नई दिल्ली, 26 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर भारत में इस साल सावन के महीने की शुरुआत 22 जुलाई से हो चुकी है। यह महीना हिंदू-रीति रिवाजों के हिसाब से काफी महत्व रखता है। ऐसे में लोग अपने दैनिक जीवन में की जा रही गतिविधियों में काफी बदलाव करते हैं। इसमें लोग रहन-सहन से लेकर अपने खाने-पीने का भी पूरा ध्यान रखते हैं।
सावन का महीना शिव भक्तों के लिए भी खास है। ऐसे में भक्त भक्ति के अलावा इन दिनों में क्या करना चहिए, क्या नहीं, इसका भी विशेष रूप से ध्यान रखते हैं।
आपने कई बडे़-बुजुर्गों को अक्सर यह कहते हुए जरूर सुना होगा कि सावन का महीना लग गया है, इसमें यह करें, यह न करें। यहां आपको बता दें कि सावन के महीने में कहा जाता है कि आपको दही और साग से परहेज करना चहिए। इन चीजों के पीछे धार्मिक कारण होने के साथ कई वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण भी हैं, जिनकी वजह से इन चीजों को खाने के लिए मना किया जाता है।
इसके पीछे के अगर धार्मिक कारणों की बात की जाए तो सावन के महीने में लोगों को सात्विक भोजन ही करना चहिए। इससे शरीर तो शुद्ध होता ही है, साथ में आध्यात्मिकता की ओर हमारा ध्यान बढ़ता है। दही और साग हमारी सेहत के लिए चाहे बेशक अच्छे होते हो, लेकिन इन्हें बनाने के तरीके के कारण ये सात्विक भोजन में नहीं गिने जाते। एक मान्यता यह भी है कि सावन के महीने में भगवान शिव पर दूध, दही चढ़ाया जाता है। ऐसे में इस तरह की चीजों को खाने की मनाही होती है। वहीं, इसमें कई पुजारियों का कहना है कि हम जो चीजें भगवान शिव को अर्पित करते हैं, उन्हें भोजन में शामिल करना गलत है।
अगर इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो यह माह शुरू होते ही बरसात का मौसम शुरू हो जाता है। ऐसे में पर्यावरण में जीव-जंतु, कीटाणु और विषाणु पनपते हैं। ऐसे में पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने से भी बचना चहिए।
हम सभी अच्छी तरह से इस बात को जानते हैं कि दही बैक्टीरिया से तैयार होता है। ऐसे में इसे खाने से आप कई तरह की बीमारियों से घिर सकते हैं। इसी वजह से डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि इस मौसम में दही और उससे बनी चीजों से परहेज करें।
अगर आयुर्वेद की बात करें तो तामसिक भोजन इन दिनों में सुस्ती पैदा कर सकता है, जिस कारण आपको नींद आती है, और आपका आध्यात्मिक अभ्यास बाधित होता है।
दिल्ली के ईएसआईसी (इंदिरा गांधी) अस्पताल झिलमिल के सीनियर रेजिडेंट डॉ. युगम प्रसाद शांडिल्य ने आईएएनएस को बताया, ”सावन के महीने में मौसम में काफी नमी रहती है, जिससे कान और गले में इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। ऐसे में हम लोगों को दही खाने के लिए मना करते हैं।”
डॉक्टर ने बताया कि ऐसे में लोगों को गले में खराश के साथ कफ की समस्या भी पैदा हो सकती है। इसलिए इस मौसम में सभी आयु वर्ग के लोगों के साथ खासकर बच्चों को दही का सेवन करने से बचना चहिए।
–आईएएनएस
एमकेएस/एबीएम
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नई दिल्ली, 26 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर भारत में इस साल सावन के महीने की शुरुआत 22 जुलाई से हो चुकी है। यह महीना हिंदू-रीति रिवाजों के हिसाब से काफी महत्व रखता है। ऐसे में लोग अपने दैनिक जीवन में की जा रही गतिविधियों में काफी बदलाव करते हैं। इसमें लोग रहन-सहन से लेकर अपने खाने-पीने का भी पूरा ध्यान रखते हैं।
सावन का महीना शिव भक्तों के लिए भी खास है। ऐसे में भक्त भक्ति के अलावा इन दिनों में क्या करना चहिए, क्या नहीं, इसका भी विशेष रूप से ध्यान रखते हैं।
आपने कई बडे़-बुजुर्गों को अक्सर यह कहते हुए जरूर सुना होगा कि सावन का महीना लग गया है, इसमें यह करें, यह न करें। यहां आपको बता दें कि सावन के महीने में कहा जाता है कि आपको दही और साग से परहेज करना चहिए। इन चीजों के पीछे धार्मिक कारण होने के साथ कई वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण भी हैं, जिनकी वजह से इन चीजों को खाने के लिए मना किया जाता है।
इसके पीछे के अगर धार्मिक कारणों की बात की जाए तो सावन के महीने में लोगों को सात्विक भोजन ही करना चहिए। इससे शरीर तो शुद्ध होता ही है, साथ में आध्यात्मिकता की ओर हमारा ध्यान बढ़ता है। दही और साग हमारी सेहत के लिए चाहे बेशक अच्छे होते हो, लेकिन इन्हें बनाने के तरीके के कारण ये सात्विक भोजन में नहीं गिने जाते। एक मान्यता यह भी है कि सावन के महीने में भगवान शिव पर दूध, दही चढ़ाया जाता है। ऐसे में इस तरह की चीजों को खाने की मनाही होती है। वहीं, इसमें कई पुजारियों का कहना है कि हम जो चीजें भगवान शिव को अर्पित करते हैं, उन्हें भोजन में शामिल करना गलत है।
अगर इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो यह माह शुरू होते ही बरसात का मौसम शुरू हो जाता है। ऐसे में पर्यावरण में जीव-जंतु, कीटाणु और विषाणु पनपते हैं। ऐसे में पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने से भी बचना चहिए।
हम सभी अच्छी तरह से इस बात को जानते हैं कि दही बैक्टीरिया से तैयार होता है। ऐसे में इसे खाने से आप कई तरह की बीमारियों से घिर सकते हैं। इसी वजह से डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि इस मौसम में दही और उससे बनी चीजों से परहेज करें।
अगर आयुर्वेद की बात करें तो तामसिक भोजन इन दिनों में सुस्ती पैदा कर सकता है, जिस कारण आपको नींद आती है, और आपका आध्यात्मिक अभ्यास बाधित होता है।
दिल्ली के ईएसआईसी (इंदिरा गांधी) अस्पताल झिलमिल के सीनियर रेजिडेंट डॉ. युगम प्रसाद शांडिल्य ने आईएएनएस को बताया, ”सावन के महीने में मौसम में काफी नमी रहती है, जिससे कान और गले में इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। ऐसे में हम लोगों को दही खाने के लिए मना करते हैं।”
