कोलंबो, 22 सितंबर (आईएएनएस)। श्रीलंका के इतिहास में पहली बार राष्ट्रपति चुनाव में दूसरी वरीयता के वोटों की गिनती होगी। इस प्रक्रिया के बाद, सबसे ज्यादा वोट पाने वाले उम्मीदवार को विजेता घोषित किया जाएगा।
श्रीलंका के चुनाव आयोग के अध्यक्ष आरएलएएम रत्नायके ने रविवार को ऐलान किया कि राष्ट्रपति चुनाव में किसी भी उम्मीदवार को आवश्यक संख्या में वोट नहीं मिले। इसके कारण दूसरी वरीयता की गणना की जाएगी। यह जानकारी स्थानीय मीडिया रिपोर्टों से मिली।
डेली मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति चुनाव अधिनियम 1981 के तहत, चुनाव जीतने के लिए किसी उम्मीदवार को कम से कम 50 प्रतिशत वोट हासिल करना जरूरी है।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि कोई भी उम्मीदवार इस सीमा तक नहीं पहुंच पाया। इसलिए शीर्ष दो उम्मीदवारों – अनुरा कुमारा दिसानायके और साजिथ प्रेमदासा – के वोटों की दूसरी वरीयता के आधार पर गणना की जाएगी।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान चुनाव आयोग ने कहा कि दिसानायके और प्रेमदासा ही शेष उम्मीदवार हैं और अन्य सभी को हटा दिया गया है।
अब हटाए गए उम्मीदवारों के मतपत्रों की समीक्षा की जाएगी ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि दो प्रमुख उम्मीदवारों के लिए दूसरी या तीसरी वरीयता के वोट डाले गए थे या नहीं।
शुरुआती नतीजों से संकेत मिलता है कि नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) गठबंधन के नेता 55 वर्षीय अनुरा कुमारा दिसानायके देश के पहले वामपंथी राष्ट्रपति बन सकते हैं।
लोक प्रशासन और गृह मंत्रालय के सचिव प्रदीप यासरथने के अनुसार, चुनाव परिणामों के मद्देनजर सरकार ने सोमवार को विशेष सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है।
श्रीलंका के सबसे खराब आर्थिक संकट के बाद होने वाले इस बहुप्रतीक्षित चुनाव में कुल 39 उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें वर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, समागी जन बालवेगया (एसजेबी) पार्टी से विपक्ष के नेता सजित प्रेमदासा, और जनता विमुक्ति पेरामुना पार्टी के मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके शामिल हैं।
इस चुनाव में श्रीलंका की कुल 22 मिलियन की आबादी में से 17,140,350 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करने के पात्र थे। इसमें 1.2 मिलियन नए मतदाता शामिल थे।
देश भर में 3,421 मतदान केंद्रों पर शनिवार को सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक मतदान हुआ।
– आईएएनएस
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