाने और घायलों को ठीक करने की उम्मीद करती है। 1 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर, वह अलीफा के अच्छे स्वास्थ्य, पारिवारिक सुख और शैक्षणिक प्रगति की कामना करते हैं।
बता दें कि अलीफा चीन का जन्म 2010 में हुआ, उसकी मां गंभीर हृदय रोग के कारण डायस्टोसिया से पीड़ित थी, और एक समय पर उसकी मृत्यु होने वाली थी। चीनी नौसेना का अस्पताल जहाज पीस आर्क, जो उस समय बांग्लादेश के चटगांव का दौरा कर रहा था, ने मदद के लिए एक कॉल प्राप्त की और सैन्य डॉक्टरों को जल्द से जल्द स्थानीय अस्पताल भेज दिया। चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने बड़े दबाव में सिजेरियन सेक्शन किया और आखिरकार मां-बेटी सुरक्षित बच गईं। उनका आभार प्रकट करने के लिए उसके पिता ने उसका नाम चीन रखा।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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बीजिंग, 31 मई (आईएएनएस)। हाल ही में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने बांग्लादेशी बच्ची अलीफा चीन को जवाबी पत्र भेजकर उसे कड़ी मेहनत करने, अपने सपनों को साकार करने और चीन-बांग्लादेश पारंपरिक दोस्ती को विरासत में लेते हुए उसको प्रगाढ़ करने के लिए प्रोत्साहित किया।
शी चिनफिंग ने अपने जवाबी पत्र में कहा कि अपने पत्र में छोटी लड़की अलीफा का व्यक्तिगत अनुभव चीन-बांग्लादेश मित्रता का एक विशुद्ध चित्रण है। दोनों देशों के लोग प्राचीन काल से ही अच्छे पड़ोसी, अच्छे मित्र रहे हैं। द्विपक्षीय मित्रवत आवाजाही का इतिहास एक हजार वर्ष से अधिक पुराना है। 600 साल पहले, चीन के मिंग राजवंश में नाविक चंग ह के खजाना जहाज ने दो बार बांग्लादेश का दौरा किया और दोनों देशों के लोगों के बीच दोस्ती के बीज बोए। 600 साल बाद, चीनी नौसेना के अस्पताल जहाज पीस आर्क के ह्वाएयुआन जहाज में चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने चटगाँव में अलीफा की माँ को खतरे से उबरने और सुचारू रूप से जन्म देने में मदद की। पिता ने अपनी बेटी के नाम चीन रखा। इस कहानी ने दोनों देशों के बीच दोस्ती का नया और मर्मस्पर्शी अध्याय लिखा है।
शी चिनफिंग ने कहा कि उन्हें यह जानकर बहुत खुशी हुई कि अलीफा बड़ी होने पर चीन-बांग्लादेश दोस्ती का दूत बनने की इच्छा रखती है, और वह भविष्य में चीन में चिकित्सा का अध्ययन करने और चीनी मां की तरह जीवन बचाने और घायलों को ठीक करने की उम्मीद करती है। 1 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर, वह अलीफा के अच्छे स्वास्थ्य, पारिवारिक सुख और शैक्षणिक प्रगति की कामना करते हैं।
बता दें कि अलीफा चीन का जन्म 2010 में हुआ, उसकी मां गंभीर हृदय रोग के कारण डायस्टोसिया से पीड़ित थी, और एक समय पर उसकी मृत्यु होने वाली थी। चीनी नौसेना का अस्पताल जहाज पीस आर्क, जो उस समय बांग्लादेश के चटगांव का दौरा कर रहा था, ने मदद के लिए एक कॉल प्राप्त की और सैन्य डॉक्टरों को जल्द से जल्द स्थानीय अस्पताल भेज दिया। चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने बड़े दबाव में सिजेरियन सेक्शन किया और आखिरकार मां-बेटी सुरक्षित बच गईं। उनका आभार प्रकट करने के लिए उसके पिता ने उसका नाम चीन रखा।
