नई दिल्ली, 2 जुलाई (आईएएनएस)। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सहकारिता क्षेत्र में डिजिटलीकरण के द्वारा पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होने की वकालत करते हुए कहा है कि सहकारी सेक्टर पारदर्शिता का, जवाबदेही का और करप्शन रहित गवर्नेंस का मॉडल बने। लोक सभा अध्यक्ष बिरला ने रविवार को नई दिल्ली में आयोजित 17वें भारतीय सहकारी महासम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि सहकारिता की भावना हमारे मूल स्वभाव में है, हमारे चिंतन में है, हमारे व्यवहार में है।
उन्होंने कहा, सहकारिता का भाव हमारे राष्ट्र-नायकों की सोच में रहा है। हमारा राष्ट्रीय आंदोलन सहकारिता का एक उत्तम उदाहरण है, जिसमें हर वर्ग, हर समुदाय, हर जाति, क्षेत्र और समूह के व्यक्ति ने भागीदारी की है।
उन्होंने आगे कहा कि इस आंदोलन से किसान और मजदूरों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आया है। पहले जो 16 पर्सेन्ट, 18 पर्सेन्ट पर किसान को ऋण लेना पड़ता था, वही आज देश के कई राज्यों में एक से डेढ़ लाख रुपये का ऋण ज़ीरो पर्सेन्ट ब्याज दर पर सहकारिता के माध्यम से ही मिलना संभव हो पाया है। साथ ही किसानों को सहकारी समितियों से खाद, बीज और उर्वरक सस्ते दर पर मिल पा रहा है।
बिरला ने यह भी कहा कि सहकारी चीनी मिलों की स्थापना से देश में एक आमूलचूल परिवर्तन हुआ, जिससे किसानों को गन्ने का उचित दाम मिलने लगा और गन्ना खरीद की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया तैयार हुई। इस तरह सहकारिता के क्षेत्र ने किसानों के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन लाने का काम किया है। मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी, छोटे, लघु, कुटीर उद्योग, महिला स्वयं सहायता समूह, बुनकर सोसाइटीज़, इन सारे सेक्टरों में सहकारिता के माध्यम से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिला है और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है।
सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर आज मछली पालन करने वाले छोटे किसान भी फिश प्रोसेसिंग, फिश ड्राइंग, फिश स्टोरिंग, फिश स्टोरेज, फिश कैनिंग, फिश ट्रांसपोर्ट जैसे अनेक काम ऑर्गनिज़ड तारीकें से कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी बढ़ी है, और उनका जीवन बेहतर हुआ है।
लोक सभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी हमारी सहकारी समितियां आज मेक इन इंडिया को साकार कर रही है। सहकारिता सेक्टर हमारे देश का निर्यात बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने की प्रधानमंत्री की पहल की तारीफ करते हुए कहा कि इससे प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही आई है। सहकारिता से आर्थिक परिवर्तन का नया युग शुरू होगा।
उन्होंने सुझाव दिया कि कोऑपरेटिव को राजनीति की बजाए समाज नीति और राष्ट्रनीति का वाहक बनना चाहिए।
उन्होंने इस पर जोर दिया कि सामूहिकता के साथ मिलकर हम इस क्षेत्र में नई तकनीक, अपनी दक्षता और कार्यकुशलता को बेहतर करते हुए ‘सहकार से समृद्धि की ओर बढ़ सकते हैं। यह विचार व्यक्त करते हुए कि हाल में हुए सुधारों ने सहकारिता के क्षेत्र में करप्शन और मिस्मैनिजमेंट का निवारण किया है, लोक सभा अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि सहकारिता आंदोलन आत्मनिर्भर और विकसित भारत के स्वप्न को साकार करेगा।
–आईएएनएस
एसटीपी/एसकेपी
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नई दिल्ली, 2 जुलाई (आईएएनएस)। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सहकारिता क्षेत्र में डिजिटलीकरण के द्वारा पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होने की वकालत करते हुए कहा है कि सहकारी सेक्टर पारदर्शिता का, जवाबदेही का और करप्शन रहित गवर्नेंस का मॉडल बने। लोक सभा अध्यक्ष बिरला ने रविवार को नई दिल्ली में आयोजित 17वें भारतीय सहकारी महासम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि सहकारिता की भावना हमारे मूल स्वभाव में है, हमारे चिंतन में है, हमारे व्यवहार में है।
उन्होंने कहा, सहकारिता का भाव हमारे राष्ट्र-नायकों की सोच में रहा है। हमारा राष्ट्रीय आंदोलन सहकारिता का एक उत्तम उदाहरण है, जिसमें हर वर्ग, हर समुदाय, हर जाति, क्षेत्र और समूह के व्यक्ति ने भागीदारी की है।
उन्होंने आगे कहा कि इस आंदोलन से किसान और मजदूरों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आया है। पहले जो 16 पर्सेन्ट, 18 पर्सेन्ट पर किसान को ऋण लेना पड़ता था, वही आज देश के कई राज्यों में एक से डेढ़ लाख रुपये का ऋण ज़ीरो पर्सेन्ट ब्याज दर पर सहकारिता के माध्यम से ही मिलना संभव हो पाया है। साथ ही किसानों को सहकारी समितियों से खाद, बीज और उर्वरक सस्ते दर पर मिल पा रहा है।
बिरला ने यह भी कहा कि सहकारी चीनी मिलों की स्थापना से देश में एक आमूलचूल परिवर्तन हुआ, जिससे किसानों को गन्ने का उचित दाम मिलने लगा और गन्ना खरीद की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया तैयार हुई। इस तरह सहकारिता के क्षेत्र ने किसानों के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन लाने का काम किया है। मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी, छोटे, लघु, कुटीर उद्योग, महिला स्वयं सहायता समूह, बुनकर सोसाइटीज़, इन सारे सेक्टरों में सहकारिता के माध्यम से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिला है और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है।
सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर आज मछली पालन करने वाले छोटे किसान भी फिश प्रोसेसिंग, फिश ड्राइंग, फिश स्टोरिंग, फिश स्टोरेज, फिश कैनिंग, फिश ट्रांसपोर्ट जैसे अनेक काम ऑर्गनिज़ड तारीकें से कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी बढ़ी है, और उनका जीवन बेहतर हुआ है।
लोक सभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी हमारी सहकारी समितियां आज मेक इन इंडिया को साकार कर रही है। सहकारिता सेक्टर हमारे देश का निर्यात बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने की प्रधानमंत्री की पहल की तारीफ करते हुए कहा कि इससे प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही आई है। सहकारिता से आर्थिक परिवर्तन का नया युग शुरू होगा।
उन्होंने सुझाव दिया कि कोऑपरेटिव को राजनीति की बजाए समाज नीति और राष्ट्रनीति का वाहक बनना चाहिए।
