चंडीगढ़, 13 जनवरी (आईएएनएस)। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने समलैंगिक रिश्ते में होने का दावा करने वाली एक महिला द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि वह नहीं मानते कि नैतिकता और संवैधानिकता अलग-अलग हैं।
न्यायमूर्ति पंकज जैन ने पूछा कि याचिकाकर्ता किस क्षमता से कथित बंदी का प्रतिनिधित्व कर सकती है और जब उन्हें बताया गया कि यह एक “विचित्र जोड़े” से जुड़ा मामला है, तो उन्होंने मौखिक रूप से टिप्पणी की: “इस अनैतिक चीज़ को वापस वहीं ले जाएं, जहां से यह आई है।”
न्यायमूर्ति जैन ने कहा, “मैं इस सिद्धांत की वकालत नहीं करता कि संवैधानिकता और नैतिकता अलग-अलग हैं।”
याचिकाकर्ता का आरोप है कि उसके साथी को उसके परिवार द्वारा गैरकानूनी रूप से हिरासत में लिया गया है, जो उनके रिश्ते का विरोध करता है। उसने दावा किया कि जब वह सुरक्षा के लिए पुलिस बल के पास पहुंची, तो एक पुलिस अधिकारी ने उसे थप्पड़ मारा।
जब याचिकाकर्ता के वकील ने हस्तक्षेप करने का प्रयास किया, तो न्यायाधीश ने उसकी बात काट दी।
न्यायमूर्ति जैन ने कहा, “मैडम, मैं इस सिद्धांत से सहमत नहीं हूं कि संवैधानिकता और नैतिकता अलग-अलग हैं।”
मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी तय की गई है।
–आईएएनएस
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