डॉक्टर ने बताया कि ऐसे में लोगों को गले में खराश के साथ कफ की समस्या भी पैदा हो सकती है। इसलिए इस मौसम में सभी आयु वर्ग के लोगों के साथ खासकर बच्चों को दही का सेवन करने से बचना चहिए।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 26 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर भारत में इस साल सावन के महीने की शुरुआत 22 जुलाई से हो चुकी है। यह महीना हिंदू-रीति रिवाजों के हिसाब से काफी महत्व रखता है। ऐसे में लोग अपने दैनिक जीवन में की जा रही गतिविधियों में काफी बदलाव करते हैं। इसमें लोग रहन-सहन से लेकर अपने खाने-पीने का भी पूरा ध्यान रखते हैं।
सावन का महीना शिव भक्तों के लिए भी खास है। ऐसे में भक्त भक्ति के अलावा इन दिनों में क्या करना चहिए, क्या नहीं, इसका भी विशेष रूप से ध्यान रखते हैं।
आपने कई बडे़-बुजुर्गों को अक्सर यह कहते हुए जरूर सुना होगा कि सावन का महीना लग गया है, इसमें यह करें, यह न करें। यहां आपको बता दें कि सावन के महीने में कहा जाता है कि आपको दही और साग से परहेज करना चहिए। इन चीजों के पीछे धार्मिक कारण होने के साथ कई वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण भी हैं, जिनकी वजह से इन चीजों को खाने के लिए मना किया जाता है।
इसके पीछे के अगर धार्मिक कारणों की बात की जाए तो सावन के महीने में लोगों को सात्विक भोजन ही करना चहिए। इससे शरीर तो शुद्ध होता ही है, साथ में आध्यात्मिकता की ओर हमारा ध्यान बढ़ता है। दही और साग हमारी सेहत के लिए चाहे बेशक अच्छे होते हो, लेकिन इन्हें बनाने के तरीके के कारण ये सात्विक भोजन में नहीं गिने जाते। एक मान्यता यह भी है कि सावन के महीने में भगवान शिव पर दूध, दही चढ़ाया जाता है। ऐसे में इस तरह की चीजों को खाने की मनाही होती है। वहीं, इसमें कई पुजारियों का कहना है कि हम जो चीजें भगवान शिव को अर्पित करते हैं, उन्हें भोजन में शामिल करना गलत है।
अगर इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो यह माह शुरू होते ही बरसात का मौसम शुरू हो जाता है। ऐसे में पर्यावरण में जीव-जंतु, कीटाणु और विषाणु पनपते हैं। ऐसे में पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने से भी बचना चहिए।
हम सभी अच्छी तरह से इस बात को जानते हैं कि दही बैक्टीरिया से तैयार होता है। ऐसे में इसे खाने से आप कई तरह की बीमारियों से घिर सकते हैं। इसी वजह से डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि इस मौसम में दही और उससे बनी चीजों से परहेज करें।
अगर आयुर्वेद की बात करें तो तामसिक भोजन इन दिनों में सुस्ती पैदा कर सकता है, जिस कारण आपको नींद आती है, और आपका आध्यात्मिक अभ्यास बाधित होता है।
दिल्ली के ईएसआईसी (इंदिरा गांधी) अस्पताल झिलमिल के सीनियर रेजिडेंट डॉ. युगम प्रसाद शांडिल्य ने आईएएनएस को बताया, ”सावन के महीने में मौसम में काफी नमी रहती है, जिससे कान और गले में इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। ऐसे में हम लोगों को दही खाने के लिए मना करते हैं।”
डॉक्टर ने बताया कि ऐसे में लोगों को गले में खराश के साथ कफ की समस्या भी पैदा हो सकती है। इसलिए इस मौसम में सभी आयु वर्ग के लोगों के साथ खासकर बच्चों को दही का सेवन करने से बचना चहिए।
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नई दिल्ली, 26 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर भारत में इस साल सावन के महीने की शुरुआत 22 जुलाई से हो चुकी है। यह महीना हिंदू-रीति रिवाजों के हिसाब से काफी महत्व रखता है। ऐसे में लोग अपने दैनिक जीवन में की जा रही गतिविधियों में काफी बदलाव करते हैं। इसमें लोग रहन-सहन से लेकर अपने खाने-पीने का भी पूरा ध्यान रखते हैं।
सावन का महीना शिव भक्तों के लिए भी खास है। ऐसे में भक्त भक्ति के अलावा इन दिनों में क्या करना चहिए, क्या नहीं, इसका भी विशेष रूप से ध्यान रखते हैं।
आपने कई बडे़-बुजुर्गों को अक्सर यह कहते हुए जरूर सुना होगा कि सावन का महीना लग गया है, इसमें यह करें, यह न करें। यहां आपको बता दें कि सावन के महीने में कहा जाता है कि आपको दही और साग से परहेज करना चहिए। इन चीजों के पीछे धार्मिक कारण होने के साथ कई वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण भी हैं, जिनकी वजह से इन चीजों को खाने के लिए मना किया जाता है।
इसके पीछे के अगर धार्मिक कारणों की बात की जाए तो सावन के महीने में लोगों को सात्विक भोजन ही करना चहिए। इससे शरीर तो शुद्ध होता ही है, साथ में आध्यात्मिकता की ओर हमारा ध्यान बढ़ता है। दही और साग हमारी सेहत के लिए चाहे बेशक अच्छे होते हो, लेकिन इन्हें बनाने के तरीके के कारण ये सात्विक भोजन में नहीं गिने जाते। एक मान्यता यह भी है कि सावन के महीने में भगवान शिव पर दूध, दही चढ़ाया जाता है। ऐसे में इस तरह की चीजों को खाने की मनाही होती है। वहीं, इसमें कई पुजारियों का कहना है कि हम जो चीजें भगवान शिव को अर्पित करते हैं, उन्हें भोजन में शामिल करना गलत है।
अगर इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो यह माह शुरू होते ही बरसात का मौसम शुरू हो जाता है। ऐसे में पर्यावरण में जीव-जंतु, कीटाणु और विषाणु पनपते हैं। ऐसे में पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने से भी बचना चहिए।
हम सभी अच्छी तरह से इस बात को जानते हैं कि दही बैक्टीरिया से तैयार होता है। ऐसे में इसे खाने से आप कई तरह की बीमारियों से घिर सकते हैं। इसी वजह से डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि इस मौसम में दही और उससे बनी चीजों से परहेज करें।