उन्होंने इस पर जोर दिया कि सामूहिकता के साथ मिलकर हम इस क्षेत्र में नई तकनीक, अपनी दक्षता और कार्यकुशलता को बेहतर करते हुए ‘सहकार से समृद्धि की ओर बढ़ सकते हैं। यह विचार व्यक्त करते हुए कि हाल में हुए सुधारों ने सहकारिता के क्षेत्र में करप्शन और मिस्मैनिजमेंट का निवारण किया है, लोक सभा अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि सहकारिता आंदोलन आत्मनिर्भर और विकसित भारत के स्वप्न को साकार करेगा।
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नई दिल्ली, 2 जुलाई (आईएएनएस)। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सहकारिता क्षेत्र में डिजिटलीकरण के द्वारा पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होने की वकालत करते हुए कहा है कि सहकारी सेक्टर पारदर्शिता का, जवाबदेही का और करप्शन रहित गवर्नेंस का मॉडल बने। लोक सभा अध्यक्ष बिरला ने रविवार को नई दिल्ली में आयोजित 17वें भारतीय सहकारी महासम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि सहकारिता की भावना हमारे मूल स्वभाव में है, हमारे चिंतन में है, हमारे व्यवहार में है।
उन्होंने कहा, सहकारिता का भाव हमारे राष्ट्र-नायकों की सोच में रहा है। हमारा राष्ट्रीय आंदोलन सहकारिता का एक उत्तम उदाहरण है, जिसमें हर वर्ग, हर समुदाय, हर जाति, क्षेत्र और समूह के व्यक्ति ने भागीदारी की है।
उन्होंने आगे कहा कि इस आंदोलन से किसान और मजदूरों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आया है। पहले जो 16 पर्सेन्ट, 18 पर्सेन्ट पर किसान को ऋण लेना पड़ता था, वही आज देश के कई राज्यों में एक से डेढ़ लाख रुपये का ऋण ज़ीरो पर्सेन्ट ब्याज दर पर सहकारिता के माध्यम से ही मिलना संभव हो पाया है। साथ ही किसानों को सहकारी समितियों से खाद, बीज और उर्वरक सस्ते दर पर मिल पा रहा है।
बिरला ने यह भी कहा कि सहकारी चीनी मिलों की स्थापना से देश में एक आमूलचूल परिवर्तन हुआ, जिससे किसानों को गन्ने का उचित दाम मिलने लगा और गन्ना खरीद की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया तैयार हुई। इस तरह सहकारिता के क्षेत्र ने किसानों के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन लाने का काम किया है। मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी, छोटे, लघु, कुटीर उद्योग, महिला स्वयं सहायता समूह, बुनकर सोसाइटीज़, इन सारे सेक्टरों में सहकारिता के माध्यम से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिला है और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है।
सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर आज मछली पालन करने वाले छोटे किसान भी फिश प्रोसेसिंग, फिश ड्राइंग, फिश स्टोरिंग, फिश स्टोरेज, फिश कैनिंग, फिश ट्रांसपोर्ट जैसे अनेक काम ऑर्गनिज़ड तारीकें से कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी बढ़ी है, और उनका जीवन बेहतर हुआ है।
लोक सभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी हमारी सहकारी समितियां आज मेक इन इंडिया को साकार कर रही है। सहकारिता सेक्टर हमारे देश का निर्यात बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने की प्रधानमंत्री की पहल की तारीफ करते हुए कहा कि इससे प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही आई है। सहकारिता से आर्थिक परिवर्तन का नया युग शुरू होगा।
उन्होंने सुझाव दिया कि कोऑपरेटिव को राजनीति की बजाए समाज नीति और राष्ट्रनीति का वाहक बनना चाहिए।
उन्होंने इस पर जोर दिया कि सामूहिकता के साथ मिलकर हम इस क्षेत्र में नई तकनीक, अपनी दक्षता और कार्यकुशलता को बेहतर करते हुए ‘सहकार से समृद्धि की ओर बढ़ सकते हैं। यह विचार व्यक्त करते हुए कि हाल में हुए सुधारों ने सहकारिता के क्षेत्र में करप्शन और मिस्मैनिजमेंट का निवारण किया है, लोक सभा अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि सहकारिता आंदोलन आत्मनिर्भर और विकसित भारत के स्वप्न को साकार करेगा।
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उन्होंने कहा, सहकारिता का भाव हमारे राष्ट्र-नायकों की सोच में रहा है। हमारा राष्ट्रीय आंदोलन सहकारिता का एक उत्तम उदाहरण है, जिसमें हर वर्ग, हर समुदाय, हर जाति, क्षेत्र और समूह के व्यक्ति ने भागीदारी की है।
उन्होंने आगे कहा कि इस आंदोलन से किसान और मजदूरों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आया है। पहले जो 16 पर्सेन्ट, 18 पर्सेन्ट पर किसान को ऋण लेना पड़ता था, वही आज देश के कई राज्यों में एक से डेढ़ लाख रुपये का ऋण ज़ीरो पर्सेन्ट ब्याज दर पर सहकारिता के माध्यम से ही मिलना संभव हो पाया है। साथ ही किसानों को सहकारी समितियों से खाद, बीज और उर्वरक सस्ते दर पर मिल पा रहा है।
बिरला ने यह भी कहा कि सहकारी चीनी मिलों की स्थापना से देश में एक आमूलचूल परिवर्तन हुआ, जिससे किसानों को गन्ने का उचित दाम मिलने लगा और गन्ना खरीद की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया तैयार हुई। इस तरह सहकारिता के क्षेत्र ने किसानों के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन लाने का काम किया है। मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी, छोटे, लघु, कुटीर उद्योग, महिला स्वयं सहायता समूह, बुनकर सोसाइटीज़, इन सारे सेक्टरों में सहकारिता के माध्यम से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिला है और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है।
सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर आज मछली पालन करने वाले छोटे किसान भी फिश प्रोसेसिंग, फिश ड्राइंग, फिश स्टोरिंग, फिश स्टोरेज, फिश कैनिंग, फिश ट्रांसपोर्ट जैसे अनेक काम ऑर्गनिज़ड तारीकें से कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी बढ़ी है, और उनका जीवन बेहतर हुआ है।
लोक सभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी हमारी सहकारी समितियां आज मेक इन इंडिया को साकार कर रही है। सहकारिता सेक्टर हमारे देश का निर्यात बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने की प्रधानमंत्री की पहल की तारीफ करते हुए कहा कि इससे प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही आई है। सहकारिता से आर्थिक परिवर्तन का नया युग शुरू होगा।
उन्होंने सुझाव दिया कि कोऑपरेटिव को राजनीति की बजाए समाज नीति और राष्ट्रनीति का वाहक बनना चाहिए।
