लखनऊ, 29 सितंबर(आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में सर्पदंश के बढ़ते मामले को लेकर यूपी सरकार सतर्क हो गयी है। सर्पदंश पीड़ितों को बचाने की दिशा में एक कदम और बढ़ा दिया है। सरकार ने सर्पदंश पीड़ितों को प्राथमिक इलाज के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है।
पहले चरण में सर्पदंश मामले में अव्वल तीन जिलों क्रमशः सोनभद्र, बाराबंकी, सीतापुर के स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित किया जायेगा। इस प्रोजेक्ट को वर्ष 2024-26 के मध्य पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। राहत विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार अप्रैल से अब तक सर्प दंश से 728 जनहानि हो चुकी हैं।
सर्पदंश के मामलों को कम करने और इससे बचाव के लिए प्रदेश सरकार ने इस प्रशिक्षण के लिए सर्वाधिक प्रभावित तीन जनपदों सोनभद्र, बाराबंकी, सीतापुर जनपद के स्वास्थ्यकर्मियों को शामिल करने का निर्णय लिया है। बता दें कि वर्ष 2018-22 में सोनभद्र में 176, फतेहपुर में 160, उन्नाव में 117, बाराबंकी में 111 सांप काटने से मौत के मामले सामने आए थे। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री ने सर्पदंश को राज्य आपदा घोषित किया था। अब इस पर कार्य शुरू हो गया है।
राहत आयुक्त प्रभारी जीएस नवीन ने बताया कि जिन जनपदों में सर्पदंश की घटना अधिक हो रही है। उन्हें न्यूनीकृत करने के लिए जागरूकता, प्रशिक्षण व इससे संबंधित प्रणाली को सशक्त बनाने का कार्यक्रम चलाया जाएगा। स्वास्थ्य कर्मियों को सर्पदंश से निपटने के लिए प्राथमिक चिकित्सा और जागरूकता को बढ़ाने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला होगी। नवीन ने बताया कि इस विषय पर दो मास्टर ट्रेनर्स क्रमशः तीन जनपदों से चिन्हित कर प्रशिक्षित किए जाएंगे। ये मास्टर ट्रेनर्स जनपद व ब्लॉक स्तर पर अन्य चिकित्सा संबंधी कर्मचारियों आदि को प्रशिक्षित करेंगे ।
राहत आयुक्त ने बताया कि अर्ध-दिवसीय कार्यशाला में आशा व एएनएम कर्मियों को प्रशिक्षित कर ब्लॉक स्तर पर भी सर्पदंश के संबंध में जागरूक किया जायेगा। इतना ही नहीं, सर्पदंश मामले में प्राथमिक उपचार व जागरूकता के लिए किट भी बांटे जाएंगे। इन किटों की संख्या 25,736 होगी। जीएस नवीन ने बताया कि इस कार्य के लिए प्रशिक्षित आशाकर्मियों को इंसेंटिव मिलेगा। इस रूप में इन्हें पीड़ित के प्राथमिक व अन्य चिकित्सकीय कार्यों हेतु 1000 रुपये व पीड़ित की इलाज व अन्य सुविधा के लिए 500 रुपये दिए जाएंगे।
जानकारों के मुताबिक बारिश के मौसम में हर साल दूरदराज और जंगली इलाकों में सर्पदंश के मामलों में बढ़ोतरी हो जाती है। कई बार लोगों को समय से उचित उपचार नहीं मिल पाता, इससे असमय ही लोगों की मौत तक हो जाती है। इससे निपटने के लिए सरकार ने इसे आपदा घोषित किया है। गौरतलब हो कि सर्पदंश से मौत को प्रदेश सरकार ने राज्य आपदा घोषित किया है। इसके लिए पोस्टमाॅर्टम आवश्यक है। ऐसा करने पर शासन की ओर से आर्थिक सहायता के रूप में मृतक के स्वजन को चार लाख रुपये दिया जा रहा है। सर्पदंश से मौत पर आर्थिक सहायता के लिए पोस्टमाॅर्टम रिपोर्ट जरूरी है। शासन ने साफ कह दिया है कि सर्पदंश से हुई मौत पर मृतकों के आश्रितों को आर्थिक सहायता के लिए मौत के प्रमाण के लिए बिसरा रिपोर्ट का इंतजार नहीं करना है। मौत के बाद पंचनामा और पोस्टमाॅर्टम रिपोर्ट के आधार पर ही उन्हें आर्थिक सहायता दी जाए।
–आईएएनएस
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