जबलपुर. गोहलपुर थानांतर्गत एक दंपती ने संजीवनी अस्पताल के प्रबंधन और स्टाफ पर उनका बच्चा बदलने का गंभीर आरोप लगाया हैं. इस मामले में पीडि़त दंपत्ति ने गोहलपुर थाने को शिकायत भी दी हैं. शिकायत मेंं अधारताल निवासी पीडि़त शरद चौबे एवं उनकी पत्नी चेता चौबे ने आरोप लगाया हैं कि रद्दी चौकी, राम नगर स्थित संजीवन हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने उनका नवजात बच्चा बदल दिया है. शिकायत में दावा किया गया है कि उन्होंने सामान्य शिशु को जन्म दिया था लेकिन अस्पताल वालों ने उन्हें असामान्य (अविकसित) बच्चा दे दिया है. हालांकि इस मामले में अब तक अस्पताल प्रबंधन चुप्पी साधे हुए हैं.
डिलेवरी के पूर्व सोनोग्राफी और अन्य जांच रिपोर्ट का दिया हवाला
पीडि़त दंपत्ति ने शिकायत में आरोप लगाया कि गर्भवती होने से डिलेवरी के दौरान की सभी सोनोग्राफी एवं अन्य मेडिकल जांचों की रिपोर्ट्स नॉर्मल हैं और उनमें जरा भी शंका जाहिर नहीं की गयी कि बच्चे में आसामान्य होने के कोई लक्षण हैं. पीडि़त दंपत्ति ने यह भी आरोप लगाया कि नवजात को जब अस्पताल स्टाफ लेकर आया तो वह कपड़े पहने हुए था. जबकि सामान्य तौर पर नवजात सिर्फ टॉवल लपेट कर दिया जाता हैं.
डीएनए जांच से स्पष्ट होगा
जानकारों का मानना है कि ऐसे मामले में डीएनए टेस्ट से बहुत आसानी और स्पष्टता के साथ सही और गलत का फैसला हो सकता है. हालाकि, डीएनए टेस्ट कराए जाने तक की प्रक्रिया काफी जटिल है इसलिए उसमें वक्त भी लगेगा. चौबे परिवार की सबसे बड़ी चुनौती है कि मामले की अधिकृत जांच प्रारंभ कराना ताकि अस्पताल प्रबंधन जवाब दे पाए.
परिजन मान चुके थे ईश्वर की मर्जी
पीडि़त श्री चौबे ने बताया कि वे और उनके परिवार के लोग तो अविकसित बच्चा अस्प्ताल स्टाफ द्वारा दिए जाने के बाद इसे ईश्वर की मर्जी मानकर स्वीकार कर चुके थे लेकिन उनकी पत्नी ने कहा कि यह बच्चा उनका नहीं हैं. 7 नवम्बर 2024 को संजीवन हॉस्पिटल में चेता चौबे के सीजेरियन ऑपरेशन हुआ. ऑपरेशन के एक घंटे बाद उन्हें जो बच्चा दिया गया उसे पूरे कपड़े पहनाए गये थे. नवजात को पूरे कपड़े पहनाना ही संदेह करने के लिए पर्याप्त है. शिकायत के साथ चौचे परिवार ने वो सारी रिपोर्ट्स और दस्तावेज संलग्न किए हैं, जिससे बच्चा बदलने के शक को बल मिलता है.
अस्पताल प्रबंधन ने जब उन्हें बच्चा दिया तो उन्होंने ईश्वर की मर्जी समझकर अविकसित बच्चे को भी स्वीकार कर लिया, उस वक्त तक पत्नी चेता आईसीयू में थी. जब उसने बच्चा देखा तो उसने कहा कि ये उसका बच्चा नहीं है, क्योंकि उसने जांचों के दौरान बच्चे को स्क्रीन पर देखा है. इसके बाद चौबे परिवार सक्रिय हुआ और अस्पताल प्रबंधन से सवाल-जवाब किए. जिसका जवाब नहीं मिल पाया. मंगलवार को जनसुनवाई में एसपी संपत उपाध्याय को अपनी व्यथा- कथा सुनाएगा ताकि जल्दी कार्रवाई शुरु हो सके. परिवार के सामने ये भी बड़ी मुश्किल है कि जो बच्चा उनके पास अभी है, वो किसका है, ये भी पता लगाना जरूरी है.
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