उन्होंने इस पर जोर दिया कि सामूहिकता के साथ मिलकर हम इस क्षेत्र में नई तकनीक, अपनी दक्षता और कार्यकुशलता को बेहतर करते हुए ‘सहकार से समृद्धि की ओर बढ़ सकते हैं। यह विचार व्यक्त करते हुए कि हाल में हुए सुधारों ने सहकारिता के क्षेत्र में करप्शन और मिस्मैनिजमेंट का निवारण किया है, लोक सभा अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि सहकारिता आंदोलन आत्मनिर्भर और विकसित भारत के स्वप्न को साकार करेगा।
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नई दिल्ली, 2 जुलाई (आईएएनएस)। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सहकारिता क्षेत्र में डिजिटलीकरण के द्वारा पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होने की वकालत करते हुए कहा है कि सहकारी सेक्टर पारदर्शिता का, जवाबदेही का और करप्शन रहित गवर्नेंस का मॉडल बने। लोक सभा अध्यक्ष बिरला ने रविवार को नई दिल्ली में आयोजित 17वें भारतीय सहकारी महासम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि सहकारिता की भावना हमारे मूल स्वभाव में है, हमारे चिंतन में है, हमारे व्यवहार में है।
उन्होंने कहा, सहकारिता का भाव हमारे राष्ट्र-नायकों की सोच में रहा है। हमारा राष्ट्रीय आंदोलन सहकारिता का एक उत्तम उदाहरण है, जिसमें हर वर्ग, हर समुदाय, हर जाति, क्षेत्र और समूह के व्यक्ति ने भागीदारी की है।
उन्होंने आगे कहा कि इस आंदोलन से किसान और मजदूरों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आया है। पहले जो 16 पर्सेन्ट, 18 पर्सेन्ट पर किसान को ऋण लेना पड़ता था, वही आज देश के कई राज्यों में एक से डेढ़ लाख रुपये का ऋण ज़ीरो पर्सेन्ट ब्याज दर पर सहकारिता के माध्यम से ही मिलना संभव हो पाया है। साथ ही किसानों को सहकारी समितियों से खाद, बीज और उर्वरक सस्ते दर पर मिल पा रहा है।
बिरला ने यह भी कहा कि सहकारी चीनी मिलों की स्थापना से देश में एक आमूलचूल परिवर्तन हुआ, जिससे किसानों को गन्ने का उचित दाम मिलने लगा और गन्ना खरीद की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया तैयार हुई। इस तरह सहकारिता के क्षेत्र ने किसानों के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन लाने का काम किया है। मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी, छोटे, लघु, कुटीर उद्योग, महिला स्वयं सहायता समूह, बुनकर सोसाइटीज़, इन सारे सेक्टरों में सहकारिता के माध्यम से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिला है और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है।
सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर आज मछली पालन करने वाले छोटे किसान भी फिश प्रोसेसिंग, फिश ड्राइंग, फिश स्टोरिंग, फिश स्टोरेज, फिश कैनिंग, फिश ट्रांसपोर्ट जैसे अनेक काम ऑर्गनिज़ड तारीकें से कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी बढ़ी है, और उनका जीवन बेहतर हुआ है।
लोक सभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी हमारी सहकारी समितियां आज मेक इन इंडिया को साकार कर रही है। सहकारिता सेक्टर हमारे देश का निर्यात बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने की प्रधानमंत्री की पहल की तारीफ करते हुए कहा कि इससे प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही आई है। सहकारिता से आर्थिक परिवर्तन का नया युग शुरू होगा।
उन्होंने सुझाव दिया कि कोऑपरेटिव को राजनीति की बजाए समाज नीति और राष्ट्रनीति का वाहक बनना चाहिए।
उन्होंने इस पर जोर दिया कि सामूहिकता के साथ मिलकर हम इस क्षेत्र में नई तकनीक, अपनी दक्षता और कार्यकुशलता को बेहतर करते हुए ‘सहकार से समृद्धि की ओर बढ़ सकते हैं। यह विचार व्यक्त करते हुए कि हाल में हुए सुधारों ने सहकारिता के क्षेत्र में करप्शन और मिस्मैनिजमेंट का निवारण किया है, लोक सभा अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि सहकारिता आंदोलन आत्मनिर्भर और विकसित भारत के स्वप्न को साकार करेगा।
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नई दिल्ली, 2 जुलाई (आईएएनएस)। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सहकारिता क्षेत्र में डिजिटलीकरण के द्वारा पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होने की वकालत करते हुए कहा है कि सहकारी सेक्टर पारदर्शिता का, जवाबदेही का और करप्शन रहित गवर्नेंस का मॉडल बने। लोक सभा अध्यक्ष बिरला ने रविवार को नई दिल्ली में आयोजित 17वें भारतीय सहकारी महासम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि सहकारिता की भावना हमारे मूल स्वभाव में है, हमारे चिंतन में है, हमारे व्यवहार में है।
उन्होंने कहा, सहकारिता का भाव हमारे राष्ट्र-नायकों की सोच में रहा है। हमारा राष्ट्रीय आंदोलन सहकारिता का एक उत्तम उदाहरण है, जिसमें हर वर्ग, हर समुदाय, हर जाति, क्षेत्र और समूह के व्यक्ति ने भागीदारी की है।
उन्होंने आगे कहा कि इस आंदोलन से किसान और मजदूरों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आया है। पहले जो 16 पर्सेन्ट, 18 पर्सेन्ट पर किसान को ऋण लेना पड़ता था, वही आज देश के कई राज्यों में एक से डेढ़ लाख रुपये का ऋण ज़ीरो पर्सेन्ट ब्याज दर पर सहकारिता के माध्यम से ही मिलना संभव हो पाया है। साथ ही किसानों को सहकारी समितियों से खाद, बीज और उर्वरक सस्ते दर पर मिल पा रहा है।
बिरला ने यह भी कहा कि सहकारी चीनी मिलों की स्थापना से देश में एक आमूलचूल परिवर्तन हुआ, जिससे किसानों को गन्ने का उचित दाम मिलने लगा और गन्ना खरीद की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया तैयार हुई। इस तरह सहकारिता के क्षेत्र ने किसानों के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन लाने का काम किया है। मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी, छोटे, लघु, कुटीर उद्योग, महिला स्वयं सहायता समूह, बुनकर सोसाइटीज़, इन सारे सेक्टरों में सहकारिता के माध्यम से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिला है और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है।
सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर आज मछली पालन करने वाले छोटे किसान भी फिश प्रोसेसिंग, फिश ड्राइंग, फिश स्टोरिंग, फिश स्टोरेज, फिश कैनिंग, फिश ट्रांसपोर्ट जैसे अनेक काम ऑर्गनिज़ड तारीकें से कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी बढ़ी है, और उनका जीवन बेहतर हुआ है।
