नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। देश की एकता और अखंडता के लिए समान नागरिक संहिता को अनिवार्य बताते हुए भाजपा ने इसका विरोध करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को भारतीय संविधान निमार्ताओं और बाबा साहेब अंबेडकर की ²ष्टि का विरोध करने वाला करार दे दिया है।
भाजपा के तेवर से यह साफ-साफ नजर आ रहा है कि इसे लेकर आने वाले दिनों में पार्टी और केंद्र सरकार कोई बड़ा कदम उठा सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि 2024 के लोक सभा चुनाव में समान नागरिक संहिता एक बड़ा चुनावी मुद्दा भी बनने जा रहा है।
आईएएनएस के साथ खास बातचीत करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विचारक एवं भाजपा राज्य सभा सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि भारतीय संविधान के निर्माण के समय पर संविधान सभा में भी समान नागरिक संहिता पर बहस हुई थी और संविधान निमार्ताओं ने ही इसे राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों में जोड़ा था।
राकेश सिन्हा ने समान नागरिक संहिता का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को अंबेडकर विरोधी करार देते हुए कहा कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वो भारतीय संविधान के निर्माताओं और बाबा साहेब अंबेडकर की ²ष्टि का विरोध कर रहे हैं, जिस ²ष्टि में देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक कानून की आवश्यकता महसूस की गई थी।
विरोधी दलों पर निशाना साधते हुए सिन्हा ने आईएएनएस से कहा कि विपक्ष को यह बताना चाहिए कि यूरोप की जिन उदारवादी लोकतंत्र (देशों) की वो बात करते हैं, उस यूरोप का ऐसा कौन सा देश है जहां समान नागरिक संहिता कानून लागू नहीं है? उन्होंने विपक्ष को ऐसे किसी देश का नाम बताने की चुनौती भी दी।
आईएएनएस से बात करते हुए भाजपा सांसद ने कहा कि भारत की एकता और अखंडता के लिए एवं खासकर महिलाओं के सम्मान और अधिकार के लिए समान नागरिक कानून आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य है और पहले ही इसे लेकर बहुत विलंब हो चुका है।
दरअसल, देश में समान नागरिक संहिता लागू करना शुरूआत से ही जनसंघ और भाजपा का कोर एजेंडा रहा है। भाजपा अपने चुनावी घोषणापत्र में भी इसे लागू करने का वादा करती रही है।
हाल ही में हुए गुजरात विधान सभा चुनाव के लिए जारी संकल्प पत्र में भी भाजपा ने यह वादा किया था कि राज्य में सरकार बनाने के बाद भाजपा समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड कमेटी की सिफारिशों के पूर्ण क्रियान्वयन को सुनिश्चित करेगी। उत्तराखंड की भाजपा सरकार यूसीसी को लेकर पहले ही एक समिति का गठन कर चुकी है।
संसद के वर्तमान में चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान हाल ही में भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्य सभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने विपक्षी दलों के भारी विरोध और हंगामे के बीच राज्य सभा में प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में भारत में समान नागरिक संहिता विधेयक-2020 को पेश कर भाजपा के इरादे को जाहिर कर दिया है।
यह माना जा रहा है कि भाजपा ने एक रणनीति के तहत उच्च सदन में प्राइवेट मेंबर बिल के तौर समान नागरिक संहिता से जुड़े विधेयक को पेश करवाया है।
आईएएनएस के साथ खास बातचीत करते हुए किरोड़ी लाल मीणा ने स्वयं ही यह दावा किया कि उन्होंने अपनी पार्टी (भाजपा) की सहमति से ही राज्य सभा में इस बिल को पेश किया है।
उन्होंने यह भी कहा कि इस विधेयक को प्राइवेट मेंबर बिल में रूप में पेश करने को एक लिटमस टेस्ट कहा जा सकता है और इस पर चर्चा के दौरान सरकार अपने स्तर पर इस बिल को लाने का वादा कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में भी यह बहुमत से संसद से पास तो हो जाएगा लेकिन उन्हें लगता है कि यह बिल लाना पड़ेगा (सरकार भविष्य में इससे जुड़े बिल को अपने स्तर पर पेश करेगी) और दोनों सदनों में चर्चा के बाद यह पास होगा।
दरअसल, शुरूआत से ही भाजपा के एजेंडे में तीन महत्वपूर्ण कोर इश्यू- जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म करना, अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण करना और देश में समान नागरिक संहिता कानून लागू करना शामिल रहा है।
भाजपा के इन तीनों कोर एजेंडे में से अब सिर्फ एक समान नागरिक संहिता को लागू करना शेष रह गया है और इसलिए यह कहा जा रहा है कि भाजपा सरकार जल्द ही इस वादे को भी राष्ट्रीय स्तर पर पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा सकती है।
–आईएएनएस
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