नई दिल्ली, 11 सितंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को 13 दिसंबर 2023 के संसद की सुरक्षा में सेंध के मामले में छह आरोपियों में से एक नीलम आजाद की जमानत याचिका खारिज कर दी।
पटियाला हाउस कोर्ट ने आजाद को नियमित जमानत पर रिहा करने से इनकार करते हुए कहा कि यह मानने के लिए पर्याप्त उचित आधार हैं कि आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया सत्य हैं।
इस साल जनवरी में आजाद की पिछली जमानत याचिका का भी यही हश्र हुआ था।
पिछले साल 13 दिसंबर को संसद पर 2001 में हुए आतंकी हमलों की 22वीं बरसी पर एक बड़ी सुरक्षा चूक में दो आरोपी लोकसभा के फर्श पर कूद गए, रंगीन गैस छोड़ी और नारे लगाए। हालांकि सांसदों ने उन्हें काबू कर लिया, जबकि आजाद और अमोल शिंदे ने संसद परिसर के बाहर नारे लगाते हुए कनस्तरों से रंगीन गैस स्प्रे किया।
दिल्ली पुलिस ने लोकसभा के सुरक्षा अधिकारी की शिकायत पर आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 186, 353, 452, 153, 34 और 120बी तथा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 13, 16, 18 के तहत संसद मार्ग थाने में मामला दर्ज किया।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सभी छह आरोपियों, आज़ाद, शिंदे, मनोरंजन डी., सागर शर्मा, ललित झा और महेश कुमावत के खिलाफ 900 पन्नों से ज़्यादा लंबा पहला आरोपपत्र पहले ही दाखिल कर दिया था। वे फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
माना जा रहा है कि झा पूरी योजना का मास्टरमाइंड था और कथित तौर पर वह चार अन्य आरोपियों के मोबाइल फोन लेकर भाग गया था। कुमावत भी आरोपियों से जुड़ा हुआ था।
दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने भी छह आरोपियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। दिल्ली पुलिस ने सक्षम प्राधिकारी यानी एलजी से यूएपीए की धारा 16 (आतंकवाद) और 18 (आतंकवाद के लिए साजिश) के तहत उनके खिलाफ मुकदमा चलाने का अनुरोध किया था, जिन्होंने रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री पाए जाने के बाद मंजूरी दे दी।
–आईएएनएस
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