जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट में प्रदेश के विभिन्न थानों परिसरों में मंदिरों के निर्माण को चुनौती देने वाले मामले में नया मोड़ आ गया है. विश्व हिंदू महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष लीगल सेल ने एक हस्तक्षेप अर्जी दायर कर कहा है कि यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए हाईकोर्ट इस संबंध में कोई भी आदेश या निर्देश जारी न करे. इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में कल 12 दिसंबर को निर्धारित की है.
अधिवक्ता ओपी यादव की ओर से दायर इस मामले में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक भूमि पर बने धर्मस्थलों को अवैध ठहराया है. ऐसे अवैध धर्मस्थलों के खिलाफ होने वाली कार्रवाई में पुलिस विभाग की भी भूमिका है. आरोप है कि जबलपुर के अलावा प्रदेश के कई थाना परिसरों में भी मंदिरों का निर्माण अवैध रूप से किया जा रहा है. याचिका में जबलपुर के सिविल लाइन, विजय नगर, मदन महल और लार्डगंज थानों में हो रहे मंदिर निर्माण का हवाला दिया गया है.
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इन आधारों के साथ याचिका में अवैध रूप से बनाए जा रहे अवैध धार्मिक स्थलों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिये जाने की प्रार्थना याचिका में की गई है. साथ ही संबंधित थाना प्रभारियों के खिलाफ भी सिविल सर्विसेज रूल्स के तहत कार्रवाई किए जाने की प्रार्थना भी याचिका में की गई है. आवेदक की ओर से कहा गया है कि विगत 14 अक्टूबर को इस संबंध में लीगल नोटिस भेजे जाने के बाद भी कोई कार्रवाई न होने पर यह याचिका दायर की गई है.
मामले में पूर्व में हुई सुनवाई के बाद न्यायालय ने थाना परिसरों में मंदिरों के निर्माण पर यथास्थिति रखने के निर्देश दिए थे. मामले के विचाराधीन रहते विश्व हिंदू महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष लीगल सेल की ओर से एक हस्तक्षेप अर्जी दायर कर कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट में पूजा स्थल विशेष अधिनियम 1991 को चुनौती दी गई है.
वर्ष 2020 से लंबित मामले के लिये स्पेशल बेंच भी गठित की गई है. लिहाजा सुको में मामले के निपटारे तक हाईकोर्ट में लंबित इस याचिका पर कोई आदेश अथवा निर्देश दिया जाना न्यायोचित नहीं होगा. हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई कल 12 दिसंबर को निर्धारित है.