बेंगलुरु, 13 दिसंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने बुधवार को कहा कि संसद भवन की सुरक्षा में चूक चौंकाने और परेशान करने वाली है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ”संसद भवन की सुरक्षा में चूक चौंकाने और परेशान करने वाली है। मैं हिंसा के इस कृत्य की निंदा करता हूं। राहत की बात यह है कि संसद के सभी सदस्य सुरक्षित हैं।”
कड़ी सुरक्षा के बावजूद इस तरह की चूक वाकई चौंकाने वाली घटना है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि यह स्पष्ट है कि यह घटना सुरक्षा चूक के कारण हुई। यह केंद्र सरकार, विशेषकर गृह मंत्री का कर्तव्य है कि वह गहन जांच करें और सभी विवरण सार्वजनिक करें।
आज की सुरक्षा चूक 22 साल पहले (13 दिसंबर 2001 में) संसद पर हुए आतंकवादी हमले की बरसी के साथ मेल खाती है। संदेह पैदा होता है कि इसके पीछे अन्य उद्देश्य भी हो सकते हैं। साल 2001 के हमले के दौरान भी, भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार सत्ता में थी। इससे देश की सुरक्षा पर कई सवाल खड़े होते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मीडिया में खबरें आ रही हैं कि संसद भवन में घुसने वाले युवकों को भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा के रेफरेंस से पास दिए गए थे।
मुख्यमंत्री कहा, ”अगर ये खबरें सच हैं, तो इसका मतलब है कि ये युवक सांसद के परिचित रहे होंगे। यदि वे परिचित नहीं थे तो अजनबियों को पास कैसे जारी कर दिए गए? यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि लापरवाही के अनजाने कार्य भी कानून के तहत दंडनीय हैं।”
उन्होंने कहा कि देश का हृदय कहे जाने वाले संसद भवन में किसी भी अन्य स्थान या भवन की तुलना में अधिक कड़ी सुरक्षा है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ”फिर भी ये युवा धुएं के कनस्तरों के साथ संसद में प्रवेश करने में कैसे कामयाब हो गए? क्या इस कृत्य में कोई अंदरूनी सूत्र शामिल था? क्या युवकों की हरकत के पीछे किसी बाहरी ताकतों का हाथ हो सकता है? जब देश की संसद की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जाती है, तो देश की सीमाओं की सुरक्षा पर सवाल स्वाभाविक रूप से उठते हैं।”
सीएम सिद्दारमैया का कहना है कि इन सभी सवालों का जवाब देने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की है।
–आईएएनएस
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