अगर आयुर्वेद की बात करें तो तामसिक भोजन इन दिनों में सुस्ती पैदा कर सकता है, जिस कारण आपको नींद आती है, और आपका आध्यात्मिक अभ्यास बाधित होता है।
दिल्ली के ईएसआईसी (इंदिरा गांधी) अस्पताल झिलमिल के सीनियर रेजिडेंट डॉ. युगम प्रसाद शांडिल्य ने आईएएनएस को बताया, ”सावन के महीने में मौसम में काफी नमी रहती है, जिससे कान और गले में इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। ऐसे में हम लोगों को दही खाने के लिए मना करते हैं।”
डॉक्टर ने बताया कि ऐसे में लोगों को गले में खराश के साथ कफ की समस्या भी पैदा हो सकती है। इसलिए इस मौसम में सभी आयु वर्ग के लोगों के साथ खासकर बच्चों को दही का सेवन करने से बचना चहिए।
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नई दिल्ली, 26 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर भारत में इस साल सावन के महीने की शुरुआत 22 जुलाई से हो चुकी है। यह महीना हिंदू-रीति रिवाजों के हिसाब से काफी महत्व रखता है। ऐसे में लोग अपने दैनिक जीवन में की जा रही गतिविधियों में काफी बदलाव करते हैं। इसमें लोग रहन-सहन से लेकर अपने खाने-पीने का भी पूरा ध्यान रखते हैं।
सावन का महीना शिव भक्तों के लिए भी खास है। ऐसे में भक्त भक्ति के अलावा इन दिनों में क्या करना चहिए, क्या नहीं, इसका भी विशेष रूप से ध्यान रखते हैं।
आपने कई बडे़-बुजुर्गों को अक्सर यह कहते हुए जरूर सुना होगा कि सावन का महीना लग गया है, इसमें यह करें, यह न करें। यहां आपको बता दें कि सावन के महीने में कहा जाता है कि आपको दही और साग से परहेज करना चहिए। इन चीजों के पीछे धार्मिक कारण होने के साथ कई वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण भी हैं, जिनकी वजह से इन चीजों को खाने के लिए मना किया जाता है।
इसके पीछे के अगर धार्मिक कारणों की बात की जाए तो सावन के महीने में लोगों को सात्विक भोजन ही करना चहिए। इससे शरीर तो शुद्ध होता ही है, साथ में आध्यात्मिकता की ओर हमारा ध्यान बढ़ता है। दही और साग हमारी सेहत के लिए चाहे बेशक अच्छे होते हो, लेकिन इन्हें बनाने के तरीके के कारण ये सात्विक भोजन में नहीं गिने जाते। एक मान्यता यह भी है कि सावन के महीने में भगवान शिव पर दूध, दही चढ़ाया जाता है। ऐसे में इस तरह की चीजों को खाने की मनाही होती है। वहीं, इसमें कई पुजारियों का कहना है कि हम जो चीजें भगवान शिव को अर्पित करते हैं, उन्हें भोजन में शामिल करना गलत है।
अगर इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो यह माह शुरू होते ही बरसात का मौसम शुरू हो जाता है। ऐसे में पर्यावरण में जीव-जंतु, कीटाणु और विषाणु पनपते हैं। ऐसे में पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने से भी बचना चहिए।
हम सभी अच्छी तरह से इस बात को जानते हैं कि दही बैक्टीरिया से तैयार होता है। ऐसे में इसे खाने से आप कई तरह की बीमारियों से घिर सकते हैं। इसी वजह से डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि इस मौसम में दही और उससे बनी चीजों से परहेज करें।
अगर आयुर्वेद की बात करें तो तामसिक भोजन इन दिनों में सुस्ती पैदा कर सकता है, जिस कारण आपको नींद आती है, और आपका आध्यात्मिक अभ्यास बाधित होता है।
दिल्ली के ईएसआईसी (इंदिरा गांधी) अस्पताल झिलमिल के सीनियर रेजिडेंट डॉ. युगम प्रसाद शांडिल्य ने आईएएनएस को बताया, ”सावन के महीने में मौसम में काफी नमी रहती है, जिससे कान और गले में इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। ऐसे में हम लोगों को दही खाने के लिए मना करते हैं।”
डॉक्टर ने बताया कि ऐसे में लोगों को गले में खराश के साथ कफ की समस्या भी पैदा हो सकती है। इसलिए इस मौसम में सभी आयु वर्ग के लोगों के साथ खासकर बच्चों को दही का सेवन करने से बचना चहिए।
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नई दिल्ली, 26 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर भारत में इस साल सावन के महीने की शुरुआत 22 जुलाई से हो चुकी है। यह महीना हिंदू-रीति रिवाजों के हिसाब से काफी महत्व रखता है। ऐसे में लोग अपने दैनिक जीवन में की जा रही गतिविधियों में काफी बदलाव करते हैं। इसमें लोग रहन-सहन से लेकर अपने खाने-पीने का भी पूरा ध्यान रखते हैं।
सावन का महीना शिव भक्तों के लिए भी खास है। ऐसे में भक्त भक्ति के अलावा इन दिनों में क्या करना चहिए, क्या नहीं, इसका भी विशेष रूप से ध्यान रखते हैं।
आपने कई बडे़-बुजुर्गों को अक्सर यह कहते हुए जरूर सुना होगा कि सावन का महीना लग गया है, इसमें यह करें, यह न करें। यहां आपको बता दें कि सावन के महीने में कहा जाता है कि आपको दही और साग से परहेज करना चहिए। इन चीजों के पीछे धार्मिक कारण होने के साथ कई वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण भी हैं, जिनकी वजह से इन चीजों को खाने के लिए मना किया जाता है।
इसके पीछे के अगर धार्मिक कारणों की बात की जाए तो सावन के महीने में लोगों को सात्विक भोजन ही करना चहिए। इससे शरीर तो शुद्ध होता ही है, साथ में आध्यात्मिकता की ओर हमारा ध्यान बढ़ता है। दही और साग हमारी सेहत के लिए चाहे बेशक अच्छे होते हो, लेकिन इन्हें बनाने के तरीके के कारण ये सात्विक भोजन में नहीं गिने जाते। एक मान्यता यह भी है कि सावन के महीने में भगवान शिव पर दूध, दही चढ़ाया जाता है। ऐसे में इस तरह की चीजों को खाने की मनाही होती है। वहीं, इसमें कई पुजारियों का कहना है कि हम जो चीजें भगवान शिव को अर्पित करते हैं, उन्हें भोजन में शामिल करना गलत है।
अगर इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो यह माह शुरू होते ही बरसात का मौसम शुरू हो जाता है। ऐसे में पर्यावरण में जीव-जंतु, कीटाणु और विषाणु पनपते हैं। ऐसे में पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने से भी बचना चहिए।