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बीजिंग, 31 मई (आईएएनएस)। हाल ही में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने बांग्लादेशी बच्ची अलीफा चीन को जवाबी पत्र भेजकर उसे कड़ी मेहनत करने, अपने सपनों को साकार करने और चीन-बांग्लादेश पारंपरिक दोस्ती को विरासत में लेते हुए उसको प्रगाढ़ करने के लिए प्रोत्साहित किया।
शी चिनफिंग ने अपने जवाबी पत्र में कहा कि अपने पत्र में छोटी लड़की अलीफा का व्यक्तिगत अनुभव चीन-बांग्लादेश मित्रता का एक विशुद्ध चित्रण है। दोनों देशों के लोग प्राचीन काल से ही अच्छे पड़ोसी, अच्छे मित्र रहे हैं। द्विपक्षीय मित्रवत आवाजाही का इतिहास एक हजार वर्ष से अधिक पुराना है। 600 साल पहले, चीन के मिंग राजवंश में नाविक चंग ह के खजाना जहाज ने दो बार बांग्लादेश का दौरा किया और दोनों देशों के लोगों के बीच दोस्ती के बीज बोए। 600 साल बाद, चीनी नौसेना के अस्पताल जहाज पीस आर्क के ह्वाएयुआन जहाज में चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने चटगाँव में अलीफा की माँ को खतरे से उबरने और सुचारू रूप से जन्म देने में मदद की। पिता ने अपनी बेटी के नाम चीन रखा। इस कहानी ने दोनों देशों के बीच दोस्ती का नया और मर्मस्पर्शी अध्याय लिखा है।
शी चिनफिंग ने कहा कि उन्हें यह जानकर बहुत खुशी हुई कि अलीफा बड़ी होने पर चीन-बांग्लादेश दोस्ती का दूत बनने की इच्छा रखती है, और वह भविष्य में चीन में चिकित्सा का अध्ययन करने और चीनी मां की तरह जीवन बचाने और घायलों को ठीक करने की उम्मीद करती है। 1 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर, वह अलीफा के अच्छे स्वास्थ्य, पारिवारिक सुख और शैक्षणिक प्रगति की कामना करते हैं।
बता दें कि अलीफा चीन का जन्म 2010 में हुआ, उसकी मां गंभीर हृदय रोग के कारण डायस्टोसिया से पीड़ित थी, और एक समय पर उसकी मृत्यु होने वाली थी। चीनी नौसेना का अस्पताल जहाज पीस आर्क, जो उस समय बांग्लादेश के चटगांव का दौरा कर रहा था, ने मदद के लिए एक कॉल प्राप्त की और सैन्य डॉक्टरों को जल्द से जल्द स्थानीय अस्पताल भेज दिया। चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने बड़े दबाव में सिजेरियन सेक्शन किया और आखिरकार मां-बेटी सुरक्षित बच गईं। उनका आभार प्रकट करने के लिए उसके पिता ने उसका नाम चीन रखा।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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शी चिनफिंग ने अपने जवाबी पत्र में कहा कि अपने पत्र में छोटी लड़की अलीफा का व्यक्तिगत अनुभव चीन-बांग्लादेश मित्रता का एक विशुद्ध चित्रण है। दोनों देशों के लोग प्राचीन काल से ही अच्छे पड़ोसी, अच्छे मित्र रहे हैं। द्विपक्षीय मित्रवत आवाजाही का इतिहास एक हजार वर्ष से अधिक पुराना है। 600 साल पहले, चीन के मिंग राजवंश में नाविक चंग ह के खजाना जहाज ने दो बार बांग्लादेश का दौरा किया और दोनों देशों के लोगों के बीच दोस्ती के बीज बोए। 600 साल बाद, चीनी नौसेना के अस्पताल जहाज पीस आर्क के ह्वाएयुआन जहाज में चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने चटगाँव में अलीफा की माँ को खतरे से उबरने और सुचारू रूप से जन्म देने में मदद की। पिता ने अपनी बेटी के नाम चीन रखा। इस कहानी ने दोनों देशों के बीच दोस्ती का नया और मर्मस्पर्शी अध्याय लिखा है।
