नई दिल्ली, 31 जुलाई (आईएएनएस)। कांग्रेस ने सोमवार को केंद्र सरकार पर तंज करते हुए कहा कि एम्स में अनुसंधान परियोजनाओं पर काम करने वाले वैज्ञानिकों के कार्यकाल को सीमित करने का उसका निर्णय इस बात का एक और उदाहरण है कि कैसे दशकों से बने एक अनुसंधान संस्थान को सूक्ष्म प्रबंधन की कोशिश की जा रही है और नष्ट किया जा रहा है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक ट्वीट में कहा, “यह इस बात का एक और उदाहरण है कि कैसे दशकों से निर्मित एक विश्व स्तरीय अनुसंधान संस्थान को मोदी सरकार द्वारा सूक्ष्म प्रबंधन और अंततः नष्ट करने की कोशिश की जा रही है।”
उन्होंने कहा,”स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर संसदीय स्थायी समिति, जिसका मैं सदस्य था, ने अपनी स्वायत्तता और अनुसंधान क्षमता और क्षमता को मजबूत करने के उद्देश्य से अगस्त 2015 में ‘एम्स की कार्यप्रणाली’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसके बजाय, हम क्या हैं अब वे लोग गवाही दे रहे हैं, जो यह नहीं समझते कि विज्ञान और अनुसंधान निर्देश जारी करके कैसे किया जाता है।”
उन्होंने एक समाचार रिपोर्ट भी संलग्न की, इसमें दावा किया गया कि केंद्र ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अनुसंधान परियोजनाओं पर काम करने वाले वैज्ञानिकों के कार्यकाल पर छह साल की सीमा लगाने का आदेश दिया है।
—आईएएनएस
सीबीटी
नई दिल्ली, 31 जुलाई (आईएएनएस)। कांग्रेस ने सोमवार को केंद्र सरकार पर तंज करते हुए कहा कि एम्स में अनुसंधान परियोजनाओं पर काम करने वाले वैज्ञानिकों के कार्यकाल को सीमित करने का उसका निर्णय इस बात का एक और उदाहरण है कि कैसे दशकों से बने एक अनुसंधान संस्थान को सूक्ष्म प्रबंधन की कोशिश की जा रही है और नष्ट किया जा रहा है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक ट्वीट में कहा, “यह इस बात का एक और उदाहरण है कि कैसे दशकों से निर्मित एक विश्व स्तरीय अनुसंधान संस्थान को मोदी सरकार द्वारा सूक्ष्म प्रबंधन और अंततः नष्ट करने की कोशिश की जा रही है।”
उन्होंने कहा,”स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर संसदीय स्थायी समिति, जिसका मैं सदस्य था, ने अपनी स्वायत्तता और अनुसंधान क्षमता और क्षमता को मजबूत करने के उद्देश्य से अगस्त 2015 में ‘एम्स की कार्यप्रणाली’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसके बजाय, हम क्या हैं अब वे लोग गवाही दे रहे हैं, जो यह नहीं समझते कि विज्ञान और अनुसंधान निर्देश जारी करके कैसे किया जाता है।”
उन्होंने एक समाचार रिपोर्ट भी संलग्न की, इसमें दावा किया गया कि केंद्र ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अनुसंधान परियोजनाओं पर काम करने वाले वैज्ञानिकों के कार्यकाल पर छह साल की सीमा लगाने का आदेश दिया है।
—आईएएनएस
सीबीटी