बेंगलुरु, 1 सितंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सऊदी अरब में ईशनिंदा संबंधी पोस्ट करने के आरोप में कर्नाटक के एक व्यक्ति को दोषी ठहराए जाने के मामले में अधिकारियों को विदेश मंत्रालय से संपर्क करने का सुझाव दिया है।
न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर गौर करते हुए गुरुवार को यह सुझाव दिया।
पीठ ने सऊदी अरब में भारतीय अधिकारियों को पूर्व केंद्रीय विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह से चर्चा करने की भी सलाह दी। पीठ ने कहा कि नटवर सिंह भी एक आईएफएस अधिकारी थे जिन्होंने ‘वन लाइफ इज नॉट एनफ’ किताब लिखी थी और अपने काम में इसी तरह की घटनाओं का जिक्र किया था। पीठ ने कहा कि उन्होंने किताब में बताया है कि अगर विदेशी सरकार जानकारी साझा नहीं कर रही है तो क्या किया जाना चाहिए।
इसने अधिकारियों से आगे पूछा: “वे नटवर सिंह के साथ इस मुद्दे पर चर्चा क्यों नहीं करते, जिनके पास इस मामले पर व्यापक ज्ञान है।”
सऊदी अरब में भारतीय दूतावास के एक अधिकारी मोइन अख्तर ने अदालत को बताया कि अधिकारी ने सऊदी अरब में अधिकारियों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की थी, लेकिन उन्होंने कर्नाटक के व्यक्ति की सजा के आदेश की प्रति प्रदान करने से इनकार कर दिया।
मोइन अख्तर ने कहा, सऊदी अधिकारियों ने बाद में भारतीय दूतावास को इस संबंध में एक मेल भेजने के लिए कहा था। हालांकि मेल भेजा गया था, लेकिन अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।”
मोइन अख्तर ने कहा, “अधिकारियों ने दोषी शैलेश कुमार से मिलने के लिए समय मांगा था और 3 सितंबर को उनसे मिलने की अनुमति दी गई थी। उस दिन हम उनसे सजा की एक प्रति प्राप्त करने का प्रयास करेंगे।” पीठ ने मामले को 11 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दिया।
अदालत ने पहले केंद्र सरकार को राज्य के एक व्यक्ति की सजा के संबंध में सऊदी अरब अदालत से फैसले की आदेश प्रति और संबंधित प्रमाणित दस्तावेज प्राप्त करने का निर्देश दिया था।
दक्षिण कन्नड़ जिले में मंगलुरु के पास बरनाकट्टे के निवासी शैलेश कुमार को ईशनिंदा के आरोप में सऊदी अरब में 15 साल की कैद की सजा सुनाई गई थी।
कृष्णा एस दीक्षित की अध्यक्षता वाली पीठ ने सजा की समीक्षा के लिए सऊदी अरब के राजा के समक्ष याचिका दायर करने में मदद करने के भी निर्देश दिये थे।
पीठ ने केंद्र सरकार को ईशनिंदा, देशद्रोह और विश्वासघात के मामलों के संबंध में दया याचिका दायर करने की प्रक्रिया के बारे में बताने का निर्देश दिया था।
इस संबंध में याचिका शैलेश कुमार की पत्नी कविता ने दायर की थी. पीठ ने मामले को 17 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया था.
कविता ने पहले अपने पति को, जो हैकिंग का शिकार हो गया था और सऊदी अरब सरकार द्वारा गिरफ्तार किया गया था, मुक्त कराने के लिए केंद्र से गुहार लगाई थी। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें सोशल मीडिया पर देशभक्ति संदेश डालने के लिए निशाना बनाया गया था।
कविता ने दावा किया था कि बदमाशों ने उनके पति शैलेश कुमार का फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाया और सऊदी अरब के किंग और इस्लाम के खिलाफ अपमानजनक संदेश पोस्ट किए।
शैलेश 20 साल से सऊदी अरब में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मेरे पति ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक देशभक्ति संदेश डाला था। उन्हें एक अजनबी से धमकी भरा फोन आया था। अजनबी ने शैलेश को सोशल मीडिया अकाउंट वापस लेने की चेतावनी दी थी और अगर उसने ऐसा नहीं किया तो वे उसे सऊदी अरब में नहीं रहने देंगे। शैलेश ने कोई जोखिम न लेते हुए अपना पोस्ट हटा लिया।”
उन्होंने कहा, कुछ दिनों के बाद बदमाशों ने शैलेश के नाम से एक फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाया और इस्लाम और सऊदी अरब के किंग के खिलाफ अपमानजनक संदेश अपलोड किए और उन्हें गिरफ्तार करने की साजिश रची।
अदालत ने मामले के संबंध में पुलिस विभाग और अधिकारियों के संवेदनहीन रवैये की भी खिंचाई की थी। अदालत ने मामले के संबंध में अदालती निर्देशों का पालन न करने पर पुलिस के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने की चेतावनी दी थी और कहा था कि एक भारतीय नागरिक विदेशी भूमि पर मुसीबत में फंस गया है और उसे भारत लौटाया जाना चाहिए।
–आईएएनएस
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