लोक सभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी हमारी सहकारी समितियां आज मेक इन इंडिया को साकार कर रही है। सहकारिता सेक्टर हमारे देश का निर्यात बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने की प्रधानमंत्री की पहल की तारीफ करते हुए कहा कि इससे प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही आई है। सहकारिता से आर्थिक परिवर्तन का नया युग शुरू होगा।
उन्होंने सुझाव दिया कि कोऑपरेटिव को राजनीति की बजाए समाज नीति और राष्ट्रनीति का वाहक बनना चाहिए।
उन्होंने इस पर जोर दिया कि सामूहिकता के साथ मिलकर हम इस क्षेत्र में नई तकनीक, अपनी दक्षता और कार्यकुशलता को बेहतर करते हुए ‘सहकार से समृद्धि की ओर बढ़ सकते हैं। यह विचार व्यक्त करते हुए कि हाल में हुए सुधारों ने सहकारिता के क्षेत्र में करप्शन और मिस्मैनिजमेंट का निवारण किया है, लोक सभा अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि सहकारिता आंदोलन आत्मनिर्भर और विकसित भारत के स्वप्न को साकार करेगा।
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उन्होंने कहा, सहकारिता का भाव हमारे राष्ट्र-नायकों की सोच में रहा है। हमारा राष्ट्रीय आंदोलन सहकारिता का एक उत्तम उदाहरण है, जिसमें हर वर्ग, हर समुदाय, हर जाति, क्षेत्र और समूह के व्यक्ति ने भागीदारी की है।
उन्होंने आगे कहा कि इस आंदोलन से किसान और मजदूरों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आया है। पहले जो 16 पर्सेन्ट, 18 पर्सेन्ट पर किसान को ऋण लेना पड़ता था, वही आज देश के कई राज्यों में एक से डेढ़ लाख रुपये का ऋण ज़ीरो पर्सेन्ट ब्याज दर पर सहकारिता के माध्यम से ही मिलना संभव हो पाया है। साथ ही किसानों को सहकारी समितियों से खाद, बीज और उर्वरक सस्ते दर पर मिल पा रहा है।
बिरला ने यह भी कहा कि सहकारी चीनी मिलों की स्थापना से देश में एक आमूलचूल परिवर्तन हुआ, जिससे किसानों को गन्ने का उचित दाम मिलने लगा और गन्ना खरीद की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया तैयार हुई। इस तरह सहकारिता के क्षेत्र ने किसानों के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन लाने का काम किया है। मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी, छोटे, लघु, कुटीर उद्योग, महिला स्वयं सहायता समूह, बुनकर सोसाइटीज़, इन सारे सेक्टरों में सहकारिता के माध्यम से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिला है और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है।
सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर आज मछली पालन करने वाले छोटे किसान भी फिश प्रोसेसिंग, फिश ड्राइंग, फिश स्टोरिंग, फिश स्टोरेज, फिश कैनिंग, फिश ट्रांसपोर्ट जैसे अनेक काम ऑर्गनिज़ड तारीकें से कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी बढ़ी है, और उनका जीवन बेहतर हुआ है।
लोक सभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी हमारी सहकारी समितियां आज मेक इन इंडिया को साकार कर रही है। सहकारिता सेक्टर हमारे देश का निर्यात बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने की प्रधानमंत्री की पहल की तारीफ करते हुए कहा कि इससे प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही आई है। सहकारिता से आर्थिक परिवर्तन का नया युग शुरू होगा।
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उन्होंने इस पर जोर दिया कि सामूहिकता के साथ मिलकर हम इस क्षेत्र में नई तकनीक, अपनी दक्षता और कार्यकुशलता को बेहतर करते हुए ‘सहकार से समृद्धि की ओर बढ़ सकते हैं। यह विचार व्यक्त करते हुए कि हाल में हुए सुधारों ने सहकारिता के क्षेत्र में करप्शन और मिस्मैनिजमेंट का निवारण किया है, लोक सभा अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि सहकारिता आंदोलन आत्मनिर्भर और विकसित भारत के स्वप्न को साकार करेगा।
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उन्होंने कहा, सहकारिता का भाव हमारे राष्ट्र-नायकों की सोच में रहा है। हमारा राष्ट्रीय आंदोलन सहकारिता का एक उत्तम उदाहरण है, जिसमें हर वर्ग, हर समुदाय, हर जाति, क्षेत्र और समूह के व्यक्ति ने भागीदारी की है।
उन्होंने आगे कहा कि इस आंदोलन से किसान और मजदूरों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आया है। पहले जो 16 पर्सेन्ट, 18 पर्सेन्ट पर किसान को ऋण लेना पड़ता था, वही आज देश के कई राज्यों में एक से डेढ़ लाख रुपये का ऋण ज़ीरो पर्सेन्ट ब्याज दर पर सहकारिता के माध्यम से ही मिलना संभव हो पाया है। साथ ही किसानों को सहकारी समितियों से खाद, बीज और उर्वरक सस्ते दर पर मिल पा रहा है।
बिरला ने यह भी कहा कि सहकारी चीनी मिलों की स्थापना से देश में एक आमूलचूल परिवर्तन हुआ, जिससे किसानों को गन्ने का उचित दाम मिलने लगा और गन्ना खरीद की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया तैयार हुई। इस तरह सहकारिता के क्षेत्र ने किसानों के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन लाने का काम किया है। मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी, छोटे, लघु, कुटीर उद्योग, महिला स्वयं सहायता समूह, बुनकर सोसाइटीज़, इन सारे सेक्टरों में सहकारिता के माध्यम से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिला है और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है।
सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर आज मछली पालन करने वाले छोटे किसान भी फिश प्रोसेसिंग, फिश ड्राइंग, फिश स्टोरिंग, फिश स्टोरेज, फिश कैनिंग, फिश ट्रांसपोर्ट जैसे अनेक काम ऑर्गनिज़ड तारीकें से कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी बढ़ी है, और उनका जीवन बेहतर हुआ है।
लोक सभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी हमारी सहकारी समितियां आज मेक इन इंडिया को साकार कर रही है। सहकारिता सेक्टर हमारे देश का निर्यात बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने की प्रधानमंत्री की पहल की तारीफ करते हुए कहा कि इससे प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही आई है। सहकारिता से आर्थिक परिवर्तन का नया युग शुरू होगा।
उन्होंने सुझाव दिया कि कोऑपरेटिव को राजनीति की बजाए समाज नीति और राष्ट्रनीति का वाहक बनना चाहिए।
