नई दिल्ली, 31 मई (आईएएनएस)। दिल्ली विश्वविद्यालय में बुधवार को छात्र संगठन नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने विरोध प्रदर्शन किया। एनएसयूआई से जुड़े छात्रों का यह विरोध विनायक दामोदर सावरकर को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने के मुद्दे पर था। प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने आर्ट्स स्ट्रीम के पॉलिटिकल साइंस के पाठ्यक्रम में बदलाव करते हुए सावरकर को पाठ्यक्रम में शामिल किया है।
इससे नाराज कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई ने बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। दिल्ली विश्वविद्यालय के कई शिक्षकों का कहना है कि विश्वविद्यालय ने राजनीति विज्ञान के पांचवें सेमेस्टर के पाठ्यक्रम में महात्मा गांधी से जुड़े एक पेपर को सावरकर से बदला है।
छात्र संगठन एनएसयूआई के छात्रों ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय ने केंद्र के दबाव के बाद सावरकर को पाठ्यक्रम में शामिल किया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ शिक्षकों का कहना है कि इसके अलावा विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र में पढ़ाई जाने वाले बी.आर. आंबेडकर के कार्यो पर केंद्रित एक पाठ्यक्रम को हटाने का भी विचार किया जा चुका है। दिल्ली विश्वविद्यालय के इन छात्रों ने पाठ्यक्रम में किए जा रहे इस प्रकार के बदलाव पर अपना विरोध दर्ज कराया है। साथ ही छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन को इस संदर्भ में एक ज्ञापन भी सौंपा।
एनएसयूआई ने एक बयान में कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने हाल ही में फैसला किया था कि बीआर आंबेडकर के दर्शन से जुड़े एक पाठ्यक्रम को दर्शनशास्त्र (ऑनर्स) स्नातक कार्यक्रम से हटा दिया जाएगा। बयान के अनुसार, सावरकर को राजनीति विज्ञान पाठ्यक्रम में पढ़ाने का भी प्रस्ताव है।
इससे पहले मंगलवार को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने 12वीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक से खालिस्तान से जुड़े अंशों को हटाने का निर्णय लिया है। एनसीईआरटी ने यह कदम शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की मांग पर उठाया है। दरअसल, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने एनसीआरईटी को एक पत्र लिखकर खालिस्तान से जुड़े अंश हटाने की मांग की थी।
12वीं कक्षा की राजनीतिक विज्ञान की पुस्तक स्वतंत्र भारत में राजनीति के सातवें अध्याय क्षेत्रीय आकाक्षाएं में खालिस्तान को लेकर यह अंश हैं। एनसीआरईटी ने अब इसे हटाने का निर्णय किया है। सिख संगठनों की दलील थी कि एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों में ऐसे तथ्यों से सिखों की छवि खराब हो रही है। सिख संगठनों की इसी दलील के आधार पर एनसीआरईटी ने इन अंशों को हटाने का फैसला किया है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्कूल एजुकेशन विभाग ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि एसजीपीसी ने इसे हटाने की मांग की थी, जिसके बाद आधिकारिक तौर पर इसे हटा दिया गया है। मंत्रालय का कहना है कि एनसीईआरटी की 12वीं की पॉलीटिकल साइंस की किताब में खालिस्तान का जिक्र था।
–आईएएनएस
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