संयुक्त राष्ट्र, 17 फरवरी (आईएएनएस)। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भूकंप प्रभावित तुर्की के लोगों के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन का आह्वान किया है। समाचार एजेंसी के मुताबिक गुटेरेस ने गुरुवार को एक बयान में कहा, अब समय आ गया है कि दुनिया तु*++++++++++++++++++++++++++++र्*ये (तुर्की) के लोगों का समर्थन करे।
उन्होंने कहा कि तुर्की दुनिया में शरणार्थियों की सबसे बड़ी संख्या है। उसने वर्षों से अपने सीरियाई पड़ोसियों के लिए भारी उदारता दिखाई है।
संयुक्त राष्ट्र विनाशकारी भूकंप से पीड़ित तुर्की के लोगों की मदद के लिए 1 बिलियन डॉलर जुटाने की अपील कर रहा है। इससे लगभग 5.2 मिलियन लोगों की सहायता की जाएगी।
गुटेरेस ने कहा, जरूरतें बहुत अधिक हैं, लोग पीड़ित हैं और खोने के लिए समय नहीं है। मैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह करता हूं कि हमारे समय की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदाओं में से एक के जवाब में इस महत्वपूर्ण प्रयास को आगे बढ़ाएं और धन मुहैया कराएं।
1 बिलियन डॉलर के लगभग एक चौथाई का उपयोग आपातकालीन आश्रय और गैर-खाद्य सामग्री प्रदान करने के लिए किया जाएगा। अन्य प्राथमिकताओं में खाद्य सुरक्षा और आजीविका, स्वास्थ्य और पोषण, पानी और स्वच्छता, मलबे को हटाना आदि शामिल होगा।
ओसीएचए ने कहा कि भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। 11 सबसे ज्यादा प्रभावित प्रांतों में कम से कम 9.1 मिलियन लोगों के सीधे प्रभावित होने की आशंका है।
ओसीएचए ने तुर्की आपदा और आपातकालीन प्रबंधन प्रेसीडेंसी (एएफडीए) के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा, भूकंप के नौ दिन बाद बुधवार तक, तुर्की में 35,400 से अधिक लोगों की जान चली गई और 105,500 से अधिक लोग घायल हो गए।
ओसीएचए ने कहा कि ठंड में छोटे बच्चों और बुजुर्गों सहित हजारों लोगों को आश्रय, भोजन, पानी, हीटर और चिकित्सा देखभाल तक पहुंच से बाहर कर दिया।
एएफएडी के अनुसार, मंगलवार तक 47,000 से अधिक इमारतें नष्ट या क्षतिग्रस्त हो गई हैं और 196,000 से अधिक लोगों को भूकंप प्रभावित क्षेत्रों से निकाला गया है।
स्कूलों, अस्पतालों और अन्य चिकित्सा, मातृत्व और शैक्षिक सुविधाओं सहित आवश्यक सेवाएं भूकंप से क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गईं। आपदा ने बच्चों और महिलाओं को विशेष रूप से प्रभावित किया है। एक आकलन के अनुसार, सात में से केवल एक पारिवारिक स्वास्थ्य केंद्र ही कार्य कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के अनुसार, 2 लाख से अधिक गर्भवती महिलाओं को कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है।
–आईएएनएस
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