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नई दिल्ली, 2 जुलाई (आईएएनएस)। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सहकारिता क्षेत्र में डिजिटलीकरण के द्वारा पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होने की वकालत करते हुए कहा है कि सहकारी सेक्टर पारदर्शिता का, जवाबदेही का और करप्शन रहित गवर्नेंस का मॉडल बने। लोक सभा अध्यक्ष बिरला ने रविवार को नई दिल्ली में आयोजित 17वें भारतीय सहकारी महासम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि सहकारिता की भावना हमारे मूल स्वभाव में है, हमारे चिंतन में है, हमारे व्यवहार में है।
उन्होंने कहा, सहकारिता का भाव हमारे राष्ट्र-नायकों की सोच में रहा है। हमारा राष्ट्रीय आंदोलन सहकारिता का एक उत्तम उदाहरण है, जिसमें हर वर्ग, हर समुदाय, हर जाति, क्षेत्र और समूह के व्यक्ति ने भागीदारी की है।
उन्होंने आगे कहा कि इस आंदोलन से किसान और मजदूरों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आया है। पहले जो 16 पर्सेन्ट, 18 पर्सेन्ट पर किसान को ऋण लेना पड़ता था, वही आज देश के कई राज्यों में एक से डेढ़ लाख रुपये का ऋण ज़ीरो पर्सेन्ट ब्याज दर पर सहकारिता के माध्यम से ही मिलना संभव हो पाया है। साथ ही किसानों को सहकारी समितियों से खाद, बीज और उर्वरक सस्ते दर पर मिल पा रहा है।
बिरला ने यह भी कहा कि सहकारी चीनी मिलों की स्थापना से देश में एक आमूलचूल परिवर्तन हुआ, जिससे किसानों को गन्ने का उचित दाम मिलने लगा और गन्ना खरीद की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया तैयार हुई। इस तरह सहकारिता के क्षेत्र ने किसानों के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन लाने का काम किया है। मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी, छोटे, लघु, कुटीर उद्योग, महिला स्वयं सहायता समूह, बुनकर सोसाइटीज़, इन सारे सेक्टरों में सहकारिता के माध्यम से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिला है और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है।
सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर आज मछली पालन करने वाले छोटे किसान भी फिश प्रोसेसिंग, फिश ड्राइंग, फिश स्टोरिंग, फिश स्टोरेज, फिश कैनिंग, फिश ट्रांसपोर्ट जैसे अनेक काम ऑर्गनिज़ड तारीकें से कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी बढ़ी है, और उनका जीवन बेहतर हुआ है।
लोक सभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी हमारी सहकारी समितियां आज मेक इन इंडिया को साकार कर रही है। सहकारिता सेक्टर हमारे देश का निर्यात बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने की प्रधानमंत्री की पहल की तारीफ करते हुए कहा कि इससे प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही आई है। सहकारिता से आर्थिक परिवर्तन का नया युग शुरू होगा।
उन्होंने सुझाव दिया कि कोऑपरेटिव को राजनीति की बजाए समाज नीति और राष्ट्रनीति का वाहक बनना चाहिए।
उन्होंने इस पर जोर दिया कि सामूहिकता के साथ मिलकर हम इस क्षेत्र में नई तकनीक, अपनी दक्षता और कार्यकुशलता को बेहतर करते हुए ‘सहकार से समृद्धि की ओर बढ़ सकते हैं। यह विचार व्यक्त करते हुए कि हाल में हुए सुधारों ने सहकारिता के क्षेत्र में करप्शन और मिस्मैनिजमेंट का निवारण किया है, लोक सभा अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि सहकारिता आंदोलन आत्मनिर्भर और विकसित भारत के स्वप्न को साकार करेगा।
–आईएएनएस
एसटीपी/एसकेपी
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नई दिल्ली, 2 जुलाई (आईएएनएस)। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सहकारिता क्षेत्र में डिजिटलीकरण के द्वारा पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होने की वकालत करते हुए कहा है कि सहकारी सेक्टर पारदर्शिता का, जवाबदेही का और करप्शन रहित गवर्नेंस का मॉडल बने। लोक सभा अध्यक्ष बिरला ने रविवार को नई दिल्ली में आयोजित 17वें भारतीय सहकारी महासम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि सहकारिता की भावना हमारे मूल स्वभाव में है, हमारे चिंतन में है, हमारे व्यवहार में है।
उन्होंने कहा, सहकारिता का भाव हमारे राष्ट्र-नायकों की सोच में रहा है। हमारा राष्ट्रीय आंदोलन सहकारिता का एक उत्तम उदाहरण है, जिसमें हर वर्ग, हर समुदाय, हर जाति, क्षेत्र और समूह के व्यक्ति ने भागीदारी की है।
उन्होंने आगे कहा कि इस आंदोलन से किसान और मजदूरों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आया है। पहले जो 16 पर्सेन्ट, 18 पर्सेन्ट पर किसान को ऋण लेना पड़ता था, वही आज देश के कई राज्यों में एक से डेढ़ लाख रुपये का ऋण ज़ीरो पर्सेन्ट ब्याज दर पर सहकारिता के माध्यम से ही मिलना संभव हो पाया है। साथ ही किसानों को सहकारी समितियों से खाद, बीज और उर्वरक सस्ते दर पर मिल पा रहा है।
बिरला ने यह भी कहा कि सहकारी चीनी मिलों की स्थापना से देश में एक आमूलचूल परिवर्तन हुआ, जिससे किसानों को गन्ने का उचित दाम मिलने लगा और गन्ना खरीद की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया तैयार हुई। इस तरह सहकारिता के क्षेत्र ने किसानों के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन लाने का काम किया है। मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी, छोटे, लघु, कुटीर उद्योग, महिला स्वयं सहायता समूह, बुनकर सोसाइटीज़, इन सारे सेक्टरों में सहकारिता के माध्यम से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिला है और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है।
सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर आज मछली पालन करने वाले छोटे किसान भी फिश प्रोसेसिंग, फिश ड्राइंग, फिश स्टोरिंग, फिश स्टोरेज, फिश कैनिंग, फिश ट्रांसपोर्ट जैसे अनेक काम ऑर्गनिज़ड तारीकें से कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी बढ़ी है, और उनका जीवन बेहतर हुआ है।
लोक सभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी हमारी सहकारी समितियां आज मेक इन इंडिया को साकार कर रही है। सहकारिता सेक्टर हमारे देश का निर्यात बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने की प्रधानमंत्री की पहल की तारीफ करते हुए कहा कि इससे प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही आई है। सहकारिता से आर्थिक परिवर्तन का नया युग शुरू होगा।
उन्होंने सुझाव दिया कि कोऑपरेटिव को राजनीति की बजाए समाज नीति और राष्ट्रनीति का वाहक बनना चाहिए।
