संभल, 27 मार्च (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के संभल में 24 नवंबर को हुई हिंसा मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी ने जामा मस्जिद सदर के एडवोकेट जफर अली को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था। गुरुवार को उनकी जमानत याचिका पर चंदौसी न्यायालय में सुनवाई हुई। कोर्ट ने उनकी बेल याचिका को निरस्त कर दिया।
संभल हिंसा से जुड़े मामले को लेकर सरकार के वकील हरिओम प्रकाश ने बताया, “पूरा मामला 24 नवंबर का है। उस दिन सर्वे टीम जामा मस्जिद का सर्वे करने गई थी। इस दौरान जफर अली और अन्य छह अधिवक्ता नामित थे। उनके द्वारा भीड़ जमा की गई और आगजनी कराई गई। इस दौरान सरकारी संपत्ति को नुकसान के साथ-साथ पुलिस पर भी फायरिंग कराई गई। इस दौरान चार अन्य लोगों की मौत हुई थी। इन पर झूठे तथ्यों को गढ़ने का आरोप है, जिसमें मृत्युदंड तक की सजा का प्रावधान है।”
उन्होंने बताया, “जफर अली के अधिवक्ताओं की तरफ से उनके नियमित और अंतरिम बेल के लिए चर्चा की मांग की गई थी। हमारे अधिवक्ताओं द्वारा उनके बहस का विरोध किया गया। माननीय न्यायालय ने उनकी अंतरिम बेल को खारिज कर दिया। उनके नियमित बेल के लिए दो अप्रैल की तारीख निर्धारित की गई है। आगामी 2 अप्रैल को उनकी जमानत पर सुनवाई होगी।”
मामले को लेकर जफर अली के वकील विनोद कुमार सिंह ने बताया, “जफर अली की अंतरिम और नियमित बेल पर बहस होनी थी। अंतरिम बेल को लेकर हमारे वकीलों ने जज के सामने अपनी दलील रखी। पुराने कई केसों के बारे में बताया। हालिया अरविंद केजरीवाल के केस का भी हमने हवाला दिया कि अगर किसी की तबीयत खराब हो जाती है, तो जेल में रहते हुए उसे अंतरिम बेल दी जा सकती है। अंतरिम बेल ऑर्डर में लगी हुई है, हमें पूरी उम्मीद है कि जफर अली को अंतरिम बेल मिल जाएगी। वहीं, नियमित बेल की सुनवाई के लिए दो अप्रैल की तारीख दी गई है।”
–आईएएनएस
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