हम सभी अच्छी तरह से इस बात को जानते हैं कि दही बैक्टीरिया से तैयार होता है। ऐसे में इसे खाने से आप कई तरह की बीमारियों से घिर सकते हैं। इसी वजह से डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि इस मौसम में दही और उससे बनी चीजों से परहेज करें।
अगर आयुर्वेद की बात करें तो तामसिक भोजन इन दिनों में सुस्ती पैदा कर सकता है, जिस कारण आपको नींद आती है, और आपका आध्यात्मिक अभ्यास बाधित होता है।
दिल्ली के ईएसआईसी (इंदिरा गांधी) अस्पताल झिलमिल के सीनियर रेजिडेंट डॉ. युगम प्रसाद शांडिल्य ने आईएएनएस को बताया, ”सावन के महीने में मौसम में काफी नमी रहती है, जिससे कान और गले में इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। ऐसे में हम लोगों को दही खाने के लिए मना करते हैं।”
डॉक्टर ने बताया कि ऐसे में लोगों को गले में खराश के साथ कफ की समस्या भी पैदा हो सकती है। इसलिए इस मौसम में सभी आयु वर्ग के लोगों के साथ खासकर बच्चों को दही का सेवन करने से बचना चहिए।
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नई दिल्ली, 26 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर भारत में इस साल सावन के महीने की शुरुआत 22 जुलाई से हो चुकी है। यह महीना हिंदू-रीति रिवाजों के हिसाब से काफी महत्व रखता है। ऐसे में लोग अपने दैनिक जीवन में की जा रही गतिविधियों में काफी बदलाव करते हैं। इसमें लोग रहन-सहन से लेकर अपने खाने-पीने का भी पूरा ध्यान रखते हैं।
सावन का महीना शिव भक्तों के लिए भी खास है। ऐसे में भक्त भक्ति के अलावा इन दिनों में क्या करना चहिए, क्या नहीं, इसका भी विशेष रूप से ध्यान रखते हैं।
आपने कई बडे़-बुजुर्गों को अक्सर यह कहते हुए जरूर सुना होगा कि सावन का महीना लग गया है, इसमें यह करें, यह न करें। यहां आपको बता दें कि सावन के महीने में कहा जाता है कि आपको दही और साग से परहेज करना चहिए। इन चीजों के पीछे धार्मिक कारण होने के साथ कई वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण भी हैं, जिनकी वजह से इन चीजों को खाने के लिए मना किया जाता है।
इसके पीछे के अगर धार्मिक कारणों की बात की जाए तो सावन के महीने में लोगों को सात्विक भोजन ही करना चहिए। इससे शरीर तो शुद्ध होता ही है, साथ में आध्यात्मिकता की ओर हमारा ध्यान बढ़ता है। दही और साग हमारी सेहत के लिए चाहे बेशक अच्छे होते हो, लेकिन इन्हें बनाने के तरीके के कारण ये सात्विक भोजन में नहीं गिने जाते। एक मान्यता यह भी है कि सावन के महीने में भगवान शिव पर दूध, दही चढ़ाया जाता है। ऐसे में इस तरह की चीजों को खाने की मनाही होती है। वहीं, इसमें कई पुजारियों का कहना है कि हम जो चीजें भगवान शिव को अर्पित करते हैं, उन्हें भोजन में शामिल करना गलत है।
अगर इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो यह माह शुरू होते ही बरसात का मौसम शुरू हो जाता है। ऐसे में पर्यावरण में जीव-जंतु, कीटाणु और विषाणु पनपते हैं। ऐसे में पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने से भी बचना चहिए।
हम सभी अच्छी तरह से इस बात को जानते हैं कि दही बैक्टीरिया से तैयार होता है। ऐसे में इसे खाने से आप कई तरह की बीमारियों से घिर सकते हैं। इसी वजह से डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि इस मौसम में दही और उससे बनी चीजों से परहेज करें।
अगर आयुर्वेद की बात करें तो तामसिक भोजन इन दिनों में सुस्ती पैदा कर सकता है, जिस कारण आपको नींद आती है, और आपका आध्यात्मिक अभ्यास बाधित होता है।
दिल्ली के ईएसआईसी (इंदिरा गांधी) अस्पताल झिलमिल के सीनियर रेजिडेंट डॉ. युगम प्रसाद शांडिल्य ने आईएएनएस को बताया, ”सावन के महीने में मौसम में काफी नमी रहती है, जिससे कान और गले में इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। ऐसे में हम लोगों को दही खाने के लिए मना करते हैं।”
डॉक्टर ने बताया कि ऐसे में लोगों को गले में खराश के साथ कफ की समस्या भी पैदा हो सकती है। इसलिए इस मौसम में सभी आयु वर्ग के लोगों के साथ खासकर बच्चों को दही का सेवन करने से बचना चहिए।
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नई दिल्ली, 26 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर भारत में इस साल सावन के महीने की शुरुआत 22 जुलाई से हो चुकी है। यह महीना हिंदू-रीति रिवाजों के हिसाब से काफी महत्व रखता है। ऐसे में लोग अपने दैनिक जीवन में की जा रही गतिविधियों में काफी बदलाव करते हैं। इसमें लोग रहन-सहन से लेकर अपने खाने-पीने का भी पूरा ध्यान रखते हैं।
सावन का महीना शिव भक्तों के लिए भी खास है। ऐसे में भक्त भक्ति के अलावा इन दिनों में क्या करना चहिए, क्या नहीं, इसका भी विशेष रूप से ध्यान रखते हैं।
आपने कई बडे़-बुजुर्गों को अक्सर यह कहते हुए जरूर सुना होगा कि सावन का महीना लग गया है, इसमें यह करें, यह न करें। यहां आपको बता दें कि सावन के महीने में कहा जाता है कि आपको दही और साग से परहेज करना चहिए। इन चीजों के पीछे धार्मिक कारण होने के साथ कई वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण भी हैं, जिनकी वजह से इन चीजों को खाने के लिए मना किया जाता है।
इसके पीछे के अगर धार्मिक कारणों की बात की जाए तो सावन के महीने में लोगों को सात्विक भोजन ही करना चहिए। इससे शरीर तो शुद्ध होता ही है, साथ में आध्यात्मिकता की ओर हमारा ध्यान बढ़ता है। दही और साग हमारी सेहत के लिए चाहे बेशक अच्छे होते हो, लेकिन इन्हें बनाने के तरीके के कारण ये सात्विक भोजन में नहीं गिने जाते। एक मान्यता यह भी है कि सावन के महीने में भगवान शिव पर दूध, दही चढ़ाया जाता है। ऐसे में इस तरह की चीजों को खाने की मनाही होती है। वहीं, इसमें कई पुजारियों का कहना है कि हम जो चीजें भगवान शिव को अर्पित करते हैं, उन्हें भोजन में शामिल करना गलत है।
