पाटन, देशबन्धु. नगर की सड़क एवं सार्वजनिक स्थानो पर बैठकर युवक रोजाना शराब के जाम छलका रहे है जिससे नगर का वातावरण दूषित हो रहा है. वही स्कूली बच्चों पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है. नगर का बस स्टैंड एवं शहपुरा रोड़ पर नशेड़ियों की वजह से आमजन आवागमन करने से कतराने लगे हैं. इस विकराल समस्या पर पाटन पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर रही है जिससे नशा करने वालों के हौसले इस वक्त बुलंद हैं. बताया जाता है कि पाटन थाने के सामने ही नगर का बस स्टैंड है वही से चंद मीटर की दूरी पर थाना है लेकिन शाम होते-होते शराब दुकान के सामने एवं बाजू से ही शराब प्रेमियों के द्वारा मुख्य सड़क के किनारे जाम मंदिरा प्रेमी छलकाना शुरू कर देते है और यह सिलसिला देर रात तक यूं ही चलता रहता है.
आबकारी विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक शराब दुकान स्टेट हाईवे से 100 मीटर की दूरी पर ही संचालित की जा सकती है एवं दुकान खुलने का समय सुबह 9:30 का होता है जिसमें 9:30 से लेकर 10:30 बजे तक मदिरा दुकान से शराब विक्रय प्रतिबंधित रहता है क्योंकि विभाग ने ये समय दुकान का लेखा-जोखा और स्टॉक की जांच करने के लिए निर्धारित कर रखा है. नियमानुसार शराब ठेकेदार सुबह 10:30 बजे से ही शराब विक्रय शुरू कर सकता है. आबकारी विभाग एवं पाटन पुलिस की शराब दुकानों से हफ्ता वसूली के कारण ही शराब ठेकेदार नियम कायदों को धता बताकर शराब के ठेके सुबह 7 बजे से ही खोल देता है और बिना रोक टोक के देर रात तक यूं ही शराब के ठेके संचालित करता रहता है जिस पर जिम्मेदारों ने अपनी चुप्पी साध रखी है.
पेट्रोलिंग के नाम पर पुलिस की अवैध वसूली
बताया जा रहा है कि पाटन थाना क्षेत्र के नगर एवं ग्रामीण इलाकों में नशे के अनैतिक कार्यों में लिप्त माफियाओं से हफ्ता वसूली करके उनको वर्षो से पाटन थाने में जमे पुलिस के अंगदो द्वारा ही संरक्षण दिया जा रहा है. जिसकी वजह से आम नागरिकों का सड़कों पर चलना दूभर हो गया है. जानकार बताते है कि शासन के नियमानुसार 3 वर्षी में पुलिस कर्मियों का स्थानांतरण ग्रह विभाग इसलिए करता है जिससे ये पोस्टिंग वाले स्थान पर अवैध गतिविधियों में लिप्त माफियाओं से दोस्ताना कायम न कर सके. लेकिन पाटन थाने में कई पुलिस कर्मी तो 5 साल से लेकर 10 और 15 साल से ही थाने में जमे हैं और पुलिस के आला अधिकारियों के लिए जमकर अवैध वसूली कर रहे हैं.
जिसकी वजह से इनका ट्रांसफर करने में ग्रह विभाग के आला अधिकारियों का भी पसीना छूट रहा हैं. और आम नागरिकों का सड़कों पर चलना मुश्किल हो रहा है. पुलिस अधीक्षक महोदय की आखिर कोन सी ऐसी मजबूरी है जिसकी वजह से वर्षो से पाटन थाने में जमे पुलिस कर्मियों को आम नागरिकों की सुरक्षा एवं उनके जान माल की सुरक्षा को देखते हुए जिले से बाहर स्थानांतरण करने में परेशानी हो रही है. अब देखना होगा वर्षो से पाटन थाने में जमे पुलिस कर्मियों पर ट्रांसफर का चाबुक कब तक चलता है.