उन्होंने इस पर जोर दिया कि सामूहिकता के साथ मिलकर हम इस क्षेत्र में नई तकनीक, अपनी दक्षता और कार्यकुशलता को बेहतर करते हुए ‘सहकार से समृद्धि की ओर बढ़ सकते हैं। यह विचार व्यक्त करते हुए कि हाल में हुए सुधारों ने सहकारिता के क्षेत्र में करप्शन और मिस्मैनिजमेंट का निवारण किया है, लोक सभा अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि सहकारिता आंदोलन आत्मनिर्भर और विकसित भारत के स्वप्न को साकार करेगा।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 2 जुलाई (आईएएनएस)। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सहकारिता क्षेत्र में डिजिटलीकरण के द्वारा पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होने की वकालत करते हुए कहा है कि सहकारी सेक्टर पारदर्शिता का, जवाबदेही का और करप्शन रहित गवर्नेंस का मॉडल बने। लोक सभा अध्यक्ष बिरला ने रविवार को नई दिल्ली में आयोजित 17वें भारतीय सहकारी महासम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि सहकारिता की भावना हमारे मूल स्वभाव में है, हमारे चिंतन में है, हमारे व्यवहार में है।
उन्होंने कहा, सहकारिता का भाव हमारे राष्ट्र-नायकों की सोच में रहा है। हमारा राष्ट्रीय आंदोलन सहकारिता का एक उत्तम उदाहरण है, जिसमें हर वर्ग, हर समुदाय, हर जाति, क्षेत्र और समूह के व्यक्ति ने भागीदारी की है।
उन्होंने आगे कहा कि इस आंदोलन से किसान और मजदूरों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आया है। पहले जो 16 पर्सेन्ट, 18 पर्सेन्ट पर किसान को ऋण लेना पड़ता था, वही आज देश के कई राज्यों में एक से डेढ़ लाख रुपये का ऋण ज़ीरो पर्सेन्ट ब्याज दर पर सहकारिता के माध्यम से ही मिलना संभव हो पाया है। साथ ही किसानों को सहकारी समितियों से खाद, बीज और उर्वरक सस्ते दर पर मिल पा रहा है।
बिरला ने यह भी कहा कि सहकारी चीनी मिलों की स्थापना से देश में एक आमूलचूल परिवर्तन हुआ, जिससे किसानों को गन्ने का उचित दाम मिलने लगा और गन्ना खरीद की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया तैयार हुई। इस तरह सहकारिता के क्षेत्र ने किसानों के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन लाने का काम किया है। मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी, छोटे, लघु, कुटीर उद्योग, महिला स्वयं सहायता समूह, बुनकर सोसाइटीज़, इन सारे सेक्टरों में सहकारिता के माध्यम से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिला है और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है।
सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर आज मछली पालन करने वाले छोटे किसान भी फिश प्रोसेसिंग, फिश ड्राइंग, फिश स्टोरिंग, फिश स्टोरेज, फिश कैनिंग, फिश ट्रांसपोर्ट जैसे अनेक काम ऑर्गनिज़ड तारीकें से कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी बढ़ी है, और उनका जीवन बेहतर हुआ है।
लोक सभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी हमारी सहकारी समितियां आज मेक इन इंडिया को साकार कर रही है। सहकारिता सेक्टर हमारे देश का निर्यात बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने की प्रधानमंत्री की पहल की तारीफ करते हुए कहा कि इससे प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही आई है। सहकारिता से आर्थिक परिवर्तन का नया युग शुरू होगा।
उन्होंने सुझाव दिया कि कोऑपरेटिव को राजनीति की बजाए समाज नीति और राष्ट्रनीति का वाहक बनना चाहिए।
उन्होंने इस पर जोर दिया कि सामूहिकता के साथ मिलकर हम इस क्षेत्र में नई तकनीक, अपनी दक्षता और कार्यकुशलता को बेहतर करते हुए ‘सहकार से समृद्धि की ओर बढ़ सकते हैं। यह विचार व्यक्त करते हुए कि हाल में हुए सुधारों ने सहकारिता के क्षेत्र में करप्शन और मिस्मैनिजमेंट का निवारण किया है, लोक सभा अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि सहकारिता आंदोलन आत्मनिर्भर और विकसित भारत के स्वप्न को साकार करेगा।
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उन्होंने कहा, सहकारिता का भाव हमारे राष्ट्र-नायकों की सोच में रहा है। हमारा राष्ट्रीय आंदोलन सहकारिता का एक उत्तम उदाहरण है, जिसमें हर वर्ग, हर समुदाय, हर जाति, क्षेत्र और समूह के व्यक्ति ने भागीदारी की है।
उन्होंने आगे कहा कि इस आंदोलन से किसान और मजदूरों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आया है। पहले जो 16 पर्सेन्ट, 18 पर्सेन्ट पर किसान को ऋण लेना पड़ता था, वही आज देश के कई राज्यों में एक से डेढ़ लाख रुपये का ऋण ज़ीरो पर्सेन्ट ब्याज दर पर सहकारिता के माध्यम से ही मिलना संभव हो पाया है। साथ ही किसानों को सहकारी समितियों से खाद, बीज और उर्वरक सस्ते दर पर मिल पा रहा है।
बिरला ने यह भी कहा कि सहकारी चीनी मिलों की स्थापना से देश में एक आमूलचूल परिवर्तन हुआ, जिससे किसानों को गन्ने का उचित दाम मिलने लगा और गन्ना खरीद की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया तैयार हुई। इस तरह सहकारिता के क्षेत्र ने किसानों के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन लाने का काम किया है। मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी, छोटे, लघु, कुटीर उद्योग, महिला स्वयं सहायता समूह, बुनकर सोसाइटीज़, इन सारे सेक्टरों में सहकारिता के माध्यम से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिला है और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है।
सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर आज मछली पालन करने वाले छोटे किसान भी फिश प्रोसेसिंग, फिश ड्राइंग, फिश स्टोरिंग, फिश स्टोरेज, फिश कैनिंग, फिश ट्रांसपोर्ट जैसे अनेक काम ऑर्गनिज़ड तारीकें से कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी बढ़ी है, और उनका जीवन बेहतर हुआ है।
लोक सभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी हमारी सहकारी समितियां आज मेक इन इंडिया को साकार कर रही है। सहकारिता सेक्टर हमारे देश का निर्यात बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने की प्रधानमंत्री की पहल की तारीफ करते हुए कहा कि इससे प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही आई है। सहकारिता से आर्थिक परिवर्तन का नया युग शुरू होगा।
उन्होंने सुझाव दिया कि कोऑपरेटिव को राजनीति की बजाए समाज नीति और राष्ट्रनीति का वाहक बनना चाहिए।
उन्होंने इस पर जोर दिया कि सामूहिकता के साथ मिलकर हम इस क्षेत्र में नई तकनीक, अपनी दक्षता और कार्यकुशलता को बेहतर करते हुए ‘सहकार से समृद्धि की ओर बढ़ सकते हैं। यह विचार व्यक्त करते हुए कि हाल में हुए सुधारों ने सहकारिता के क्षेत्र में करप्शन और मिस्मैनिजमेंट का निवारण किया है, लोक सभा अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि सहकारिता आंदोलन आत्मनिर्भर और विकसित भारत के स्वप्न को साकार करेगा।