अगर इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो यह माह शुरू होते ही बरसात का मौसम शुरू हो जाता है। ऐसे में पर्यावरण में जीव-जंतु, कीटाणु और विषाणु पनपते हैं। ऐसे में पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने से भी बचना चहिए।
हम सभी अच्छी तरह से इस बात को जानते हैं कि दही बैक्टीरिया से तैयार होता है। ऐसे में इसे खाने से आप कई तरह की बीमारियों से घिर सकते हैं। इसी वजह से डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि इस मौसम में दही और उससे बनी चीजों से परहेज करें।
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दिल्ली के ईएसआईसी (इंदिरा गांधी) अस्पताल झिलमिल के सीनियर रेजिडेंट डॉ. युगम प्रसाद शांडिल्य ने आईएएनएस को बताया, ”सावन के महीने में मौसम में काफी नमी रहती है, जिससे कान और गले में इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। ऐसे में हम लोगों को दही खाने के लिए मना करते हैं।”
डॉक्टर ने बताया कि ऐसे में लोगों को गले में खराश के साथ कफ की समस्या भी पैदा हो सकती है। इसलिए इस मौसम में सभी आयु वर्ग के लोगों के साथ खासकर बच्चों को दही का सेवन करने से बचना चहिए।
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नई दिल्ली, 26 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर भारत में इस साल सावन के महीने की शुरुआत 22 जुलाई से हो चुकी है। यह महीना हिंदू-रीति रिवाजों के हिसाब से काफी महत्व रखता है। ऐसे में लोग अपने दैनिक जीवन में की जा रही गतिविधियों में काफी बदलाव करते हैं। इसमें लोग रहन-सहन से लेकर अपने खाने-पीने का भी पूरा ध्यान रखते हैं।
सावन का महीना शिव भक्तों के लिए भी खास है। ऐसे में भक्त भक्ति के अलावा इन दिनों में क्या करना चहिए, क्या नहीं, इसका भी विशेष रूप से ध्यान रखते हैं।
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इसके पीछे के अगर धार्मिक कारणों की बात की जाए तो सावन के महीने में लोगों को सात्विक भोजन ही करना चहिए। इससे शरीर तो शुद्ध होता ही है, साथ में आध्यात्मिकता की ओर हमारा ध्यान बढ़ता है। दही और साग हमारी सेहत के लिए चाहे बेशक अच्छे होते हो, लेकिन इन्हें बनाने के तरीके के कारण ये सात्विक भोजन में नहीं गिने जाते। एक मान्यता यह भी है कि सावन के महीने में भगवान शिव पर दूध, दही चढ़ाया जाता है। ऐसे में इस तरह की चीजों को खाने की मनाही होती है। वहीं, इसमें कई पुजारियों का कहना है कि हम जो चीजें भगवान शिव को अर्पित करते हैं, उन्हें भोजन में शामिल करना गलत है।
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डॉक्टर ने बताया कि ऐसे में लोगों को गले में खराश के साथ कफ की समस्या भी पैदा हो सकती है। इसलिए इस मौसम में सभी आयु वर्ग के लोगों के साथ खासकर बच्चों को दही का सेवन करने से बचना चहिए।
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नई दिल्ली, 26 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर भारत में इस साल सावन के महीने की शुरुआत 22 जुलाई से हो चुकी है। यह महीना हिंदू-रीति रिवाजों के हिसाब से काफी महत्व रखता है। ऐसे में लोग अपने दैनिक जीवन में की जा रही गतिविधियों में काफी बदलाव करते हैं। इसमें लोग रहन-सहन से लेकर अपने खाने-पीने का भी पूरा ध्यान रखते हैं।
सावन का महीना शिव भक्तों के लिए भी खास है। ऐसे में भक्त भक्ति के अलावा इन दिनों में क्या करना चहिए, क्या नहीं, इसका भी विशेष रूप से ध्यान रखते हैं।
आपने कई बडे़-बुजुर्गों को अक्सर यह कहते हुए जरूर सुना होगा कि सावन का महीना लग गया है, इसमें यह करें, यह न करें। यहां आपको बता दें कि सावन के महीने में कहा जाता है कि आपको दही और साग से परहेज करना चहिए। इन चीजों के पीछे धार्मिक कारण होने के साथ कई वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण भी हैं, जिनकी वजह से इन चीजों को खाने के लिए मना किया जाता है।
इसके पीछे के अगर धार्मिक कारणों की बात की जाए तो सावन के महीने में लोगों को सात्विक भोजन ही करना चहिए। इससे शरीर तो शुद्ध होता ही है, साथ में आध्यात्मिकता की ओर हमारा ध्यान बढ़ता है। दही और साग हमारी सेहत के लिए चाहे बेशक अच्छे होते हो, लेकिन इन्हें बनाने के तरीके के कारण ये सात्विक भोजन में नहीं गिने जाते। एक मान्यता यह भी है कि सावन के महीने में भगवान शिव पर दूध, दही चढ़ाया जाता है। ऐसे में इस तरह की चीजों को खाने की मनाही होती है। वहीं, इसमें कई पुजारियों का कहना है कि हम जो चीजें भगवान शिव को अर्पित करते हैं, उन्हें भोजन में शामिल करना गलत है।
अगर इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो यह माह शुरू होते ही बरसात का मौसम शुरू हो जाता है। ऐसे में पर्यावरण में जीव-जंतु, कीटाणु और विषाणु पनपते हैं। ऐसे में पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने से भी बचना चहिए।
हम सभी अच्छी तरह से इस बात को जानते हैं कि दही बैक्टीरिया से तैयार होता है। ऐसे में इसे खाने से आप कई तरह की बीमारियों से घिर सकते हैं। इसी वजह से डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि इस मौसम में दही और उससे बनी चीजों से परहेज करें।
अगर आयुर्वेद की बात करें तो तामसिक भोजन इन दिनों में सुस्ती पैदा कर सकता है, जिस कारण आपको नींद आती है, और आपका आध्यात्मिक अभ्यास बाधित होता है।
दिल्ली के ईएसआईसी (इंदिरा गांधी) अस्पताल झिलमिल के सीनियर रेजिडेंट डॉ. युगम प्रसाद शांडिल्य ने आईएएनएस को बताया, ”सावन के महीने में मौसम में काफी नमी रहती है, जिससे कान और गले में इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। ऐसे में हम लोगों को दही खाने के लिए मना करते हैं।”