शी चिनफिंग ने कहा कि उन्हें यह जानकर बहुत खुशी हुई कि अलीफा बड़ी होने पर चीन-बांग्लादेश दोस्ती का दूत बनने की इच्छा रखती है, और वह भविष्य में चीन में चिकित्सा का अध्ययन करने और चीनी मां की तरह जीवन बचाने और घायलों को ठीक करने की उम्मीद करती है। 1 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर, वह अलीफा के अच्छे स्वास्थ्य, पारिवारिक सुख और शैक्षणिक प्रगति की कामना करते हैं।
बता दें कि अलीफा चीन का जन्म 2010 में हुआ, उसकी मां गंभीर हृदय रोग के कारण डायस्टोसिया से पीड़ित थी, और एक समय पर उसकी मृत्यु होने वाली थी। चीनी नौसेना का अस्पताल जहाज पीस आर्क, जो उस समय बांग्लादेश के चटगांव का दौरा कर रहा था, ने मदद के लिए एक कॉल प्राप्त की और सैन्य डॉक्टरों को जल्द से जल्द स्थानीय अस्पताल भेज दिया। चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने बड़े दबाव में सिजेरियन सेक्शन किया और आखिरकार मां-बेटी सुरक्षित बच गईं। उनका आभार प्रकट करने के लिए उसके पिता ने उसका नाम चीन रखा।
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बीजिंग, 31 मई (आईएएनएस)। हाल ही में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने बांग्लादेशी बच्ची अलीफा चीन को जवाबी पत्र भेजकर उसे कड़ी मेहनत करने, अपने सपनों को साकार करने और चीन-बांग्लादेश पारंपरिक दोस्ती को विरासत में लेते हुए उसको प्रगाढ़ करने के लिए प्रोत्साहित किया।
शी चिनफिंग ने अपने जवाबी पत्र में कहा कि अपने पत्र में छोटी लड़की अलीफा का व्यक्तिगत अनुभव चीन-बांग्लादेश मित्रता का एक विशुद्ध चित्रण है। दोनों देशों के लोग प्राचीन काल से ही अच्छे पड़ोसी, अच्छे मित्र रहे हैं। द्विपक्षीय मित्रवत आवाजाही का इतिहास एक हजार वर्ष से अधिक पुराना है। 600 साल पहले, चीन के मिंग राजवंश में नाविक चंग ह के खजाना जहाज ने दो बार बांग्लादेश का दौरा किया और दोनों देशों के लोगों के बीच दोस्ती के बीज बोए। 600 साल बाद, चीनी नौसेना के अस्पताल जहाज पीस आर्क के ह्वाएयुआन जहाज में चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने चटगाँव में अलीफा की माँ को खतरे से उबरने और सुचारू रूप से जन्म देने में मदद की। पिता ने अपनी बेटी के नाम चीन रखा। इस कहानी ने दोनों देशों के बीच दोस्ती का नया और मर्मस्पर्शी अध्याय लिखा है।
शी चिनफिंग ने कहा कि उन्हें यह जानकर बहुत खुशी हुई कि अलीफा बड़ी होने पर चीन-बांग्लादेश दोस्ती का दूत बनने की इच्छा रखती है, और वह भविष्य में चीन में चिकित्सा का अध्ययन करने और चीनी मां की तरह जीवन बचाने और घायलों को ठीक करने की उम्मीद करती है। 1 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर, वह अलीफा के अच्छे स्वास्थ्य, पारिवारिक सुख और शैक्षणिक प्रगति की कामना करते हैं।
बता दें कि अलीफा चीन का जन्म 2010 में हुआ, उसकी मां गंभीर हृदय रोग के कारण डायस्टोसिया से पीड़ित थी, और एक समय पर उसकी मृत्यु होने वाली थी। चीनी नौसेना का अस्पताल जहाज पीस आर्क, जो उस समय बांग्लादेश के चटगांव का दौरा कर रहा था, ने मदद के लिए एक कॉल प्राप्त की और सैन्य डॉक्टरों को जल्द से जल्द स्थानीय अस्पताल भेज दिया। चीनी महिला सैन्य चिकित्सकों ने बड़े दबाव में सिजेरियन सेक्शन किया और आखिरकार मां-बेटी सुरक्षित बच गईं। उनका आभार प्रकट करने के लिए उसके पिता ने उसका नाम चीन रखा।