कोलंबो, 25 मई (आईएएनएस)। कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने बुधवार को श्रीलंका के न्याय मंत्री के इस दावे को खारिज कर दिया कि भारत ने सितंबर 2020 और मई-जून 2021 में एमटी न्यू डायमंड और एमवी एक्सप्रेस में आग लगने की दो घटनाओं के दौरान श्रीलंकाई सरकार से 89 करोड़ रुपये के मुआवजे या हर्जाने की मांग की थी।
कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि भारत ने श्रीलंका सरकार से किसी भी तरह के हर्जाने/मुआवजे की मांग नहीं की है और ऐसी खबरें पूरी तरह से झूठी और गलत हैं।
सोमवार रात एक टीवी टॉक शो में भाग लेते हुए मंत्री विजयदास राजपक्षे ने कहा था कि श्रीलंका को श्रीलंकाई जल में एमटी न्यू डायमंड और एक्सप्रेस पर्ल पर लगी आग को नियंत्रित करने के लिए श्रीलंका की सहायता के लिए भारत सरकार को 890 मिलियन रुपये का भुगतान करना होगा।
न्याय, कारागार मामले और संवैधानिक सुधार मंत्री, राजपक्षे ने कहा है कि भारत ने श्रीलंका सरकार से लिखित रूप में प्रतिपूर्ति की मांग की है।
उन्होंने कहा, श्रीलंका नौसेना, श्रीलंका वायुसेना और, हमारे अनुरोध पर, भारतीय नौसेना ने न्यू डायमंड जहाज को तबाह करने वाली आग की लपटों को बुझाने और पर्यावरणीय क्षति को कम करने के लिए मिलकर काम किया। भारतीय द्वारा किए गए योगदान के लिए नौसेना ने इस संबंध में 400 मिलियन रुपये, लगभग 1,400 मिलियन एलकेआर मांगे हैं। ये अफवाहें नहीं हैं।
मंत्री ने कहा था, उन्होंने एक्स-प्रेस पर्ल के लिए 49 करोड़ रुपये और न्यू डायमंड के लिए 40 करोड़ रुपये की मांग की है।
मंत्री के दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए उच्चायोग ने कहा कि भारत सरकार ने एमटी न्यू डायमंड और एमवी एक्सप्रेस पर्ल पर आग की घटनाओं से लड़ने के लिए शीघ्र सहायता प्रदान करने के लिए श्रीलंका नौसेना के विशिष्ट अनुरोधों के जवाब में भारतीय तट रक्षक (आईसीजी) के जहाजों को तुरंत तैनात किया।
उच्चायोग ने कहा, इन जहाजों द्वारा किए गए बचाव अभियान दो आग की घटनाओं के खतरनाक प्रभावों को कम करने और श्रीलंका के समुद्री और समुद्री पर्यावरण पर नुकसान को सीमित करने में सहायक थे।
श्रीलंका ने सिंगापुर अदालतों के समक्ष प्रेस पर्ल के मालिक के खिलाफ मुआवजे की मांग करते हुए मुकदमा दायर किया है।
–आईएएनएस
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