नई दिल्ली, 26 सितंबर (आईएएनएस)। दिल्ली के वसंत कुंज स्थित श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट की जमीन को ट्रस्ट बनाकर हड़पने के आरोपों से जुड़े मामले में स्वामी चैतन्यानंद उर्फ स्वामी पार्सारथी की अग्रिम जमानत याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अग्रिम जमानत पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
यह मामला धोखाधड़ी और जमीन हड़पने के आरोप से जुड़ा है। आरोपी स्वामी चैतन्यानंद पर लगभग 20 करोड़ रुपए के गबन का आरोप है। दिल्ली पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि स्वामी ने मूल ट्रस्ट के समानांतर एक नया ट्रस्ट बनाकर पैसा उसमें ट्रांसफर करना शुरू किया। पुलिस का दावा है कि 2010 से अब तक करीब 20 करोड़ रुपए नए ट्रस्ट में डाले गए, जबकि जुलाई से अब तक 60 लाख रुपए निकाले गए हैं।
चैतन्यानंद के वकील ने कोर्ट में कहा कि यह मामला सुनियोजित साजिश है। 19 सितंबर को जब मैं आश्रम से बाहर गया, तभी मेरे खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज करा दी गईं। न तो जमीन बेची गई है और न ही कोई सेल डीड की गई है। ट्रस्ट पिछले 15 सालों से चल रहा है और मैंने कभी अपनी पावर का दुरुपयोग नहीं किया। मुझे सिर्फ फंसाने की कोशिश की जा रही है।
वकील ने आगे कहा कि मुरली नामक व्यक्ति पूरा ट्रस्ट कब्जे में लेना चाहता है और साजिश के तहत ये शिकायतें दर्ज कराई गईं। उन्होंने कोर्ट से सुरक्षा प्रदान करने की मांग की और कहा कि स्वामी जांच में सहयोग करने को तैयार हैं, इसलिए हिरासत की कोई आवश्यकता नहीं है।
दिल्ली पुलिस ने अग्रिम जमानत का विरोध किया। पुलिस ने कहा कि आरोपी ने दो पैन कार्ड, दो पासपोर्ट और फर्जी आधार कार्ड बनवाए हैं और वह खुद को यूएन प्रतिनिधि और प्रधानमंत्री की नेशनल एडवाइजरी कमेटी का सदस्य बताता है। पुलिस ने दावा किया कि आरोपी के खिलाफ यौन शोषण से जुड़ी शिकायतें भी हैं।
पुलिस के अनुसार, करीब 20 करोड़ रुपए की रिकवरी बाकी है। 10 जगहों पर ले जाकर पूछताछ करनी है। जुलाई से 60 लाख रुपए कैश निकाले गए हैं। आरोपी ने यूनाइटेड नेशंस का फर्जी नंबर इस्तेमाल किया है। इसलिए हिरासत में पूछताछ बेहद जरूरी है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पुलिस से पूछा कि आखिर आरोपी से कस्टडी में पूछताछ की क्या आवश्यकता है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया।
–आईएएनएस
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