नई दिल्ली, 5 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय नौसेना के कमांडर समुद्र में सैन्य-रणनीतिक चर्चा करने जा रहे हैं। भारतीय नौसेना के कमांडो की यह मुलाकात समुद्र में होगी। समुद्र में हो रही इस रणनीतिक चर्चा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल रहेंगे। रक्षा प्रमुख, भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के प्रमुख भी बाद के दिनों में नौसेना के कमांडरों के साथ बातचीत करेंगे।
तीनों सेनाओं के बीच तालमेल कायम रखने और त्वरित कार्रवाई से जुड़ी समस्याओं का समाधान करना इसका मुख्य उद्देश्य है।
यहां नौसेना कमांडरों को 22 नवंबर को भारतीय नौसेना में लागू की गई अग्निपथ योजना पर नवीनतम जानकारी भी दी जाएगी।
गौरतलब है कि मार्च के अंत में, अग्निवीरों का पहला बैच आईएनएस चिल्का से पास आउट होने वाला है, जिसमें भारतीय सशस्त्र बलों की महिला अग्निवीरों का पहला बैच भी शामिल है।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक वर्ष 2023 का नौसेना कमांडरों का प्रथम सम्मेलन 6 मार्च को शुरू होगा। यह सम्मेलन नौसेना कमांडरों के लिए सैन्य-रणनीतिक स्तर पर महत्वपूर्ण सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा करने के एक प्लेटफार्म के साथ-साथ वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ बातचीत करने के लिए एक संस्थागत मंच के रूप में कार्य करता है।
इस वर्ष कमांडरों के सम्मेलन का पहला चरण समुद्र में आयोजित किया जा रहा है। यह बात इस सम्मेलन की नवीनता है। साथ ही, पहली बार यह सम्मेलन भारत के प्रथम स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर आयोजित किया जा रहा है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सम्मेलन के उद्घाटन के दिन आईएनएस विक्रांत पर नौसेना कमांडरों को संबोधित करेंगे। सम्मेलन के पहले दिन के क्रियाकलापों के रूप में समुद्र में संचालन को प्रदर्शित करने की भी योजना है।
नौसेनाध्यक्ष, अन्य नौसेना कमांडरों के साथ पिछले छह महीनों में भारतीय नौसेना द्वारा किए गए प्रमुख संचालन, सामग्री, रसद, मानव संसाधन विकास, प्रशिक्षण और प्रशासनिक गतिविधियों की समीक्षा करेंगे। यहां वह महत्वपूर्ण गतिविधियों और पहलों के लिए भविष्य की योजनाओं पर विचार-विमर्श भी करेंगे।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस क्षेत्र में मौजूदा भू-रणनीतिक स्थिति के कारण सम्मेलन का अपना महत्व और प्रासंगिकता है। भारत के बढ़ते समुद्री हितों के अनुरूप पिछले कुछ वर्षों में नौसेना के संचालन कार्यों में महत्वपूर्ण तेजी आई है। कमांडर हमारे समुद्री हितों की चुनौतियों का समाधान करने के लिए नौसेना की तैयारी पर भी विचार-विमर्श करेंगे।
भारतीय नौसेना का ध्यान युद्ध के लिए तैयार, विश्वसनीय, एकजुट और भविष्य की आवश्यकताओं के लिए अनुकूल एक बल के रूप में स्थापित होने पर केंद्रित है। यह देश की समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले के तौर पर अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए निरंतर कठिन परिश्रम करती है।
–आईएएनएस
जीसीबी/एसकेपी