डॉक्टर ने बताया कि ऐसे में लोगों को गले में खराश के साथ कफ की समस्या भी पैदा हो सकती है। इसलिए इस मौसम में सभी आयु वर्ग के लोगों के साथ खासकर बच्चों को दही का सेवन करने से बचना चहिए।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 26 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर भारत में इस साल सावन के महीने की शुरुआत 22 जुलाई से हो चुकी है। यह महीना हिंदू-रीति रिवाजों के हिसाब से काफी महत्व रखता है। ऐसे में लोग अपने दैनिक जीवन में की जा रही गतिविधियों में काफी बदलाव करते हैं। इसमें लोग रहन-सहन से लेकर अपने खाने-पीने का भी पूरा ध्यान रखते हैं।
सावन का महीना शिव भक्तों के लिए भी खास है। ऐसे में भक्त भक्ति के अलावा इन दिनों में क्या करना चहिए, क्या नहीं, इसका भी विशेष रूप से ध्यान रखते हैं।
आपने कई बडे़-बुजुर्गों को अक्सर यह कहते हुए जरूर सुना होगा कि सावन का महीना लग गया है, इसमें यह करें, यह न करें। यहां आपको बता दें कि सावन के महीने में कहा जाता है कि आपको दही और साग से परहेज करना चहिए। इन चीजों के पीछे धार्मिक कारण होने के साथ कई वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण भी हैं, जिनकी वजह से इन चीजों को खाने के लिए मना किया जाता है।
इसके पीछे के अगर धार्मिक कारणों की बात की जाए तो सावन के महीने में लोगों को सात्विक भोजन ही करना चहिए। इससे शरीर तो शुद्ध होता ही है, साथ में आध्यात्मिकता की ओर हमारा ध्यान बढ़ता है। दही और साग हमारी सेहत के लिए चाहे बेशक अच्छे होते हो, लेकिन इन्हें बनाने के तरीके के कारण ये सात्विक भोजन में नहीं गिने जाते। एक मान्यता यह भी है कि सावन के महीने में भगवान शिव पर दूध, दही चढ़ाया जाता है। ऐसे में इस तरह की चीजों को खाने की मनाही होती है। वहीं, इसमें कई पुजारियों का कहना है कि हम जो चीजें भगवान शिव को अर्पित करते हैं, उन्हें भोजन में शामिल करना गलत है।
अगर इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो यह माह शुरू होते ही बरसात का मौसम शुरू हो जाता है। ऐसे में पर्यावरण में जीव-जंतु, कीटाणु और विषाणु पनपते हैं। ऐसे में पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने से भी बचना चहिए।
हम सभी अच्छी तरह से इस बात को जानते हैं कि दही बैक्टीरिया से तैयार होता है। ऐसे में इसे खाने से आप कई तरह की बीमारियों से घिर सकते हैं। इसी वजह से डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि इस मौसम में दही और उससे बनी चीजों से परहेज करें।
अगर आयुर्वेद की बात करें तो तामसिक भोजन इन दिनों में सुस्ती पैदा कर सकता है, जिस कारण आपको नींद आती है, और आपका आध्यात्मिक अभ्यास बाधित होता है।
दिल्ली के ईएसआईसी (इंदिरा गांधी) अस्पताल झिलमिल के सीनियर रेजिडेंट डॉ. युगम प्रसाद शांडिल्य ने आईएएनएस को बताया, ”सावन के महीने में मौसम में काफी नमी रहती है, जिससे कान और गले में इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। ऐसे में हम लोगों को दही खाने के लिए मना करते हैं।”
डॉक्टर ने बताया कि ऐसे में लोगों को गले में खराश के साथ कफ की समस्या भी पैदा हो सकती है। इसलिए इस मौसम में सभी आयु वर्ग के लोगों के साथ खासकर बच्चों को दही का सेवन करने से बचना चहिए।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 26 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर भारत में इस साल सावन के महीने की शुरुआत 22 जुलाई से हो चुकी है। यह महीना हिंदू-रीति रिवाजों के हिसाब से काफी महत्व रखता है। ऐसे में लोग अपने दैनिक जीवन में की जा रही गतिविधियों में काफी बदलाव करते हैं। इसमें लोग रहन-सहन से लेकर अपने खाने-पीने का भी पूरा ध्यान रखते हैं।
सावन का महीना शिव भक्तों के लिए भी खास है। ऐसे में भक्त भक्ति के अलावा इन दिनों में क्या करना चहिए, क्या नहीं, इसका भी विशेष रूप से ध्यान रखते हैं।
आपने कई बडे़-बुजुर्गों को अक्सर यह कहते हुए जरूर सुना होगा कि सावन का महीना लग गया है, इसमें यह करें, यह न करें। यहां आपको बता दें कि सावन के महीने में कहा जाता है कि आपको दही और साग से परहेज करना चहिए। इन चीजों के पीछे धार्मिक कारण होने के साथ कई वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण भी हैं, जिनकी वजह से इन चीजों को खाने के लिए मना किया जाता है।
इसके पीछे के अगर धार्मिक कारणों की बात की जाए तो सावन के महीने में लोगों को सात्विक भोजन ही करना चहिए। इससे शरीर तो शुद्ध होता ही है, साथ में आध्यात्मिकता की ओर हमारा ध्यान बढ़ता है। दही और साग हमारी सेहत के लिए चाहे बेशक अच्छे होते हो, लेकिन इन्हें बनाने के तरीके के कारण ये सात्विक भोजन में नहीं गिने जाते। एक मान्यता यह भी है कि सावन के महीने में भगवान शिव पर दूध, दही चढ़ाया जाता है। ऐसे में इस तरह की चीजों को खाने की मनाही होती है। वहीं, इसमें कई पुजारियों का कहना है कि हम जो चीजें भगवान शिव को अर्पित करते हैं, उन्हें भोजन में शामिल करना गलत है।
अगर इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो यह माह शुरू होते ही बरसात का मौसम शुरू हो जाता है। ऐसे में पर्यावरण में जीव-जंतु, कीटाणु और विषाणु पनपते हैं। ऐसे में पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने से भी बचना चहिए।
हम सभी अच्छी तरह से इस बात को जानते हैं कि दही बैक्टीरिया से तैयार होता है। ऐसे में इसे खाने से आप कई तरह की बीमारियों से घिर सकते हैं। इसी वजह से डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि इस मौसम में दही और उससे बनी चीजों से परहेज करें।
अगर आयुर्वेद की बात करें तो तामसिक भोजन इन दिनों में सुस्ती पैदा कर सकता है, जिस कारण आपको नींद आती है, और आपका आध्यात्मिक अभ्यास बाधित होता है।