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नई दिल्ली, 2 जुलाई (आईएएनएस)। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सहकारिता क्षेत्र में डिजिटलीकरण के द्वारा पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होने की वकालत करते हुए कहा है कि सहकारी सेक्टर पारदर्शिता का, जवाबदेही का और करप्शन रहित गवर्नेंस का मॉडल बने। लोक सभा अध्यक्ष बिरला ने रविवार को नई दिल्ली में आयोजित 17वें भारतीय सहकारी महासम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि सहकारिता की भावना हमारे मूल स्वभाव में है, हमारे चिंतन में है, हमारे व्यवहार में है।
उन्होंने कहा, सहकारिता का भाव हमारे राष्ट्र-नायकों की सोच में रहा है। हमारा राष्ट्रीय आंदोलन सहकारिता का एक उत्तम उदाहरण है, जिसमें हर वर्ग, हर समुदाय, हर जाति, क्षेत्र और समूह के व्यक्ति ने भागीदारी की है।
उन्होंने आगे कहा कि इस आंदोलन से किसान और मजदूरों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आया है। पहले जो 16 पर्सेन्ट, 18 पर्सेन्ट पर किसान को ऋण लेना पड़ता था, वही आज देश के कई राज्यों में एक से डेढ़ लाख रुपये का ऋण ज़ीरो पर्सेन्ट ब्याज दर पर सहकारिता के माध्यम से ही मिलना संभव हो पाया है। साथ ही किसानों को सहकारी समितियों से खाद, बीज और उर्वरक सस्ते दर पर मिल पा रहा है।
बिरला ने यह भी कहा कि सहकारी चीनी मिलों की स्थापना से देश में एक आमूलचूल परिवर्तन हुआ, जिससे किसानों को गन्ने का उचित दाम मिलने लगा और गन्ना खरीद की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया तैयार हुई। इस तरह सहकारिता के क्षेत्र ने किसानों के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन लाने का काम किया है। मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी, छोटे, लघु, कुटीर उद्योग, महिला स्वयं सहायता समूह, बुनकर सोसाइटीज़, इन सारे सेक्टरों में सहकारिता के माध्यम से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिला है और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है।
सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर आज मछली पालन करने वाले छोटे किसान भी फिश प्रोसेसिंग, फिश ड्राइंग, फिश स्टोरिंग, फिश स्टोरेज, फिश कैनिंग, फिश ट्रांसपोर्ट जैसे अनेक काम ऑर्गनिज़ड तारीकें से कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी बढ़ी है, और उनका जीवन बेहतर हुआ है।
लोक सभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी हमारी सहकारी समितियां आज मेक इन इंडिया को साकार कर रही है। सहकारिता सेक्टर हमारे देश का निर्यात बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने की प्रधानमंत्री की पहल की तारीफ करते हुए कहा कि इससे प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही आई है। सहकारिता से आर्थिक परिवर्तन का नया युग शुरू होगा।
उन्होंने सुझाव दिया कि कोऑपरेटिव को राजनीति की बजाए समाज नीति और राष्ट्रनीति का वाहक बनना चाहिए।
उन्होंने इस पर जोर दिया कि सामूहिकता के साथ मिलकर हम इस क्षेत्र में नई तकनीक, अपनी दक्षता और कार्यकुशलता को बेहतर करते हुए ‘सहकार से समृद्धि की ओर बढ़ सकते हैं। यह विचार व्यक्त करते हुए कि हाल में हुए सुधारों ने सहकारिता के क्षेत्र में करप्शन और मिस्मैनिजमेंट का निवारण किया है, लोक सभा अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि सहकारिता आंदोलन आत्मनिर्भर और विकसित भारत के स्वप्न को साकार करेगा।
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नई दिल्ली, 2 जुलाई (आईएएनएस)। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सहकारिता क्षेत्र में डिजिटलीकरण के द्वारा पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होने की वकालत करते हुए कहा है कि सहकारी सेक्टर पारदर्शिता का, जवाबदेही का और करप्शन रहित गवर्नेंस का मॉडल बने। लोक सभा अध्यक्ष बिरला ने रविवार को नई दिल्ली में आयोजित 17वें भारतीय सहकारी महासम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि सहकारिता की भावना हमारे मूल स्वभाव में है, हमारे चिंतन में है, हमारे व्यवहार में है।
उन्होंने कहा, सहकारिता का भाव हमारे राष्ट्र-नायकों की सोच में रहा है। हमारा राष्ट्रीय आंदोलन सहकारिता का एक उत्तम उदाहरण है, जिसमें हर वर्ग, हर समुदाय, हर जाति, क्षेत्र और समूह के व्यक्ति ने भागीदारी की है।
उन्होंने आगे कहा कि इस आंदोलन से किसान और मजदूरों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आया है। पहले जो 16 पर्सेन्ट, 18 पर्सेन्ट पर किसान को ऋण लेना पड़ता था, वही आज देश के कई राज्यों में एक से डेढ़ लाख रुपये का ऋण ज़ीरो पर्सेन्ट ब्याज दर पर सहकारिता के माध्यम से ही मिलना संभव हो पाया है। साथ ही किसानों को सहकारी समितियों से खाद, बीज और उर्वरक सस्ते दर पर मिल पा रहा है।
बिरला ने यह भी कहा कि सहकारी चीनी मिलों की स्थापना से देश में एक आमूलचूल परिवर्तन हुआ, जिससे किसानों को गन्ने का उचित दाम मिलने लगा और गन्ना खरीद की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया तैयार हुई। इस तरह सहकारिता के क्षेत्र ने किसानों के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन लाने का काम किया है। मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी, छोटे, लघु, कुटीर उद्योग, महिला स्वयं सहायता समूह, बुनकर सोसाइटीज़, इन सारे सेक्टरों में सहकारिता के माध्यम से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिला है और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है।
सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर आज मछली पालन करने वाले छोटे किसान भी फिश प्रोसेसिंग, फिश ड्राइंग, फिश स्टोरिंग, फिश स्टोरेज, फिश कैनिंग, फिश ट्रांसपोर्ट जैसे अनेक काम ऑर्गनिज़ड तारीकें से कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी बढ़ी है, और उनका जीवन बेहतर हुआ है।
लोक सभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी हमारी सहकारी समितियां आज मेक इन इंडिया को साकार कर रही है। सहकारिता सेक्टर हमारे देश का निर्यात बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने की प्रधानमंत्री की पहल की तारीफ करते हुए कहा कि इससे प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही आई है। सहकारिता से आर्थिक परिवर्तन का नया युग शुरू होगा।
