नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। सर्दियों के मौसम में गर्भावस्था के दौरान विटामिन डी की कमी गर्भस्थ शिशु के विकास और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकती है।
सर्दियों के दौरान ‘विटामिन डी’ की कमी गर्भावस्था के दौरान पोषक तत्वों की कमी पैदा कर सकती है, क्योंकि अधिकांश माताओं और उनके बच्चों में इस आवश्यक पोषक तत्व के पर्याप्त स्तर की कमी देखने को मिलती है।
सूरज की रोशनी ‘विटामिन डी’ का सबसे अच्छा स्रोत है। हालांकि, सर्दियों में छोटे दिन होने के कारण विटामिन डी का स्तर कम हो जाता है। यह मौसमी कमी गर्भवती महिलाओं के लिए चिंताजनक हो सकती है, क्योंकि विटामिन डी कैल्शियम अवशोषण के लिए महत्वपूर्ण है, जो बच्चे की स्वस्थ हड्डियों, दांतों और प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण है।
गर्भावस्था के दौरान ‘विटामिन डी’ की कमी से मधुमेह, प्रीक्लेम्पसिया और कम वजन वाले बच्चे पैदा होने जैसी जटिलताएं हो सकती हैं। बच्चे के लिए यह कमी कई तरह की समस्याएं पैदा कर सकती है।
सीके बिरला अस्पताल (आर), दिल्ली में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रमुख सलाहकार डॉ. मंजूषा गोयल ने बताया, ”ठंड के महीनों के दौरान विटामिन डी के अलावा गर्भावस्था के दौरान कई पोषण तत्वों की कमी हो सकती है।”
आगे कहा, ”गर्भवती महिलाओं में खराब आहार संबंधी आदतों से उनमें आयरन, फोलेट और ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। जो गर्भ में पल रहे बच्चे के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। आयरन की कमी से एनीमिया हो सकता है, जबकि अपर्याप्त फोलेट का सेवन बच्चे में न्यूरल ट्यूब दोष के जोखिम को बढ़ाता है।
उन्होंने आगे कहा, ”ओमेगा-3 फैटी एसिड मस्तिष्क के विकास, दृष्टि और समग्र विकास का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन जोखिमों को कम करने के लिए, गर्भवती महिलाओं को आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार को प्राथमिकता देनी चाहिए।’
”विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थों में सैल्मन और मैकेरल जैसी वसायुक्त मछली, फोर्टिफाइड डेयरी उत्पाद और अंडे की जर्दी शामिल हैं। इसमें डॉक्टरों की सलाह से विटामिन डी के सप्लीमेंट लिए जा सकते हैं। सर्दियों में भी बाहरी गतिविधियों के माध्यम से सुरक्षित धूप में रहने से विटामिन डी के स्तर को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।”
डॉक्टर ने बताया, ”प्रसवपूर्व पोषण के प्रति सचेत दृष्टिकोण, नियमित प्रसवपूर्व जांच यह सुनिश्चित करने में मदद कर सकती है कि गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे दोनों को आवश्यक पोषक तत्व मिल सके।”
–आईएएनएस
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