दिल्ली के ईएसआईसी (इंदिरा गांधी) अस्पताल झिलमिल के सीनियर रेजिडेंट डॉ. युगम प्रसाद शांडिल्य ने आईएएनएस को बताया, ”सावन के महीने में मौसम में काफी नमी रहती है, जिससे कान और गले में इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। ऐसे में हम लोगों को दही खाने के लिए मना करते हैं।”
डॉक्टर ने बताया कि ऐसे में लोगों को गले में खराश के साथ कफ की समस्या भी पैदा हो सकती है। इसलिए इस मौसम में सभी आयु वर्ग के लोगों के साथ खासकर बच्चों को दही का सेवन करने से बचना चहिए।
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नई दिल्ली, 26 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर भारत में इस साल सावन के महीने की शुरुआत 22 जुलाई से हो चुकी है। यह महीना हिंदू-रीति रिवाजों के हिसाब से काफी महत्व रखता है। ऐसे में लोग अपने दैनिक जीवन में की जा रही गतिविधियों में काफी बदलाव करते हैं। इसमें लोग रहन-सहन से लेकर अपने खाने-पीने का भी पूरा ध्यान रखते हैं।
सावन का महीना शिव भक्तों के लिए भी खास है। ऐसे में भक्त भक्ति के अलावा इन दिनों में क्या करना चहिए, क्या नहीं, इसका भी विशेष रूप से ध्यान रखते हैं।
आपने कई बडे़-बुजुर्गों को अक्सर यह कहते हुए जरूर सुना होगा कि सावन का महीना लग गया है, इसमें यह करें, यह न करें। यहां आपको बता दें कि सावन के महीने में कहा जाता है कि आपको दही और साग से परहेज करना चहिए। इन चीजों के पीछे धार्मिक कारण होने के साथ कई वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण भी हैं, जिनकी वजह से इन चीजों को खाने के लिए मना किया जाता है।
इसके पीछे के अगर धार्मिक कारणों की बात की जाए तो सावन के महीने में लोगों को सात्विक भोजन ही करना चहिए। इससे शरीर तो शुद्ध होता ही है, साथ में आध्यात्मिकता की ओर हमारा ध्यान बढ़ता है। दही और साग हमारी सेहत के लिए चाहे बेशक अच्छे होते हो, लेकिन इन्हें बनाने के तरीके के कारण ये सात्विक भोजन में नहीं गिने जाते। एक मान्यता यह भी है कि सावन के महीने में भगवान शिव पर दूध, दही चढ़ाया जाता है। ऐसे में इस तरह की चीजों को खाने की मनाही होती है। वहीं, इसमें कई पुजारियों का कहना है कि हम जो चीजें भगवान शिव को अर्पित करते हैं, उन्हें भोजन में शामिल करना गलत है।
अगर इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो यह माह शुरू होते ही बरसात का मौसम शुरू हो जाता है। ऐसे में पर्यावरण में जीव-जंतु, कीटाणु और विषाणु पनपते हैं। ऐसे में पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने से भी बचना चहिए।
हम सभी अच्छी तरह से इस बात को जानते हैं कि दही बैक्टीरिया से तैयार होता है। ऐसे में इसे खाने से आप कई तरह की बीमारियों से घिर सकते हैं। इसी वजह से डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि इस मौसम में दही और उससे बनी चीजों से परहेज करें।
अगर आयुर्वेद की बात करें तो तामसिक भोजन इन दिनों में सुस्ती पैदा कर सकता है, जिस कारण आपको नींद आती है, और आपका आध्यात्मिक अभ्यास बाधित होता है।
दिल्ली के ईएसआईसी (इंदिरा गांधी) अस्पताल झिलमिल के सीनियर रेजिडेंट डॉ. युगम प्रसाद शांडिल्य ने आईएएनएस को बताया, ”सावन के महीने में मौसम में काफी नमी रहती है, जिससे कान और गले में इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। ऐसे में हम लोगों को दही खाने के लिए मना करते हैं।”
डॉक्टर ने बताया कि ऐसे में लोगों को गले में खराश के साथ कफ की समस्या भी पैदा हो सकती है। इसलिए इस मौसम में सभी आयु वर्ग के लोगों के साथ खासकर बच्चों को दही का सेवन करने से बचना चहिए।
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सावन का महीना शिव भक्तों के लिए भी खास है। ऐसे में भक्त भक्ति के अलावा इन दिनों में क्या करना चहिए, क्या नहीं, इसका भी विशेष रूप से ध्यान रखते हैं।
आपने कई बडे़-बुजुर्गों को अक्सर यह कहते हुए जरूर सुना होगा कि सावन का महीना लग गया है, इसमें यह करें, यह न करें। यहां आपको बता दें कि सावन के महीने में कहा जाता है कि आपको दही और साग से परहेज करना चहिए। इन चीजों के पीछे धार्मिक कारण होने के साथ कई वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण भी हैं, जिनकी वजह से इन चीजों को खाने के लिए मना किया जाता है।
इसके पीछे के अगर धार्मिक कारणों की बात की जाए तो सावन के महीने में लोगों को सात्विक भोजन ही करना चहिए। इससे शरीर तो शुद्ध होता ही है, साथ में आध्यात्मिकता की ओर हमारा ध्यान बढ़ता है। दही और साग हमारी सेहत के लिए चाहे बेशक अच्छे होते हो, लेकिन इन्हें बनाने के तरीके के कारण ये सात्विक भोजन में नहीं गिने जाते। एक मान्यता यह भी है कि सावन के महीने में भगवान शिव पर दूध, दही चढ़ाया जाता है। ऐसे में इस तरह की चीजों को खाने की मनाही होती है। वहीं, इसमें कई पुजारियों का कहना है कि हम जो चीजें भगवान शिव को अर्पित करते हैं, उन्हें भोजन में शामिल करना गलत है।
अगर इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो यह माह शुरू होते ही बरसात का मौसम शुरू हो जाता है। ऐसे में पर्यावरण में जीव-जंतु, कीटाणु और विषाणु पनपते हैं। ऐसे में पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने से भी बचना चहिए।
हम सभी अच्छी तरह से इस बात को जानते हैं कि दही बैक्टीरिया से तैयार होता है। ऐसे में इसे खाने से आप कई तरह की बीमारियों से घिर सकते हैं। इसी वजह से डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि इस मौसम में दही और उससे बनी चीजों से परहेज करें।
अगर आयुर्वेद की बात करें तो तामसिक भोजन इन दिनों में सुस्ती पैदा कर सकता है, जिस कारण आपको नींद आती है, और आपका आध्यात्मिक अभ्यास बाधित होता है।