उन्होंने सुझाव दिया कि कोऑपरेटिव को राजनीति की बजाए समाज नीति और राष्ट्रनीति का वाहक बनना चाहिए।
उन्होंने इस पर जोर दिया कि सामूहिकता के साथ मिलकर हम इस क्षेत्र में नई तकनीक, अपनी दक्षता और कार्यकुशलता को बेहतर करते हुए ‘सहकार से समृद्धि की ओर बढ़ सकते हैं। यह विचार व्यक्त करते हुए कि हाल में हुए सुधारों ने सहकारिता के क्षेत्र में करप्शन और मिस्मैनिजमेंट का निवारण किया है, लोक सभा अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि सहकारिता आंदोलन आत्मनिर्भर और विकसित भारत के स्वप्न को साकार करेगा।
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उन्होंने कहा, सहकारिता का भाव हमारे राष्ट्र-नायकों की सोच में रहा है। हमारा राष्ट्रीय आंदोलन सहकारिता का एक उत्तम उदाहरण है, जिसमें हर वर्ग, हर समुदाय, हर जाति, क्षेत्र और समूह के व्यक्ति ने भागीदारी की है।
उन्होंने आगे कहा कि इस आंदोलन से किसान और मजदूरों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आया है। पहले जो 16 पर्सेन्ट, 18 पर्सेन्ट पर किसान को ऋण लेना पड़ता था, वही आज देश के कई राज्यों में एक से डेढ़ लाख रुपये का ऋण ज़ीरो पर्सेन्ट ब्याज दर पर सहकारिता के माध्यम से ही मिलना संभव हो पाया है। साथ ही किसानों को सहकारी समितियों से खाद, बीज और उर्वरक सस्ते दर पर मिल पा रहा है।
बिरला ने यह भी कहा कि सहकारी चीनी मिलों की स्थापना से देश में एक आमूलचूल परिवर्तन हुआ, जिससे किसानों को गन्ने का उचित दाम मिलने लगा और गन्ना खरीद की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया तैयार हुई। इस तरह सहकारिता के क्षेत्र ने किसानों के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन लाने का काम किया है। मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी, छोटे, लघु, कुटीर उद्योग, महिला स्वयं सहायता समूह, बुनकर सोसाइटीज़, इन सारे सेक्टरों में सहकारिता के माध्यम से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिला है और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है।
सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर आज मछली पालन करने वाले छोटे किसान भी फिश प्रोसेसिंग, फिश ड्राइंग, फिश स्टोरिंग, फिश स्टोरेज, फिश कैनिंग, फिश ट्रांसपोर्ट जैसे अनेक काम ऑर्गनिज़ड तारीकें से कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी बढ़ी है, और उनका जीवन बेहतर हुआ है।
लोक सभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी हमारी सहकारी समितियां आज मेक इन इंडिया को साकार कर रही है। सहकारिता सेक्टर हमारे देश का निर्यात बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने की प्रधानमंत्री की पहल की तारीफ करते हुए कहा कि इससे प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही आई है। सहकारिता से आर्थिक परिवर्तन का नया युग शुरू होगा।
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उन्होंने इस पर जोर दिया कि सामूहिकता के साथ मिलकर हम इस क्षेत्र में नई तकनीक, अपनी दक्षता और कार्यकुशलता को बेहतर करते हुए ‘सहकार से समृद्धि की ओर बढ़ सकते हैं। यह विचार व्यक्त करते हुए कि हाल में हुए सुधारों ने सहकारिता के क्षेत्र में करप्शन और मिस्मैनिजमेंट का निवारण किया है, लोक सभा अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि सहकारिता आंदोलन आत्मनिर्भर और विकसित भारत के स्वप्न को साकार करेगा।
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उन्होंने कहा, सहकारिता का भाव हमारे राष्ट्र-नायकों की सोच में रहा है। हमारा राष्ट्रीय आंदोलन सहकारिता का एक उत्तम उदाहरण है, जिसमें हर वर्ग, हर समुदाय, हर जाति, क्षेत्र और समूह के व्यक्ति ने भागीदारी की है।
उन्होंने आगे कहा कि इस आंदोलन से किसान और मजदूरों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आया है। पहले जो 16 पर्सेन्ट, 18 पर्सेन्ट पर किसान को ऋण लेना पड़ता था, वही आज देश के कई राज्यों में एक से डेढ़ लाख रुपये का ऋण ज़ीरो पर्सेन्ट ब्याज दर पर सहकारिता के माध्यम से ही मिलना संभव हो पाया है। साथ ही किसानों को सहकारी समितियों से खाद, बीज और उर्वरक सस्ते दर पर मिल पा रहा है।
बिरला ने यह भी कहा कि सहकारी चीनी मिलों की स्थापना से देश में एक आमूलचूल परिवर्तन हुआ, जिससे किसानों को गन्ने का उचित दाम मिलने लगा और गन्ना खरीद की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया तैयार हुई। इस तरह सहकारिता के क्षेत्र ने किसानों के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन लाने का काम किया है। मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी, छोटे, लघु, कुटीर उद्योग, महिला स्वयं सहायता समूह, बुनकर सोसाइटीज़, इन सारे सेक्टरों में सहकारिता के माध्यम से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिला है और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है।
सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर आज मछली पालन करने वाले छोटे किसान भी फिश प्रोसेसिंग, फिश ड्राइंग, फिश स्टोरिंग, फिश स्टोरेज, फिश कैनिंग, फिश ट्रांसपोर्ट जैसे अनेक काम ऑर्गनिज़ड तारीकें से कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी बढ़ी है, और उनका जीवन बेहतर हुआ है।
लोक सभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी हमारी सहकारी समितियां आज मेक इन इंडिया को साकार कर रही है। सहकारिता सेक्टर हमारे देश का निर्यात बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने की प्रधानमंत्री की पहल की तारीफ करते हुए कहा कि इससे प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही आई है। सहकारिता से आर्थिक परिवर्तन का नया युग शुरू होगा।
उन्होंने सुझाव दिया कि कोऑपरेटिव को राजनीति की बजाए समाज नीति और राष्ट्रनीति का वाहक बनना चाहिए।
उन्होंने इस पर जोर दिया कि सामूहिकता के साथ मिलकर हम इस क्षेत्र में नई तकनीक, अपनी दक्षता और कार्यकुशलता को बेहतर करते हुए ‘सहकार से समृद्धि की ओर बढ़ सकते हैं। यह विचार व्यक्त करते हुए कि हाल में हुए सुधारों ने सहकारिता के क्षेत्र में करप्शन और मिस्मैनिजमेंट का निवारण किया है, लोक सभा अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि सहकारिता आंदोलन आत्मनिर्भर और विकसित भारत के स्वप्न को साकार करेगा।