नई दिल्ली, 7 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामले में जेल में बंद मंत्री सत्येंद्र जैन के सह-आरोपी अंकुश और वैभव जैन की दलीलों पर ध्यान देते हुए मामले की अगली सुनवाई 8 फरवरी के लिए सूचीबद्ध कर दी।
अंकुश और वैभव जैन की ओर से पेश वकील सुशील कुमार गुप्ता ने कहा, हमें इसलिए शामिल किया गया है, क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार कंपनी सत्येंद्र जैन की है। हम कह रहे हैं कि यह हमारी कंपनी है, सत्येंद्र जैन की नहीं।
गुप्ता ने सोमवार को कहा था, सत्येंद्र जैन का कंपनी से कोई लेना-देना नहीं है। सभी कंपनियां हमारी हैं। विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने पिछले साल 17 नवंबर को दोनों की जमानत नामंजूर कर दी थी। गुप्ता ने कहा: हम कंपनी में प्रभावी स्थिति में थे। हमने कोलकाता स्थित कंपनियों को पैसा/नकद भेजा था।
उन्होंने तर्क दिया कि वर्तमान मामले में कोई अपराध की आय नहीं है और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की चार्जशीट के अनुसार, यह केवल चेक अवधि के अंत में उत्पन्न होती है। पीएमएलए मामले का पूरा आधार अपराध की आय पर है।
गुप्ता ने आगे तर्क दिया कि वर्तमान मामला आय से अधिक संपत्ति (डीए) मामले का उपयोग करता है, जो एक अवधि-विशिष्ट अपराध है, लेकिन पीएमएलए के तहत अपराध स्थापित करने के लिए, प्रवर्तन निदेशालय को अपराध की आय स्थापित करनी होगी। इससे पहले, सत्येंद्र जैन के वकील एन. हरिहरन ने पूछा था कि वर्तमान मामले में मंत्री कैसे शामिल है और वह इससे कैसे संबंधित है क्योंकि पैसा अंकुश और वैभव जैन का था, जो बिना किसी प्रीमियम के उनके खाते में वापस आ गया।
–आईएएनएस
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