दिल्ली के ईएसआईसी (इंदिरा गांधी) अस्पताल झिलमिल के सीनियर रेजिडेंट डॉ. युगम प्रसाद शांडिल्य ने आईएएनएस को बताया, ”सावन के महीने में मौसम में काफी नमी रहती है, जिससे कान और गले में इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। ऐसे में हम लोगों को दही खाने के लिए मना करते हैं।”
डॉक्टर ने बताया कि ऐसे में लोगों को गले में खराश के साथ कफ की समस्या भी पैदा हो सकती है। इसलिए इस मौसम में सभी आयु वर्ग के लोगों के साथ खासकर बच्चों को दही का सेवन करने से बचना चहिए।
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सावन का महीना शिव भक्तों के लिए भी खास है। ऐसे में भक्त भक्ति के अलावा इन दिनों में क्या करना चहिए, क्या नहीं, इसका भी विशेष रूप से ध्यान रखते हैं।
आपने कई बडे़-बुजुर्गों को अक्सर यह कहते हुए जरूर सुना होगा कि सावन का महीना लग गया है, इसमें यह करें, यह न करें। यहां आपको बता दें कि सावन के महीने में कहा जाता है कि आपको दही और साग से परहेज करना चहिए। इन चीजों के पीछे धार्मिक कारण होने के साथ कई वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण भी हैं, जिनकी वजह से इन चीजों को खाने के लिए मना किया जाता है।
इसके पीछे के अगर धार्मिक कारणों की बात की जाए तो सावन के महीने में लोगों को सात्विक भोजन ही करना चहिए। इससे शरीर तो शुद्ध होता ही है, साथ में आध्यात्मिकता की ओर हमारा ध्यान बढ़ता है। दही और साग हमारी सेहत के लिए चाहे बेशक अच्छे होते हो, लेकिन इन्हें बनाने के तरीके के कारण ये सात्विक भोजन में नहीं गिने जाते। एक मान्यता यह भी है कि सावन के महीने में भगवान शिव पर दूध, दही चढ़ाया जाता है। ऐसे में इस तरह की चीजों को खाने की मनाही होती है। वहीं, इसमें कई पुजारियों का कहना है कि हम जो चीजें भगवान शिव को अर्पित करते हैं, उन्हें भोजन में शामिल करना गलत है।
अगर इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो यह माह शुरू होते ही बरसात का मौसम शुरू हो जाता है। ऐसे में पर्यावरण में जीव-जंतु, कीटाणु और विषाणु पनपते हैं। ऐसे में पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने से भी बचना चहिए।
हम सभी अच्छी तरह से इस बात को जानते हैं कि दही बैक्टीरिया से तैयार होता है। ऐसे में इसे खाने से आप कई तरह की बीमारियों से घिर सकते हैं। इसी वजह से डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि इस मौसम में दही और उससे बनी चीजों से परहेज करें।
अगर आयुर्वेद की बात करें तो तामसिक भोजन इन दिनों में सुस्ती पैदा कर सकता है, जिस कारण आपको नींद आती है, और आपका आध्यात्मिक अभ्यास बाधित होता है।
दिल्ली के ईएसआईसी (इंदिरा गांधी) अस्पताल झिलमिल के सीनियर रेजिडेंट डॉ. युगम प्रसाद शांडिल्य ने आईएएनएस को बताया, ”सावन के महीने में मौसम में काफी नमी रहती है, जिससे कान और गले में इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। ऐसे में हम लोगों को दही खाने के लिए मना करते हैं।”
डॉक्टर ने बताया कि ऐसे में लोगों को गले में खराश के साथ कफ की समस्या भी पैदा हो सकती है। इसलिए इस मौसम में सभी आयु वर्ग के लोगों के साथ खासकर बच्चों को दही का सेवन करने से बचना चहिए।
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सावन का महीना शिव भक्तों के लिए भी खास है। ऐसे में भक्त भक्ति के अलावा इन दिनों में क्या करना चहिए, क्या नहीं, इसका भी विशेष रूप से ध्यान रखते हैं।
आपने कई बडे़-बुजुर्गों को अक्सर यह कहते हुए जरूर सुना होगा कि सावन का महीना लग गया है, इसमें यह करें, यह न करें। यहां आपको बता दें कि सावन के महीने में कहा जाता है कि आपको दही और साग से परहेज करना चहिए। इन चीजों के पीछे धार्मिक कारण होने के साथ कई वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण भी हैं, जिनकी वजह से इन चीजों को खाने के लिए मना किया जाता है।
इसके पीछे के अगर धार्मिक कारणों की बात की जाए तो सावन के महीने में लोगों को सात्विक भोजन ही करना चहिए। इससे शरीर तो शुद्ध होता ही है, साथ में आध्यात्मिकता की ओर हमारा ध्यान बढ़ता है। दही और साग हमारी सेहत के लिए चाहे बेशक अच्छे होते हो, लेकिन इन्हें बनाने के तरीके के कारण ये सात्विक भोजन में नहीं गिने जाते। एक मान्यता यह भी है कि सावन के महीने में भगवान शिव पर दूध, दही चढ़ाया जाता है। ऐसे में इस तरह की चीजों को खाने की मनाही होती है। वहीं, इसमें कई पुजारियों का कहना है कि हम जो चीजें भगवान शिव को अर्पित करते हैं, उन्हें भोजन में शामिल करना गलत है।
अगर इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो यह माह शुरू होते ही बरसात का मौसम शुरू हो जाता है। ऐसे में पर्यावरण में जीव-जंतु, कीटाणु और विषाणु पनपते हैं। ऐसे में पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने से भी बचना चहिए।
हम सभी अच्छी तरह से इस बात को जानते हैं कि दही बैक्टीरिया से तैयार होता है। ऐसे में इसे खाने से आप कई तरह की बीमारियों से घिर सकते हैं। इसी वजह से डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि इस मौसम में दही और उससे बनी चीजों से परहेज करें।
अगर आयुर्वेद की बात करें तो तामसिक भोजन इन दिनों में सुस्ती पैदा कर सकता है, जिस कारण आपको नींद आती है, और आपका आध्यात्मिक अभ्यास बाधित होता है।
दिल्ली के ईएसआईसी (इंदिरा गांधी) अस्पताल झिलमिल के सीनियर रेजिडेंट डॉ. युगम प्रसाद शांडिल्य ने आईएएनएस को बताया, ”सावन के महीने में मौसम में काफी नमी रहती है, जिससे कान और गले में इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। ऐसे में हम लोगों को दही खाने के लिए मना करते हैं।”
डॉक्टर ने बताया कि ऐसे में लोगों को गले में खराश के साथ कफ की समस्या भी पैदा हो सकती है। इसलिए इस मौसम में सभी आयु वर्ग के लोगों के साथ खासकर बच्चों को दही का सेवन करने से बचना चहिए।